हज़रत अली की कब्रगाह का रहस्‍य, उनसे जुड़ी प्रमुख मस्जिदें

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
15-02-2022 10:45 AM
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हज़रत अली की कब्रगाह का रहस्‍य, उनसे जुड़ी प्रमुख मस्जिदें

अली की मृत्यु की तारीख अलग-अलग बताई जाती है। शेख अल-मुफिद के अनुसार, वह 19 रमजान 40 इस्‍वी (26 जनवरी 661 ईस्वी) को घायल हो गए थे और दो दिन बाद उनकी मृत्यु हो गई। अली ने अपने बेटों को ख़ारिजी के खिलाफ जवाबी कार्रवाई करने से रोक दिया था, और निर्देश दिए कि यदि वह बच जाते हैं, तो इब्न मुलजाम को माफ कर दिया जाए, और यदि वह मर जाते हैं, तो इब्न मुलजाम पर केवल एक बार प्रहार किया जाएगा फिर चाहे वह इस प्रहार से मरे या बचे। अली के सबसे बड़े बेटे, हसन ने इन निर्देशों का पालन किया और इब्न मुलजाम को जवाबी कार्रवाई में मार दिया। कुछ दस्‍तावेजों के अनुसार, अली लंबे समय से अपने भाग्य के बारे में जानते थे, या तो अपने स्वयं के पूर्वाभास से या मुहम्मद के माध्यम से, जिसने अली से कहा था कि उसकी दाढ़ी उसके सिर के खून से रंग जाएगी। मुख्य रूप से शिया स्रोतों में इस बात पर जोर दिया गया है कि अली इस बात को जानते थे कि वे भविष्‍य में इब्न मुलजाम के हाथों मारे जाएंगे, फिर भी उन्‍होंने उसके विरूद्ध कोई कार्रवाई नहीं की, क्योंकि अली कहते थे, "क्या आप उसे मार देंगे जिसने मुझे अभी तक नहीं मारा है?"। शेख अल-मुफिद के अनुसार, अली नहीं चाहते थे कि उनकी कब्र को उनके दुश्मनों द्वारा खोदा जाए और अपवित्र किया जाए। इसलिए उन्‍होंने स्‍वयं को गुप्‍त रूप से दफन करने के लिए कहा। अली से जुड़ी प्रमुख मस्जिदें: मस्जिद अली: हजरत इमाम अली पवित्र तीर्थ, जिसे मस्जिद अली भी कहा जाता है, इराक (Iraq) के नजफ शहर में स्थित है। शिया मुसलमानों का मानना है कि इसमें अली इब्न अबू तालिब की कब्र है, यह मुस्लिमों के लिए पवित्र स्थल है। यह इस्लामिक पैगंबर मुहम्मद के चचेरे भाई थे और बाद में उनके दामाद बने। हजरत अली इब्न अबी तालिब, पहले इमाम (शिया विश्वास के अनुसार) और चौथे खलीफा (सुन्नी विश्वास के अनुसार) यहां दफन है। शिया मुसलमानों की आस्था के अनुसार हजरत अली की कब्र के बगल में एडम और नूह को भी दफनाया गया है। इसी आस्था अनुसार यहां हर साल लाखों तीर्थयात्री हजरत इमाम अली की मजार की जियारत करने आते हैं। शिया इस्लाम के दूसरे सबसे महत्वपूर्ण व्यक्ति की कब्रगाह के रूप में, इमाम अली की दरगाह को सभी शिया मुसलमानों द्वारा चौथा सबसे पवित्र इस्लामी स्थल माना जाता है। बोस्टन ग्लोब की रिपोर्ट (Boston Globe reports) "मुस्लिम शियाओं के लिए, सऊदी अरब में मक्का और मदीना और फिलिस्तीन में अल-अक्सा मस्जिद के बाद नजफ चौथा सबसे पवित्र शहर है।" यह अनुमान है कि केवल कर्बला, मक्का और मदीना मेंही अधिक मुस्लिम तीर्थयात्री आते हैं। कुफ़ा की महान मस्जिद: कुफ़ा की महान मस्जिद, या मस्जिद अल-कुफ़ा, इराक के कुफ़ा में स्थित है, यह दुनिया की सबसे पुरानी और सबसे पवित्र जीवित मस्जिदों में से एक है। 7 वीं शताब्दी में बनी इस मस्जिद में, अली इब्न अबी तालिब का घर, चौथे रशीदुन खलीफा; और मुस्लिम इब्न अकील, उनके साथी हानी इब्न उरवा एवं क्रांतिकारी, अल-मुख्तार का पवित्र स्‍थान शामिल है। मस्जिद अल-हरम: अली का जन्‍म मक्‍का के काबा में हुआ वे यहां पैदा होने वाले एकमात्र व्‍यक्ति थे। मस्जिद अल-हरम इस्लाम के सबसे पवित्र स्थल, काबा, को पूरी तरह से घेरने वाली एक मस्जिद है। यह सउदी अरब के मक्का शहर में स्थित है और दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद है। दुनिया भर के मुस्लिम नमाज़ पढ़ते हुए काबे की तरफ़ मुख करते हैं और हर मुस्लिम पर अनिवार्य है कि, अगर वह इसका ज़रिया रखता हो, तो जीवन में कम-से कम एक बार यहाँ हज पर आये और काबा की तवाफ़ (परिक्रमा) करे। इस महान मस्जिद में काला पत्‍थर, ज़मज़म वेल, मक़म इब्राहिम और सफ़ा और मारवा की पहाड़ियों सहित अन्य महत्वपूर्ण स्थल शामिल हैं। अगस्त 2020 तक, महान मस्जिद दुनिया की सबसे बड़ी मस्जिद और आठवीं सबसे बड़ी इमारत है। यह अब तक के अपने सफर में कई प्रमुख नवीनीकरण और विस्तार से गुजरी है। यह विभिन्न खलीफाओं, सुल्तानों और राजाओं के नियंत्रण से होकर गुजरी है, और अब सऊदी अरब के राजा के नियंत्रण में है, जिसे दो पवित्र मस्जिदों का संरक्षक कहा जाता है। हज़रत अली मज़ार: हज़रत अली मज़ार अफगानिस्तान के बल्ख प्रांत में स्थित एक मस्जिद है, जिसमें चौथे इस्लामी ख़लीफ़ा अली की कब्र है। यह शिया मुसलमानों के लिए एक महत्वपूर्ण तीर्थ स्थल है, और सुन्नी मुसलमानों द्वारा भी सम्मानित किया जाता है, जो अली की दरगाह को सालाना श्रद्धांजलि देते हैं।मस्जिद की विभिन्‍न साइट भी हैं जहां कई तीर्थयात्री ईरानी/पारसी नव वर्ष, नौरोज़ मनाते हैं। वार्षिक जहांदा बाला समारोह में, अली के सम्मान में एक पवित्र ध्वज फहराया जाता है; मुस्लिम तीर्थयात्री अक्सर अपने आने वाले वर्ष में सौभाग्य के लिए ध्वज को छूते हैं।
चूँकि अली ने कहा था कि उनका शरीर गुप्त रहना चाहिए, उनके अनुयायियों ने उनके शरीर को एक सफेद ऊंट पर बांध दिया, और उत्तरी अफगानिस्तान की ओर ले गए। ऐसी मान्‍यता है कि अपनी हत्या से पहले, अली ने अपने शरीर को उस स्थान पर दफनाने के निर्देश दिए थे जहां पर ऊंट मर जाएगा। बल्ख में इस स्थान पर, सफेद ऊंट की मृत्यु हो गई और अली को गुप्त रूप से यहां दफनाया दिया गया।
माना जाता है कि 15वीं सदी में अब्द अल-गफूर लारी ने अली के मकबरे की खोज की थी। हज़रत अली के साथ दरगाह की पहचान करना संभवतः एक मिथक हो सकता है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि इस्लामिक प्रतिष्ठान द्वारा मकबरे की रक्षा और सम्मान किया जाए। बल्ख में अली को दफनाए जाने का सबसे पहला रिकॉर्ड अंडालूसी (Andalusian ) यात्री अबू हामिद के तुहफत अल-अलबाब में मिलता है, जो 12वीं शताब्दी का है। यह कहता है कि अल-खैर के लगभग चार सौ नागरिकों के अपने सपने में मुहम्मद ने बताया कि अली को गांव में दफनाया गया था। उलमा परिषद ने इस मामले को बल्ख के सेल्जुक शासक अमीर कुमाज के पास लाया, जिन्होंने उस स्थान पर एक बड़ी मस्जिद बनाने का फैसला किया। सेल्जूक वंश के सुल्तान अहमद संजर ने इस स्थान पर पहली ज्ञात मस्जिद बनवायी थी। 1220 के आसपास चंगेज खान के आक्रमण के दौरान इसे नष्ट कर दिया गया था या मिट्टी के एक टीले के नीचे छिपा दिया गया था। 15 वीं शताब्दी में, तैमूर सुल्तान हुसैन बकाराह मिर्जा ने हजरत अली की कब्र के ऊपर एक मस्जिद का निर्माण किया था। यह मजार-ए-शरीफ में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण मील का पत्थर है और ऐसा माना जाता है कि शहर का नाम इसी दरगाह से निकला है।
1910 के दशक में बने स्थान की एक साइट योजना से पता चलता है कि पहले मस्जिद में एक छोटी दीवार वाली सीमा थी, जिसे बाद में उद्यान की भूमि बनाने के लिए तोड़ दिया गया था, हालांकि इस परिसर के द्वार अभी भी मस्जिद के प्रवेश द्वार के रूप में बने हुए हैं। पिछले कुछ वर्षों में कई अफगान राजनीतिक और धार्मिक नेताओं के लिए अलग-अलग आयामों के मकबरे जोड़े गए, जिससे इसके वर्तमान अनियमित आयामों का विकास हुआ है। इनमें अमीर दोस्त मुहम्मद खान, वज़ीर अकबर खान का वर्गाकार गुंबद वाला मकबरा और अमीर शेर अली और उनके परिवार के लिए एक समान संरचना शामिल है।

संदर्भ:

https://bit.ly/3HMeoWa
https://bit.ly/3LuANd9
https://bit.ly/3HLLiGH
https://bit.ly/3uOj1vz

चित्र संदर्भ   
1. 2012 में रमजान के महीने में नमाज अदा करते मुस्लिम पुरुषों को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. इमाम अली श्राइन इराक में स्थित है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3. कुफ़ा की महान मस्जिद को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
4. मस्जिद अल-हरम को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
5. हज़रत अली मज़ार को दर्शाता चित्रण (wikimedia)
6. मजार-ए-शरीफ, अफगानिस्तान को दर्शाता चित्रण (wikimedia)

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