आइये उत्तर प्रदेश के धाकड़ युवाओं को कबड्डी खेलते हुए देखते हैं!
य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
11-06-2023 08:09 AM
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कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी-कबड्डी! ये चार शब्द हम सभी के बचपन के सबसे रोमांचक शब्द रहे हैं, और हमारी भावनाओं के साथ गहराई से जुड़े हैं। कबड्डी एक ऐसा खेल है जो हमारे स्कूल के दिनों की यादें ताजा कर देता है। यह खेल हमारी सहनशक्ति, ताकत और टीम-स्पिरिट (team-spirit), यानी दल-निष्ठा की परीक्षा लेता है। कबड्डी लंबे समय से भारतीय संस्कृति का हिस्सा रहा है, और इसका संभावित इतिहास महाभारत के समय से भी पुराना बताया जाता है। किंवदंतियों के अनुसार, अर्जुन ने श्री कृष्ण से ही कबड्डी सीखी, और इस कौशल का प्रयोग, शत्रु की पकड़ में आए बिना उसके क्षेत्र में घुसने के लिए किया। एक अन्य किवदंती के अनुसार अर्जुन के पुत्र अभिमन्यु भी शत्रु के घेरे में घुसना तो सीख गए थे, लेकिन दुर्भाग्य से घेरे से बाहर आने की कला उन्हें नहीं आती थी, इसलिए युद्ध में उनकी जान चली गई। माना जाता है कि कबड्डी इसी योद्धा को समर्पित एक खेल है ।
1936 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक (Summer Olympics) के दौरान बर्लिन (Berlin) में पहली बार कबड्डी को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान हासिल हुई। इस दौरान भारत की एक टीम ने वहां पर इस खेल का प्रदर्शन किया। 1950 में ऑल इंडिया कबड्डी फेडरेशन (All India Kabaddi Federation) की स्थापना हुई थी। पुरुषों और महिलाओं के लिए पहला ‘राष्ट्रीय आयोजन’ 1955 में आयोजित किया गया था।
2014 में ‘प्रो कबड्डी लीग’ (Pro Kabbadi League) ने भारत में इस खेल की स्थिति ही बदल दी। इस लीग ने कबड्डी को ग्रामीण इलाकों से निकाला और टेलीविजन की मुख्यधारा में लाकर इसे राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पहचान दिलाई। इस लीग ने खिलाड़ियों को नए अवसर प्रदान किए, और उनमें से कई खिलाड़ी बहुत प्रसिद्ध हुए।‘यूपी योद्धा’ प्रो कबड्डी लीग की टीमों में से एक है, और उन्होंने इस प्रतियोगिता में लगातार अच्छा प्रदर्शन किया है। नितेश कुमार, रिशांक देवाडिगा, और श्रीकांत जाधव जैसे खिलाड़ियों ने इस खेल में अपना खूब नाम बनाया है। आइए ऊपर दिए गए वीडियो के माध्यम से अपने यूपी के खिलाड़ियों को खेलते हुए देखते हैं।
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