बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य करने से क्या एक व्यक्ति की गोपनीयता सुरक्षित है?

सिद्धान्त 2 व्यक्ति की पहचान
02-06-2023 09:43 AM
Post Viewership from Post Date to 31- Jul-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1413 583 1996
 बायोमेट्रिक सत्यापन को अनिवार्य करने से क्या एक व्यक्ति की गोपनीयता सुरक्षित है?

इस वर्ष 1 जुलाई से, उत्तर प्रदेश के सभी सरकारी माध्यमिक विद्यालयों के शिक्षकों को अनिवार्य रूप से बायोमेट्रिक सत्यापन (Biometric verification) के माध्यम से अपनी उपस्थिति दर्ज करनी होगी। आज अधिकांश देशों में नागरिकों की पहचान दर्ज करने का कोई ना कोई अनूठा तरीका अवश्य मौजूद है। उदाहरण के लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका (United States of America) में, ‘सामाजिक सुरक्षा नंबर’ (Social Security number) वास्तविक राष्ट्रीय पहचान दस्तावेज बन गए हैं। वहीं चीन (China) में, 16 वर्ष और उससे अधिक आयु के नागरिकों के लिए निवासी पहचान पत्र के लिए आवेदन करना अनिवार्य है। इसी प्रकार भारत में विश्व कीसबसे बड़ी बायोमेट्रिक पहचान दस्तावेज प्रणाली स्थापित की गई है।
‘भारतीय विशिष्ट पहचान प्राधिकरण’(The Unique Identification Authority of India) के आंकड़ों के अनुसार, दिसंबर 2021 तक 1.3 बिलियन लोग, या मोटे तौर पर 99% भारतीय वयस्क, ‘आधार नंबर’ के लिए नामांकित हो चुके थे। सरकार द्वारा 2009 में आधार की शुरुआत की गई, जिसका शाब्दिक अर्थ है "नींव", एक केंद्रीकृत तरीके से यह सुनिश्चित करने के लिए कि प्रत्येक निवासी के पास अपनी पहचान स्थापित करने का आसान साधन हो। यह भारत के ग्रामीण गरीब लोगों के लिए विशेष रूप से आशाजनक था, जिनमें से कई उचित दस्तावेजों की कमी के कारण सामाजिक और वित्तीय सेवाओं तक पहुंचने के लिए संघर्ष कर रहे थे। आधार बनाने के लिए, एक व्यक्ति को अपना बायोमेट्रिक विवरण, विशेष रूप से आंखों का स्कैन (Iris scans), उंगली का निशान और एक तस्वीर प्रदान करनी होती है, जिसके सत्यापन के बाद उसे 12-अंकीय पहचान संख्या दी जाती है। सरकार उस जानकारी को एक डेटाबेस (Database) में संग्रहीत करती है, जिसतक आवश्यकता पड़ने पर आपकी पहचान की पुष्टि के लिए कुछ तृतीय पक्ष सेवाओं की पहुंच भी हो सकती हैं। रजिस्टर कराने के तुरंत बाद, उपयोगकर्ता को एक भौतिक आधार कार्ड प्राप्त होता है, हालाँकि आजकल इसके इलेक्ट्रॉनिक (Electronic) संस्करण भी उपलब्ध हैं। आधार, उपयोगकर्ता के लिए बैंक खाते खोलने और सिम कार्ड प्राप्त करने जैसे कार्यों को अधिक सुविधाजनक बनाने के अलावा, सरकार को पहचान के दोहराव, और धोखाधड़ी के अन्य रूपों को रोकने में भी मदद करती है। हालांकिआधार कार्ड प्रणाली,स्थापना के समय से ही कई विवादों से घिरी हुई है।
जब कार्ड पेश किए गए थे, तब नागरिकों के डेटा की सुरक्षा के लिए कुछ नीतिगत नियम थे, जिसके कारण 2018 में यह डेटा लीक हो गया था, और 200 आधिकारिक सरकारी वेबसाइटों (Websites) पर आधार विवरण सार्वजनिक हो गया था।तब से प्रणाली द्वारा छह महीने के बाद प्रमाणीकरण विवरण को स्वचालित रूप से मिटा देने सहितसख्त सुरक्षा प्रथाओं को लागू किया गया है। हालांकि आधार कार्ड के लिए नामांकन स्वैच्छिक है, किंतु आज आधार सार्वजनिक और आर्थिक जीवन में भागीदारी के लिए आवश्यक हो गया है।आधार कार्ड सभी सरकारी सेवाओं को और अधिक कुशल बनाता है; यह महत्वाकांक्षी और प्रायोगिक प्रणाली गड़बड़ियों के प्रति भी संवेदनशील है, हालांकि इससे कभी-कभी उन लोगों के लिए बड़ी समस्याएँ उत्पन्न होती हैं जिनका उद्देश्य सेवा करना है। उदाहरण के लिए कभी-कभी प्रमाणीकरण के मुद्दों के कारण लोगों को पहुँच से वंचित कर दिया जाता है; या फिर लोगों को भोजन सहायता नहीं मिल पाती और विद्यालय और अन्य सरकारी संस्थानों में नामांकन में भी परेशानी होती है।
फिर भी, जैसे-जैसे आधार प्रणाली विकसित होती जा रही है, यह अक्सर स्पष्ट नहीं हो पाता है कि इसके बिना सेवाओं का उपयोग कैसे किया जाए।और आधार को मतदाता पंजीकरण और आयकर संग्रह से जोड़ने के हालिया प्रयासों ने इस बहस को फिर से हवा दे दी है कि क्या आधार वास्तव में "स्वैच्छिक" है। विश्व बैंक (World Bank) की रिपोर्ट के अनुसार अफ्रीका (Africa) और एशिया (Asia) में उच्चतम एकाग्रता के साथ, वैश्विक स्तर पर, एक अरब लोगों के पास अपनी पहचान बताने का कोई आधिकारिक रूप मौजूद नहीं है। डिजिटल बायोमेट्रिक पहचान दस्तावेज़ प्रणाली, विशेष रूप से विकासशील देशों में,अपेक्षाकृत कम लागत, और सार्वभौमिक पहुंच के रूप में एक आकर्षक समाधान है।
पिछले वर्ष भारतीय सरकार द्वारा एक ऐसा कानून लागू किया गया है, जो भारत की पुलिस को दोषी ठहराए गए, गिरफ्तार या हिरासत में लिए गए लोगों से बायोमेट्रिक डेटा एकत्र करने का व्यापक अधिकार देता है। हालांकि इसकी लोगों द्वारा काफी आलोचना भी की जा रही है। भारत का ‘आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम’ पुलिस अधिकारियों को गिरफ्तार किये गए,, हिरासत में लिए गए,या सात साल या उससे अधिक जेल की सजा पर निवारक हिरासत में रखे गए आरोपियों के उंगलियों के निशान, और आईरिस स्कैन जैसे बॉयोमीट्रिक नमूने एकत्र करने का अधिकार देता है।अधिनियम के तहत एकत्र किए गए विवरण को 75 वर्षों तक संग्रहीत किया जा सकता है और अन्य कानून प्रवर्तन एजेंसियों के साथ साझा किया जा सकता है। किसी भी व्यक्ति द्वारा विवरण संग्रह का विरोध करना या अनुमति देने से इनकार करना अपराध है। हालांकि यह कानून विपक्षी राजनीतिक दलों, मुक्त भाषण नागरिक, वकीलों और नागरिक अधिकार कार्यकर्ताओं की तीखी आलोचना के के बावजूद,जिनका मानना है कि यह अधिनियम एक व्यक्ति की गोपनीयता और स्वतंत्रता का उल्लंघन करता है, अस्तित्व में आया है। उनका मानना है कि भारत में अभी भी व्यापक विवरण सुरक्षा तंत्र मौजूद नहीं है। 1920 के ‘कैदी पहचान अधिनियम’ के अनुसार , जिसे इस नए कानून द्वारा प्रतिस्थापित किया गया, पुलिस को संदिग्धों से केवल तस्वीरें, उंगलियों के निशान और पदचिह्नों के निशान एकत्र करने की अनुमति थी।वहीं नए आपराधिक प्रक्रिया पहचान अधिनियम के दायरे में अन्य संवेदनशील जानकारी, जैसे उंगलियों के निशान, रेटिना स्कैन, व्यवहार संबंधी विशेषताएं, हस्ताक्षर और लिखावट, और अन्य जैविक नमूने जैसे डीएनए प्रोफाइलिंग (DNA profiling), शामिल हैं।इस अधिनियम के विरुद्ध मुख्य सवाल यही उठ रहे हैं कि क्या होगा यदि विवरणों का उल्लंघन या दुरुपयोग किया जाता है या इनको बेचा जाता है? साथ ही इस बात की भी चिंता है कि संग्रहीत जानकारी के दुरुपयोग को रोकने के लिए कौन से संरक्षण प्रदान किए जाते हैं।
हालांकि कई देशों मेंगिरफ्तार या दोषी ठहराए गए लोगों के चेहरे की विशेषताओं, उंगलियों के निशान या रेटिना स्कैन जैसी बायोमेट्रिक पहचान एकत्र की जाती हैं।लेकिन यह देखते हुए कि किसी पुलिस अधिकारी द्वारा की गई गलती की जांच के लिए भारत में ठोस या अच्छी तरह सेपरिभाषित प्रणालियों की कमी है, विवरण के दुरुपयोग की चिंता और अधिक बढ़ जाती है। भारत में समर्पित विवरण संरक्षण कानून की अनुपस्थिति को देखते हुए, ऐसे अधिकारों का दुरुपयोग होने की संभावना अधिक बनी रहती है।

संदर्भ :-
https://rb.gy/fewtm
https://rb.gy/9r0i0

 चित्र संदर्भ
1. बायोमेट्रिक सत्यापन कराते व्यक्ति को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. बायोमेट्रिक पहचान दस्तावेज प्रणाली को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. आंखों के स्कैन को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. हाथ के स्कैन को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. फ़ोन में फिंगरप्रिंट स्कैन को संदर्भित करता एक चित्रण (trustedreviews)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.