भारत सहित दुनियाभर में कैसे मनाया जाता है, ईस्टर?

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
15-04-2022 10:01 AM
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भारत सहित दुनियाभर में कैसे मनाया जाता है, ईस्टर?

दो अरब से अधिक अनुयायियों के साथ, ईसाई धर्म (Christianity) पूरी दुनिया में सबसे बड़ा धर्म माना जाता है। लगभग 2,000 वर्ष पुराना यह धर्म, यीशु मसीह के जीवन और शिक्षाओं पर आधारित है। यही कारण है की, यीशु मसीह के जीवन से जुड़े किसी भी घटना क्रम को, भारत सहित दुनिया के अधिकाशं देशों में, बड़ी ही धूमधाम से मनाया जाता है! ईस्टर (Easter) भी ऐसे ही प्रमुख ईसाई त्योहारों में से एक है।
ईस्टर, ईसाई समुदाय में सबसे महत्वपूर्ण वार्षिक धार्मिक पर्व माना जाता है। ईसाई धार्मिक ग्रन्थ के अनुसार, यह वही दिन है, जब ईसा मसीह (Jesus Christ) को सूली पर लटकाए जाने के तीसरे दिन बाद, यीशु पुनर्जीवित हो गए थे। इस पुनरुत्थान को ईसाई ईस्टर दिवस या ईस्टर रविवार (Christian Easter Day or Easter Sunday) के रूप में भी मनाया जाता हैं। यह विशेष दिन, गुड फ्राईडे (good Friday) के दो दिन बाद और पुण्य बृहस्पतिवार या मौंडी थर्सडे (Maundy Thursday) के तीन दिन बाद आता है। ईस्टर को “ईस्टर काल” या “द ईस्टर सीज़न” (Easter Period or the Easter Season) भी कहा जाता है। परंपरागत रूप से ईस्टर काल चालीस दिनों का होता है। लेकिन आधिकारिक तौर पर अब ये पंचाशती तक पचास दिनों का होता है। ईस्टर सीज़न या ईस्टर काल के पहले सप्ताह को “ईस्टर सप्ताह, ईस्टर अष्टक या ओक्टेव ऑफ़ ईस्टर” (Easter Week, Easter Octave or Octave of Easter) कहते हैं।
ईस्टर एक गतिशील त्यौहार है, अर्थात यह नागरिक कैलेंडर (civil calendar) के अनुसार नहीं चलता। ईस्टर की तिथि का निर्धारण नाईजीरीया की पहली सभा (Nigeria's first meeting 325) द्वारा पूर्णिमा (पास्का-विषयक पूर्णिमा) और वसंत विषुव के बाद आने वाले, पहले रविवार के रूप में किया गया। पूर्वी ईसाइयत ने अपनी गणना जूलियन कैलेंडर (Julian calendar) के आधार पर की है। इस कैलेंडर के अनुसार ईस्टर का उत्सव 4 अप्रैल से 8 मई के बीच पड़ता है। कुछ ऐसे भी ईसाई वर्ग के लोग भी हैं, जो ईस्टर नहीं मनाते! नवविधान बताता है कि यीशु का पुनः जीवित होने का जश्न ईस्टर के रूप में मनाया जाता है! मृत्यु के बाद यीशु के जी उठने से, ईश्वर ने ईसाइयों को एक नए जन्म की जीती-जागती आशा दी। इस दिन ईसाई उपासक चर्च में इकट्ठा होते हैं, और यीशु संदेशों को याद करते हैं। यीशु का पुनरुत्थान अर्थात फिर से जीवित होना, दृश्य के रूप में या मसीह के जीवन के चक्र के हिस्से के रूप में, लंबे समय से ईसाई धर्म और ईसाई कला का केंद्र रहा है। हालांकि, पुनरुत्थान के क्षण को सुसमाचारों "Gospels" (बाइबल की चार पुस्तकों में से कोई एक जिसमें ईसा के जीवन और शिक्षाओं का वर्णन है) में इस तरह वर्णित नहीं किया गया है। और इसलिए एक हजार से अधिक वर्षों तक इसे सीधे कला में प्रस्तुत नहीं किया गया था। इसके बजाय सबसे पहले इसे प्रतीकात्मक चित्रणों जैसे कि ची रो (chi ro) द्वारा दर्शाया गया था। बायजान्टिन (byzantine) और बाद में पूर्वी रूढ़िवादी कला में यह अभी भी नहीं है, लेकिन पश्चिम में पुनरुत्थान के वास्तविक क्षण का चित्रण गोथिक काल के दौरान आम हो गया।
ईस्टर भारत में भी मनाया जाता है, और लेंट (Lent) के साथ शुरू होता है, तथा ईस्टर रविवार के साथ समाप्त होता है। भारत में ईसाई धर्म के प्रमुख अनुयायी, मुंबई, गोवा और उत्तर-पूर्वी राज्यों जैसे मिजोरम, मेघालय और नागालैंड में दिखाई देते हैं। भारत सहित दुनियाभर में वर्ष के इस समय के दौरान, चर्चों को सुन्दर सजाया जाता है। ईस्टर कोप्रतीकात्मक रूप से सजावटी अंडे (decorative eggs) के लिए जाना जाता है। हालांकि भारत में अंडे को सजाने की परंपरा नहीं है।
ईस्टर के दौरान दुकानों में आपको, “ईस्टर बनी” (Easter Bunny) के खिलौने भी देखने को मिल जाएंगे। भारत में इस अवसर पर उपहारों और आशीर्वादों का आदान-प्रदान करने की भी परंपरा है, जिसका पालन भारत में हर कोई करता है। कुछ लोग इस पवित्र दिन पर उपवास रखते हैं तो, कुछ लोग मांस खाने से भी परहेज करते हैं।
इस दौरान बच्चों और वयस्कों के साथ सड़क पर रंगीन परेड आयोजित की जाती है, जहाँ लोग बाइबिल (bible) के विभिन्न पात्रों के वेश में भाग लेते हैं। हालाँकि ईस्टर से तीन दिन पहले, गुड फ्राइडे, दुःख और शोक का दिन होता है, और इस दौरान चर्च आमतौर पर खाली ही रहते हैं। भारत में ईस्टर का त्योहार औपनिवेशिक काल से मनाया जाता है, जब ब्रिटिश शासन, पुर्तगाली और फ्रांसीसी जैसी अन्य यूरोपीय शक्तियां यहां की सत्ता में थीं। ईस्टर को प्रभु यीशु के बलिदान के बाद पुनर्जीवित होने की खुशी में मनाया जाता है। भक्तों का मानना ​​​​है कि, प्रभु यीशु ने मृत्यु से लड़ाई लड़ी, उसे हराया और अपनी कब्र से जाग उठे। यह रविवार को हुआ था, और इसलिए हम रविवार को ईस्टर मनाते हैं। ईस्टर पूरे भारत में मनाया जाता है। कुछ राज्य इसे बड़े ही उत्साह और जोश के साथ मनाते हैं। इन कुछ उल्लेखित राज्यों में भारत की कुल ईसाई आबादी का लगभग 60% हिस्सा है।
1.गोवा: औपनिवेशिक काल में गोवा में पुर्तगाली शासन होने के कारण, हम गोवा में ईस्टर उत्सव के पुर्तगाली तरीके को अधिक देखते हैं। इस दौरान गोवा में चर्चों को हर्षोल्लास के साथ सुंदर रूप से सजाया जाता है। गोवा में ईस्टर के दौरान नुक्कड़ नाटक, लोक गीत और लोक नृत्य व्यापक रूप से आयोजित होते हैं। इस दौरान घरों में स्वादिष्ट ईस्टर केक, बेक किए जाते हैं। मित्र, परिवार और रिश्तेदार, एक दूसरे को होली क्रॉस (holy cross) और शुभकामनाओं का आदान-प्रदान करते हैं।
2.केरल: केरल में ईसाई उपासकों की एक बड़ी संख्या निवास करती है। ईस्टर रविवार की सुबह के सामूहिक भोजन के बाद, सभी को मांसाहारी भोजन करने, शराब पीने और आनंदमय अवसर मनाने की अनुमति दी जाती है। रविवार को एक पारंपरिक ईस्टर नाश्ते के साथ बिताया जाता है, जिसके बाद परिवार और दोस्तों के साथ रात का खाना होता है, और स्थानीय व्यंजनों जैसे अप्पम, मांस और स्टू, और प्रसिद्ध अंडे की करी, तथा पके हुए केले, युवा और बूढ़े सभी को समान रूप से खिलाए जाते हैं।
3.तमिलनाडु: विभिन्न राज्यों से लोग खुशी और ईस्टर का त्योहार मनाने के लिए तमिलनाडु में आते हैं। इस दौरान सभी लोगों के लिए विशेष जनसमूह और सेवाएं आयोजित की जाती हैं।
4.उत्तर पूर्व राज्य: मिजोरम, नागालैंड और मेघालय, इन तीन राज्यों में एक बड़ी ईसाई आबादी निवास करती है। यहाँ भी यह ईसाई त्यौहार बड़ी ही धूमधाम के साथ मनाया जाता है।
5.मेघालय: मेघालय में ईस्टर का जश्न मध्यरात्रि के दौरान, लोक गीत गाकर और नृत्य करके मनाया जाता है। इस दौरान चर्च में, पूरे दिन नियुक्त विशेष कार्यक्रम जैसे चर्च गाना बजानेवालों, ईस्टर उपदेश आयोजित होते हैं। साथ ही सभी चर्चों में कैंडल मार्च (candle march) भी निकाला जाता है, जहां हर कोई प्रभु यीशु के प्रति अपनी खुशी व्यक्त करते हुए मोमबत्तियां जलाता है।
6.नगालैंड: नागालैंड में लोग ईस्टर रविवार के दिन चर्च में आते हैं, जहां विभिन्न कार्यक्रम आयोजित किये जाते है। यहां के स्थानीय लोगों द्वारा गरीबों और जरूरतमंदों की मदद करने और उनके दिन को विशेष और धन्य बनाने के लिए पहल की जाती है।
7.मिजोरम: मिजोरम में ईसाई लोग, प्रभु यीशु मसीह और उनके द्वारा दिए गए बलिदान के अनुरूप, जीवन की श्रद्धांजलि के रूप में उपवास करते हैं। वे लोग इस दौरान नृत्य करते हैं, और स्थानीय लोक धुनों का आनंद लेते हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3uF1mpF
https://bit.ly/3KJn6pY
https://en.wikipedia.org/wiki/Easter

चित्र संदर्भ
1. ईस्टर समारोह को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. ईस्टर कार्ड को दर्शाता एक अन्य चित्रण (pxhere)
3. ईस्टर भोजन को आशीर्वाद देते हुए डीकन को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. ईस्टर के सजावटी अंडे को दर्शाता एक चित्रण (Pixabay)

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