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अर्क तेलों द्वारा किए जाने वाले प्राकृतिक उपचार काफ़ी लोकप्रिय हैं। नीलगिरी (Eucalyptus Oil) और पुदीना तेल के साथ, कुछ अन्य अर्क तेल, हमारे वायुमार्ग को खोलने और साइनस (Sinus) की समस्या को कम करने में मदद कर सकते हैं। कई लोग अर्क तेलों का उपयोग साइनस के जमाव से राहत पाने, बंद नाक को खोलने और साइनस की स्थिति में बलगम निकासी के लिए करते हैं। कुछ शोधों में पाया गया है कि अर्क तेल सूजन कम कर सकते हैं, बैक्टीरिया (Bacteria) या जीवाणुओं से लड़ सकते हैं तथा दर्द भी दूर कर सकते हैं।
साइनसाइटिस (Sinusitis) की स्थिति में, हमारे नासिका मार्ग के आसपास की नाड़ियों में सूजन आ जाती है। रक्त वाहिकाओं की सूजन के कारण नाक की झिल्लियों में भी सूजन आ जाती है, जिससे नाक बंद हो सकती है। अल्पकालिक साइनसाइटिस सर्दी या एलर्जी (Allergy) से शुरू होता है, और अपने आप ठीक हो सकता है। जबकि, दीर्घकालिक साइनसाइटिस आठ सप्ताह तक रह सकता है और संक्रमण या अल्पकालिक साइनसाइटिस में वृद्धि होने के कारण हो सकता है। इस रोग के लक्षणों में सिरदर्द, नाक बंद होना और नाक बहना शामिल हैं।
आइए, साइनसाइटिस से लड़ने वाले कुछ अर्क तेलों के बारे में जानते हैं-
पुदीना तेल (Peppermint Oil)-
पुदीना तेल में मेन्थॉल (Menthol) होता है। यह यौगिक हमारे नाक से बलगम को साफ करने और इस प्रकार वायुमार्ग को खोलने में मदद करता है। हम थोड़े गर्म पानी में इस अर्क तेल की कुछ बूंदें डालकर इसकी भाप में तब तक सांस ले सकते है, जब तक कि नाक की जकड़न और अन्य लक्षण कम न हो जाएं। माना जाता है कि यह तेल साइनस के जमाव और जकड़न के साथ–साथ सर्दी और खांसी के लक्षणों से भी राहत दिलाता है।
नीलगिरी तेल (Eucalyptus Oil)-
कई लोग भाप में नीलगिरी के तेल का भी उपयोग करते हैं। पुदीना तेल की तरह ही, यह तेल भी नाक की जकड़न और जमाव को दूर कर सकता है। नीलगिरी के तेल में सिनेओल (Cineole) नामक एक यौगिक होता है। सिनेओल साइनस के कई लक्षणों में सुधार करता है।
टी ट्री तेल (Tea tree Oil)-
टीट्री तेल साइनस के दो संभावित कारणों से लड़कर इसके जमाव में सुधार कर सकता है। टीट्री तेल में मौजूद अल्फा-सबाइन (Alpha-sabine) नामक यौगिक वायरसरोधी, जीवाणुरोधी और कवकरोधी प्रभाव प्रदान करता है। यह तेल सूजन को भी कम कर सकता है, जिससे साइनस की स्थिति में राहत मिलती है।
अजवायन तेल (Oregano Oil) -
अजवायन का तेल बैक्टीरिया से लड़कर किसी व्यक्ति को साइनस से उबरने में मदद कर सकता है। कुछ शोधकर्ताओं ने पाया है कि अजवायन तेल का कार्वाक्रोल (Carvacrol) घटक बैक्टीरिया को बढ़ने से रोकता है।
क्लैरी सेज (Clary sage)-
क्लैरी सेज एक अन्य अर्क तेल है, जो साइनसाइटिस के प्रभाव को कम करने में हमारी सहायता करता है। एक अध्ययन के अनुसार, क्लैरी सेज तेल में एक प्राकृतिक रोगाणुरोधी घटक पाया जाता है।
लैवेंडर तेल (Lavender Oil)-
लैवेंडर का तेल दर्द और सूजन को कम करके साइनस के जमाव के लक्षणों में सुधार कर सकता है। इस अर्क तेल में दर्द निवारक प्रभाव होते हैं और यह सूजन को भी कम कर सकता है।
रोज़मेरी तेल (Rosemary Oli)-
रोज़मेरी का तेल एक अन्य सूजनरोधी अर्क तेल है, जो साइनस की सूजन से हमें राहत दिला सकता है। कुछ शोधकर्ताओं ने इसके सूजनरोधी गुणों की पुष्टि की है। शोधकर्ताओं ने यह भी पाया कि रोज़मेरी एंटीऑक्सिडेंट (Antioxidant) का भी एक समृद्ध स्रोत है।
दूसरी ओर, आयुर्वेद के अनुसार, प्राण वात और दोष वात उप दोषों का असंतुलन साइनस संक्रमण का प्रमुख कारण होता है। इन दोषों का असंतुलन आपकी प्रतिरक्षा को भी कम कर देता है और इस प्रकार आप संक्रमण के प्रति संवेदनशील हो जाते हैं। साइनसाइटिस के लिए उचित आयुर्वेदिक उपचारों में पंचकर्म, विभिन्न दवाएं, आहार परिवर्तन और जीवनशैली में संशोधन के माध्यम से शरीर से विषाक्त पदार्थों को बाहर निकालना शामिल है।
चार गिलास पानी को उबालकर उसमें तुलसी के कुछ पत्ते, पुदीना के कुछ पत्ते, दो लौंग और अदरक का एक टुकड़ा डालकर काढ़ा बना लें। फिर, दिन भर इसे पीते रहें। अदरक के एक टुकड़े का रस निकालकर, इस रस को शहद के साथ मिलाकर इस मिश्रण का दिन में दो-चार बार सेवन करें। जल नेति जैसी आयुर्वेदिक क्रिया भी बलगम को हटाने और इसके जमाव को साफ करने में मदद कर सकती है। इस क्रिया के नियमित अभ्यास से साइनस संक्रमण होने की संभावना कम हो जाती है।
नस्यम या नस्य कर्म, आयुर्वेद में वर्णित एक विशिष्ट विषहरण उपचारों में से एक है, जो साइनसाइटिस के इलाज में बहुत सफल है। इसमें नाक के नथुनों के माध्यम से दवाएं डाली जाती हैं। यह प्रक्रिया कई रोगों के इलाज में मदद करती है। इससे साइनस की पुनरावृत्ति को भी रोका जा सकता है। साइनसाइटिस के आयुर्वेदिक उपचार में कुछ आयुर्वेदिक जड़ी-बूटियों और आहार की मदद से शरीर की तीव्र ऊर्जा को बाहर निकालना शामिल है। इसमें नाक संबंधी उपचार और अनुप्रयोग भी मदद कर सकते हैं। आयुर्वेदिक आहार विषाक्त पदार्थों के निर्माण को खत्म करके साइनसाइटिस के मूल कारणों को दूर करता है, चयापचय में सुधार करता है, वात असंतुलन को कम करता है और तनाव से राहत देता है।
दीर्घकालिक साइनसाइटिस से पीड़ित तीस रोगियों को आयुर्वेदिक चिकित्सा के प्रभावों का आकलन करने हेतु एक नैदानिक अध्ययन में नामांकित किया गया था। इसमें ‘त्रिभवन कीर्ति रस’ टैबलेट(Tablet) के साथ-साथ दशमूलकवथ (काढ़ा) की भाप लेना और उसके बाद अनु तैलम के साथ नस्य शामिल था। 250 मिलीग्राम त्रिभुवन कीर्ति रस को अदरक स्वरस के साथ की एक खुराक के रुप में लोगों को दिया गया था। दशमूलकवथकी भाप में दिन में दो बार लोगों को साँस लेने के लिए प्रेरित किया गया था। इसके बाद उनके दोनों नासिका छिद्रों में अनु तैलम की 4 बूंदें डाली गई थी। इस उपचार की अवधि 45 दिनों से 90 दिनों के बीच थी। इस समग्र नैदानिक उपचार की सफलता दर 96.6% थी। इसलिए, दीर्घकालिक साइनसाइटिस के इलाज के लिए इस उपचार की सिफारिश की जा सकती है।
इस अध्ययन में दशमूलकवथ, त्रिभुवन कीर्ति रस और भाप लेने के सूजनरोधी प्रभाव की पुष्टि की गई है, जो संभावित रूप से बलगम को शांत करता है और इसकी निकासी में सहायक साबित होता है। जबकि, अनुतैलम साइनस ओस्टियम (Ostium) को कम करने में मदद करता है।
संदर्भ
https://tinyurl.com/mtnaa3au
https://tinyurl.com/3bxv2shp
https://tinyurl.com/4dnu43fm
https://tinyurl.com/3rwt56ep
चित्र संदर्भ
1.साइनसाइटिस और अर्क तेलों को दर्शाता चित्रण (wikimedia,
Latestly)
2. साइनसाइटिस क्षेत्र को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. पुदीना तेल को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
4. नीलगिरी तेल को दर्शाता चित्रण (pxhere)
5. टी ट्री तेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. अजवायन तेल को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
7. क्लैरी सेज को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
8. लैवेंडर तेल को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
9. रोज़मेरी तेल को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
10. काढ़े को दर्शाता चित्रण (Pixabay)
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