स्वस्थ युवा भारतीयों में दिल के दौरे की वृद्धि का क्या है कारण?

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
29-05-2023 09:31 AM
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स्वस्थ युवा भारतीयों में दिल के दौरे की वृद्धि का क्या है कारण?

आज पिछले तीन वर्षों की तुलना में कोविड–19(Covid–19) महामारी का प्रकोप अपेक्षाकृत कम गंभीर है। हालांकि, इस महामारी से संबंधित जोखिम आज भी बने हुए हैं, क्योंकि कोविड–19 के दुष्प्रभाव, कुछ रोगियों को,संक्रमण से ठीक होने के बाद भी, लंबे समय तक परेशान कर सकते है। एक नए अध्ययन से पता चला है कि कोविड–19 से लंबे समय तक ग्रसित हुए रोगियों में हृदय संबंधी विकारों की संभावना दोगुनी से अधिक होती है।हृदय संबंधी जटिलताओं से ग्रसित लगभग 60 लाख रोगियों पर किए गए एक अध्ययन में, शोधकर्ताओं ने पाया है कि जिन रोगियों को कभी कोविड–19 नहीं हुआ था, उनकी तुलना में कोविड–19 वाले रोगियों को सीने में दर्द और सांस लेने में तकलीफ जैसी हृदय-संबंधी जटिलताओं का बहुत अधिक अनुभव हुआ है।
दूसरी तरफ, एक सामुदायिक सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म(Social Media Platform)‘लोकलसर्कल्स’ (LocalCircles) के एक सर्वेक्षण से पता चला है कि स्वस्थ और मध्यम आयु वर्ग के युवा भारतवासियों में दिल के दौरे और स्ट्रोक(Heart Stroke) के मामलों की संख्या अन्य आयुवर्ग के लोगों की तुलना में ज्यादा है। इन बढ़ती चिकित्सा स्थितियों के मामले कोविड–19 टीकाकृत और गैर-टीकाकृत, दोनों वर्ग के रोगियों को प्रभावित कर रहे हैं। सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि सर्वेक्षण किए गए कम से कम 51% लोगों के करीबी रिश्तेदारों और मित्रों में एक या एक से अधिक व्यक्ति ऐसे हैं, जिन्होंने पिछले दो वर्षों में दिल या मस्तिष्क के स्ट्रोक(Heart or Brain Stroke), रक्त के थक्के(Blood Clots),तंत्रिका संबंधी जटिलताओं (Neurological complications),और कैंसर जैसी अन्य आकस्मिक चिकित्सा स्थिति का अनुभव किया है। अध्ययन में यह भी पाया गया कि ऐसे कुल 62% लोगों को ऐसी गंभीर स्थिति का सामना करना पड़ा, यद्यपि इन्हें कोविड–19 के टीके की दोनों खुराक (Double Dose Vaccination) लगाई जा चुकी थी । दूसरे वर्ग के 11%लोगों को टीके की एक खुराक(Single Dose Vaccination) लगाई गई थीऔर 8% को टीका ही नहीं लगाया गया था।
दिलचस्प बात यह है कि सर्वेक्षण किए गए कुल लोगों में से 51% लोगों के ऐसे 61% करीबी लोगों को, जिन्होंने गंभीर चिकित्सा स्थितियों का अनुभव किया था, एक या एक से अधिक बार कोविड–19 का संक्रमण हुआ , जबकि गंभीर चिकित्सा स्थितियों का अनुभव करने वाले 28% लोगों को कभी भी कोविड–19 का संक्रमण नहीं हुआ था ।सर्वेक्षण में भारत के 357 जिलों में भर्ती हुए 32,000 से अधिक नागरिकों से प्रतिक्रियाएं प्राप्त की गई ।
सर्वेक्षण में यह भी पाया गया कि पिछले कुछ वर्षों में, कई स्वस्थऔर मध्यम आयु वर्ग के युवा व्यक्तियों,(पुरुषों और महिलाओं),की अचानक दिल का दौरा पड़ने से मृत्यु हो गई । इनमें से ज्यादातर मामलों में, नृत्य, जिम(Gym) या टहलना/चलना आदि शारीरिक गतिविधियों के दौरानऐसे व्यक्तियों ने कार्डियक अरेस्ट(Cardiac Arrest) अर्थात दिल के दौरे का अनुभव किया।
ऐसे में प्रश्न उठता है कि ऐसी आकस्मिक मृत्यु क्यों हो रही हैं? इस प्रकार के अचानक मस्तिष्क या हृदय के स्ट्रोक को विभिन्न अध्ययनों में कोविड-19 की अभिव्यक्ति के रूप में देखा गया है, और पायागया है कि कोविड-19 प्रभावित 0.9% से 23% रोगियों में स्ट्रोक का कारण बन सकता है;ऐसे लोगों में शुरू में कोविड-19 के लक्षण दिखते हैं और बाद में इन्हे स्ट्रोक का सामना करना पड़ता हैं।जबकि अध्ययनों से पता चला है कि कुछ रोगियों में प्रारंभिक लक्षण के रूप में स्ट्रोक होता है और बाद में उनमें कोविड-19 पाया जाता है।हालांकि इन रोगियों में मस्तिष्क से संबंधित स्ट्रोक(Brain Stroke) के जोखिम वाले कारकों की कमी हैं। 25 से 44 वर्ष की उम्र के लोगों मेंकोविड-19 महामारी के पहले दो वर्षों में दिल के दौरे से होने वाली मृत्यु में लगभग 30% की वृद्धि देखी गई है।कोविड-19 और दिल के दौरे से होने वाली मौतों के बीच संबंध ‘संयोग से अधिक’ था। कोविड-19 हृदय प्रणाली के लिए अत्यंत घातकसाबित हुआ है।कोविड-19 रक्त की चिपचिपाहट को बढ़ाने और रक्त में थक्के बनने की संभावना को बढ़ाने में उत्प्रेरक रहाहै। साथ ही, इससे रक्तवाहिकाओं में सूजन भी हो सकती है।कुछ लोगों में कोविड–19 अत्यधिक तनाव के लिए भी जिम्मेदार होता है, चाहे वह सीधे संक्रमण से संबंधित हो या संक्रमण से उत्पन्न स्थितियों से, जो रक्तचाप में भी वृद्धि का कारण बनती हैं। इसके अलावा जिन लोगों को एक से अधिकबार कोविड-19 हुआ है, उन्हें भी दिल की समस्याओं का खतरा अधिक होता है। अतः हमें अपने रक्तचाप, कोलेस्ट्रॉल(Cholesterol) और ब्लड शुगर(Blood Sugar Level) को नियंत्रण में रखना चाहिए।
उपरोक्त सारी बीमारियां लंबे समय तक कोविड से संक्रमित रहने वाले मरीजों को ही ज्यादा प्रभावित कर रही हैं। इस स्थिति को लॉन्ग कोविड(Long Covid) के रूप में परिभाषित किया गया है,जिसमें इसके प्रारंभिक संक्रमण के लक्षण चार सप्ताह से अधिक समय के बाद भी बने रहते हैं। यह तो हम सभी जानते हैं कि कोविड-19 एक साधारण श्वसन रोग से अधिक खतरनाक संक्रमण है।यह एक सिंड्रोम(Syndrome) है जो हृदय को प्रभावित कर सकता है। अतः चिकित्सकों कोभी अधिक जागरूक रह कर सतर्कता बरतनीचाहिए,ताकि अगर कोई मरीज लंबे समय तक कोविड-19 से संक्रमित होने के बाद भी इन लक्षणों की शिकायत करता है, तो वे ये अनुमान लगा पाए कि उस मरीज में हृदय संबंधी जटिलताएं मौजूद हो सकती हैं। इस प्रकार के सर्वेक्षण और अध्ययनों के बाद अब विशेषज्ञों द्वारा मरीजों को सलाह दी जा रही है कि यदि उन्हें कोविड–19 के संक्रमण से संबंधित कोई भी लक्षण दिखे , या सांस लेने में कठिनाई हो,या दिल की कोई भी नई समस्या हो,तो डॉक्टर से तुरंत ही मिलें। दरअसल, इस लेख के माध्यम से,हमारा विचार आपको स्वास्थ्य के प्रति जागरूक करना है।स्वस्थ रहें और सुरक्षित रहें!

संदर्भ

https://rb.gy/nappr
https://rb.gy/d7vbp
https://rb.gy/uidqk

 चित्र संदर्भ
1. दिल के दौरे को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
2. दिल के दौरे के लक्षण को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
3. एक महिला मरीज को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. रक्तसंलयी हृदय विफलता के संकेतों के साथ छाती के रेडियोग्राफ़ को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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