बहुपयोगी घिरनी का विवादित इतिहास

वास्तुकला 2 कार्यालय व कार्यप्रणाली
13-10-2022 10:21 AM
Post Viewership from Post Date to 18- Oct-2022 (5th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
220 1 221
बहुपयोगी घिरनी का विवादित इतिहास

भारत में एक कहावत बेहद प्रसिद्ध है की "बूंद-बूंद से घड़ा भरता है" लेकिन इसमें बहुत समय लगता है, किंतु "घिरनी" से यह घड़ा कई गुना जल्दी भर जाता है। दरसल आज हम मानवता पर वजन के बोझ को दूर करने वाले एक उपकरण "घिरनी" या "चरखी" के बारे में जानेंगे, जिसका प्रयोग न केवल कुएं से पानी के घड़ों को भरने के लिए किया गया, बल्कि इस छोटी सी किंतु क्रांतिकारी खोज ने असंभव प्रतीत होने वाले कई अविश्वसनीय यांत्रिक कार्यों को भी संभव कर दिया। चलिए जानते हैं कैसे?
चरखी या घिरनी (pulley) एक ऐसा उपकरण है जिसमें एक पहिये और रस्सी या जंजीर की सहायता से भारी वस्तुओं भी आसानी से बिना अधिक ज़ोर लगाए खींचा जा सकता है। यह एक साधारण मशीन है, जिसका उपयोग भारी वस्तुओं को उठाने के लिए किया जाता है। ब्लॉक एंड टैकल सिस्टम (block and tackle system) चरखी का एक संशोधित रूप है। इसकी परिधि पर एक चैनल के साथ एक पहिया होता है, जिसके माध्यम से एक रस्सी गुजरती है जो केंद्रीय अक्ष पर घूमती रहती है। घिरनी का सबसे पहला प्रमाण प्राचीन मिस्र में बारहवें राजवंश (1991-1802 ईसा पूर्व) और मेसोपोटामिया में दूसरी सहस्राब्दी ईसा पूर्व की शुरुआत में मिलता है। रोमन मिस्र में, अलेक्जेंड्रिया के हीरोन “Hiron of Alexandria” (सी. 10-70 सीई) ने चरखी को वजन उठाने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली छह सरल मशीनों में से एक के रूप में पहचाना।
इसके उपयोग का एकमात्र ऐतिहासिक नोट प्लूटार्क (Plutarch) का मिलता है, जिन्होंने अपने काम पैरेलल लाइव्स (parallel lives) में बताया कि, आर्किमिडीज (Archimedes) ने सिराक्यूज़ के राजा हिरोन (King Hiron of Syracuse) को एक पत्र में यह दावा किया कि “वह बल लगाकर किसी भी वजन को हिला सकता था।” हिरोन ने चकित होकर आर्किमिडीज को इसका प्रदर्शन करने के लिए कहा। उन्होंने राजा की नौसेना के एक जहाज को खींचने का आदेश दे दिया, क्योंकि हिरोन का मानना ​​​​था कि बहुत कठिन प्रयास और कई लोगों द्वारा एक साथ मिलकर भी इसे मुख्य बेसिन से हटाया नहीं जा सकता है। प्लूटार्क के अनुसार, उस समय कई यात्रियों के साथ जहाज को लोड करने के बाद, आर्किमिडीज कुछ दूरी पर बैठ गए और, रस्सी खींचकर बिना किसी प्रयास के जहाज को पानी से सीधे और स्थिर रूप से उठा लिया।
यह विवरण 17वीं शताब्दी ईसा पूर्व का है और एक शहर के स्वर्ण युग का एक ज्वलंत उदाहरण है जो 1600 ईसा पूर्व के दशक की शुरुआत में विकसित होना शुरू हुआ था।
हालांकि आमतौर पर यह माना जाता है कि 1900 ईसा पूर्व के आसपास प्राचीन मिस्र में घिरनी का उपयोग किया जाता था। लेकिन हड़प्पा में जटिल शहरी परिदृश्य और सामान्य प्रौद्योगिकियों को देखते हुए, संभावना जताई जा रही है कि इसका उपयोग वहां भी किया गया था। दरसल दक्षिणी कर्नाटक के प्राचीन कुंतला क्षेत्र में 600 ईसा पूर्व - 450 ईसा पूर्व के बीच के दुर्लभ सिक्के मिले हैं। सिक्के एक बड़े केंद्रीय चरखी, तीन पुली (Pulley) के माध्यम से एक रस्सी थ्रेडिंग (rope threading) के साथ और दो छोटे पुली के साथ पुली की एक जटिल प्रणाली दिखाते हैं। केरल में एडक्कल गुफाएं भी इसी तरह की क्रिस-क्रॉसिंग लाइनों (criss-crossing lines) पर आधारित अघोषित लिपि दिखाती हैं।
कुंतल सिक्कों में दिखाई गयी जटिल घिरनी कम से कम 3 का यांत्रिक लाभ प्रदान करती हैं। इन चांदी के सिक्कों में हाइलाइट करने के लिए यह एक महत्वपूर्ण पर्याप्त प्रगति रही होगी। हालांकि दुर्भाग्य से पश्चिमी लेख आर्किमिडीज के सरल मशीनों पर किए गए कार्य का ही गुणगान करते हैं, जो दुनिया के अन्य हिस्सों जैसे भारत के योगदान को अस्पष्ट कर देते है। दक्षिण भारत में महापाषाण संरचनाएं आमतौर पर 4000-3000 वर्ष पुरानी मानी जाती हैं। कर्नाटक, आंध्र, तेलंगाना, तमिलनाडु और केरल में कई स्थलों पर मेनहीर, डोलमेंस और पत्थर के घेरे की खोज की गई है। दक्षिणी भारत ने 2000 ईसा पूर्व में लोहे के निर्माण में विशेषज्ञता साबित कर दी थी। घिरनी को संभवतः नारियल के मजबूत रेशेदार भूसी से निर्मित भारी कॉयर रस्सियों (coir ropes) द्वारा संचालित किया जाता था, जो आमतौर पर प्राचीन भारत में उपयोग किया जाता था। जानकार मानते है की महाजनपद काल, और पूरे भारत में शहरीकरण, और बड़े मंदिरों और भवनों के निर्माण ने ऐसी चरखी प्रणालियों सहित कई तकनीकों का उपयोग किया होगा।

सन्दर्भ
https://bit.ly/3SNPMlv
https://bit.ly/3SNQQWv
https://bit.ly/3ejaDhB

चित्र संदर्भ
1. बहुपयोगी घिरनी को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. गन टैकल में फिक्स्ड और मूविंग ब्लॉक दोनों में एक सिंगल पुली होती है, जिसमें दो रोप पार्ट्स लोड W को सपोर्ट करते हैं। को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कम्पेन शहर में ली गई दो पुलियों की तस्वीर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. घिरनी की सहायता से हाथी को खींचते लोगों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. कुंतल सिक्कों में दिखाई गयी जटिल घिरनी को दर्शाता एक चित्रण (twitter)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.