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माना जाता है, की भारत में इस्लाम का आगमन करीब सातवीं शताब्दी में हुआ था और आज यह भारत
की सांस्कृतिक और धार्मिक विरासत का एक अभिन्न अंग बन गया है। लेकिन क्या आप यह जानते हैं
की भारत में सबसे पहली कार्यात्मक मस्जिद कहां बनी थी?
भारतीय राज्य केरल के मेथला, कोडुंगल्लूर स्थित चेरामन पेरूमल जुमा मस्जिद को उपमहाद्वीप
की सबसे पुरानी मस्जिद के रूप में जाना जाता है। माना जाता है की इसे 629 सीई में बनाया गया
था, जो इसे भारतीय उपमहाद्वीप में सबसे पुरानी परिवर्तित मस्जिद बनाता है, और यह अभी भी
उपयोग में है। मस्जिद का निर्माण केरल शैली में हैंगिंग लैंप (hanging lamp) के साथ किया गया
था, जिससे इसकी तारीख की ऐतिहासिकता और अधिक पुख्ता हो जाती है।
हालांकि 1504 में पुर्तगालियों द्वारा इस मस्जिद को बर्बाद कर दिया गया था जब लोपो सोरेस डी
अल्बर्गरिया (Lopo Soares de Albergeria) ने कोडुंगल्लूर के बंदरगाह पर हमला किया था।
पुरानी इमारत का निर्माण 1504 डी अल्गाबेरिया के हमले के कुछ समय बाद (यानी 16वीं सदी के
मध्य से 17वीं सदी की शुरुआत तक) किया गया था। आधुनिक गलियारे और हॉल, 1984 में बनाए
गए थे।
दंतकथाओं के अनुसार चेरामन पेरुमल एक बार अरब की तीर्थ यात्रा पर गए थे, जहां जेद्दा में
उनकी मुलाकात इस्लाम धर्म प्रचारक से हुई। उसके बाद चेरामन ने इस्लाम धर्म ग्रहण कर लिया
और अपना नाम तजुद्दीन रख लिया। उनकी शादी जेद्दा के तत्कालीन राजा की बहन से हुई और
वे यहां बस गए। अपनी मृत्यु से पुर्व उन्होंने जेद्दा के राजा को केरल के शासकों के नाम कुछ पत्र
दिए जिसमें केरल में इस्लाम के प्रचार में सहायता करने का अनुरोध किया गया था। इसके बाद
जेद्दा के राजा केरल आए और कोडुंगलुर के राजा से मिले और उन्होंने कोडुंगलुर के राजा की
मस्जिद बनाने में सहायता की।
आज भी मस्जिद में एक पारंपरिक तालाब और एक दीपक भी शामिल है , जो सदैव जलता रहता
है।
माना जाता है कि मस्जिद का जीर्णोद्धार 11वीं सदी में और 300 साल पहले भी किया गया था।
1974 में सामने के हिस्से का विस्तार किया गया और 1984 में इसका और भी अधिक विस्तार
किया गया। गर्भगृह सहित मस्जिद का पुराना हिस्सा अछूता छोड़ दिया गया है और यह अभी भी
संरक्षित है। इस मस्जिद में सभी धर्मों के लोग आते हैं और कई गैर-मुस्लिम यहां अपने बच्चों के
विद्यारंभम (दीक्षा समारोह) आयोजित करते हैं।
पैगंबर मुहम्मद के जीवनकाल के दौरान निर्मित, यह ऐतिहासिक इमारत भारत की ऐतिहासिक,
वास्तुशिल्प के रूप में सबसे आश्चर्यजनक मस्जिदों में से एक है। भारतीय उपमहाद्वीप में आने
वाले इस्लाम के पहले अरब प्रचारकों में से एक मलिक बिन दिनार ने 629 सीई में चेरामन जुमा
मस्जिद का निर्माण किया। मस्जिद की उत्पत्ति के बारे में प्रचलन में कई कहानियों में, सबसे
लोकप्रिय यह भी है कि कैसे क्षेत्र के राजा चेरामन पेरुमल ने इस्लाम को अपनाने और मक्का की
तीर्थ यात्रा करने के लिए अपना सिंहासन छोड़ दिया। मक्का में वर्षों बिताने के बाद, राजा ने घर
लौटने का फैसला किया लेकिन बीमार पड़ गए और रास्ते में ही उनकी मृत्यु हो गई। हालाँकि,
मलिक बिन दिनार और उसके साथियों ने उसकी ओर से राजा की यात्रा पूरी की। वे अपने साथ
चेरामन पेरुमल द्वारा लिखे गए पत्रों की एक श्रृंखला ले गए, जिसमें केरल के स्थानीय शासकों से
क्षेत्र की पहली मस्जिद बनाने की अनुमति मांगी गई थी।
इस मस्जिद का आकार और निर्माण
हिंदुओं ने हिंदू कला और वास्तुशिल्प के आधार पर किया था। मस्जिद के साथ तीन महान इस्लाम
धर्म अनुयायियों की कब्रें भी हैं तथा यह भारत की पहली और विश्व की दूसरी ऐसी जगह है जहां
जुमा नमाज शुरू हुई थी।
अपने प्रभावशाली इतिहास, विशिष्ट केरल-शैली की वास्तुकला और गहरी विरासत के अलावा,
आगंतुकों के लिए इस मस्जिद का मुख्य आकर्षण, एक प्राचीन तेल का दीपक भी है। माना जाता है
कि मस्जिद की उत्पत्ति के बाद (एक हजार से अधिक वर्षों से ) से यह दीपक लगातार जल रहा है।
संदर्भ
https://bit.ly/3DiIphb
https://bit.ly/3DmA77J
https://bit.ly/3BMfMb7
https://bit.ly/3BAd9cc
चित्र संदर्भ
1. केरल में स्थित चेरामन पेरूमल जुमा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. पुरानी मस्जिद के ढांचे को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. चेरामन पेरूमल (बृहदीश्वर मंदिर, तंजावुर) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. काना तांबे की प्लेटों को ग्रहण करते चेरामन पेरूमल को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. सुन्दर चेरामन पेरूमल जुमा मस्जिद को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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