ब्रिटिश संगीतकारों में, जॉन फोल्ड्स हैं भारतीय दर्शन व आध्यात्मिकता से सर्वाधिक प्रभावित

ध्वनि 1- स्पन्दन से ध्वनि
25-09-2023 09:40 AM
Post Viewership from Post Date to 25- Oct-2023 (31st Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3174 295 3469
ब्रिटिश संगीतकारों में, जॉन फोल्ड्स हैं भारतीय दर्शन व आध्यात्मिकता से सर्वाधिक प्रभावित

भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता दोनों ही अत्यंत सूक्ष्म एवं व्यावहारिक माने जाते हैं। पश्चिमी शास्त्रीय संगीत और संगीतज्ञों के बीच भी इसका गहरा और अद्वितीय प्रभाव देखने को मिलता है। जिससे पूरब और पश्चिम की इन दोनों परंपराओं एवं मान्यताओं का मेल कलात्मक उत्कृष्टता का अनूठा उदाहरण बन जाता है। हिंदू धर्म और भारतीय दर्शन का संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) के बौद्धिक और आर्थिक विकास पर भी गहरा प्रभाव पड़ा है। भारतीय ग्रंथों में वर्णित “आत्मपूर्णता और आत्म-निर्भरता” जैसी महत्वपूर्ण दार्शनिक अवधारणाएं 20वीं शताब्दी के दौरान ब्रिटेन (Britain) और संयुक्त राज्य अमेरिका के विकास की दार्शनिक आधारशिला बन गईं थीं। भारतीय वेदांत संस्कृति ने मूल भारतीय लोगों के साथ-साथ पूरी दुनिया के जाने-माने लोगों विशेषतौर पर संगीतकारों को भी प्रभावित किया है। जॉन फोल्ड्स (John Foulds भी ऐसे ही निपुण कलाकारों में से एक थे। जॉन फोल्ड्स का जन्म 1880 में इंग्लैंड (England) के मैनचेस्टर (Manchester) शहर में हुआ था। जॉन फोल्ड्स को, सभी ब्रिटिश संगीतकारों में, भारतीय संस्कृति से सर्वाधिक प्रभावित होने वाला कलाकार माना जाता है। भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता में फोल्ड्स की गंभीर रुचि 1905 के आसपास से ही बढ़ने लगी थी। उन्होंने ऐसी कई कृतियाँ रचीं, जो सीधे तौर पर भारतीय संगीत और दर्शन पर आधारित थीं। इनमें प्रथम विश्व युद्ध के दौरान मारे गए मृतकों के लिए उनके द्वारा लिखी गई विश्व प्रार्थना भी शामिल है। दरअसल जॉन फोल्ड्स ने प्रथम विश्व युद्ध के बाद 1918 और 1921 के बीच भारतीय दर्शन से ही प्रभावित होकर ‘वर्ल्ड रिक्विम आर्केस्ट्रा’ (World Requiem Orchestra) नामक एक प्रार्थना लिखी थी। फ़ोल्ड्स ने इसे युद्ध में मारे गए लोगों को श्रद्धांजलि देने और उनके परिवारों को सांत्वना देने के लिए लिखा था।
नीचे दिए गए लिंक पर क्लिक करके चलचित्रों के माध्यम से आप भी इस मधुर एवं सहानुभूति से भरे संगीत को सुन सकते हैं: ऐसा माना जाता है कि जॉन फोल्ड्स ने अधिकांश संगीत किसी और से नहीं बल्कि खुद अपनी प्रतिभा के बल पर ही सीखा था। 1910 में जॉन फोल्ड्स ने वायलिन वादक और अध्यात्मविद्यावादी (Theosophist) मौड मैक्कार्थी (Maud Mccarthy) से शादी कर ली। शादी के बाद फ़ोल्ड्स और उनकी पत्नी कुछ समय तक पेरिस (Paris) में ही रहे, लेकिन फिर वे लंदन (London) चले गए। वहां जाकर उन्होंने आहार और ध्यान का कठोर योगाभ्यास किया। फोल्ड्स मानते थे, कि इन सभी योगाभ्यासों से उन्हें अपना सर्वश्रेष्ठ संगीत लिखने में बड़ी मदद मिली थी। अध्यात्मविद्या एक दार्शनिक और धार्मिक आंदोलन है, जो 19वीं सदी के अंत में उभरा था। 1935 में, फोल्ड्स और मैक्कार्थी अध्यात्मविद्यावादी सोसायटी (Theosophical Society ) के साथ सक्रीय रूप से जुड़ी “एनी बेसेंट” (Annie Besant) के साथ भारत आ गए थे। यहाँ आकर फोल्ड्स ने खुद को पूरी तरह से भारतीय संगीत के अध्ययन में झोंक दिया। इस दौरान उन्होंने एक इंडो-यूरोपीय ऑर्केस्ट्रा (Indo-European Orchestra) की भी स्थापना की, जिसमें यूरोपीय और भारतीय वाद्य यंत्रों का अनूठा मिश्रण दिखाई देता था। उनकी संगीत श्रेणियों में पियानो संगीत (Piano Music), आर्केस्ट्रा संगीत (Orchestral Music) और एक ओपेरा (Opera) भी शामिल है। फोल्ड्स को फ़्यूज़न-संगीत (Fusion-Music) शैली के प्रचलन से भी बहुत पहले औपनिवेशिक युग में “पूर्व और पश्चिमी संगीत के मिश्रण या संश्लेषण के लिए जाना जाता है। दुर्भाग्य से, 1939 में हैजा से उनकी मृत्यु हो गई। अपनी मृत्यु के समय भी वह पूर्व और पश्चिम के मिश्रण पर ही काम कर रहे थे। किंतु फोल्ड्स के संगीत को अब जाकर उनकी मृत्यु के बाद पहचान मिलनी शुरू हुई है। उनका उल्लेखनीय पियानो संगीत, विशेष रूप से पूरी तरह से भारतीय दर्शन और आध्यात्मिकता की समृद्धि से ओत-प्रोत नजर आता है। उनका मानना था कि उन्होंने अपना सर्वश्रेष्ठ संगीत तब लिखा जब वे कठोर योगाभ्यास का पालन कर रहे थे। भारतीय दर्शन में वह विशेष रूप से “एकता की अवधारणा” में रूचि रखते थे, जिसके अनुसार “विश्व के सभी प्राणी आपस में जुड़े हुए हैं।” यदि आप गौर करें, तो पाएंगे कि यही विचार अध्यात्मविद्यावादी दर्शन में भी परिलक्षित होता है, जो कहता है कि “इस पूरी सृष्टि का मूल एक ही है।" शायद इसीलिए भारतीय संगीत परंपरा के साथ- साथ जॉन फोल्ड्स अध्यात्मविद्यावादी दर्शन से भी काफी प्रभावित थे। अध्यात्मविद्यावादी सोसायटी का उद्देश्य एक गहरी समझ‚ शाश्वत ज्ञान‚ आध्यात्मिक आत्म-परिवर्तन तथा जीवन की एकता की अनुभूति विकसित करके मानवता की सेवा करना है। अध्यात्मविद्या के दर्शन ने जॉन फोल्ड्स के साथ ही कई अन्य पश्चिमी संगीतकारों को भी प्रभावित किया है। जैसे:
1. गुस्ताव होल्स्ट (Gustav Holst (1874-1934): हालांकि होल्स्ट, अध्यात्मविद्यावादी सोसायटी के सक्रिय सदस्य नहीं थे, लेकिन वे इसकी ओर काफी आकर्षित थे। होल्स्ट ने भारतीय विषयों पर आधारित कई रचनाएं भी लिखी थी, जिनमें उनका चैम्बर ओपेरा ‘सावित्री’, ‘कोरल हिम्स फ्रॉम द ऋग्वेद’ (Choral Hymns from the Rig Veda), ‘द हिम ऑफ जीसस’ (The Hymn Of Jesus) और उनका लोकप्रिय ‘द प्लैनेट्स’ (The Planets) भी शामिल हैं।
2. हेनरी कोवेल (Henry Cowell (1897-1965): कोवेल एक जाने-माने अमेरिकी आधुनिकतावादी संगीतकार थे। हेनरी कोवेल अध्यात्मविद्या से बेहद प्रभावित थे। कॉवेल ने 1916-17 में अपना समय कैलिफोर्निया (California) के हैल्सियॉन (Halcyon) में “लोगों के मंदिर” (People's Temple") समुदाय के बीच बिताया और वहां अपने संरक्षकों के लिए संगीत तैयार किया।
3. सिरिल स्कॉट (Cyril Scott (1879-1970): सिरिल स्कॉट भी ब्रिटिश संगीतकार थे, जो भारतीय दर्शन और संस्कृति में काफी रुचि रखते थे। उन्होंने भारतीय संगीत से प्रभावित कई रचनाएं लिखी, जिनमें उनकी पियानो रचना “सोनाटा नंबर 1” (Sonata No. 1)भी शामिल है।
4. गुस्ताव माहलर (Gustav Mahler (1860-1911) और जीन सिबेलियस (Jean Sibelius (1865-1957): माहलर और सिबेलियस दोनों ही अध्यात्मविद्या में विशेष रुचि और पुनर्जन्म में दृढ़ विश्वास रखते थे। लेकिन आज तक जॉन फोल्ड्स की तुलना में कोई भी अंग्रेजी संगीतकार भारतीय संस्कृति और धर्म से इतनी अच्छी तरह से और पूरी तरह से मोहित नहीं हुआ है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/33839ke6
https://tinyurl.com/37ywajcv

चित्र संदर्भ
1. जॉन फोल्ड्स और एक हिंदू पाण्डुलिपि को दर्शाता एक चित्रण (Wallpaper Flare, wikimedia)
2. जॉन फोल्ड्स को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. थियोसोफिकल सोसायटी बिल्डिंग को दर्शाता एक चित्रण (Wikimedia)
4. ओपेरा समारोह को दर्शाता एक चित्रण (PickPik)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.