अंग्रेजी भाषा के मुकाबले,भारतीय भाषाओं को 'लिप-रीडिंग' से समझना चुनौतीपूर्ण क्यों है?

ध्वनि 2- भाषायें
18-07-2023 09:43 AM
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अंग्रेजी भाषा के मुकाबले,भारतीय भाषाओं को 'लिप-रीडिंग' से समझना चुनौतीपूर्ण क्यों है?

कहा जाता है कि जो लोग अपनी आँखों से देख नहीं सकते, उन लोगों की अन्य इन्द्रियां अधिक सक्रिय और याददाश्त काफी अच्छी हो जाती है। ठीक उसी तरह जो लोग कानों से सुन नहीं सकते, वे लोग अपने आप को इस तरह से प्रशिक्षित कर लेते हैं कि वह आपके चेहरे के भावों तथा जीभ और होठों की हरकतों को देखकर यह बता सकते हैं कि आप वास्तव में कहना क्या चाहते हैं! हालांकि कई लोग पेशेवर तौर पर भी होठों को पढ़ने की कला में माहिर होते हैं। इसके अलावा कुछ आधुनिक प्रौद्योगिक तकनीकें भी इस बेहद जटिल काम को बड़ी ही आसानी से कर सकती हैं। अर्थात अगर आप आवाज न भी निकालें, तो भी आधुनिक मशीनें आपके होठों की हरकतों से यह बता सकती हैं कि आप वास्तव में कह क्या रहे हैं? लिप रीडिंग (Lip Reading), जिसे स्पीच रीडिंग (Speech Reading) के रूप में भी जाना जाता है, बिना किसी आवाज के भी केवल होंठ, चेहरे और जीभ की गतिविधियों को देखकर किसी के भाषण या बातों को समझने की एक तकनीक है। हालांकि यह तकनीक संदर्भ जानकारी, भाषा ज्ञान और किसी भी अवशिष्ट श्रवण (Residual Hearing) पर भी निर्भर होती है। होंठ पढ़ने की कला का प्रयोग आमतौर पर बहरे और कम सुनने वाले लोगों द्वारा किया जाता है। हालांकि, कभी-कभी सामान्य सुनने वाले लोग भी दूर से ही मुंह की गतिविधियों को देखकर कुछ-कुछ शब्दों को समझने की कोशिश करते हैं।
स्पीच रीडिंग को आमतौर पर श्रवण कौशल (Listening Skills) माना जाता है, लेकिन यह वास्तव में मल्टीमोडल (Multimodal) है। इसके तहत होठों और चेहरे से मिली जानकारी ही बातों को समझने में मदद करती है। लोग किस हद तक दृश्यमान भाषण क्रियाओं पर भरोसा करते हैं, यह उन क्रियाओं की दृश्यता और उन्हें समझने वाले व्यक्ति के कौशल पर निर्भर करता है। भाषा में, स्वनिम (Phoneme) ध्वनि की सबसे छोटी इकाइयां होती हैं जो शब्दों को एक दूसरे से अलग करती हैं। लिप रीडिंग में, दृष्टिगत रूप से विशिष्ट इकाइयों का उपयोग किया जाता है जिन्हें विसेम्स (Vicemes) कहा जाता है, जिनकी संख्या स्वनिम की तुलना में कम होती है। ऐसा इसलिए है क्योंकि कुछ स्वरयंत्र मुंह और गले के अंदर उत्पन्न होते हैं, जिससे उन्हें देखना मुश्किल हो जाता है। इसके अलावा होमोफिन्स (Homophenes) ऐसे शब्द होते हैं, जो होठों से पढ़ने पर एक जैसे दिखते हैं, लेकिन उनके स्वर अलग-अलग होते हैं, “भाप और बाप” शब्द इसका एक उदाहरण हो सकते हैं। स्वरों की संख्या में अंतर के कारण, अक्सर यह कहा जाता है कि अंग्रेजी भाषा में भाषण का लगभग 30% ही होठों से पढ़ा जा सकता है।
होंठ पढ़ने की सटीक पठनीयता प्रकाश, सिर की गति, फ्रेम दर (Frame Rate) और वक्ता से दूरी जैसे कारकों के आधार पर भिन्न-भिन्न हो सकती है। भाषा, वक्ता और संदर्भ के साथ-साथ, दर्शक की परिचितता भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है। हालांकि अधिकांश लोग केवल होठों को देखकर कुछ जानकारी एकत्र कर सकते हैं, लेकिन व्यक्तिगत तौर पर लिप-रीडिंग कौशल अलग-अलग हो सकते हैं। अच्छे लिप रीडर, अक्सर खराब लिप रीडर की तुलना में दृश्य भाषण से स्वरों की पहचान करने में अधिक सटीक होते हैं। होंठ पढ़ना एक ऐसा कौशल है जिसके लिए कठिन अभ्यास और धैर्य की आवश्यकता होती है। हालाँकि, होठों को पूरी तरह से पढ़ना असंभव माना जाता है, लेकिन बेहतर ध्यान देने और अभ्यास करने से, आप केवल सुनने पर निर्भर हुए बिना ही लोगों की अधिकांश बातें समझ सकते हैं।
आइये, अब आसान शब्दों में होठों को पढ़ने का तरीका समझते हैं:
1. संदर्भ और दृश्य संकेतों पर ध्यान दें: केवल लिप-रीडिंग ही सारी जानकारी प्रदान नहीं कर सकती है। हमने अभी पढ़ा कि केवल 30-40% ध्वनियाँ (अंग्रेजी) ही होठों पर स्पष्ट रूप से देखी जा सकती हैं। इसलिए संदर्भ और अनुमान, भाषा को समझने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। वास्तव में लिप-रीडिंग संचार के कई उपकरणों में से सिर्फ एक उपकरण मात्र है।
2. वाक्य पढ़ें, एक शब्द नहीं: लिप-रीडिंग में छोटे शब्दों की तुलना में लंबे वाक्यांशों को समझना आसान माना जाता है। पूरे वाक्य पर ध्यान केंद्रित करके, आप संदर्भ के माध्यम से अंतराल को भर सकते हैं और फिर अर्थ को समझ सकते हैं।
3. चेहरे की गतिविधियों और भावों पर ध्यान दें: हमारी आंखें और मुंह अभिव्यंजक (Expressive) होते हैं तथा हमारे स्वरों और मनोदशा के बारे में कई अहम् सुराग देते हैं। इसके अलावा चेहरे के बाकी हिस्सों पर भी ध्यान दें, क्योंकि यह हमें प्रासंगिक जानकारी प्रदान करते है।
4. शारीरिक भाषा और गैर-मौखिक संकेतों से सीखें: लिप-रीडिंग केवल होंठों को पढ़ने के बारे में सीखना नहीं है। बल्कि शारीरिक भाषा और मनोदशा भी स्वर तथा बातचीत के विषय को मापने में मदद कर सकती है। इशारों और मुद्रा को समझने से होंठ पढ़ने का हुनर बढ़ जाता है।
5. समान दिखने वाले अक्षरों से सावधान रहें: अंग्रेजी में 44 अलग-अलग ध्वनियाँ हैं, लेकिन उनमें से केवल एक तिहाई को ही दृष्टिगत रूप से पहचाना जा सकता है। कुछ ध्वनियों का उच्चारण करते समय मुंह का आकार समान रहता है, जो अक्सर भ्रमित करते है। इन समानताओं को समझने से आपको सामान्य गलतियों से बचने में मदद मिल सकती है।
6. छूटे हुए शब्दों को भरने के लिए संदर्भ का उपयोग करें: लिप-रीडिंग एक पहेली को सुलझाने जैसा है। यदि आप प्रत्येक शब्द को नहीं पकड़ पाते हैं, तो जो शब्द आप समझते हैं उनका उपयोग करके उन शब्दों का पता लगाएं, जो आपसे छूट गए हैं।
7. लोगों को धीरे बोलने के लिए कहें: यदि सहज हो, तो विनम्रतापूर्वक दूसरों को अपना भाषण धीमा करने के लिए कहें। धीमा और स्पष्ट उच्चारण लिप-रीडिंग को आसान बनाता है और संदर्भ प्राप्त करने में मदद करता है।
आइए जानते हैं कि आप किस प्रकार होंठ पढ़ने का अभ्यास कर सकते हैं:
1. टीवी देखें और इस बात पर ध्यान दें कि लोगों के होंठ कैसे हिलते हैं: इसके लिए समाचार कार्यक्रमों से शुरुआत करें, जहां वक्ता सीधे कैमरे की तरफ देख रहे होते हैं।
2. दर्पण के सामने अभ्यास करें: अपने होठों की हरकतों को देखते हुए वर्णमाला बोलें, गीत गाएं या कुछ पढ़ें। शब्दों के दृश्य पहलू से परिचित होने के लिए धीरे-धीरे चुनौतीपूर्ण अक्षरों या समान ध्वनियों का अभ्यास करें।
3. अभ्यास में मदद के लिए दोस्तों से पूछें: अपने दोस्तों को अपने लिप-रीडिंग अभ्यास के बारे में बताएं और उनके साथ अभ्यास करें।
4. लिप-रीडिंग कक्षाएं (Lip-Reading Class) लेने पर विचार करें: अपने क्षेत्र में लिप-रीडिंग कक्षाएं खोजें। ये कक्षाएं एक सहायक वातावरण प्रदान करती हैं जहां आप कठिन ध्वनियों का अभ्यास कर सकते हैं और लिप-रीडिंग के माध्यम से दूसरों के साथ बातचीत कर सकते हैं।
5. बातचीत करें और आश्वस्त रहें: वास्तविक जीवन की स्थितियों में लिप-रीडिंग को बेहतर बनाने का सबसे अच्छा तरीका सार्वजनिक रूप से अभ्यास करना है। दूसरों को यह बताने से न डरें कि आप लिप-रीडिंग कर रहे हैं। अधिकांश लोग समझेंगे और ज़रूरत पड़ने पर वाक्यों को सीखने और दोहराने में आपकी मदद करने को तैयार होंगे। एक अध्ययन के अनुसार, अंग्रेजी के मामले में लिप रीडिंग करना फिर भी आसान है लेकिन हिंदी, तमिल और गुजराती जैसी भारतीय भाषाओं को लिप-रीडिंग के माध्यम से समझना बहुत ही चुनौतीपूर्ण होता है। इसका प्रमुख कारण यह है कि दक्षिण एशियाई भाषाओं में ‘थ’ और ‘ड’ जैसे कठिन स्वर होते हैं, जिनका अंतर् होठों पर आसानी से दिखाई नहीं देता हैं। अन्य ध्वनियाँ जैसे ‘ज’, ‘न’, और ‘क’ का उच्चारण करने के लिए भी अधिक होंठ हिलाने की आवश्यकता नहीं होती है, जिससे इन भाषाओं को समझना कठिन हो जाता है।
इसके अलावा भारत में, मूंछों का प्रचलन भी होंठ पढ़ने वालों के लिए एक और बड़ी चुनौती है, जो होंठों के दृश्य में बाधा उत्पन्न कर सकती हैं। भारत में मूंछें सांस्कृतिक रूप से महत्वपूर्ण और पुरुषत्व से जुड़ी मानी जाती हैं। दुनिया भर की अन्य भाषाएँ भी लिप-रीडिंग के लिए अपनी-अपनी चुनौतियाँ प्रस्तुत करती हैं। उदाहरण के लिए, चीन (China) में बोली जाने वाली मैंडरिन (Mandarin) भाषा की ध्वनि गले की गहराई से उत्पन्न होती है, जिससे अकेले होंठों की हरकत से स्वर को पहचानना मुश्किल हो जाता है। साथ ही वेल्श (Welsh) और डच (Dutch) भाषाओं में भी कण्ठस्थ ध्वनियाँ होती हैं जो स्वरयंत्र से उत्पन्न होती हैं, जिससे होंठ पढ़ना और भी जटिल हो जाता है। वहीँ जापान (Japan) में, लिप-रीडिंग के लिए असली चुनौती बोलते समय लोगों की शारीरिक भाषा समझने में निहित है। जापानी बोलने वाले लोग कम भावना प्रदर्शित करते हैं, आंखों से कम संपर्क बनाते हैं, और हंसते समय अक्सर अपना मुंह ढक लेते हैं, जिससे होंठ पढ़ने वालों के लिए स्वर और भावना का आकलन करना कठिन हो जाता है। हालांकि जैसे-जैसे प्रौद्योगिकी आगे बढ़ रही है, वैसे-वैसे विभिन्न अनुप्रयोगों के लिए लिप-रीडिंग का उपयोग करने वाली कृत्रिम बुद्धिमत्ता (Artificial Intelligence (AI) का प्रचलन भी बढ़ रहा है इसलिए यह महत्वपूर्ण है कि भाषण-रीडिंग और इसकी बारीकियों को बेहतर ढंग से समझने के लिए और अनुसंधान किया जाए। आज कंप्यूटर विज़न (Computer Vision) और गहन शिक्षण प्रौद्योगिकियों में प्रगति के साथ, मशीनों द्वारा स्वचालित लिप रीडिंग भी संभव हो गई है।
मशीन-आधारित स्पीचरीडिंग अब न्यूरल-नेट आधारित एल्गोरिदम (Neural-Net based Algorithms) का सफल उपयोग कर रही है जो वक्ता और भाषण सामग्री के बड़े डेटाबेस (Database) का उपयोग करती है। इससे स्वचालित लिप रीडिंग के अनुप्रयोगों और डेटा गोपनीयता (Data Privacy) निहितार्थों के बारे में नई चर्चाएँ शुरू हो गई हैं। स्वचालित लिपरीडिंग, पासवर्ड-आधारित पहचान (Password-Based Identification) की जगह, बायोमेट्रिक व्यक्ति पहचान (Biometric Person Identification) में योगदान कर सकती है। हालांकि, स्वचालित लिप रीडिंग से डेटा गोपनीयता को ख़तरा होने की संभावना अधिक है, लेकिन यह समस्या कम से कम तत्काल चिंता का विषय तो नहीं है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/24p23bxk
https://tinyurl.com/mwpf4exm
https://tinyurl.com/27hmztwn
https://tinyurl.com/ydjww4jf

चित्र संदर्भ
1. एक भारतीय बुजुर्ग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. बोलते होठों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3 . लिप रीडिंग को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. अरबी शब्दों और होंठ की स्थिति को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. भारतीय बुजुर्ग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. कंप्यूटर ट्रैनिग को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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