आपको एक विदेशी पालतू जानवर क्यों नहीं खरीदना चाहिए

रेंगने वाले जीव
15-05-2023 10:19 AM
Post Viewership from Post Date to 30- Jun-2023 31st
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
1433 461 1894
आपको एक विदेशी पालतू जानवर क्यों नहीं खरीदना चाहिए

गिरगिट जैसे सुंदर जीव को रंग बदलते देखना, एक शानदार अनुभव होता है! इसलिए इस रंगीन सरीसृप को अपने घर में पालकर, रंग बदलते हुए देखना भला कौन नहीं चाहेगा। लेकिन हम सभी जानते हैं कि गिरगिट स्वभाव से एक जंगली जीव है और जंगली जीवों को घर में नहीं रखने के कई ठोस कारण होते है। किंतु इसके बावजूद भी इन आजादी पसंद जीवों को अवैध रूप से घरों में पालतू बनाकर रखा जाता है। चलिए जानते हैं कि इसके परिणाम क्या हो सकते हैं?
भारत में विदेशी जानवरों (Exotic Animals) की मांग में वृद्धि देखी जा रही है। लेकिन इन जानवरों की वैधता, नैतिकता और देखभाल से जुड़े ज्ञान और जागरूकता की कमी होने के कारण कई समस्याएं भी उत्पन्न हो रही हैं। हालांकि भारत में मौजूदा वन्यजीव संरक्षण कानून (Wildlife Protection Act), देशी प्रजातियों के संरक्षण पर ध्यान केंद्रित करते हैं, किंतु ये कानून विदेशी जानवरों के व्यापार को प्रभावी ढंग से विनियमित नहीं करते हैं। इसी कानूनी बचाव के कारण, तस्करों या व्यापारियों को मांग और आपूर्ति श्रृंखला (Demand And Supply Chain) का फायदा उठाने का मौका मिल जाता है। समय के साथ भारत भर में, जंगली जानवरों की बिक्री हेतु कई अवैध बाज़ार (जैसे कि मुंबई में क्रॉफर्ड मार्केट (Crawford Market), बेंगलुरु में रसेल मार्केट (Russell Market), पटना में मीर शिकार टोली और हैदराबाद में मुर्गी चौक) जैसे जीवित पशु बाजार उभर रहे हैं। भारत की वन्यजीव संरक्षण सोसायटी (Wildlife Conservation Society) की एक रिपोर्ट के अनुसार, “देश में कुल मिलाकर ऐसे 25 वन्यजीव बाजार मौजूद हैं।” ये बाजार जानवरों से जुड़ी अस्वास्थ्यकर स्थिति पैदा करते हैं, और प्रजातियों के बीच रोगज़नक़ों के आदान-प्रदान के जोखिम को भी बढ़ा रहे हैं। भारत में अवैध रूप से जंगली पक्षियों का व्यापार, पक्षी प्रजातियों (देशी और विदेशी दोनों) के लिए एक गंभीर खतरा बन चुका है। भारत के काला बाजारों में 100 से अधिक विदेशी पक्षियों की प्रजातियों की तस्करी की जाती है। इसके अलावा विदेशी पालतू जानवरों के बाजार में सरीसृपों का भी बड़े पैमाने पर कारोबार होता है। एक अध्ययन के अनुसार, “भारत में अनुमानित 84 विदेशी सरीसृप प्रजातियों का व्यापार किया जाता है, जिनमें गंभीर रूप से लुप्तप्राय, लुप्तप्राय और कई कमजोर रूप से लुप्तप्राय प्रजातियां भी शामिल हैं।” इस दुर्भाग्यपूर्ण व्यापार को सुविधाजनक बनाने में इंटरनेट (Internet) ने महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है, क्यों कि इसकी मदद से कई विदेशी प्रजातियों का ऑनलाइन कारोबार (Online Business) संभव हो गया है।
इस संदर्भ में जून 2020 में, भारत के पर्यावरण मंत्रालय ने एक एडवाइजरी (Advisory) जारी कर सभी नागरिकों से आग्रह किया कि, “वे अपने पास मौजूद किसी भी अप्रमाणित विदेशी जीवित जानवर की जानकारी, मंत्रालय को दे दें।” हालांकि, यह स्वैच्छिक प्रकटीकरण योजना भी इन मासूम जानवरों के व्यापार को प्रभावी ढंग से विनियमित करने में असफल रही है। इसके अलावा 1972 का वन्यजीव संरक्षण अधिनियम (Wildlife Protection Act) भी कुछ (विशेष रूप से वे जो खतरनाक या लुप्तप्राय) जानवरों को पालने और उनके व्यापार पर रोक लगाता है। भारत में अवैध या प्रतिबंधित पालतू पक्षियों की सूची निम्नवत दी गई: जंगली तोते और कबूतर: जंगली तोते की नस्लें (जैसे प्लम हेडेड पैराकीट (Plum-Headed Parakeet), इंडियन रिंग-नेकेड पैराकीट (Indian Ring-Necked Parakeet), एलेक्जेंड्राइड पैराकीट (Alexandrine Parakeet) और रेड-ब्रेस्ट पैराकीट (Red-Breasted Parakeet) को पालतू जानवर के रूप में नहीं रखा जा सकता है।
हालांकि, विदेशी नस्लों के तोतों जैसे कि कलीग (Bud) और कॉकटेल (Cocktail) की अनुमति है।
अन्य प्रतिबंधित पक्षी:
इंडियन पीकॉक (Indian Peacock)
इंडियन रोलर (Indian Roller)
बार्न आउल (Barn Owl)
इंडियन ईगल आउल (Indian Eagle Owl)
ब्लैक काइट (Black Kite)
इंडियन काइट (Indian Kite)
ब्लैक हिल मैना (इंडियन मैना) (Black Hill Myna / Indian Myna)
इंडियन लाल मुनिया या रेड अवदावत (Indian Red Munia / Red Avadavat)
स्केली ब्रेस्टेड मुनिया (Scaly-Breasted Munia)
चेस्टनट मुनिया (Chestnut Munia)
रैप्टर, इंडियन वल्चर (Raptor, Indian Vulture)
इंडियन हॉर्नबिल और पेरेग्रीन बाज़ (Indian Hornbill And Peregrine Falcon) भी प्रतिबंधित हैं।
भारत में अवैध पालतू जानवरों की सूची: खरगोश: घरेलू सफेद खरगोश और विदेशी नस्लों जैसे अंगोरा खरगोश को पालतू जानवर के रूप में अनुमति दी जाती है। लेकिन भारतीय जंगली खरगोश को पालतू जानवर के रूप में रखना अवैध है।
अन्य जानवर:
रीसस मकाक (Rhesus Macaque)
लंगूर या लायन-टेल्ड मकाक (Lion-Tailed Macaque)
एशियाई हाथी (Asian Elephant)
भारतीय गैंडा (Indian Goose)
सुस्त भालू (Sloth Bear)
भारतीय ग्रे नेवला (Indian Grey Mongoose)
भारतीय गौर (Indian Bison)
भारतीय मुंटियाक हिरण (Indian Spotted Deer)
एशियाई शेर (Asian Lion)
बंगाल टाइगर (Bengal Tiger)
भारतीय तेंदुआ और एशियाई चीता (Indian Leopard And Asian Cheetah) जैसे जानवर प्रतिबंधित हैं।
इनके अलावा पिटबुल (Pittbull) जैसी कुछ कुत्तों की नस्लें अवैध नहीं हैं, लेकिन सुरक्षा चिंताओं के कारण उन पर भी प्रतिबंध लगाने की मांग की गई है।
भारत में अवैध पालतू सरीसृपों की सूची:
सरीसृप:
इंडियन स्टार कछुआ (Indian Star Tortoise),
इंडियन रूफेड टर्टल (Indian Roofed Turtle),
इंडियन टेंट टर्टल (Indian Tent Turtle),
फ्लैपशेल टर्टल और ब्लैक पॉन्ड टर्टल (Flapshell Turtles And Black Pond Turtles) को भारत में पालतू जानवर के रूप में नहीं रखा जा सकता है।
अन्य सरीसृप:
इंडियन कोबरा (Indian Cobra)
इंडियन रॉक पायथन (Indian Rock Python)
रेड सैंड बोआ (Red Sand Boa)
इंडियन घड़ियाल और मॉनिटर छिपकली (Indian Gharial And Monitor Lizard) भी प्रतिबंधित हैं।
हाल के वर्षों में, कई भारतीय युवाओं के बीच कछुए, इगुआना (Iguana) और बॉल पाइथन (Ball Python) जैसे विदेशी पालतू जानवरों के प्रति आकर्षण देखा गया है। हालांकि, इन युवाओं की यह अनोखी रूचि, इन मूक जंगली जानवरों को भारी पड़ सकती है। जंगली जानवरों को पालतू जानवर के रूप में रखने से, न केवल उन्हें अत्यधिक पीड़ा होती है साथ ही वन्यजीव संरक्षण के संदर्भ में भी एक गंभीर खतरा पैदा हो जाता है। इस खतरे को समझने के लिए पुणे के एक वन्यजीव पुनर्वास केंद्र (Wildlife Rehabilitation Center) की दिल दहला देने वाली घटना पर एक नजर डालते हैं। यहां पर एक युवती ने स्थानीय पालतू जानवरों की दुकान से दो 'लाल कान वाले स्लाइडर कछुओं (Slider Turtles)' को खरीदा था, लेकिन खरीदने के बाद वह उनकी देखभाल नहीं कर पाई। चौंकाने वाली बात यह है कि, आमतौर पर समुद्रों में ही अपना जीवन काट देने वाले इन बेजुबान कछुओं ने, 15 साल से अधिक समय तक भरपूर पानी ही नहीं देखा था। यह दुर्भाग्यपूर्ण स्थिति, पालतू कछुओं की देखभाल के बारे में ज्ञान और जागरूकता की कमी को उजागर करती है। इसके अलावा, ये कछुए संरक्षित भारतीय प्रजाति के निकले, जिन्हें अवैध रूप से बेचा गया। यह घटना बड़े पैमाने पर अवैध वन्यजीव व्यापार और बेख़बर पालतू स्वामित्व के परिणामों पर प्रकाश डालती है।
भारत में युवाओं के बीच जंगली जानवरों को पालतू बनाने का नया चलन शुरू हुआ है। सोशल मीडिया (Social Media) इस प्रवृत्ति को बढ़ावा देने में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, क्यों कि यहां पर सक्षम परिवार के युवा अपने विदेशी पालतू जानवरों को ग्लैमर (Glamour) और लोकप्रियता के प्रतीक के रूप में दिखाते हैं। हालांकि, पर्दे के पीछे, ये जानवर बेकदरी और अनुचित देखभाल से पीड़ित होते हैं। कैद में रहकर इन जानवरों की शारीरिक और मानसिक स्थिति पर भी बुरा असर पड़ता है। स्तनधारी, पक्षी और सरीसृप अपने प्राकृतिक आवास तथा सामाजिक संरचनाओं से अलग रहने के हिसाब से नहीं बने होते हैं, इसलिए अनुचित आवास और उपेक्षा के परिणामस्वरूप उन्हें कई व्यवहारिक और शारीरिक समस्याओं का सामना करना पड़ सकता है, और इन समस्याओं के उभरने पर इनके तथाकथिक युवा मालिक भी इनका परित्याग कर देते हैं। हालांकि इस गंभीर मुद्दे के समाधान के प्रयास भी किए जा रहे हैं। वन्यजीव संरक्षण ट्रस्ट जैसे कई संगठन, अवैध पालतू व्यापार और मजबूत नियमों की आवश्यकता से जुड़ी जागरूकता बढ़ा रहे हैं। इन जानवरों को खरीदना और उनकी देखभाल करना न केवल महंगा हो सकता है, बल्कि यह उनके स्वास्थ्य और पर्यावरण के लिए भी हानिकारक हो सकता है। इसके अलावा, विदेशी पालतू जानवर, मानव स्वास्थ्य और सुरक्षा के लिए भी खतरा पैदा कर सकते हैं। वे साल्मोनेला और रेबीज (Salmonella And Rabies) जैसी गंभीर बीमारियाँ उत्पन्न कर सकते हैं जो मनुष्यों को प्रेषित की जा सकती हैं। साथ ही वे आक्रामक और अप्रत्याशित भी हो सकते हैं, तथा गंभीर चोटें या मौत का कारण भी बन सकते हैं। कुल मिलाकर एक विदेशी पालतू जानवर का मालिक होना भले ही रोमांचक लग सकता है, लेकिन जानवरों और पर्यावरण के संदर्भ में हमें इसकी भारी कीमत चुकानी पड़ सकती है।

संदर्भ
https://bit.ly/3pBwAOp
https://bit.ly/3Bi032e
https://bit.ly/3OcufmW

 चित्र संदर्भ

1. विदेशी पालतू जानवर को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)
2. विदेशी पालतू जानवरों के रूप में रखे गए, कपचीन बंदरों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. विदेशी पालतू जानवरों के रूप में एक सरीसृप को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्लम हेडेड पैराकीट को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. खरगोश को दर्शाता एक चित्रण (Pexels)
6. इंडियन स्टार कछुए को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
7. इगुआना को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
8. स्लाइडर कछुए को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)
9. विदेशी पशु प्रदर्शनी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
10. कैद में रखे गए विदेशी पालतू जानवरों को दर्शाता एक चित्रण (Pxfuel)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.