रामपुर के मदरसा-ए-आलिया के सांस्कृतिक माहौल ने विदेशी छात्रों को भी आकर्षित किया!

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12-06-2023 09:23 AM
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रामपुर के मदरसा-ए-आलिया के सांस्कृतिक माहौल ने विदेशी छात्रों को भी आकर्षित किया!

पिछले कुछ महीनों में हमारे शहर रामपुर का मदरसा आलिया चर्चा में था। दरअसल, साल 2019 में हमारे रामपुर के आलिया मदरसे से कुछ दुर्लभ पुस्तकें और पांडुलिपियां चोरी हो गई थी, लेकिन गत वर्ष सितंबर 2022 में मोहम्मद अली जौहर विश्वविद्यालय के परिसर में एक इमारत के नीचे से इन पांडुलिपियों को पुनः प्राप्त कर लिया गया। भारत में विश्वविद्यालय शिक्षा का गौरव, मदरसा आलिया के इतिहास और शिक्षा प्रणाली से देश के अन्य शिक्षा केंद्र कई बड़े सबक सीख सकते हैं। आइए, इस कॉलेज के शानदार एवं समृद्ध इतिहास पर थोड़ा गहराई से नज़र डालें! रामपुर का मदरसा-ए-आलिया एक महत्वपूर्ण शैक्षणिक संस्थान है, जिसे अपनी आध्यात्मिक शिक्षा, अरबी और फारसी भाषा शिक्षण, तथा साहित्यिक ज्ञान के लिए जाना जाता है। मदरसा-ए-आलिया की स्थापना 1774 में नवाब फैज उल्लाह खान (Nawab Faiz Ullah Khan) द्वारा मौलाना अब्दुल अली फिरंगी की निगरानी में की गई थी। उस दौर में यह पूरे भारत में अपनी तरह का ऐसा पहला मदरसा बना, जहाँ इस्लामी देशों के छात्र भी पढ़ने के लिए आते थे। इस मदरसे को मिस्र की जामिया अजहर यूनिवर्सिटी (Egypt's Jamia Azhar University), अलीगढ़ मुस्लिम यूनिवर्सिटी (Aligarh Muslim University), जामिया हमदर्द एवं जामिया मिल्लिया इस्लामिया, दिल्ली (Jamia Hamdard And Jamia Millia Islamia, Delhi) से भी मान्यता मिली हुई थी। 15 मई 1949 के दिन रामपुर रियासत के भारतीय संघ में विलय के साथ ही मर्जर एक्ट (Merger Act) के तहत इस मदरसे को कभी बंद न करने का प्रावधान भी किया गया, तथा इसके संचालन और आर्थिक जरूरतों को पूरी करने की जिम्मेदारी सरकार को सौंपी गई। प्रसिद्ध मौलाना मोहम्मद अली जौहर भी इसी मदरसे में पढ़ाते थे। उस समय रामपुर रियासत रोहिलखंड का भाग हुआ करती थी। इस मदरसे की स्थापना किसी आम कॉलेज या मदरसे के रूप में नहीं, बल्कि ज्ञान, विज्ञान, क़ुरआन, हदीस, फ़िक़ाह, फ़लसफ़ा, मंतिक एवं दूसरे उलूम व फुनून की उन्नति के लिए, तथा साहित्यिक खजाने के रूप में की गई थी। समय के साथ इस बहुमूल्य खजाने की शोहरत भारत की सीमाओं से निकल कर पूरे विश्व में फैल गई।
बाद में इस मदरसे को ‘मदरसा आलिया’ के साथ-साथ ओरिएंटल कॉलेज (Oriental College) के नाम से अधिक लोकप्रियता मिली। इसकी शोहरत अखंड भारत की सीमाओं से निकलकर बर्मा (Burma), इण्डोनेशिया (Indonesia), मलेशिया (Malaysia), अफ़गानिस्तान जैसे देशों के साथ-साथ मध्य एशिया (Central Asia) के कई अन्य देशों तक फ़ैल गई। इस मदरसे के स्थानीय लोग भी, बाहर से आने वाले विद्यार्थियों की देखभाल करते हैं, और उनकी सेवा को ज्ञान की सेवा समझते हैं। इसके अलावा सरकार भी इन विद्यार्थियों की मदद करने में कोई कसर नहीं छोडती। शिक्षा के उच्च स्तर के अनुकूल यहां के माहौल को देखकर, ‘राधाकृष्णन यूनिवर्सिटी एजुकेशन कमीशन’ (Radhakrishnan University Education Commission) की रिपोर्ट में मदरसा आलिया को 1857 ईसवी से पहले के प्राचीन भारत के विश्वविद्यालयों में सम्मिलित किया गया है! शायद इसी इमारत के कारण रामपुर जैसी छोटी रियासत विश्व के नक़्शे पर भी अपनी अलग पहचान बनाने में सफल हुई है। मदरसा आलिया के शैक्षिक स्तर का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि किस योग्यता के लोग इससे संबंधित रहे है। मदरसे से निकले कितने ही विशिष्ठ व्यक्तियों ने भारत में उच्च पदों पर अपनी सेवाएं प्रदान की हैं, जिसके कारण न केवल मदरसा आलिया के नाम, बल्कि रामपुर के नाम और शोहरत में भी वृद्धि हुई। इन विशिष्ट व्यक्तियों में मुख्य रूप से मुल्ला अहमद ख़ाँ विलायती, मौलवी रुस्तम अली, ‘ग़यास-उल-लुग़ात’ के लेखक मुल्ला ग़यासुद्दीन, मौलवी अल्लाह दाद उर्फ़ हाफ़िज़ शबराती, अख़ुन्द ज़ादा मौलवी रफ़ी उल्लाह ख़ाँ, मौलवी नूरउन्नबी, मुफ़्ती साद उल्लाह रामपुरी, मौलाना अहमद रज़ा ख़ाँ बरेलवी, उनके उस्ताद मौलाना अब्दुल अली ख़ाँ, गणितज्ञ ख़लीफ़ा शैख़ अहमद अली, वली मोहम्मद ‘बिस्मिल, मौलाना अब्दुलदायम जलाली और मौलाना मोहम्मद अब्दुस्सलाम खां का नाम लिया जा सकता है। मदरसा आलिया से पढ़कर निकले कुछ छात्र तो ऐसे हैं, जिनके कारण आज भी भारत, पाकिस्तान व बांग्लादेश में ज्ञान की ज्योति जगमगा रही है। यहां के पढ़े हुए लोगों का इस ज्ञान की ज्योति को जलाए रखने में कितना बड़ा योगदान है, इसका अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि आज भी इस संस्थान का फ़ैज़ जारी है, जो रामपुर की महान परम्पराओं का एक सुनहरा पृष्ठ है। इस मदरसे में आज भी बेहद मूल्यवान पांडुलिपियां और किताबें मौजूद हैं, जो इसे और भी अधिक महत्वपूर्ण बना देती हैं। मदरसे की अहमियत को समझते हुए राजनाथ सिंह के नेतृत्व वाली उत्तर प्रदेश सरकार ने इसे अरबी, फारसी विश्वविद्यालय बनाने के लिए एक करोड़ रुपये भी मंजूर किए थे। लेकिन इसके बाद आई सरकार ने इस मदरसे की इमारत को जौहर ट्रस्ट (Jauhar Trust) के नाम कर दिया था, जिसके बाद मदरसे से किताबें और पांडुलिपियों के गायब होने की खबरे आई। हालांकि इसके खिलाफ कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो सकी थी। अव्यवस्था तथा लापरवाही के कारण 2019 में मदरसा-ए-आलिया से कई दुर्लभ पांडुलिपियां और किताबें चोरी होने की खबर सामने आई थी! लेकिन पिछले साल एक अच्छी खबर आई, कि यहां से चोरी हुई दुर्लभ किताबें और पांडुलिपियां मोहम्मद अली जौहर यूनिवर्सिटी (Mohammad Ali Jauhar University) से बरामद कर ली गई हैं। पुलिस को एक दीवार को गिराने और नीचे खुदाई करने के दौरान यह चोरी की गई किताबें दिखाई दी। 2019 में यहां से किताबें चोरी होने की प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यहां के प्राचार्य का आरोप है कि आजम खान ने 2016 में कॉलेज की इमारत पर जबरन कब्जा कर लिया था, जिसके बाद पुस्तकालय से 10,633 दुर्लभ पुस्तकें और पांडुलिपियां गायब हो गई थीं। बाद में कुछ किताबें बरामद की गईं और चार लोगों को गिरफ्तार किया गया।
मदरसा-ए-आलिया में विदेशी छात्रों का बढ़ता रुझान यह दर्शाता है कि भारत में शिक्षा प्रणाली के तहत बहु-विषयक और एकीकृत ज्ञान पर जोर देने का एक लंबा इतिहास रहा है। यहां पर छात्रों को लंबे समय से, किताबी विषयों तथा व्यावहारिक कौशल दोनों में निपुण होने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। यहां तक कि प्राचीन भारतीय साहित्य और रीति-रिवाज भी इस दृष्टिकोण का प्रमाण प्रदान करते हैं! उदाहरण के तौर पर, गुरुकुल प्रणाली में भी छात्रों को विज्ञान, गणित, ज्यामिति, व्यावसायिक कौशल, संचार कौशल, नैतिकता और मानव मूल्यों जैसे विभिन्न विषयों में महारत हासिल करने के लिए प्रेरित किया जाता था। आज शैक्षिक प्रणाली में सुधार और छात्रों के समग्र विकास को बढ़ावा देने के लिए गतिशील शिक्षा, समस्या समाधान, तार्किक विकास और व्यावहारिक शिक्षा जैसे कौशलों को प्राथमिकता देना बहुत जरूरी हो गया है। छात्रों को व्यावहारिक समस्या-समाधान गतिविधियों में स्वेच्छा भाग लेने, और पाठ्यपुस्तकों में सीखी गई बातों को वास्तविक जीवन की स्थितियों में लागू करने का अवसर मिलना चाहिए।
इस संदर्भ में ‘राष्ट्रीय शिक्षा नीति’ (National Education Policy (NEP), 2020), एक समग्र और बहु-विषयक शिक्षा की आवश्यकता को पहचान रही है। यह शिक्षा नीति एक लचीले और अभिनव पाठ्यक्रम के महत्व पर जोर देती है, जिसमें सामुदायिक जुड़ाव, सेवा, पर्यावरण शिक्षा और मूल्य-आधारित शिक्षा से संबंधित परियोजनाएं शामिल हैं। इसके साथ ही इस नीति के तहत पर्यावरण शिक्षा में जलवायु परिवर्तन, प्रदूषण, अपशिष्ट प्रबंधन, जैव विविधता संरक्षण और सतत विकास जैसे विषयों को भी शामिल किए जाने पर जोर दिया गया है।

संदर्भ
https://shorturl.at/ekpY3
https://shorturl.at/hlrAJ
https://shorturl.at/zBFNP
https://shorturl.at/gik46
https://shorturl.at/bceE9

 चित्र संदर्भ
1. सामने से रामपुर के मदरसा-ए-आलिया को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
2. रामपुर के मदरसा-ए-आलिया की पुरानी छवि को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
3. इस्लामिक छात्रों को दर्शाता चित्रण (Wallpaper Flare)
4. मदरसा-ए-आलिया में मौजूद एक इस्लामिक पुस्तक के लेख को संदर्भित करता एक चित्रण (youtube)
5. जौहर यूनिवर्सिटी के गेट को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
6. एक भारतीय छात्रा को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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