रामपुर के पीपली वन से है प्रेरित बाघों के स्थानांतरण की परियोजना

जंगल
05-07-2023 09:57 AM
Post Viewership from Post Date to 29- Jul-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
3927 540 4467
रामपुर के पीपली वन से है प्रेरित बाघों के स्थानांतरण की परियोजना

हमारा देश भारत वन्य जीवन की विशाल विविधता का घर है और बाघ निस्संदेह ही हमारे देश के सबसे प्रतिष्ठित जानवरों में से एक हैं। हालांकि, मानव गतिविधियों के कारण हमारे ये शानदार वन्यजीव खतरे में हैं। अतः भारत सरकार द्वारा अपने बाघों के संरक्षण के लिए सराहनीय प्रयास भी किए गए हैं। भारत में बाघ संरक्षण का पुराना इतिहास रहा है।
8 मार्च 1975 को, मलेरकोटला के पूर्व-नवाब ने देश की तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी जी को हमारे रामपुर में पीपली आरक्षित वन में एक बाघ के अवैध शिकार के मामले के बारे में सूचित किया था। तब इंदिरा गांधी ने कैलाश सांखला को इस मामले की जांच के लिए रामपुर भेजा था। उन्होंने इस बात की पुष्टि की थी कि वास्तव में उस बाघ का अवैध रूप से शिकार किया गया था। लेकिन इसके साथ ही सांखला ने इस आरक्षित वन क्षेत्र के विषय में एक और तथ्य की पुष्टि की। उन्होंने अपनी रिपोर्ट में बताया कि “पीपली दरअसल बाघों के लिए एक व्यवहार्य निवास स्थान नहीं रह गया है । पीपली में तब प्राकृतिक वन क्षेत्र के तहत आने वाली जगह कम हो गई है और मूल आरक्षित जंगली क्षेत्र का केवल 10% क्षेत्र ही पीपली में है।” उनका मानना था कि उस स्थान के कुछ बाघों को पकड़ कर अन्य जंगलों या प्राणी उद्यानों में ले जाया जा सकता है। अतः सांखला के सुझावों पर विचार करने के बाद, इंदिरा गांधी ने कहा था कि “हमें अपने बाघों को चोट या नुकसान पहुंचाए बिना ही, बचाने के लिए जो भी आवश्यक है वह करना चाहिए; यदि उन्हें सुरक्षित क्षेत्रों में ले जाना संभव और आवश्यक हो, तो उसके अनुरूप योजना बनाई जानी चाहिए।” और तब, भारत में बाघ संरक्षण के लिए बाघों के स्थानांतरण के विचार का उदय हुआ। हालांकि सांखला की स्थानांतरण योजना तुरंत साकार नहीं हुई, क्योंकि यह अपने समय से पहले का विचार था, और इस विचार के उदय के दशकों बाद ही इसका प्रयास किया गया।
‘राष्ट्रीय बाघ संरक्षण प्राधिकरण’ (National Tiger Conservation Authority) ने वर्ष 2018 में पहली बार बाघ पुनर्वास परियोजना के तहत दो बाघों का स्थानांतरण किया था। मध्यप्रदेश के ‘कान्हा बाघ अभयारण्य’ से महावीर नामक एक नर टी1 (T1) बाघ तथा ‘बांधवगढ़ बाघ अभयारण्य’ से सुंदरी नामक एक मादा टी2 (T2) बाघ को जून 2018 में ओडिशा के ‘सतकोसिया अभयारण्य’ में स्थानांतरित किया गया था। ‘सतकोसिया बाघ अभयारण्य’ 963 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में फैला हुआ है। यह अभयारण्य महानदी नदी के ऊपरी क्षेत्र में एक घाटी में फैला हुआ है। इस परियोजना का उद्देश्य अभयारण्य में और इस प्रकार ओडिशा राज्य में बाघों की संख्या को बढ़ाना था। पुनर्वास के समय महावीर की उम्र तीन साल से थोड़ी अधिक थी जबकि, सुंदरी की उम्र लगभग तीन साल थी। इन दो बाघों के अलावा, अभयारण्य में छह और बाघों को लाया जाना था।
‘बाघ संरक्षण प्राधिकरण’ की एक रिपोर्ट के अनुसार, “सिमलीपाल और सतकोसिया बाघ अभयारण्य उन क्षेत्रों में आते हैं जहां बाघों की आबादी बढ़ने की संभावना है। सिमलीपाल, सतकोसिया और सुनाबेड़ा ओडिशा में बाघों के कुछ निवास स्थान हैं। साथ ही, मुनिगुड़ा और सुंदरगढ़ के जंगलों में भी अकेले एवं आवारा बाघ देखे जाते हैं। हालांकि, ऐसे बाघों का कोई महत्व नहीं होता है, क्योंकि अकेले बाघ साथियों की अनुपस्थिति में मर जाते हैं। बाघों की अच्छी जीवन क्षमता के लिए किसी क्षेत्र में उनकी आबादी कम से कम 100 होनी चाहिए, अन्यथा उनमें अंतःप्रजनन होगा और मौजूदा आबादी दो या तीन दशकों में समाप्त हो जाएगी।” हमारे राज्य उत्तर प्रदेश के ‘पीलीभीत बाघ अभयारण्य’ के, गन्ने के खेतों में बसेरा बनाने वाले लगभग 27 बाघों को अब चित्रकूट में नव-अधिसूचित ‘रानीपुर बाघ अभयारण्य’ में स्थानांतरित किया जाएगा। इन बाघों को स्थानीय भाषा में ‘गन्ना बाघ’ के नाम से जाना जाता है। ये बाघ ‘पीलीभीत अभयारण्य’ के बाहरी इलाके में रहने वाली स्थानीय आबादी के लिए खतरा बनकर उभरे हैं। इनके स्थानांतरण का उद्देश्य पीलीभीत और लखीमपुरखीरी की स्थानीय आबादी को सुरक्षा प्रदान करना और ‘रानीपुर अभयारण्य’ में मौजूदा बाघों की आबादी सुनिश्चित करना है। बाघों को रानीपुर में स्थानांतरित करने का निर्णय मानव-पशु संघर्ष को कम करने के लिए भी आवश्यक है, क्योंकि इस क्षेत्र में आज तक बाघों और मानवों के बीच कई संघर्ष भी हुए हैं।
इसके अलावा, अब भारत के बाघों को विदेशों में भी स्थानांतरित किया जाएगा। भारत ने अब कंबोडिया (Cambodia) के साथ, कंबोडिया में बाघों के पुनरुत्थान और जैव विविधता संरक्षण के लिए, एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। हमारे केंद्रीय पर्यावरण मंत्री भूपेंद्र यादव जी ने यह जानकारी साझा की है। दोनों देशों भारत और कंबोडिया ने हमारे उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ जी और कंबोडिया के प्रधान मंत्री हुन सेन (Hun Sen) की उपस्थिति में इस समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर किए हैं। समझौते के तहत दोनों देशों ने अपने अपने प्रतिनिधिमंडल को दूसरे देश में भेजा है जिससे यह जांचा जा सके कि क्या वहां बाघों का स्थानांतरण किया जा सकता है या नहीं? बाघ स्थानांतरण पर निर्णय लेने से पहले, दोनों पक्षों के बीच तकनीकी सहयोग और ज्ञान हस्तांतरण होगा। इस परियोजना की कल्पना पिछले साल की गई थी। कंबोडिया में लगभग पंद्रह साल पहले बाघ विलुप्त हो गए थे । अपने स्तर पर, कंबोडिया ने पहले से ही भारतीय बाघों के लिए उनके देश में इलायची पर्वत (Cardamom Mountain) के नाम से मशहूर क्षेत्र में अपने टाटाई वन्यजीव अभयारण्य (Tatai Wildlife Sanctuary) में 90 एकड़ वन भूमि की पहचान कर ली है।

संदर्भ
https://tinyurl.com/4mkxhafe
https://tinyurl.com/2ydjhjk8
https://shorturl.at/hyDT1
https://tinyurl.com/5n6ukthe
https://tinyurl.com/4h6wjm5u
https://tinyurl.com/yax2zanh

चित्र संदर्भ
1. अपने शावक को उठाए बाघिन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. 2 छोटे शावकों को दर्शाता चित्रण (Pxfuel)
3. बाघों को बचाने की मुहीम को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. एक बाघिन को दर्शाता एक चित्रण (Peakpx)
5. पानी पीते बाघ के झुण्ड को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.