समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 960
मानव व उसके आविष्कार 743
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
Post Viewership from Post Date to 12- Mar-2022 (31st) | ||||
---|---|---|---|---|
City Subscribers (FB+App) | Website (Direct+Google) | Total | ||
9773 | 9773 |
विनाशकारी भूकंप का असर केवल जमीन पर ही नहीं वरन विशालकाय समुद्र की गहराइयों में भी देखने को मिलता है। आज से पहले दुनियां में कई ऐसी विनाशकारी घटनाएं घट चुकी हैं, जब समुद्री भूकंप या अन्य कारकों ने उग्र सुनामियों को जन्म दिया है जिसमें केवल एक ही बार में लाखों लोगों की जान चली गई थी।
शक्तिशाली लहरों की ये श्रृंखला (सुनामी) तभी विनाशकारी होती है जब यह लोगों और उनकी आजीविका के रास्ते में आ जाए। अर्थात सुनामी के प्रभाव को मापने के लिए आपको लहर के आकार को नहीं, बल्कि मानव पीड़ा के स्तर को मापना चाहिए।
वास्तव में, अब तक सबसे बड़ी सुनामी लहर 1958 में जुलाई की ठंडी रात में अलास्का में एक शांत फ्जोर्ड (fjord), लिटुआ खाड़ी (Lituya Bay) के ऊपर दर्ज की गई। इस दौरान भूकंप के बाद, 1,720 फुट उंची सुनामी उठी। इस बड़े झटके ने लगभग 30.6 मिलियन क्यूबिक मीटर चट्टान को 3,000 फीट लिटुआ ग्लेशियर में गिरा दिया, जिससे विस्थापित पानी की एक धार ऊपर उठ गई और एक राक्षसी लहर बन गई। हालांकि इसने चमत्कारिक रूप से केवल पांच लोगों की जान ली। हालांकि किवदंतियों और वैज्ञानिक रिकॉर्ड में अलास्का की खाड़ी सुनामी के लिए कोई अजनबी जगह नहीं है। वास्तव में लिटुआ खाड़ी का आकार सुनामी के उठने और गिरने के लिए एकदम सही वातावरण बनाता है। 1958 में लिटुआ खाड़ी के आसपास के जंगल में प्रलयकारी लहर ने जो नुकसान किया, उसका सबूत अभी भी लैंडसैट (Land Satellite) के साथ दिखाई देता है। अलास्का तट के इस हिस्से के आसपास का विश्वासघाती पानी नाविकों के लिए एक प्रसिद्ध जोखिम है। यहां धाराएँ कभी-कभी 14 मील प्रति घंटे की रफ़्तार तक भी पहुँच जाती हैं। हालांकि एम्पायर स्टेट बिल्डिंग (Empire State Building) से भी ऊंची लहरों के बावजूद, 1958 की भयानक लहर सबसे विनाशकारी नहीं थी। और उस विनाशकारी रिकॉर्ड को 2004 के दौरान हिंद महासागर में आई सुनामी ने तोड़ा।
दरसल 26 दिसंबर 2004 को रिक्टर स्केल (Richter scale) पर 9.3 से अधिक की तीव्रता वाले भूकंप के कारण पानी की एक सुरंग बन गई। जिसके बाद आई विनाशकारी सुनामी ने दक्षिण पूर्वी, दक्षिणी एशिया तथा पूर्वी और दक्षिण अफ्रीका के 17 देशों को प्रभावित करते हुए 3,000 मील की दूरी तय की। लगभग 230,000 लोगों की मृत्यु और $ 10 बिलियन से अधिक के नुकसान के साथ, यह आधुनिक दुनिया की सबसे विनाशकारी आपदाओं में से एक मानी जाती है।
पृथ्वी पर आमतौर पर सुनामी तब उत्पन्न होती है, जब समुद्र तल के पास भूकंप बड़ी मात्रा में पानी को विस्थापित कर देता है। यह भूकंप पानी को तरंगों की एक श्रृंखला के रूप में बाहर की ओर धकेल देता है जो सभी दिशाओं में बाहर की ओर गति करने लगती है। समुद्र के भीतर ज्वालामुखी विस्फोट, भूस्खलन और यहां तक कि उल्कापिंड भी सूनामी को भड़का सकते हैं। समुद्र के बाहर, सुनामी की लहरें हज़ारों मील लंबी हो सकती हैं और जेट विमान (Jet Plane) की गति से अधिक 500 मील प्रति घंटे तक यात्रा कर सकती हैं। जब लहरें जमीन के पास आती हैं, तो वे लगभग 20 या 30 मील प्रति घंटे की रफ्तार से धीमी हो जाती हैं और ऊंचाई में बढ़ने लगती हैं। जब सुनामी तट पर आती है, तो समुद्र तल से 25 फीट से कम और समुद्र के एक मील के भीतर के क्षेत्र सबसे बड़े खतरे में होते हैं। देखने पर सुनामी पानी की दीवार या तेजी से बढ़ती बाढ़ की तरह लग सकती है।
केवल पृथ्वी ही नहीं बल्कि शोधकर्ताओं का कहना है कि लाल ग्रह मंगल पर विशाल, धीमी गति से चलने वाली तरंगों के अस्तित्व का प्रमुख कारण, प्राचीन मंगल ग्रह पर आई एक सुनामी हो सकती है। यह भी हो सकता है कि मंगल ग्रह में तटरेखा को बहुत पहले इन बड़ी लहरों ने ही उकेरा हो। यदि ऐसा है, तो इन तट रेखाओं का अध्ययन प्राचीन मंगल ग्रह की जलवायु पर प्रकाश डाल सकता है, जैसे कि लाल ग्रह पर संभावित रूप से जीवन के विकसित होने के लिए पर्याप्त समुद्र थे या नहीं?
हालाँकि मंगल अब इतना ठंडा और शुष्क है कि तरल पानी इसकी सतह पर बहुत लंबे समय तक टिक सकता है। 1970 के दशक की शुरुआत में नासा के मैरिनर 9 मिशन (Mariner 9 Mission) की कक्षीय छवियों और उसके बाद से कई अन्य निष्कर्षों से पता चलता है कि लाल ग्रह का अधिकांश भाग कभी, नदियों में ढंका हुआ था। लेकिन शोधकर्ता अभी भी लाल ग्रह पर प्राचीन समुद्रों के अस्तित्व और विस्तार पर बहस ही कर रहे हैं। इसका प्रमुख कारण है की, प्राचीन मंगल ग्रह का वातावरण कैसा था, इस बारे में बहुत कुछ स्पष्ट नहीं है। उस अनिश्चितता के कारण, लाल ग्रह की जलवायु लंबे समय तक इसकी सतह पर तरल पानी को बनाए रखने में सक्षम थी या नहीं, इस बारे में भी कई सवाल बने हुए हैं।
एक अनुत्तरित प्रश्न यह भी है कि क्या लाल ग्रह पर तटरेखाओं को वहां के महासागरों की लहरों ने काट दिया होगा। यदि ऐसा लहरों ने किया, तो इन पिछली तट रेखाओं के संकेतों को उजागर करने से मंगल ग्रह पर प्राचीन समुद्रों के मामले को मजबूत किया जा सकता है और इस पर भी प्रकाश डाला जा सकता है की प्राचीन मंगल ग्रह का वातावरण कैसा था।
मंगल के साथ ही एजीयू के जर्नल, जियोफिजिकल रिसर्च लेटर्स (AGU's Journal Geophysical Research Letters) में नए अध्ययन से पता चलता है कि बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमा, जिन्हें सामूहिक रूप से गैलीलियन चंद्रमाओं के रूप में जाना जाता है, एक बड़े ग्रह की तुलना में एक-दूसरे के ज्वार के प्रवाह में बड़ी भूमिका निभा सकते हैं। क्योंकि वे ज्वार नामक घटना के कारण ही परिक्रमा करते हैं।
पिछला शोध बताता है कि बृहस्पति के चार सबसे बड़े चंद्रमाओं में से तीन (यूरोपा, गेनीमेड और कैलिस्टो “Europa, Ganymede and Callisto”) में उनके बर्फीले क्रस्ट के नीचे विशाल तरल जल महासागर मौजूद हैं। चौथे चंद्रमा, आयो में लावे का महासागर हो सकता है। चंद्रमाओं के बीच इस नए खोजे गए संबंध का मतलब है कि शोधकर्ताओं को अपनी समझ पर पुनर्विचार करना पड़ सकता है कि ये महासागर वाले चंद्रमा आखिर कैसे विकसित हुए?
संदर्भ
https://bit.ly/3gZpWNt
https://bit.ly/3foVuvN
https://bit.ly/3TQg5Is
https://bit.ly/3Wh1DL2
चित्र संदर्भ
1. मंगल और बृहस्पति के चांदो को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. लिटुआ खाड़ी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. 1958 लिटुआ बे मेगात्सुनामी रन-अप (अधिकतम ऊंचाई), प्रसिद्ध विश्व संरचनाओं (बुर्ज खलीफा, एम्पायर स्टेट बिल्डिंग और एफिल टॉवर) की तुलना में। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. क्षुद्रग्रह हमले से वैश्विक सुनामी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. जेज़ेरो क्रेटर का नया स्थलाकृतिक मानचित्र - मंगलको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
6. बृहस्पति के चार गैलीलियन चंद्रमाओ को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.