कैसे उत्पन्न होतीं हैं सागरों में चक्रवातों की तीव्रता और प्रवृत्ति?

समुद्र
29-06-2023 10:03 PM
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कैसे उत्पन्न होतीं हैं सागरों में चक्रवातों की तीव्रता और प्रवृत्ति?

हम सभी ने हाल ही में आए बिपरजॉय (Biparjoy) चक्रवात के हाहाकार के बारे में सुना और पढ़ा ही है। अभी, 14 जून को यह तूफान पश्चिमी भारत और दक्षिणी पाकिस्तान के समुद्र तट के करीब पहुंच गया था। उस दिन इस चक्रवात की हवा की गति 129 किलोमीटर प्रति घंटा थी, जिससे यह तूफान की निरंतर हवा की गति को मापने वाले पैमाने ‘सैफिर-सिम्पसन विंड स्केल’ (Saffir-Simpson Wind Scale) पर पहली श्रेणी का तूफान बन गया है। बिपरजॉय चक्रवात 6 जून से धीरे-धीरे उत्तर की ओर बढ़ते हुए, अरब सागर में आठ दिन तक बना हुआ था, और 14 जून को यह पूर्व की ओर मुड़ गया। स्थानीय समयानुसार 15 जून को शाम 5:30 बजे के आसपास, बिपरजॉय एक बहुत गंभीर चक्रवाती तूफान के रूप में 125 से 135 किलोमीटर प्रति घंटे की हवा की गति के साथ गुजरात और पाकिस्तान के कराची शहर में पहुंच गया था। हालांकि चक्रवात के भूमि से टकराने से पहले ही 30,000 से अधिक लोगों और 2,00,000 अधिक जानवरों को सुरक्षित स्थानों पर पहुंचा दिया गया था। बिपरजॉय 6 जून की सुबह, एक चक्रवात के रूप में विकसित हुआ था। ‘भारतीय उष्णकटिबंधीय मौसम विज्ञान संस्थान’ (Indian Institute of Tropical Meteorology) के जलवायु वैज्ञानिक रॉक्सी मैथ्यू कोल (Roxy Mathew Koll) के अनुसार, जून महीने की शुरुआत में अरब सागर में समुद्र की सतह का तापमान 31° सेल्सियस से 32° सेल्सियस के बीच था। यह तापमान जलवायु विज्ञान के औसत बिंदु से 2° सेल्सियस से 4° सेल्सियस ऊपर था। वैज्ञानिकों के अनुसार, समुद्र का तापमान 27° सेल्सियस से ऊपर होने पर एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात के बनने की स्थिति उत्पन्न होती है। समुद्र का तापमान इस औसत बिंदु से जितना अधिक होगा, उतना ही भीषण चक्रवात बनने की संभावना होती है। असामान्य तौर पर गर्म हुए इस पानी ने बिपरजॉय को दो बार अधिक तीव्रता प्रदान करने में मदद की। ‘ज्वाइंट टायफून वार्निंग सेंटर’ (Joint Typhoon Warning Centre) के अनुसार, 6 से 7 जून के बीच बिपरजॉय की हवा की गति 55 किलोमीटर प्रति घंटे से बढ़कर 139 किलोमीटर प्रति घंटा हो गई थी। 9 और 10 जून के बीच यह चक्रवात फिर से तेज़ हो गया, और तब इसकी हवा की गति 120 किलोमीटर प्रति घंटे से 196 किलोमीटर प्रति घंटा तक बढ़ गई। 11 जून तक हवा की यही गति बनी रही थी। इसके परिणामस्वरूप यह चक्रवात तीसरे श्रेणी का तूफान बन गया।
भारत के मौसम विभाग के अनुसार, बिपरजॉय 2019 में आए क्यार (Kyarr) चक्रवात को पीछे छोड़कर अरब सागर में सबसे लंबे समय तक रहने वाला चक्रवात बन गया है। क्यार चक्रवात नौ दिन और 15 घंटे तक चला था। केवल 14 जून तक ही, आठ दिनों से अधिक समय तक बिपरजॉय अरब सागर में बरकरार था। बिपरजॉय इतने लंबे समय तक अरब सागर में बना रहा, क्योंकि यह अरब सागर में गर्म पानी पर निर्भर था। बिपरजॉय इस बात का उदाहरण बन गया है कि कैसे जलवायु परिवर्तन, विशेष रूप से सागरों एवं महासागरों की सतह का बढ़ता हुआ तापमान चक्रवातों की गति को धीमी करने और लंबे समय तक चलने में योगदान दे रहा है। अरब सागर में चक्रवात अपेक्षाकृत दुर्लभ होते हैं, हालाँकि वर्तमान समय में समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि होने के कारण उनकी तीव्रता बढ़ रही है। कुछ शोधकर्ताओं ने एक अध्ययन में पाया गया है कि भारत में 2021 तक, पिछले चार दशकों में अधिक चक्रवात आए हैं और वे लंबे समय तक भी चले हैं। बिपरजॉय चक्रवात कितना भीषण था, इस बात का अंदाजा इससे लगाया जा सकता है कि इसके प्रभाव के कारण अरब सागर से मीलों दूर राजस्थान, पंजाब, हरियाणा, नई दिल्ली और उत्तर प्रदेश में भी बारिश हुई, जिसके बारे में मौसम पूर्वानुमान जारी करने वाली कंपनी ‘स्काईमेट’ (Skymet) ने भी बताया था। इन क्षेत्रों में हल्की से मध्यम बारिश हुई एवं हवा की गति 30-40 किलोमीटर प्रति घंटा रही। जबकि दूसरी ओर, मध्य और पूर्वी भारत में कम बारिश हुई। दक्षिण भारत के समुद्र तटीय क्षेत्रों में भी वर्षा हुई। हालांकि, भारतीय मौसम विभाग ने बताया कि बिपरजॉय चक्रवात मानसून प्रणाली से अलग है और इससे मानसून पर ज्यादा असर नहीं पड़ेगा।
इस वर्ष का पहला चक्रवात, ‘मोचा’ कुछ विशेष वायुमंडलीय परिस्थितियों के साथ दक्षिणपूर्व बंगाल की खाड़ी में बना था। मोचा, भारतीय समुद्र में चक्रवाती तूफान के अधिक तीव्र होने का एक संकेत है। हालांकि, मोचा तूफान ने भारतीय क्षेत्र को प्रभावित नहीं किया। दरअसल, मई महीना हिंद महासागर में साइक्लोजेनेसिस (Cyclogenesis) अर्थात चक्रवातों के बनने के लिए अनुकूल होता है। इसलिए, मोचा चक्रवात का बनना एक मौसमी घटना है। हालांकि, इन तूफानों की अधिक तीव्रता अस्वाभाविक है। वैज्ञानिकों और शोधकर्ताओं के अनुसार, साइक्लोजेनेसिस में बदलाव के लिए बढ़ता वैश्विक औसत तापमान जिम्मेदार है। और यह तापमान खासकर हिंद महासागर में बढ़ रहा है। मानव जनित ग्लोबल वार्मिंग (Global warming) तथा भारत के अरब सागर और बंगाल की खाड़ी जैसी महासागरीय घाटियों में समुद्र की सतह और पानी के तापमान में वृद्धि के कारण, हम तीव्र चक्रवातों की अधिक आवृत्ति का सामना कर रहे हैं, विशेष रूप से उत्तरी हिंद महासागर में, जहां पिछले 300 वर्षों में 75% से अधिक चक्रवातों के कारण 5000 या उससे अधिक लोगों की मृत्यु हुई है। इस क्षेत्र के तटीय क्षेत्र अपनी घनी आबादी और तूफान और बाढ़ के प्रति संवेदनशीलता के कारण उच्च जोखिम में हैं। 1950 के दशक के बाद से, हिंद महासागर की सतह का तापमान सबसे तेज गति से बढ़ा है। 1971 से 2018 तक महासागरीय ताप सामग्री में 0.396 जूल (joules) की वृद्धि हुई है। जैसे-जैसे समुद्र की सतह का तापमान और महासागरीय ताप सामग्री बढ़ती है, वैसे-वैसे महासागरीय वाष्पीकरण के लिए उपलब्ध ऊर्जा में वृद्धि होगी। इसके परिणामस्वरूप उष्णकटिबंधीय चक्रवाती गतिविधि और वर्षा में वृद्धि हो सकती है, साथ ही कम लेकिन अधिक तीव्र तूफान आने की संभावना है। इस परिदृश्य में श्रेणी 4 या 5 के तूफान अपेक्षाकृत अधिक सामान्य हो सकते हैं। तूफानों की आवृत्ति और तीव्रता आने वाले समय में एल नीनो (El Nino) के प्रभाव के साथ और बढ़ सकती है। ‘राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन संस्थान’ (National Disaster Management Institute (NDMI) के आंकड़ों के अनुसार, देश में हर मौसम में औसतन दो-तीन चक्रवात आते हैं, और इनमें से कम से कम एक गंभीर होता है। ये चक्रवात भारत के 11 राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को प्रभावित करते हैं। अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी में अधिक चक्रवात आते हैं। भारत में उत्तरी ओडिशा और पश्चिम बंगाल जैसे राज्यों में पिछले 140 वर्षों में अधिक चक्रवातों की घटनाएं हुई हैं। अरब सागर की तुलना में बंगाल की खाड़ी अधिक चक्रवातों का क्षेत्र है। इन चक्रवातों से आंध्र प्रदेश सबसे अधिक प्रभावित हुआ है, उसके बाद तमिलनाडु, ओडिशा और पश्चिम बंगाल हैं। पश्चिमी तट पर, महाराष्ट्र और उसके बाद गुजरात को सबसे अधिक नुकसान हुआ है। उत्तरी ओडिशा और पश्चिम बंगाल के सुंदरबन क्षेत्र के भीतर और पड़ोसी क्षेत्रों में तूफान का प्रभाव काफी भिन्न होता है। बंगाल की खाड़ी पिछले कुछ दशकों के दौरान ग्लोबल वार्मिंग के प्रभावों का सामना कर रही है। बंगाल की खाड़ी में तापमान 30° सेल्सियस से 32° सेल्सियस के बीच रहा है। यह उच्च तापमान चक्रवाती तूफानों को तेज करने में महत्वपूर्ण हैं। यह तीव्रता हाल ही में अरब सागर और बंगाल की खाड़ी में लगातार एवं आम हो गई है।

संदर्भ
https://rb.gy/3ibeg
https://rb.gy/uhu9u
https://rb.gy/wr0vc
https://rb.gy/3t4kj

चित्र संदर्भ

1. अंतिरक्ष से देखने पर चक्रवात को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. बिपरजॉय चक्रवात को दर्शाता चित्रण (eoimages)
3.चक्रवात, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. अलग-अलग चक्रवातों, को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. चक्रवातों के प्रभावों को दर्शाता चित्रण (PIXNIO)

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