‘अंजनी पुत्र पवन सुत्त नामा’, हनुमान जी के जन्म से जुड़ी हैं, कई रोचक किंवदंतियां

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
06-04-2023 10:26 AM
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‘अंजनी पुत्र पवन सुत्त नामा’, हनुमान जी के जन्म से जुड़ी हैं, कई रोचक किंवदंतियां

आज “हनुमान जन्मोत्सव” के दिवस को पूरे सनातन समाज में बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है। चूंकि ‘जयंती' शब्द मृत लोगों से जुड़ा हुआ है, और हनुमान जी को तो सदैव जीवित माना जाता है, इसलिए कुछ विद्वानों के अनुसार, हनुमान जी के जन्म दिवस हेतु जयंती शब्द का उपयोग करना उचित नहीं माना जाता है।” उनके अनुसार हनुमान जी के जन्मदिन को हनुमान जयंती के बजाय 'हनुमान जन्मोत्सव' के रूप में मनाया जाना चाहिए। क्या आप जानते हैं कि आज का दिन इतना महत्वपूर्ण क्यों है?
हनुमान जन्मोत्सव एक लोकप्रिय हिंदू त्यौहार है, जो प्रसिद्ध हिंदू देवता हनुमान जी के जन्म की ख़ुशी में मनाया जाता है। बजरंगबली या हनुमान जी हिंदू महाकाव्य रामायण में मुख्य पात्रों में से एक हैं और उन्हें शक्ति, बुद्धि तथा ऊर्जा के प्रतीक के रूप में पूजा जाता है। आपको जानकर हैरानी होगी कि हनुमान जन्मोत्सव का त्यौहार भारत के विभिन्न राज्यों में अलग-अलग तिथियों पर मनाया जाता है। अधिकांश राज्यों में, हनुमान जन्मोत्सव के त्यौहार को हिंदू कैलेंडर के अनुसार चैत्र माह की पूर्णिमा यानी आज के दिन मनाया जाता है। कर्नाटक में, हनुमान जन्मोत्सव को मार्गशीर्ष या वैशाख महीने में शुक्ल पक्ष त्रयोदशी को, जबकि तमिलनाडु और केरल जैसे अन्य राज्यों में, धनु (तमिल भाषा में मार्गाली) के महीने में मनाया जाता है। ओडिशा के पूर्वी राज्य में हनुमान जन्मोत्सव पण संक्रांति के रूप में मनाई जाती है। इस दिन को ओडिया नव वर्ष के रूप में भी मनाया जाता है जो हर साल अधिकतर 13, 14 या 15 अप्रैल में से किसी एक दिन पड़ता है। वहीं उत्तर भारत में, यह त्यौहार कार्तिक माह के शुक्ल पक्ष के चौदहवें दिन मनाया जाता है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, हनुमान जी की माता का नाम अंजना और पिता का नाम केसरी था, जिन्होंने हनुमान जी को पुत्र रूप में प्राप्त करने के लिए भगवान शिव की घोर तपस्या की थी। मान्यता है कि माता अंजना एक अप्सरा थीं, जिन्हें पृथ्वी पर रहने का श्राप मिला था। वाल्मीकि रामायण के अनुसार, केसरी, बृहस्पति के पुत्र थे, जो किष्किंधा राज्य के पास सुमेरु नामक क्षेत्र के राजा थे। अंजना एक बालक चाहती थी, इसलिए उन्होंने बारह वर्षों तक रुद्र (भगवान शिव का एक रूप) से प्रार्थना की। उनकी भक्ति से प्रसन्न होकर, रुद्र स्वरूप ने उन्हें हनुमान जी के रूप में अत्यंत बुद्धिमान पुत्र प्रदान किया। वहीं दूसरी ओर संत एकनाथ द्वारा रचित ‘भावार्थ रामायण’ के अनुसार, हनुमान जी के जन्म का रहस्य राजा दशरथ के पुत्रकामेष्टि अनुष्ठान से जुड़ा था। इस अनुष्ठान के दौरान, दशरथ को अपनी पत्नियों के बीच साझा करने के लिए पवित्र खीर प्राप्त हुई, जिसके परिणामस्वरूप उनके पुत्रों राम, लक्ष्मण, भरत और शत्रुघ्न का जन्म हुआ। लेकिन जब माता कौशल्या अपने हिस्से की खीर को ग्रहण करने वाली थी तो एक चील उस खीर का एक हिस्सा ले उड़ा, और उस जंगल के ऊपर उड़ते हुए, खीर को गिराया जहां माता अंजना शिव पूजा में लीन थी। पवन-देवता वायु ने गिरती हुई खीर को माता अंजनाकी गोद में गिरा दिया , जिन्होंने इसे खाया और हनुमान जी को जन्म दिया। इसी कारण हनुमान जी को पवन पुत्र के नाम से भी संबोधित किया जाता है। यह कथा प्रभु श्री राम एवं हनुमान जी के घनिष्ठ आपसी सम्बन्ध का भी एक संकेतत है। हनुमान जी प्रभु श्री राम के परम भक्त माने जाते हैं। मान्यताओं के अनुसार यदि आप उनकी पूजा से पहले भगवान श्री राम को नमन नहीं करते हैं तो हनुमान जी प्रार्थना स्वीकार नहीं करते हैं। हनुमान जी अपनी शक्ति, भक्ति और निस्वार्थता के लिए बेहद पूजनीय हैं; हिंदू पौराणिक कथाओं में इन्हें महत्वपूर्ण माना जाता है। अक्सर उनकी सुरक्षात्मक और सहायक प्रकृति के लिए हनुमान जी की विशेष रुप से पूजा की जाती है। हनुमान जी के जन्मदिवस के दौरान, उनके भक्त धार्मिक कार्यों तथा पूजा में भाग लेने और प्रसाद बनाने के लिए मंदिरों में एकत्रित होते हैं और हनुमान जी से आशीर्वाद और सुरक्षा मांगते हैं। मंदिर के पुजारी मिठाई, फूल, नारियल, तिलक, उदी (पवित्र राख) और गंगा नदी के पवित्र जल के रूप में उन्हें प्रसादम प्रदान करते हैं। इस दौरान हनुमान जी के उपासक भक्ति भजन के साथ-साथ हनुमान चालीसा, संकट मोचन अष्टकारे, वाल्मीकि कृत रामायण, तुलसीदास कृत रामचरितमानस या उसमे से हनुमान जी समर्पित सुंदरकांड जैसे पवित्र ग्रंथ भी पढ़ते हैं। विशेषतौर पर इस दिन सुंदरकांड का पाठ करना एक पुण्य कार्य माना जाता है। हनुमान जन्मोत्सव का हर्षोल्लास संपूर्ण देश में देखा जा सकता है, इस दौरान मंदिरों में भारी भीड़ रहती है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी का जन्म सूर्योदय के समय हुआ था इसलिए महाराष्ट्र के हनुमान मंदिरों में भोर से ही आध्यात्मिक प्रवचन शुरू हो जाते हैं। उनके जन्म के समय प्रसादम का वितरण होता है, और आध्यात्मिक प्रवचन रुक जाते हैं।
(Repeat) इस दिन हनुमान जी की प्रतिमा पर सिंदूर चढ़ाने का विशेष प्रावधान है। ऐसा माना जाता है कि हनुमान जी को सिंदूर अर्पित करने से सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। हनुमान जयंती का दिन किसी भी नए काम की शुरुआत के लिए बहुत ही शुभ माना जाता है। यदि किसी कार्य की शुरुआत हनुमान जी के नाम से की जाती है तो निश्चित ही श्रेष्ठ परिणाम मिलते हैं। इस शुभ अवसर पर अग्नि अनुष्ठान और हवन भी किया जाता है। इसके साथ ही हनुमान जन्मोत्सव पर लोग उपवास रखते हैं और ध्यान भी करते हैं।
हनुमान जन्मोत्सव पहलवानों और बॉडी बिल्डरों (Bodybuilders) के लिए बहुत ही शुभ मानी जाती है। इस दिन वे सुबह से रात तक उपवास रखते हैं। इस दिन भारतीय गांवों में शरीर सौष्ठव और कुश्ती प्रतियोगिताओं का आयोजन किया जाता है। पहलवान और बॉडी बिल्डर भगवान हनुमान को प्रणाम करने के बाद कुश्ती के मैदान में इकट्ठा होते हैं।

संदर्भ

https://bit.ly/40AAXa0
https://rb.gy/ru64
https://bit.ly/3m30vNY

चित्र संदर्भ

1. पहाड़ों के बीच हनुमान जी की विशाल प्रतिमा को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. हनुमान मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. माता सुवर्चला को संदर्भित करता एक चित्रण (wikimedia)
4. बाल हनुमान को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
5. हनुमान जी की उपासना को दर्शाता चित्रण (flickr)

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