भारत में बढ़ रही है, एंटीबायोटिक दवाओं की अंधाधुंध प्रणालीगत खपत

विचार 2 दर्शनशास्त्र, गणित व दवा
16-11-2022 11:47 AM
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भारत में बढ़ रही है, एंटीबायोटिक दवाओं की अंधाधुंध प्रणालीगत खपत

वर्तमान परिदृश्य में दवाओं का प्रयोग करना हमारी दैनिक दिनचर्या का अहम् हिस्सा बन गया है। लेकिन आज हम बिना उन दवाओं के वास्तविक उपयोग और गुणों को सोचे समझे किसी भी दवा का सेवन किये जा रहे हैं। यही कारण है की आज दुनिया भर में रोगाणुरोधी प्रतिरोध की उच्चतम दर भारत में ही देखी जा रही है। लापरवाही हर जगह है क्यों की प्रिस्क्रिप्शन दवाएं (Prescription Drugs) होने के बावजूद, खुदरा फार्मेसियों में एंटीबायोटिक्स आमतौर पर ओवर-द-काउंटर (OTC)आसानी से उपलब्ध हैं।
द लैंसेट रीजनल हेल्थ-साउथ ईस्ट एशिया (The Lancet Regional Health-SouthEast Asia) में प्रकाशित एक नए अध्ययन के अनुसार, वर्ष 2019 में भारत के निजी क्षेत्र में उपयोग किए जाने वाले 47% से अधिक एंटीबायोटिक फॉर्मूलेशन (Antibiotic Formulations) केंद्रीय दवा नियामक द्वारा अनुमोदित नहीं थे। इसके अतिरिक्त, शोध में पाया गया है कि वर्ष के दौरान एज़िथ्रोमाइसिन 500 मिलीग्राम टैबलेट (Azithromycin 500 mg Tablet) भारत में सबसे अधिक खपत वाला एंटीबायोटिक फॉर्मूलेशन था, इसके बाद सिफिक्साईम 200 मिलीग्राम टैबलेट (Cefixime 200 mg tablet) था। दिलचस्प बात यह है कि शोधकर्ताओं ने पिछले अनुमानों की तुलना में एंटीबायोटिक दवाओं की खपत दर में कमी दर्ज की, लेकिन व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक दवाओं की सापेक्ष खपत बहुत अधिक थी। अध्ययन से पता चलता है कि आवश्यक दवाओं की राष्ट्रीय सूची (एनएलईएम) में सूचीबद्ध फॉर्मूलेशन ने 49% योगदान दिया, जबकि फिक्स्ड-डोज़ कॉम्बिनेशन (Fixed-dose combination (FDC) ने 34% का योगदान दिया, और अस्वीकृत फॉर्मूलेशन 47.1% थे। एफडीसी की एक खुराक के रूप में दो या दो से अधिक सक्रिय दवाओं का संयोजन होता है। अध्ययन में पाया गया की "केंद्रीय रूप से अस्वीकृत फॉर्मूलेशन कुल डीडीडी के 47.1% (2,408 मिलियन) के लिए जिम्मेदार हैं। सेफलोस्पोरिन, मैक्रोलाइड्स और पेनिसिलिन (Cephalosporins, Macrolides and Penicillins) अस्वीकृत योगों में शीर्ष तीन एंटीबायोटिक वर्ग थे। विशेषज्ञों के अनुसार एंटीबायोटिक दवाओं का अनुचित उपयोग भारत में एंटीबायोटिक प्रतिरोध का एक महत्वपूर्ण चालक है। अधिकांश एंटीबायोटिक दवाओं की अत्यधिक अप्रतिबंधित ओवर-द-काउंटर बिक्री, कई एफडीसी का निर्माण और विपणन तथा राष्ट्रीय और राज्य-स्तरीय एजेंसियों के बीच नियामक शक्तियों में ओवरलैप (Overlap in Regulatory Powers), देश में एंटीबायोटिक दवाओं की उपलब्धता, बिक्री और खपत को जटिल बनाता है। एक शोध अध्ययन में पाया गया है कि भारत में रोग पैदा करने वाले जीवाणुओं की एक विस्तृत श्रृंखला के खिलाफ कार्य करने वाले व्यापक स्पेक्ट्रम (Spectrum) में एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग अधिक होता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस प्रकार ये एंटीबायोटिक्स अप्रभावी हो सकते हैं क्योंकि इससे बैक्टीरिया दवा के प्रति प्रतिरोध विकसित कर लेता है।
डॉक्टर सुरक्षा अभ्यास के रूप में रक्त, स्वैब, थूक या मूत्र परीक्षण की अनुपस्थिति में व्यापक स्पेक्ट्रम एंटीबायोटिक दवाओं का उपयोग करते हैं। एज़िथ्रोमाइसिन और डॉक्सीसाइक्लिन (Azithromycin and Doxycycline) कुछ सबसे अधिक इस्तेमाल किए जाने वाले एंटीबायोटिक हैं, जिन्हें कभी-कभी डॉक्टर के पर्चे के बिना भी ले लिया जाता है। बचाव के तौर पर "लोगों को डॉक्टर के सुझाव या पर्चे के बिना एंटीबायोटिक्स नहीं खरीदनी चाहिए। अपने डॉक्टर को हर छोटे बुखार या खांसी के लिए एंटीबायोटिक लिखने के लिए मजबूर न करें क्योंकि इनमें से अधिकतर वायरल बीमारियां होती हैं, जिन्हें एंटीबायोटिक्स की आवश्यकता नहीं होती है। जानकारों के अनुसार सरकार को एंटीबायोटिक दवाओं के निश्चित खुराक संयोजन को विनियमित करना चाहिए, जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (World Health Organization) द्वारा भी हतोत्साहित किया जाता है। इनमें से अधिकांश संयोजन केंद्रीय दवा नियामक निकाय द्वारा अनुमोदित नहीं हैं, लेकिन राज्य दवा प्राधिकरण की मंजूरी के आधार पर इनका विपणन किया जाता है। हालांकि अध्ययन में यह भी पाया गया कि एंटीबायोटिक दवाओं की प्रति व्यक्ति खपत पहले की रिपोर्ट की तुलना में कम थी।
प्रिस्क्रिप्शन दवाएं होने के बावजूद, खुदरा फार्मेसियों (Retail Pharmacies) में एंटीबायोटिक्स आमतौर पर ओवर-द-काउंटर (OTC) उपलब्ध हैं। एंटीबायोटिक दवाओं के लिए ओटीसी प्रथाओं के लिए सरकार, प्रिस्क्राइब, अनौपचारिक प्रदाताओं, वैकल्पिक चिकित्सकों द्वारा गलत अभ्यास और उपभोक्ता मांग को दोष दिया जाता है। इसलिए, एंटीबायोटिक दवाओं के अनुचित उपयोग को रोकने के लिए एक व्यापक रणनीति की आवश्यकता है जो राष्ट्रीय कार्य योजना-एएमआर के तहत गतिविधियों के साथ अच्छी तरह से मेल खाती हों। भारत में ओटीसी एंटीबायोटिक वितरण को कम करने के लिए फार्मेसियों, प्रेस्क्राइबर्स के साथ-साथ उपभोक्ताओं पर डिस्पेंसर (Dispenser) को लक्षित करने के प्रयासों की तत्काल आवश्यकता है। एंटीबायोटिक्स की ओटीसी बिक्री से निपटने के लिए एक सिस्टम-उन्मुख दृष्टिकोण (Systems-Oriented Approach) अपनाने की आवश्यकता है, क्योंकि केवल खुदरा फार्मेसियों पर लक्षित हस्तक्षेपों से स्थिति को हल नहीं किया जा सकता है।

संदर्भ
​​https://bit.ly/3hDmNDn
https://bit.ly/3A9JkxO
https://bit.ly/3hCU0Po

चित्र संदर्भ
1. अस्पताल के दृश्य को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. मेडिकल स्टोर को दर्शाता एक चित्रण (PixaHive)
3. फिक्स्ड-डोज़ कॉम्बिनेशन को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
4. एज़िथ्रोमाइसिन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. खुदरा फार्मेसी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)

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