रामपुर और सिंगापुर में दुर्लभ नजारा, जब दिखी पुरानी दुनिया की हिमालयी गिद्ध

पंछीयाँ
05-01-2022 10:34 AM
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रामपुर और सिंगापुर में दुर्लभ नजारा, जब दिखी पुरानी दुनिया की हिमालयी गिद्ध

परिंदों की दुनिया का दुर्लभ और अनोखा पक्षी ‘हिमालयन ग्रिफन गिद्ध’ हाल ही में रामपुर जिले में नगलिया अकील गांव (नागलिया अकील भारत के उत्तर प्रदेश राज्य के रामपुर जिले के सैदनगर प्रखंड का एक गाँव है। यह मुरादाबाद डिवीजन (Division) के अंतर्गत आता है। यह जिला मुख्यालय रामपुर से उत्तर की ओर 14 किमी, सैदनगर से 8 किमी और राज्य की राजधानी लखनऊ से 339 किमीदूर स्थित है।) में एक छत पर घायल अवस्था में पाया गया। गिद्ध के चोटों की प्रकृति इंगित करती है कि जब कोई व्यक्ति पतंग उड़ा रहा होगा, तो संभवत:वह चीनी (Chinese) मांझे (चीनी मांझा पर कई साल पहले देश में प्रतिबंध लगा दिया गया था, लेकिन अभी भी इसे दुकानदार बेचते हैं और पतंग उड़ाने वालों द्वारा इस्तेमाल किया जाता है।) में फंस गया था। हालांकि वन विभाग द्वारा उसे चिकित्सक सहायता प्रदान करवाई गई और उसके आगे के इलाज के लिए बरेली स्थित भारतीय पशु चिकित्सा अनुसंधान संस्थान भेजा गया। वहीं पक्षी प्रेमियों के लिए 2021 के अंतिम दिन के लिए इससे अच्छा क्या था कि उन्हें सिंगापुर बॉटैनिकल गार्डन (Singapore Botanic Gardens) में पहले कभी नहीं देखे गए प्रवासी गिद्ध देखने को मिलें। 29 दिसंबर को, फोटोग्राफरों ने बारिश शुरू होते ही एक पेड़ पर छह राजसी गिद्धों को एक साथ बैठे हुए देखा।हालांकि ये प्रवासी दुर्लभ हैं, हिमालयी ग्रिफन गिद्ध कभी-कभी सिंगापुर में वर्ष के इस समय के दौरान यहां रुक जाते हैं।साथ ही छह गिद्धों में से एक सिनेरियस गिद्ध (Cinereous vulture- जिसे काला गिद्ध या भिक्षु गिद्ध के रूप में भी जाना जाता है) था। सिनेरियस गिद्ध यूरोप (Europe), एशिया (Asia) और अफ्रीका (Africa) के महाद्वीपों में पाए जाने वाले पुराने विश्व के सबसे बड़े गिद्ध हैं, जिनमें हिमालयी ग्रिफॉन गिद्ध दूसरे स्थान पर हैं।
दरसल हिमालयन ग्रिफन गिद्ध अंतर्राष्ट्रीय प्रकृति संरक्षण संघ (IUCN) की लाल सूची में "निकट खतरे" के रूप में सूचीबद्ध हैं।हिमालयी ग्रिफन गिद्ध एक पुरानी दुनिया का गिद्ध है जो हिमालय और उससे सटे तिब्बती पठार (Tibetan plateau) का मूल निवासी है।साथ ही यह शायद, हिमालय और तिब्बती पठार में पाया जाने वाला सबसे विशाल और सबसे वजनी पक्षी है।यह कजाकिस्तान (Kazakhstan), उजबेकिस्तान (Uzbekistan), किर्गिस्तान (Kyrgyzstan), ताजिकिस्तान (Tajikistan), अफगानिस्तान (Afghanistan) और ईरान (Iran) से पाकिस्तान (Pakistan)से भारत, नेपाल (Nepal), भूटान (Bhutan) से पश्चिमी चीन (China) और मंगोलिया (Mongolia) में वितरित किया जाता है। हिमालयन ग्रिफन उन गिद्धों की प्रजातियों में से एक है जो भारत में पाई जाने वाली अन्य प्रजातियों की तुलना में डाइक्लोफेनाक (Diclofenac – दर्द निवारक दवा) के प्रकोप से बच गए हैं।वयस्कों में सफेद धारियों के साथ लंबे और हल्के भूरे पंख होते हैं। ये पंख लंबे और नुकीले भी होते हैं।सिर नीचे से ढका होता है जो वयस्कों में पीले रंग का होता है लेकिन अपरिपक्व गिद्धों में सफेद होता है।इनके पैर हरे भूरे से सफेद तक भिन्न रंग के हो सकते हैं।हिमालय के गिद्धों का वजन कथित तौर पर 6 किलो से लेकर 12.5 किलोग्राम तक हो सकता है।एक क्षेत्र अध्ययन ने हिमालयी गिद्ध के औसतन 9 किग्रा होने का अनुमान लगाया, लेकिन स्थिति के अनुसार वजन 8-12 किग्रा के बीच भिन्न हो सकता है।इन पक्षियों के पंखों का फैलाव उन्हें मापने के लिए इस्तेमाल की जाने वाली विधि के आधार पर बहुत भिन्न होता है और प्रकाशित माप 2.56 से 3.1 मीटर तक भिन्न होते हैं, जो सिनेरियस गिद्धों के समान होती है।
हिमालयी गिद्ध आमतौर पर ऊंची पहाड़ियों पर बैठे पाए जा सकते हैं। वे 1,215 मीटर की ऊंचाई से नीचे नहीं आते हैं। हिमालय के गिद्ध अक्सर चट्टानों पर धूप सेंकते हैं। वे गर्मी में ऊंची उड़ान भरते हैं और निरंतर फड़फड़ाती उड़ान में सक्षम नहीं हैं।तिब्बती पठार पर उनके आहार का 64% मृत घरेलू याक (बॉस ग्रुन्नियन्स (Bosgrunniens)) से प्राप्त होता है।वे कभी-कभी मरे हुए जानवर के पास कुछ दिनों तक प्रतीक्षा करते हुए पुराने शवों को खाते हैं।प्रजनन का मौसम जनवरी में शुरू होता है। एक चट्टान पर एक दुर्गम कगार पर उभरे हुए भाग पर ये घोंसला बनाते हैं। पूर्वोत्तर भारत में इसका घोंसला 1,215 और 1,820 मीटर ऊंचाई के बीच देखा गया है, लेकिन तिब्बत में यह 4,245 मीटर जितनी ऊंचाई पर भी देखा जा सकता है।एक ही चट्टान पर कई पक्षी के घोंसले पाए जाते हैं, जिसमें पांच से सात जोड़े एक विशिष्ट उपनिवेश आकार के होते हैं।इन पक्षियों के बड़े आकार के मुताबिक घोंसले अपेक्षाकृत छोटे होते हैं और, हालांकि बार-बार उपयोग के साथ बड़े हो जाते हैं, आम तौर पर अन्य बड़े एसिपिट्रिड्स (Accipitrid) के घोंसले के रूप में बड़े नहीं होते हैं।उत्तर भारत में अंडे देने की तारीख 25 दिसंबर से 7 मार्च तक होती है।अंडा मोटा और अंडाकार होता है और ऊंचाई में 87 से 103.6 मिमी और चौड़ाई में 65 से 74 मिमी, औसत 94.8 गुणा 70.1 मिमी जितना हो सकता है।कैद में ऊष्मायन अवधि लगभग 54-58 दिन थी। युवा पक्षी छह से सात महीने तक माता-पिता के साथ रहते हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3JEeyAi
https://bit.ly/3ERwRyC
https://bit.ly/3JQQIBN
https://bit.ly/3sW9dyv

चित्र संदर्भ   
1. हिमालयन ग्रिफन गिद्ध’ के जोड़े को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
2. घायल हिमालयन ग्रिफन गिद्ध’ को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)
3. हिमालय के गिद्ध अक्सर चट्टानों पर धूप सेंकते हैं, जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. झुंड में हिमालयन ग्रिफन गिद्ध’ को दर्शाता एक चित्रण (Flickr)

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