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भगवान श्री कृष्ण के नाम में ही मोक्ष निहित है। मात्र तीन शब्दों (हरे, कृष्ण और राम ) से निर्मित “हरे कृष्ण मंत्र” नामक महामंत्र ने भारत सहित पूरी दुनिया में श्री कृष्ण के भक्तों की कतारें खड़ी कर दी हैं। माना जाता है, इस महा मंत्र का जाप करने मात्र से बड़े से बड़ा पापी भी भवसागर तर जाता है।
यह मंत्र निम्नलिखित है-
हरे कृष्ण हरे कृष्ण
कृष्ण कृष्ण हरे हरे
हरे राम हरे राम
राम राम हरे हरे॥
16 शब्दों के इस वैष्णव मंत्र का उल्लेख कलिसंतरण उपनिषद में मिलता है। 15वीं शताब्दी में वैष्णव धर्म के भक्ति योग के परम प्रचारक एवं भक्तिकाल के प्रमुख कवियों में से एक चैतन्य महाप्रभु के भक्ति आन्दोलन के समय में यह मंत्र अत्यधिक प्रसिद्ध हो गया । यह मंत्र संस्कृत के तीन शब्दों “हरे", “कृष्ण" और “राम", से बना है। 1960 के दशक के बाद से, सनातन हिन्दू धर्म के एक प्रसिद्ध गौडीय वैष्णव गुरु तथा धर्मप्रचारक स्वामी श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद और उनके आंदोलन, ‘अंतर्राष्ट्रीय कृष्ण चेतना संघ’ (International Society for Krishna Consciousness (ISKCON), जिसे आमतौर पर “हरे कृष्ण" आंदोलन के रूप में जाना जाता है, ने इस शक्तिशाली मंत्र को देश की सीमाओं से परे भी फैला दिया।
इस मंत्र की अनेक व्याख्याएँ हैं, जिनमें से सभी को सही माना जा सकता है। एक व्याख्या के अनुसार, मंत्र में “हरे" शब्द की व्याख्या श्री हरि (विष्णु) के सम्बोधन रूप के रूप में की जा सकती है, जिसका अर्थ होता है, “वह जो भ्रम को दूर करता है"।
“हरे”शब्द की एक अन्य व्याख्या श्री कृष्ण की शाश्वत पत्नी या उनकी ऊर्जा “श्री राधा रानी” को भी संबोधित करती है। श्रील भक्तिवेदांत प्रभुपाद जी के अनुसार, “हरे”शब्द में निहित “हर” ‘भगवान के व्यक्तित्व की सर्वोच्च शक्ति’ को संदर्भित करता है, जबकि कृष्ण और राम शब्द, स्वयं सर्वोच्च भगवान का उल्लेख करते हैं। अतः इसका अर्थ हो जाता है, “वह जो सर्व-आकर्षक है” और “वह जो आनंद का स्रोत है ”।
कुरुक्षेत्र युद्ध के बाद श्री कृष्ण की प्रशंसा में भीष्म द्वारा बोले गए श्लोक विष्णु सहस्रनाम में कृष्ण को राम भी कहा गया है। कभी-कभी यह माना जाता है कि “हरे राम" में “राम" का अर्थ “राधारमण" अर्थात राधा के प्रिय (श्री कृष्ण का दूसरा नाम) है। हालांकि अधिक सामान्य व्याख्या यह है कि “राम” शब्द रामायण के श्री राम को संदर्भित करता है , जो कृष्ण के ही एक अवतार थे। भक्तों द्वारा इस मंत्र को भजन के तौर पर सामूहिक रूप से कीर्तन के रूप में भी गाया जा सकता है, या तुलसी से बनी प्रार्थना की माला लेकर मन ही मन इसका जाप भी किया जा सकता है।
मान्यता है कि “हरे राम हरे कृष्ण" एक पवित्र मंत्र है जो भक्तों (इसका जाप करने वालों) के जीवन की कठिनाइयों को दूर करने में मदद कर सकता है। इसका पहली बार उल्लेख एक प्राचीन भारतीय ग्रंथ ‘कलिसन्तरणोपनिषद’ में किया गया था, जिसमें जन्म और मृत्यु के चक्र से बाहर निकलने के मार्ग प्रशस्त किये गए हैं। शास्त्रों के अनुसार, इस मंत्र का जाप करने से मनुष्य, को वर्तमान युग (कलियुग ) के नकारात्मक प्रभावों से ऊपर उठने की शक्ति मिलती है।
पहली बार इस मंत्र को चैतन्य महाप्रभु ने लगभग 1500 ईसवी में लोकप्रिय किया था। उन्होंने हरिनाम को दुनिया के हर शहर और गांव में फैलाने का संकल्प लिया था। अपने मिशन के लिए उन्होंने पूरे भारत ( विशेषतौर पर बंगाल और ओडिशा के क्षेत्रों) में यात्रा की। बाद में स्वामी प्रभुपाद जी ने अपने गुरु, श्रील भक्तिसिद्धांत सरस्वती के आदेश पर, श्री चैतन्य महाप्रभु की शिक्षाओं को अकेले ही पश्चिमी दुनिया में फैलाने का संकल्प लिया। माना जाता है कि 1965 में न्यूयॉर्क (New York) शहर से शुरुआत करते हुए, उन्होंने अपने जीवन के अंतिम ग्यारह वर्षों में चौदह बार दुनिया का चक्कर लगाया था। इस प्रकार उन्होंने ‘हरे कृष्ण' महामंत्र को दुनिया के कई हिस्सों में एक प्रसिद्ध वाक्यांश बना दिया।
आज हरे कृष्ण मंत्र दुनियाभर के कई प्रसिद्ध गायकों के गीतों में भी सुनाई देता है। यह मंत्र हिंदू धर्म को अपनाने वाले अंग्रेजी गीतकार जॉर्ज हैरिसन (George Harrison) के गीतों में प्रमुखता से दिखाई देता है। उनका पहला एकल गीत “माई स्वीट लॉर्ड” (My Sweet Lord) वर्ष 1970-71 में दुनिया भर की संगीत सूची में शीर्ष पर रहा। दुनिया भर में इसकी 10 मिलियन से अधिक प्रतियां बिकीं। जॉर्ज, भगवान श्री कृष्ण की शिक्षाओं में बहुत अधिक रुचि रखते थे और बाद में वह आजीवन उनके भक्त बन गए।
जॉर्ज ने 1960 के एक अंग्रेजी रॉक बैन्ड ‘बीटल्स’ (Beatles) में रहते हुए भी भगवान कृष्ण की महिमा में कई गीत लिखे थे। अपनी एल्बम के माध्यम से उन्होंने श्री कृष्ण के प्रति अपनी भक्ति को सार्वजनिक रूप से फैलाया। इस गीत के माध्यम से ऐसा पहली बार हुआ था, जब किसी गीतकार ने पश्चिमी संगीत में भगवान कृष्ण के लिए गीत लिखा था। जॉर्ज ने धार्मिक सद्भाव दिखाने के लिए गाने में हरे कृष्ण मंत्र के साथ “ हैलिलुय” (Hallelujah) शब्द भी जोड़ा। इस गीत ने एक तरह से चैतन्य महाप्रभु की भविष्यवाणी को सत्य साबित कर दिया था, जिन्होंने कहा था कि “भविष्य में श्री कृष्ण का नाम हर शहर और हर गाँव में गूंजेगा।” कृष्ण को समर्पित अपने गीतों के माध्यम से जॉर्ज ने वह मुकाम हासिल किया, जिसे गिने-चुने लोग ही अपने जीवनकाल में हासिल कर पाते हैं। उन्होंने हरे कृष्ण मंत्र के जाप के साथ ही 29 नवंबर 2001 के दिन अपने नश्वर शरीर को त्याग दिया।
संदर्भ
https://bit.ly/3IGj6GR
https://bit.ly/3ybO7xj
चित्र संदर्भ
1. चैतन्य महाप्रभु को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)
2. कोयम्बटूर, तमिलनाडु, भारत में नवरात्रि के दौरान इस्कॉन द्वारा आयोजित भजनों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कुरुक्षेत्र युद्ध में श्री कृष्ण एवं भीष्म को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. चैतन्य महाप्रभु को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. 1996 में मुकुंद गोस्वामी के साथ जॉर्ज हैरिसन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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