सोन चिरैया, भारत के सबसे बड़े पक्षी की आबादी में गिरावट का प्रमुख कारण हैं ओवरहेड बिजली लाइनें

पंछीयाँ
01-03-2023 09:10 AM
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सोन चिरैया, भारत के सबसे बड़े पक्षी की आबादी में गिरावट का प्रमुख कारण हैं ओवरहेड बिजली लाइनें

भारत में पक्षी प्रजातियों की एक महत्वपूर्ण विविधता देखने को मिलती है तथा इनमें से एक महत्वपूर्ण प्रजाति ‘द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड’ (The Great Indian Bustard) है, जिसे सोन चिरैया के नाम से भी जाना जाता है। मध्य और पश्चिमी भारत के मैदानी इलाकों में पाया जाने वाला यह एकमात्र बड़ा पक्षी, भारत में पाया जाने वाला सबसे बड़ा पक्षी भी है। चूंकि इसकी पूंछ छोटी, पंख चौड़े और गर्दन लंबी होती है, इसलिए इसे आसानी से पहचाना जा सकता है। यह एक मात्र ऐसा पक्षी है, जो बहुत अधिक वजन होने के बावजूद उड़ सकता है। यह दुनिया के सबसे दुर्लभ पक्षियों में शामिल है। यदि इसकी शारीरिक संरचना की बातकी जाए, तो इसका शरीर क्षैतिज , पैर लंबे तथा गर्दन एस (S) आकार की होती है। इसके शरीर के ऊपरी पंख भूरे काले रंग के होते हैं और पेट सफेद होता है। इसकी गर्दन पर काली और सफेद रंग की धारियां होती हैं तथा सिर पर काले रंग की मुकुट जैसी संरचना मौजूद होती है। इस मुकुट जैसी संरचना पर काली शिखाएं देखी जा सकती हैं। इसकी चोंच लंबी तथा नुकीली होती है तथा इसके पंखों पर सफेद रंग के धब्बे होते हैं जो उड़ते समय स्पष्ट रूप से देखे जा सकते हैं। इस प्रजाति की एक प्रमुख विशेषता यह है कि यह यौन द्विरूपता प्रदर्शित करती है। नर पक्षी मादाओं की तुलना में काफी बड़े होते हैं और उनके शरीर के वजन और आकार में काफी अंतर होता है। नर पक्षी का वजन औसतन लगभग 18 किलोग्राम होता है, जबकि मादा पक्षी का वजन औसतन लगभग 7 किलोग्राम होता है। द ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी पूरे उत्तर-पश्चिम भारत, नेपाल और पाकिस्तान में खुले घास वाले मैदानों में पाया जा सकता है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड पक्षी मुख्य रूप से वानस्पतिक पदार्थ खाते हैं। ये पक्षी घास, जड़ी-बूटी और बाजरा, दाल और तिलहन जैसी फसलों के बीजों को खाते हैं । कभी-कभी ये पक्षी छोटे जीवों और कीड़ों को भी खाते हैं। राजस्थान में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को स्थानीय लोगों द्वारा पूजा जाता है, और इन्हें "भगवान का पक्षी" भी कहा जाता हैं। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड एक बहुसहचर प्रजाति है, जिसमें प्रत्येक नर प्रायः कई मादाओं के साथ संभोग करता है। संभोग की अवधि आमतौर पर मार्च और सितंबर के बीच होती है। नर पक्षी समूहों में इकट्ठा होते हैं और संभोग के लिए मादाओं को आकर्षित करने का प्रयास करते हैं। इस पक्षी के अंडो का आकार पत्थरों की तरह होता है , जो इन्हें शिकारियों से बचाने में बहुत मदद करता है।
बड़े पैमाने पर शिकार, निवास स्थान के विनाश, कृषि विस्तार और विकास परियोजनाओं के कारण ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की आबादी में निरंतर गिरावट आ रही है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को ‘प्रकृति के संरक्षण के अंतर्राष्ट्रीय संघ’ (International Union for Conservation of Nature (IUCN) की लाल सूची में गंभीर रूप से संकटग्रस्त पक्षी के रूप में सूचीबद्ध किया गया है। एक समय ऐसा था, जब मध्य भारत के विशाल शुष्क घास के मैदानों में यह पक्षी खूब दिखाई देता था, किंतु हाल के दशकों में इनकी संख्या में अत्यधिक गिरावट आई है। ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या में गिरावट का एक प्रमुख कारण उच्च वोल्टेज (Voltage) वाले बिजली के तार भी हैं। बिजली के ये तार अक्सर उन क्षेत्रों से होकर गुजरते हैं, जहां पर इन पक्षियों के आवास मौजूद होते हैं । परिणामस्वरूप, उच्च वोल्टेज वाले तार इनके प्राकृतिक आवास स्थान को नष्ट कर देते हैं। उड़ते समय कई बार यह पक्षी इन तारों से टकरा जाता है, जिसकी वजह इनकी मौत हो जाती है। 2021 में सर्वोच्च न्यायालय ने यह आदेश दिया था कि जहां पर भी ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के प्राकृतिक आवास स्थल मौजूद हैं, वहां पर कम वोल्टेज वाली बिजली लाइनों को भूमिगत रूप से बिछाया जाए । आदेश के अनुसार, राजस्थान और गुजरात के थार और कच्छ के रेगिस्तान में प्रस्तावित बिजली लाइनों की लंबाई के लगभग 10% हिस्से को भूमिगत किया जाना था । साथ ही लगभग 7,200 किमी की ओवरहेड बिजली के तारों को सौर ऊर्जा ग्रिड में स्थानांतरित किया जाना था, किंतु बिजली कंपनियों ने अभी तक इस आदेश का पालन नहीं किया है, जिसकी वजह से ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या दिन प्रति दिन गिरती जा रही है। भारत में अब केवल 150 पक्षी ही शेष बचे हैं,जिनमें से अधिकांश राजस्थान के जैसलमेर में मौजूद हैं। केंद्र के ‘नवीन और नवीकरणीय ऊर्जा मंत्रालय’ (Ministry of New and Renewable Energy (MNRE) द्वारा समर्थित, निजी और सार्वजनिक बिजली कंपनियों ने यह तर्क दिया है कि सभी ओवरहेड लाइनों को भूमिगत करना महंगा और अव्यावहारिक होगा। इससे सौर ऊर्जा की लागत में काफी वृद्धि होगी, इसलिए सभी ओवरहेड लाइनों को भूमिगत नहीं किया जा सकता है। केंद्र ने अब तक लगभग 39,000 मेगावाट की क्षमता वाली सौर परियोजनाओं के विकास को मंजूरी दी है, लेकिन वास्तव में अब तक केवल एक चौथाई परियोजनाओं को ही शुरू किया गया है। चूंकि ग्रेट इंडियन बस्टर्ड का वजन काफी होता है, इसलिए उसे ओवरहेड लाइनों से बचने में काफी दिक्कत होती है। आशंका है कि यदि ओवरहेड लाइनों को भूमिगत नहीं किया जाता है, तो ग्रेट इंडियन बस्टर्ड की संख्या और भी कम हो जाएगी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3SuYkyi
https://bit.ly/3m9jKVT

चित्र संदर्भ
1. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. त्रिची संग्रहालय में ग्रेट इंडियन बस्टर्ड के नमूने को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. उड़ते हुए ग्रेट इंडियन बस्टर्ड को दर्शाता एक चित्रण (Rawpixel)
5. बिजली की लाइनों को दर्शाता एक चित्रण (Needpix)

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