समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 960
मानव व उसके आविष्कार 743
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
Post Viewership from Post Date to 31- Jul-2023 31st | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
2530 | 538 | 3068 |
दुनिया की कई बड़ी कंपनियां भी, अपने यहां केवल उतनी महिलाओं को काम पर रखती हैं, जितने में वह सरकार द्वारा दिए गए महिला-पुरुष कर्मचारी के अनुपात को संतुलित रख सके और सरकारी प्रतिबंधों से बची रहें। ऊपर से उन्हें वेतन भी केवल उतना ही दिया जाता है, जितने में उनकी रोजी-रोटी चल जाए और वह कंपनी में टिकी रहें।
लेकिन भारत की सबसे बड़ी आईटी कंपनी (IT Company), इंफोसिस (Infosys) इस प्रकार की मानसिकता के साथ आगे बढ़ने की सोच रखने वाली कंपनियों को आईना दिखा देती है। आपको जानकर हैरानी होगी कि इंफोसिस जैसी बहुराष्ट्रीय कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों में 40% केवल महिलाएं हैं। जो किसी भी अन्य कंपनी के महिला-पुरुष के अनुपात में कई गुना अधिक है। और इस आदर्श अनुपात के साथ इंफोसिस आज दुनिया के 45 से अधिक देशों में अपना विस्तार कर चुकी है।
इंफोसिस लिमिटेड (Infosys Ltd) एक जानी मानी भारतीय कंपनी है, जो सूचना प्रौद्योगिकी और व्यावसायिक सेवाएं प्रदान करती है। इंफोसिस की स्थापना 1981 में पुणे में नारायण मूर्ति, नंदन नीलेकणि, एन एस राघवन (N S Raghavan), एस गोपालकृष्णन (S Gopalakrishnan), एस डी शिबूलाल (S D Shibulal), के दिनेश (K Dinesh) और अशोक अरोड़ा द्वारा की गई थी। ये सभी पटनी कंप्यूटर सिस्टम्स (Patni Computer Systems) के पूर्व कर्मचारी थे।
इनमें से नारायण मूर्ति जी ने कंपनी शुरू करने के लिए अपनी पत्नी सुधा मूर्ती जी से पैसे उधार लिए थे। कंपनी का पहला कार्यालय, मूर्ति के घर के सामने वाले कमरे में था। आपको जानकर हैरानी होगी कि इंफोसिस में 1983 तक कोई कंप्यूटर नहीं था, क्योंकि मूर्ति अपनी पसंद के कंप्यूटर का खर्च वहन नहीं कर सकते थे। उन्हें अपना खुद का कंप्यूटर, डेटा जनरल 32-बिट MV8000 (Data General 32-Bit MV8000) हासिल करने में लगभग दो साल लग गए।
नारायण मूर्ति का जन्म 1946 में कर्नाटक में हुआ था। उन्होंने मैसूर विश्वविद्यालय में इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग (Electrical Engineering) और बाद में कानपुर में भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान (Indian Institute Of Technology (IIT) से कंप्यूटर विज्ञान का अध्ययन किया। 1981 में, उन्होंने अपनी पत्नी सुधा मूर्ति की मदद से इंफोसिस टेक्नोलॉजीज (Infosys Technologies) की शुरुआत की। कंपनी की शुरुआत 1981 में इन्फोसिस कंसल्टेंट्स प्राइवेट लिमिटेड (Infosys Consultants Private Limited) के रूप में हुई और बाद में इसका नाम बदलकर इंफोसिस टेक्नोलॉजीज लिमिटेड (Infosys Technologies Limited) कर दिया गया। 1983 में कंपनी बैंगलोर में स्थानांतरित हो गई। 1989 में, केएसए (KSA) के पतन के कारण इंफोसिस को संकट का सामना करना पड़ा। इसके संस्थापकों में से एक अशोक अरोड़ा ने कंपनी छोड़ दी। हालांकि, मूर्ति ने कंपनी के साथ रहने का फैसला किया और शेष संस्थापकों, नीलेकणि, गोपालकृष्णन, शिबूलाल, दिनेश और राघवन को भी बने रहने के लिए प्रोत्साहित किया। 1999 में, इंफोसिस, राजस्व के मामले में 100 मिलियन अमेरिकी डॉलर (100 Million US Dollars) तक पहुंच गई। जिसके साथ ही यह नैस्डैक स्टॉक एक्सचेंज "NASDAQ Stock Exchange" (अमेरिका का दूसरा सबसे बड़ा स्टॉक एक्सचेंज (Stock Exchange) में सूचीबद्ध होने वाली पहली भारतीय आईटी कंपनी भी बनी। इंफोसिस के शेयर की कीमत बढ़कर 8,100 रुपये हो गई, जिससे यह उस समय का सबसे महंगा शेयर बन गया। उस समय, बाजार पूंजीकरण के मामले में इंफोसिस NASDAQ की शीर्ष 20 कंपनियों में से एक थी।
2011 में, कंपनी का नाम और छोटा होकर इंफोसिस लिमिटेड बन गया। लेकिन कंपनी बढ़ती रही। आगे चलकर कंपनी का मूल्य तेजी से बढ़ा, और 2021 तक कंपनी का व्यापार 100 अरब डॉलर के बाजार पूंजीकरण तक पहुंच गया।
इंफोसिस, सॉफ्टवेयर विकास, रखरखाव और सत्यापन (Software Development, Maintenance And Verification) सहित विभिन्न उत्पाद और सेवाएं प्रदान करती है। यह कंपनी वित्त, बीमा और विनिर्माण जैसे उद्योगों में भी सक्रिय है। इसके कुछ प्रमुख उत्पादों में एनआईए “NIA” (एक एआई प्लेटफॉर्म), इंफोसिस कंसल्टिंग (Infosys Consulting) (एक प्रबंधन परामर्श सेवा) और एजसर्व सिस्टम्स (Edgeserve Systems) (जिसमें फिनेकल ग्लोबल बैंकिंग प्लेटफॉर्म (Finacle Global Banking Platform) शामिल है) आदि शामिल हैं।
अमेरिका, चीन, ऑस्ट्रेलिया (Australia) और यूरोप (Europe) के विभिन्न देशों में इस कंपनी के कार्यालय और विकास केंद्र (Software Development Centres) मौजूद हैं। कंपनी की सबसे अधिक कमाई उत्तरी अमेरिका और यूरोप में जारी परियोजनाओं से होती है। 2021 तक कंपनी में काम करने वाले कर्मचारियों की संख्या 259,000 से अधिक हो गई, जिनमें से 38.6% महिलाएं थीं।
इंफोसिस लिमिटेड का भारत के मैसूर में अपना प्रशिक्षण केंद्र भी है, जहाँ यह अपने कर्मचारियों के लिए शिक्षा और विकास कार्यक्रम प्रदान करती है। इसे दुनिया के सबसे बड़े व्यावसायिक विश्वविद्यालय के रूप में जाना जाता है। 1981 में इसकी स्थापना से 2014 तक, कंपनी के संस्थापक एन.आर. नारायण मूर्ति ही इंफोसिस के सीईओ (CEO) रहे थे, उन्होंने 21 वर्षों तक कंपनी का नेतृत्व किया। इन वर्षों में, कंपनी के संस्थापकों सहित इंफोसिस के अलग-अलग सीईओ रहे हैं। विशाल सिक्का पहले गैर-प्रवर्तक सीईओ थे, और उन्होंने लगभग तीन वर्षों तक सेवा की। विशाल सिक्का ने मूर्ति के नेतृत्व में बोर्ड और कंपनी के संस्थापकों के बीच असहमति के बाद इस्तीफा दे दिया था। उन्होंने खराब कॉर्पोरेट प्रशासन (Bad Corporate Governance), कार्यकारी वेतन और अधिग्रहण के बारे में संदेह को लेकर चिंता जताई। उनके इस्तीफे के बाद, 2018 में सलिल पारेख सीईओ और प्रबंध निदेशक बने।
नारायण मूर्ति को इंफोसिस में उनके सफल नेतृत्व के कारण वैश्विक पहचान हासिल हुई। उन्हें एशिया के 50 सबसे शक्तिशाली लोगों में से एक के रूप में और भारत के सर्वश्रेष्ठ सीईओ के रूप में भी चुना गया। उन्होंने टीम वर्क (Team Work) यानी मिल जुलकर काम करने को महत्व दिया और जिसकी प्रेरणा उन्हें अपने पिता से मिली थी। ई-कॉमर्स व्यवसाय (E-Commerce Business) की लोकप्रियता बढ़ने के साथ ही इंफोसिस ने पारंपरिक कंपनियों से आगे रहने के लिए ऑनलाइन लेनदेन प्रसंस्करण (Online Transaction Processing) में अपनी विशेषज्ञता का लाभ उठाया। मूर्ति का उद्देश्य इंफोसिस को विश्व स्तर पर सम्मानित सॉफ्टवेयर निगम बनाना था। शेयर बाजार में उतार-चढ़ाव के बावजूद, मूर्ति ने अपने सहयोगियों को गुणवत्ता वाले उत्पादों का निर्माण करने और पारदर्शिता बनाए रखने को प्राथमिकता देने की सलाह दी।
इंफोसिस ने कार्यस्थल में सकारात्मक कार्य वातावरण बनाकर अपने कर्मचारियों को कंपनी में बनाए रखने पर भी ध्यान केंद्रित किया। इसके लिए कंपनी ने उनका वेतन बढ़ाया, उन्हें स्टॉक विकल्प (Employee Stock Options) पेश किए, और काम को सुखद बना दिया। मूर्ति का मानना था कि सफल कंपनियों को बाहरी कारकों को दोष देने से पहले आंतरिक सुधार पर ध्यान देना चाहिए।
संदर्भ
https://t.ly/4aLn
https://t.ly/PUEu
https://t.ly/eDbxy
चित्र संदर्भ
1. इंफोसिस की इमारत और नारायण मूर्ति जी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
2. तिरुवनंतपुरम परिसर में इंफोसिस की एक इमारत को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
3. नारायण मूर्ति जी की एक पुरानी तस्वीर को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. आईएसआईएम के नए भवन का उद्घाटन करते हुए नारायण मूर्ति जी को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. इंफोसिस के प्रमुख कार्यालय को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.