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पुस्तकालय वे सुलभ और सुरक्षित स्थान हैं‚ जो सूचना और ज्ञान के विशाल
संसाधनों तक पहुंच प्रदान करते हैं। एक अनुमान के अनुसार विश्व में 315‚000
सार्वजनिक पुस्तकालय हैं‚ जिनमें से 73 प्रतिशत विकासशील और परिवर्तनशील
देशों में हैं। सार्वजनिक पुस्तकालय राष्ट्रीय और सांस्कृतिक सीमाओं को पार कर
शिक्षित और साक्षर आबादी बनाने और बनाए रखने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते
हैं। लेकिन आज सार्वजनिक पुस्तकालय एक महत्वपूर्ण मोड़ पर हैं। 21 वीं सदी में
सूचनाओं तक पहुंच और उपभोग में काफी बदलाव आया है‚ जो दुनिया भर में
सार्वजनिक पुस्तकालय प्रणालियों के लिए बड़ी चुनौतियों के अवसर प्रस्तुत करता
है। नई तकनीकों ने पढ़ने की आदतों को बदल दिया है।
डिजिटल युग में अपना
स्थान बनाए रखने और सुसंगत बने रहने के लिए‚ सार्वजनिक पुस्तकालयों को
साहसी और नवीन होने की आवश्यकता है। उन्हें भौतिक और आभासी दोनों
स्थितियों को अपनाने की आवश्यकता है। यूके (United Kingdom) में सार्वजनिक
व्यय पर बढ़ते दबाव और आगंतुक संख्या में कमी के कारण पारंपरिक पुस्तकालय
प्रणाली जांच के दायरे में आ गई। जिसके बारे में विचार किया गया कि महंगे से
चलने वाले भौतिक पुस्तकालयों को क्यों बनाए रखें‚ जबकि लोगों की बढ़ती संख्या
किसी भी स्थान से आवश्यक जानकारी तक पहुंच सकती है। परिणाम स्वरूप हाल
के वर्षों में देश के सभी हिस्सों में सार्वजनिक पुस्तकालयों को बंद करने का विचार
किया गया है‚ लेकिन यूके में इस बात पर भी एक बड़ा पुनर्विचार हुआ है कि
पुस्तकालय को जनता की सेवा कैसे करनी चाहिए और भविष्य का पुस्तकालय
कैसा दिख सकता है और कैसा दिखना चाहिए। पुस्तकालय में आने वाले नियमित
आगंतुक उनसे अपेक्षा करते हैं कि वे वही सेवाएं प्रदान करते रहें जो उन्होंने कई
वर्षों से प्रदान की हैं‚ ताकि किताबों‚ पत्रिकाओं और शांति से पढ़ने की जगहों जैसी
पारंपरिक लाइब्रेरी गायब न हो। लेकिन पुस्तकालय को भी लोगों के जीवन जीने के
तरीके में वास्तविक परिवर्तनों के प्रति शीघ्रता से प्रतिक्रिया करने की आवश्यकता
है।
रामपुर में “सौलत” (Saulat) सार्वजनिक पुस्तकालय में एक राष्ट्रीय खजाने के रूप
में उर्दू‚ फ़ारसी और अंग्रेजी हस्तलेख के अमूल्य संस्करण अवहेलना में फंसे हुए हैं‚
क्योंकि कोई भी पुस्तकालय को बनाए रखने की परवाह नहीं करता है। 1934 में
स्थापित सौलत सार्वजनिक पुस्तकालय कभी उत्तर भारतीय मुसलमानों के लिए
राजनीतिक और सामाजिक जीवन का एक महत्वपूर्ण केंद्र हुआ करता था। ग़ालिब
के 1841 के उर्दू दीवान के एकमात्र ज्ञात पहले संस्करण सहित 25‚000 उर्दू
मुद्रित पुस्तकों के अलावा‚ पुस्तकालय में सैकड़ों अपरिवर्तनीय हस्तलिपियां हैं‚
जिनमें अठारहवीं शताब्दी के अफगान इतिहास‚ रहस्यमय विज्ञान पर काम‚
रामपुरी की उल्लेखनीय व्यक्तिगत डायरी‚ फारसी कविता के खंड और समृद्ध रूप
से प्रकाशित कुरान भी शामिल हैं। इसमें राजा राम मोहन राय के फ़ारसी समाचार
पत्र “जाम-ए-जहाँ नुमा” (Jam-i Jahan Numa)‚ मुहम्मद अली जौहर की उर्दू-
भाषा “हमदर्द” (Hamdard)‚ अंग्रेजी-भाषा के “कॉमरेड” (Comrade) और सैय्यद
अहमद खान की “तहज़ीब अल-अख़लाक़” (Tahzib al-Akhlaq) भी शामिल हैं।
विभाजन के बाद जब इसके कुछ प्रमुख दस्तावेज पाकिस्तान चले गए‚ तो इसे
लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा। इस पुस्तकालय का एक नियमित
संरक्षक‚ एक सेवानिवृत्त इंजीनियर था जो अलीगढ़ मुस्लिम विश्वविद्यालय में
पढ़ता था‚ वह हर सुबह अखबार पढ़ने आता था। उसने पुस्तकालय को “किताबों
का कब्रिस्तान” (graveyard for books) के रूप में वर्णित किया था। इस
पुस्तकालय के मुख्य वाचनालय में अब केवल तीन दीवारें हैं‚ चौथी दीवार मार्च
2013 में ढह गई‚ जिसे बदलने के लिए पैसे नहीं थे। यह संग्रह एक बार पहले भी
निश्चित विनाश से बच गया था। सभी पुस्तकों को अब एक ही कमरे में रखा
जाता है‚ जहां बिजली रुक-रुक कर आती है और छत के कुछ छेदों के माध्यम से
दिन का प्रकाश आता है। दीवार गिरने से पुस्तकालय की हालत पहले से ही खराब
थी और तब से सूचीकरण प्रणाली भी पूरी तरह से टूट गई है। संग्रह को संरक्षित
करने या कम से कम डिजिटाइज़ करने के लिए तत्काल कार्रवाई न किये जाने पर
भारत के बौद्धिक इतिहास को भारी नुकसान होगा। रामपुर का रज़ा पुस्तकालय(Raza Library) भी अमूल्य संग्रहों का घर है‚ जिसमें अरबी और फ़ारसी
हस्तलिपियों के अलावा कई ताड़ के पत्तों की हस्तलिपियों जैसी मूल्यवान संपत्ति
भी शामिल हैं‚ जो ज्यादातर तेलुगु‚ संस्कृत‚ कन्नड़‚ सिंहली और तमिल भाषाओं
में हैं। इस पुस्तकालय के निदेशक‚ प्रोफेसर सैयद हसन अब्बास कहते हैं कि‚
“ज्ञान की एक संस्था के रूप में‚ रामपुर रज़ा पुस्तकालय दुनिया भर के विद्वानों
और शोधकर्ताओं की मेजबानी करता है।
हम विद्वानों और शोधकर्ताओं के लिए
अपनी सुविधाओं को बढ़ाने और सुधारने पर ध्यान केंद्रित कर रहे हैं। हम दृढ़
रहेंगे और आगे बढ़ने की भी पूरी कोशिश करेंगे।”
शहर आपस में जुड़े हुए नेटवर्क हैं‚ इसलिए सभी क्षेत्रों को स्थायी शहरी विकास के
लक्ष्य को सही मायने में साकार करने के लिए सहयोगात्मक रूप से काम करने की
आवश्यकता है। पुस्तकालय इस समुदाय केंद्रित शहरी विकास का एक अनिवार्य
हिस्सा हैं‚ जो बेहतर शहर बनाने और उनमें रहने वाले लोगों के लिए बेहतर जीवन
बनाने में योगदान करते हैं। रोम चार्टर (Rome Charter) के अनुसार‚ एक शहर
जो वास्तव में सांस्कृतिक जीवन में अपने निवासियों की भागीदारी का समर्थन
करता है‚ वह है जिसमें लोगों के लिए संस्कृति को खोजने‚ बनाने‚ साझा करने‚
आनंद लेने और संरक्षित करने के प्रावधान शामिल हों और पुस्तकालय इनमें से
प्रत्येक मूल्य में योगदान करते हैं। जैसे; खोजना (DISCOVER): पुस्तकालय
अपने संग्रह और इंटरनेट एक्सेस के माध्यम से जानकारी तक पहुंच प्रदान करता
हैं‚ जहां सांस्कृतिक अभिव्यक्ति और विरासत की खोज की जा सकती है। बनाना
(CREATE): पुस्तकालय अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का समर्थन करके और लोगों
को इसका अभ्यास करने के लिए स्थान प्रदान करके रचनात्मकता को प्रोत्साहित
करते हैं। साझा करना (SHARE): पुस्तकालय इस सिद्धांत पर बने हैं कि
संस्कृति की अभिव्यक्ति साझा करने से व्यक्ति का जीवन समृद्ध होता है‚
इसलिए सूचना‚ अभिव्यक्ति और बहुसांस्कृतिक संपर्क तक पहुंच की स्वतंत्रता को
बढ़ावा देने में उनकी भूमिका इसे कायम रखती है।
आनंद लेना (ENJOY):
पुस्तकालय अक्सर सांस्कृतिक केंद्र होते हैं‚ वे निःशुल्क स्थान होते हैं जहां सभी
लोगों को संग्रह‚ सेवाओं और कार्यक्रमों तक पहुंचने के लिए आमंत्रित किया जाता
है। संरक्षण (PROTECT): पुस्तकालय स्मृति संस्थान और दस्तावेजी विरासत के
संरक्षण और स्थिरता में अग्रणी होते हैं।
जैसा कि दुनिया का तेजी से शहरीकरण
जारी है‚ समुदाय के इस मूल्य को शहरों के ताने-बाने में बनाया जाना चाहिए
ताकि लचीला और टिकाऊ शहरी स्थान बनाया जा सके। इस लक्ष्य को पूरी तरह
से साकार करने के लिए पुस्तकालयों के समर्थन की आवश्यकता है। पुस्तकालय
सामाजिक अर्थव्यवस्था के फलने-फूलने का उचित स्थान हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3s00R8g
https://bit.ly/34JwHgJ
https://bit.ly/3JAvhnf
https://bit.ly/3I2gce0
https://bit.ly/3I2UUgn
https://bit.ly/3I5dJ2o
चित्र संदर्भ
1. रामपुर रज़ा पुस्तकालय को दर्शाता एक चित्रण (facebook)
2. डिजिटल पुस्तकालय को संदर्भित करता एक चित्रण (istock)
3. राजा राम मोहन राय के फ़ारसी समाचार पत्र “जाम-ए-जहाँ नुमा” (Jam-i Jahan Numa)‚ को दर्शाता चित्रण (twitter)
4. रज़ा पुस्तकालय में लिखे अनुदेश को दर्शाता चित्रण (prarang 😊)
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