ओपेरा गायन, जो नाटक, शब्द, क्रिया व् संगीत के माध्यम से एक शानदार कहानी प्रस्तुत करती है

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ओपेरा गायन, जो नाटक, शब्द, क्रिया व् संगीत के माध्यम से एक शानदार कहानी प्रस्तुत करती है

जब भी हम कोई फिल्म देखते हैं. तो हमें यह स्पष्ट तौर पर ज्ञात होता है की, स्क्रीन पर दिखाई देने वाले कलाकार केवल संगीत की धुनों पर, अपने होठों को हिला या मिला रहे होते हैं! लेकिन शायद आपको यह जानकर आश्चर्य होगा की पश्चिमी संगीत संस्कृति में "ओपेरा" (Opera) नामक संगीत की एक ऐसी शानदार शैली भी अस्तित्व रखती है, जिसमें मंचों पर प्रदर्शन करने वाले कलाकार, संगीत और नाटक मंचन आदि काम भी स्वयं ही करते हैं। हालांकि भारत में यह संगीत शैली अपने शुरुआती दौर में है, लेकिन अपनी अद्वितीयता के बल पर धीरे-धीरे संगीत की यह शैली भारत में भी नए प्रशंशकों का निर्माण कर सकती है। 'ओपेरा', की उत्पत्ति इटली में हुई थी! लेकिन अधिकांश भारतीय आबादी के लिए यह, अभी भी एक नई चीज है। जो लोग इसके बारे में थोड़ा बहुत जानते भी हैं, वह लोग भी 'ओपेरा' को एक महिला की तिरस्कारपूर्ण चीख के रूप में संदर्भित कर देते है। लेकिन, वास्तव में, ओपेरा एक कला रूप है जो गायन, नाटक, शब्द, क्रिया और संगीत के माध्यम से एक शानदार कहानी कहता है। इस शैली में थिएटर के सभी तत्वों जैसे संगीत, पोशाक, दृश्यावली, सेट और डिजाइनिंग का भरपूर उपयोग किया जाता है। ओपेरा की अलग-अलग शैलियाँ भी हैं। जैसे: ओपेरा सेरिया (opera seria) वीर गाथाएं बताता है, ओपेरा बफ़ा (opera buffa) जैसे रॉसिनी का द बार्बर ऑफ़ सेविल (Rossini's The Barber of Seville) एक हास्यपूर्ण इतालवी ओपेरा है।
लेकिन फ़िलहाल हमारे लिए, यह जानना ही पर्याप्त होगा कि ओपेरा अच्छे संगीत, उत्कृष्ट अभिनय और भव्य सेट से संबध रखता है। वास्तव में, ध्यान से सुनने पर आप पाएंगे कि गायक चिल्ला नहीं रहे होते हैं। भारत में ओपेरा देखने की शुरुआत करने वाले के लिए, घंटों बस बैठकर पूरा ओपेरा देखना काफी कठिन हो सकता है। इसलिए इसे देखने के लिए विनम्रता से शुरुआत करें। एक बार जब आपका कान प्रशिक्षित हो जाता है, तो आप पूरे ओपेरा में आराम से बैठ सकते हैं, और फिर आपको लगेगा कि यह सब बहुत जल्दी खत्म हो गया है। मुंबई में जन्मी सोप्रानो पेट्रीसिया रोजारियो (soprano patricia rosario) के अनुसार, ओपेरा हिंदी फिल्मों से काफी मिलता-जुलता है। भारतीयों में पहले से ही ओपेरा प्रदर्शन करने की प्रवृत्ति है, उन्हें बस प्रशिक्षण और प्रेरणा की आवश्यकता होती है। ” लेकिन भारत में ओपेरा अपेक्षाकृत नया है। भारत में ओपेरा के प्रति जागरूकता पैदा करने के लिए, रोज़ारियो अपने लंदन स्थित फाउंडेशन गिविंग वॉयस सोसाइटी (Foundation Giving Voice Society) की मदद से अधिक भारतीय ओपेरा गायकों को, सुर्खियों में लाने की कोशिश कर रही है। उन्होंने रॉयल ओपेरा हाउस (Royal Opera House) के 2018 ओपेरा सीजन में कलात्मक निदेशक के रूप में, जोसेफ हेडन की ला फेडेल्टा प्रेमियाटा (Joseph Haydn's La Fedelta Premiata) को भी प्रस्तुत किया था।
ओपेरा गायक के रूप में अपना करियर शुरू करने वाली रोज़ारियो ने स्वतंत्रता आन्दोलन के दौरान, पश्चिमी शास्त्रीय संगीत सीखा, जो ब्रिटिश साम्राज्य से काफी हद तक प्रभावित था। 50 और 60 के दशक में "अंग्रेजों के जाने के बाद भी, भारतीय और विदेशी कलाकारों के साथ में उनके कई प्रदर्शन हुए। " हालांकि, जब राजनीतिक परिदृश्य बदलना शुरू हुआ, तो भारत में संगीत की दुनिया भी बदल गई।" लेकिन फिर भी, रोज़ारियो ने माना कि संगीत एक वैश्विक संपत्ति है। एक कला के रूप में, ओपेरा महंगा और बहुत कठिन है, लेकिन इसे संरक्षित किया जाना चाहिए। “जब भारत में पश्चिमी संगीत को नीची दृष्टि से देखा जाता था, तब भी पारसी और ईसाई समुदायों ने ओपेरा और अन्य पश्चिमी शैलियों को जीवित रखा था, लेकिन अब भारत एक वैश्विक देश है। इसलिए भारत के लिए ओपेरा को भी अपनाने का समय आ गया है। आज किसी भारतीय स्थल पर, ओपेरा को आयोजित करना एक दुर्लभ उपलब्धि हो सकती है, जिसे पहले केवल एक स्थल, नेशनल सेंटर फॉर द परफॉर्मिंग आर्ट्स (National Center for the Performing Arts) द्वारा ही पूरा किया जाता था।
मोनाको (Monaco) भी एक ऐसा गंतव्य है, जहां आप एक ही स्थान पर स्थानीय विशिष्टताओं का स्वाद ले सकते हैं। यहां पर महान ओपेरा परंपरा को बनाए रखने के लिए ओपेरा डी मोंटे-कार्लो (Opera di Monte-Carlo) की स्थापना की गई है, जिसे सैले गार्नियर (salle garnier) के नाम से भी जाना जाता है, जहां कई अंतरराष्ट्रीय सितारे शानदार ओपेरा प्रदर्शन करते हैं। दिल्ली की रहने वाली पल्लवी सेठ देश से बाहर जाने वाली, पहली युवा ओपेरा गायिकाओं में से एक हैं। वह प्रतिष्ठित मैन्स स्कूल ऑफ़ म्यूज़िक (Man's School of Music) से ओपेरा और वोकल परफॉर्मेंस (vocal performance) में औपचारिक स्नातक की डिग्री के लिए न्यूयॉर्क चली गईं।
उनके अनुसार उनके ओपेरा प्रेम की शुरुआत हिंदुस्तानीशास्त्रीय संगीत की तकनीकी का अध्ययन करने के साथ हुई, जिसके बाद उनकी संगीत की अन्य शैलियों का पता लगाने की इच्छा पैदा हुई। चूंकि भारत में ओपेरा प्रदर्शन वस्तुतः न के बराबर होता है, इसलिए श्रोता को एक अच्छे इंटरनेट कनेक्शन के साथ एक शांत कमरा, अध्ययन या पुस्तकालय खोजना चाहिए। आज YouTube में ओपेरा से संबंधित अनगिनत वीडियो हैं। वैकल्पिक रूप से, आप DVD रिकॉर्डिंग भी खरीद सकते हैं। ओपेरा सुनने से पूर्व सुनिश्चित करें कि आपका मन शांत है। इसका आनंद लेने से पहले आपको वास्तव में इसे ध्यान से 'सुनना' चाहिए। रॉक या पॉप (rock or pop) की तरह, यह आसानी से समझ में नहीं आता है। लेकिन एक बार समझ में आ जाने के बाद, इसके परिणाम बहुत संतोषजनक होते है। यदि आप लंदन, पेरिस, न्यूयॉर्क, वियना (London, Paris, New York, Vienna) या किसी अन्य स्थान पर हैं, जहां ओपेरा का प्रदर्शन किया जाता है, तो इसे लाइव देखने का मौका न चूकें। एक बार समझ में आ जाने के पश्चात् ओपेरा के लिए प्यार को फैलाएं, और दूसरों को भी इसे सुनने के लिए प्रेरित करें।

संदर्भ
https://bit.ly/39yjiKS
https://bit.ly/3y06pT0
https://bit.ly/3N3fkaJ

चित्र संदर्भ
1. ओपेरा कलाकारों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. 2007 में सेंट ओलाफ्स कैसल, सवोनलिन्ना, फ़िनलैंड में सवोनलिन्ना ओपेरा महोत्सव में मैकबेथ से लिया गया एक चित्रण (wikimedia)
3. कारमेन, साल्ज़बर्ग फेस्टिवल 2012 . के एक दृश्य में मैग्डेलेना कोसेना और जोनास कॉफ़मैन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. मोंटे-कार्लो (Opera di Monte-Carlo) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. 1950 के दशक की शुरुआत से जर्मन ओपेरा ऑर्केस्ट्रा को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)

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