देवराज ‘इंद्र’ की भांति, प्राचीन मेसोपोटामिया में आकाश के देवता थे, ‘अनु’

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
02-05-2023 10:47 AM
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देवराज ‘इंद्र’ की भांति, प्राचीन मेसोपोटामिया में आकाश के देवता थे, ‘अनु’

भारतीय संस्कृति और सुमेरियन (Sumerian) पौराणिक कथाओं में, आपको कई दिलचस्प समानताएं नजर आ जायेंगी! सबसे दिलचस्प और निकटतम समानता हमें स्वर्ग के देवताओं में दिखाई देती है। दरसल जिस प्रकार हिंदू धर्म में देवताओं के राजा इंद्र होते हैं, ठीक उसी स्तर का पद, अधिकार, और शक्तियां, सुमेरियन संस्कृति में स्वर्ग के देवता माने जाने वाले "अनु (Anu)" को भी प्राप्त थे।
अनु, जिसे अन (An) के नाम से भी जाना जाता है, प्राचीन मेसोपोटामिया संस्कृति (Ancient Mesopotamian Culture) में आकाश के देवता थे, जिन्हें सभी देवताओं का पिता और हिंदू धर्म में देवराज इंद्र की भांति स्वर्ग का शासक माना जाता था। उन्हें अंसार और किशर (Anshar And Kishar) का पुत्र माना जाता था, जो स्वर्ग तथा पृथ्वी का प्रतिनिधित्व करते थे। अनु का मूल नाम एन (An) था, जिसका अर्थ आकाश होता है। सुमेरियो द्वारा पहली बार उनकी पूजा प्रारंभिक राजवंश काल के दौरान की गई थी। बाद में अक्कादियों (Akkadians) ने उन्हें अनु संबोधित करते हुए अपने भगवान के रूप में पूजा।
अपनी छवियों में अनु को अक्सर ताज पहने और सिंहासन पर बैठे राजा के रूप में चित्रित किया जाता था। उन्हें मेसोपोटामिया में सबसे शक्तिशाली देवताओं में से एक माना जाता था और वह देवताओं के बीच स्थिरता एवं शांति-व्यवस्था बनाए रखने के लिए जिम्मेदार थे। अनु की पत्नी अंतु (Antu) थी, जिन्हें पृथ्वी की देवी माना जाता था। अनु ने मेसोपोटामिया की कुछ सबसे प्रसिद्ध कहानियों, जैसे कि एनुमा इलिश (Enuma Elish) में किरदार की महत्वपूर्ण भूमिका निभाई है। एनुमा एलिश में, अनु ने अराजकता की देवी (Goddess Of Chaos) तियामत (Tiamat) पर छोटे देवताओं को विजय प्राप्त करने में सहायता की। कमजोर देवता जब युद्ध हार रहे थे, तब अनु ने ही कूटनीतिक रूप से संघर्ष को सुलझाने की कोशिश की, हालांकि वह असफल रहे। लेकिन इस असफलता ने, छोटे देवताओं को युद्ध करने के अपने तरीके बदलने तथा अपने लक्ष्यों को प्राप्त करने के लिए एक नया रास्ता खोजने के लिए मजबूर किया। इसके बाद ज्ञान के देवता एनकी (Enki) के पुत्र मर्दुक (Marduk) ने देवताओं को अपनी महानता साबित करते हुए पहला कदम आगे बढ़ाया और उनकी मदद से उन्होंने तियामत को हरा दिया, जिसके बाद दुनिया और इंसानों का निर्माण किया गया। एनकी (Enki) भी अनु के ही पुत्र थे। उन्हें ज्ञान, ताजे पानी, बुद्धि, प्रवंचना, शरारत, शिल्प, जादू, भूत-प्रेत, उपचार, सृजन, पौरुष, उर्वरता और कला के देवता के रूप में पूजा जाता था। उन्हें सर पर सींग के साथ, और लंबे वस्त्र पहने एक दाढ़ी वाले व्यक्ति के रूप में चित्रित किया जाता था। एनकी, मेसोपोटामिया के देवताओं में एक महत्वपूर्ण स्थान रखते थे। मेसोपोटामिया की कई कहानियाँ, किंवदंतियाँ, प्रार्थनाएँ और शाही शिलालेखों में एनकी प्रमुख किरदार की भूमिका में है, जिसमें “निन्हर्साग”, सृष्टि के निर्माण का बेबीलोनियन महाकाव्य (Ninhursag, The Babylonian Epic Of Creation) और अन्य संबंधित कार्य भी शामिल हैं।
एनकी के पिता अनु ने जिन मिथकों और किंवदंतियों में एक भूमिका निभाई, उनमें अक्कादियन महाकाव्य, “गिलगमेश” (Akkadian Epic Of Gilgamesh) भी शामिल है। यह किवदंती गिलगमेश नाम के एक नायक से जुड़ी है, जो कि एक महान योद्धा थे, और उनकी प्रजा उनसे बहुत प्रेम करती थी। एक दिन, ईशतार (Ishtar) नाम की एक देवी (अनु की पुत्री) ने गिलगमेश को रिझाने की कोशिश की, लेकिन उन्होंने ईशतार को साफ-साफ मना र दिया। इसके बाद ईशतारबहुत क्रोधित हुई, वह अपने पिता अनु के पास गई और उन्हें बताया कि गिलगमेश द्वारा उसका अपमान किया गया है। इसके पश्चात ईशतार ने अपने पिता अनु से मांग की कि वे उसे स्वर्ग का सबसे शक्तिशाली बैल प्रदान करें। लेकिन अनु को पता था कि इससे उरुक (Uruk) शहर (गिलगमेश के शहर) को बहुत नुकसान होगा, इसलिए उन्होंने ईशतार की मदद करने से इनकार कर दिया। लेकिन ईशतार ने अपनी जिद मनवाने के लिए अपने पिता अनु को धमकी दे दी कि अगर उन्होंने उसे स्वर्ग का बैल नहीं सौंपा तो वह मुर्दों को जीवित कर देगी। अनु ने उसे स्वर्ग का बैल दिया, लेकिन बदले में, ईशतार को शहर के लिए सात साल तक पर्याप्त भोजन उपलब्ध कराने का वादा ले लिया। इसके बाद ईशतार ने स्वर्ग के उस शक्तिशाली बैल को गिलगमेश तथा उसके दोस्त एनकिडु (Enkidu) पर हमला करने के लिए भेजा। स्वर्ग के बैल के आगमन के बाद उरुक को बहुत अधिक नुकसान पंहुचा। नदी का स्तर कम हो गया, दलदल सूख गया, और 300 आदमी विशाल गड्ढों में समा गए। हालांकि, गिलगमेश और उनके दोस्त एनकिडु ने हार नहीं मानी। उन्होंने देवताओं की सहायता के बिना ही स्वर्ग के बैल से युद्ध किया और उसे मार डाला। गिलगमेश के इस महाकाव्य को विश्व साहित्य की पहली कृति और पहली ज्ञात महाकाव्य कथा माना जाता है। कुल मिलाकर भारतीय संस्कृति और सुमेरियन पौराणिक कथाओं के बीच आकर्षक समानताएं हैं। सुमेरियन संस्कृति में स्वर्ग के देवता अनु, हिंदू धर्म में देवताओं के राजा इंद्र के समान अधिकार और शक्ति रखते हैं। गिलगमेश के महाकाव्य सहित अनु और एनकिडु की कहानियां और किंवदंतियां आज भी लोगों की कल्पनाओं को प्रेरित करती हैं, और साहित्य और संस्कृति पर उनके प्रभाव को कम करके नहीं आंका जा सकता।

संदर्भ

https://bit.ly/3Ho5NLr
https://bit.ly/3n71IV5
https://bit.ly/412xrol

चित्र संदर्भ

1. आकाश के देवता को संदर्भित करता एक चित्रण (Pixabay)
2. सिप्पार, इराक से 1125-1104 ईसा पूर्व, रित्ती-मर्दुक के एक कुदुरू पर अनु (निचले दाएं कोने) सहित विभिन्न देवताओं के प्रतीक को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. ज्ञान के देवता एनकी (Enki) को संदर्भित करता एक चित्रण (Store norske leksikon)
4. एनकी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. अक्कादियन महाकाव्य, “गिलगमेश” पुस्तक को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. गिलगमेश के महाकाव्य की पट्टिका को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)

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