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हमारे आस-पास विभिन्न प्रकार के सूक्ष्मजीव पाए जाते हैं, जिनमें से विषाणु या वायरस भी एक
है। एक विषाणु न्यूक्लिक एसिड (Nucleic acids) चाहे वो डीएनए (DNA) हो या आरएनए
(RNA),की एक श्रृंखला है,जो एक मेजबान कोशिका में रहता है। विषाणु, प्रजनन करने के लिए
कोशिकीय मशीनरी के कुछ हिस्सों का उपयोग करता है तथा अधिक कोशिकाओं को संक्रमित
करने के लिए प्रतिरूपित न्यूक्लिक अम्ल श्रृंखलाओं को मुक्त करता है।एक विषाणु अक्सर एक
प्रोटीन आवरण में होता है, जो कि एक सुरक्षात्मक आवरण तथा विषाणु को मेजबानों के बीच
जीवित रहने में सहायता करता है। एक वायरस विभिन्न प्रकार की विभिन्न संरचनाओं में हो
सकता है। सबसे छोटा वायरस केवल 17 नैनोमीटर का होता है, जो औसत आकार के प्रोटीन से
मुश्किल से कुछ लंबा होता है।सबसे बड़ा वायरस उस आकार का लगभग एक हजार गुना है, या
लगभग 1,500 नैनोमीटर। यह वास्तव में काफी छोटा होता है। एक मानव बाल लगभग
20,000 नैनोमीटर का होता है। इसका मतलब है कि अधिकांश वायरस कण सामान्य प्रकाश
सूक्ष्मदर्शी से भी नहीं देखे जा सकते हैं।
यदि हम स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप (Scanning electron microscope) की मदद से
इबोला (Ebola) वायरस को देखेंगे तो, प्रत्येक वायरस का बाह्य आवरण थोड़ा मुड़े हुए कीड़े
जैसा दिखाई देगा,हालाँकि, यह वायरस कोशिकाएँ नहीं हैं।प्रोटीन आवरण के अंदर एक
सावधानीपूर्वक मुड़ा हुआ RNA अणु होता है, जिसमें प्रोटीन कोटया प्रोटीन आवरण औरRNA
अणु की प्रतिकृति बनाने के लिए आवश्यक जानकारी होती है तथा इन कार्यों को पूरा करने के
लिए कोशिका की प्राकृतिक प्रक्रियाओं को हाईजैक करने के लिए आवश्यक घटक होते हैं।
एक वायरस की सटीक संरचना इस बात पर निर्भर करती है कि कौन सी प्रजाति इसके मेजबान
के रूप में कार्य करती है। स्तनधारी कोशिकाओं में प्रतिकृति बनाने वाले वायरस में एक प्रोटीन
कोट होगा जो इसे स्तनधारी कोशिकाओं से जुड़ने और उनके शरीर में प्रवेश करने में सक्षम
बनाता है। इन प्रोटीनों का आकार, संरचना और कार्य वायरस की प्रजातियों के आधार पर
बदलते हैं। एक वायरस की सामान्य संरचना देंखे तो, एक वायरस कण में एक सुरक्षात्मक
प्रोटीन कोट के भीतर DNA या RNAहोता है जिसे कैप्सिड (Capsid) कहा जाता है। विभिन्न
प्रकार के वायरस में कैप्सिड का आकार भिन्न हो सकता है। कैप्सिड उन प्रोटीन से बनता है, जो
कि उनके जीनोम (Genome) के भीतर वायरल जीन द्वारा एन्कोडेड या कोडित होते हैं।
कैप्सिड का आकार वायरस के वर्गीकरण के लिए एक आधार के रूप में कार्य करता है।वायरस के
वर्गीकरण की बात करें तो, वैज्ञानिक वायरस को इस आधार पर वर्गीकृत करते हैं कि वे अपने
जीनोम को कैसे दोहराते हैं। कुछ वायरस जीनोम RNA से बने होते हैं, अन्य DNA से बने होते
हैं। कुछ वायरस सिंगल स्ट्रैंड का उपयोग करते हैं, जबकि कुछ डबल स्ट्रैंड का उपयोग करते हैं।
इन विभिन्न अणुओं की प्रतिकृति और पैकेजिंग में शामिल जटिलताएं वायरस को सात अलग-
अलग श्रेणियों में विभाजित करती हैं:
प्रथम श्रेणी में वायरस जीनोम, डबल स्ट्रैंडेड DNA से बने होते हैं, जो मानव जीनोम के समान
होते हैं। इससे इन वायरस अणुओं के लिए वायरस DNA से प्रोटीन का उत्पादन करने के लिए
कोशिका की प्राकृतिक मशीनरी का उपयोग करना आसान हो जाता है।
द्वितीय श्रेणी के वायरस में DNA का केवल एक ही स्ट्रेंड होता है।
तृतीय श्रेणी के विषाणु जीनोम, डबल-स्ट्रैंडेड RNA से बने होते हैं। हालांकि यह असामान्य है, ये
वायरस पैकेज अपने स्वयं के प्रोटीन, RNA पोलीमरेज़ के साथ आते हैं।
चतुर्थ श्रेणी के वायरस एकल- स्ट्रैंडेड RNA हैं, जो मेजबान कोशिका द्वारा उत्पादित संदेशवाहक
RNA या mRNA के लगभग समान हैं।
पांचवी श्रेणी के विषाणु जीनोम, एकल-स्ट्रैंडेड RNA भी हैं, हालांकि, वे सामान्य mRNA से
विपरीत दिशा में चलते हैं।
श्रेणी VI वायरस जीनोम, श्रेणी V के समान होते हैं, लेकिन वे प्रतिकृति बनाने के लिए एक
अलग विधि का उपयोग करते हैं।
अंतिम श्रेणी VII में पैरारेट्रोवायरस (Para retro viruses) शामिल होते हैं।
वायरस को आकारिकी, रासायनिक संरचना और प्रतिकृति के तरीके के आधार पर वर्गीकृत किया
जाता है। मनुष्यों को संक्रमित करने वाले विषाणुओं को वर्तमान में 21 परिवारों में बांटा गया
है।विषाणुओं के वर्गीकरण के लिए अंतर्राष्ट्रीय समिति आधिकारिक निकाय है जो विषाणुओं को
क्रम, परिवार, जीनस और प्रजाति टेक्सा में वर्गीकृत करता है। वर्तमान में वायरस के सात
वंशक्रम हैं।वायरस में कई सामान्य विशेषताएं होती हैं, जैसे वे छोटे होते हैं तथा उनमें DNA या
RNA जीनोम होते हैं।अधिकांश विषाणुओं में आईकोसाहेड्रल (Icosahedral) या पेचदार कैप्सिड
(Helical capsid) संरचना होती है, हालांकि कुछ की संरचना जटिल विरिअन (Virion) के
समान भी होती है। एक आईकोसाहेड्रल में 20 भुजाओं वाली एक ज्यामितीय आकृति होती
है,तथा प्रत्येक एक समबाहु त्रिभुज से बनी होती है।
सीवियर एक्यूट रेस्पिरेटरी सिंड्रोम (Severe Acute Respiratory Syndrome) कोरोनावायरस -
2 (SARS-CoV-2) मनुष्यों में एक नया उभरता हुआ, अत्यधिक संक्रामक और रोगजनक
कोरोनावायरस है,जिसने वैश्विक सार्वजनिक स्वास्थ्य आपात स्थिति और आर्थिक संकट पैदा
किया है। हालांकि 2003 से पहले, केवल दो मानव कोरोना (HCoV-229E औरHCoV-OC43)
वायरस ही ज्ञात थे, जो हल्की बीमारी के कारण जाने जाते थे।हालाँकि,SARS-CoV और
MERS-CoV के उद्भव ने दुनिया भर में इस दृष्टिकोण को बदल दिया क्योंकि कोरोनावायरस
जीवन के लिए खतरा पैदा कर सकता है। पुनर्संयोजन, उत्परिवर्तक युग्मविकल्पी, और
पारस्परिक मजबूती कुछ ऐसे विकासवादी तंत्र हैं, जो कोरोना वायरस को मनुष्यों सहित अपनी
मेजबान श्रेणियों का विस्तार करने में सक्षम बनाते हैं।
कोरोनावायरस बड़े, आच्छादित, सकारात्मक-स्ट्रेंडेड आरएनए वायरस (Positive-stranded RNA)
हैं जो विभिन्न प्रकार के स्तनधारी और एवियन प्रजातियों को संक्रमित करने के लिए जिम्मेदार
हैं।इन विषाणुओं की सतह पर ग्लाइकोप्रोटीन (Glycoproteins) के स्पाइक जैसे प्रक्षेपण होते हैं,
जो इलेक्ट्रॉन माइक्रोस्कोप के नीचे एक मुकुट की तरह दिखाई देते हैं।कोरोनावायरस जीनोम कई
संरचनात्मक और गैर-संरचनात्मक प्रोटीनों को एन्कोड करता है।संरचनात्मक प्रोटीन मेजबान
संक्रमण, झिल्ली संलयन, वायरल असेंबली, मॉर्फोजेनेसिस (Morphogenesis), और वायरस
कणों की मुक्ति के लिए जिम्मेदार हैं, जबकि गैर-संरचनात्मक प्रोटीन वायरल प्रतिकृति और
प्रतिलेखन की सुविधा प्रदान करते हैं।झिल्ली, आवरण, और स्पाइक प्रोटीन संरचनात्मक प्रोटीन
बनाते हैं और आवरण से जुड़े होते हैं।इन संरचनात्मक प्रोटीनों में,ट्राइमेरिक S प्रोटीनवायरस के
आवरण से बाहर निकलता है और वह प्रमुख मशीनरी बनता हैं जो मेजबान कोशिका में वायरस
के प्रवेश की सुविधा प्रदान करते हैं।मानव कोरोना वायरस,विभिन्न प्रकार के मेजबान रिसेप्टर्स से
जुड़ताहैं।जैसे HCoV-229E,मानव अमीनोपेप्टिडेज़ N (Aminopeptidase N) से,MERS-
CoV,डाइपेप्टिडाइल पेप्टिडेज़ -4 (Dipeptidyl peptidase-4) सेHCoV-OC43 और HCoV-
HKU1 कुछ प्रकार के O-एसिटिलेटेड सियालिक एसिड (O-Acetylated sialic acid),और
HCoV-NL63 और SARS-CoVएंजियोटेंसिन-परिवर्तित एंजाइम 2 (Angiotensin-converting
enzyme 2) से जुड़तेहैं।कार्यात्मक अध्ययनों के साथ,हाल की संरचनाओंने सुझाव दिया है
किSARS-CoV-2 S प्रोटीन मेजबान-कोशिका में प्रवेश के लिए ACE2 और ट्रांसमेम्ब्रेन सेरीन
प्रोटीज 2 (TMPRSS2) का उपयोग करते हैं,जो काफी हद तक SARS-CoVद्वारा अपनाए गए
तंत्र के समान हैं।कोविड –19,SARS की तुलना में बहुत अधिक संचरणीय है। इसका प्रमुख
कारण यह है, कि SARS-CoV-2 के लिए ऊष्मायन अवधिSARS-CoVसे अधिक होती
है।SARS-CoV-2 के उच्च वायरल लोड की जानकारी लक्षणों की शुरुआत मेंहोती है जबकि
SARS-CoVके वायरल लोडकी जानकारी लक्षण शुरू होने के एक-दो सप्ताह बाद होती है। इसके
अलावा भी ऐसे अनेकों अंतर हैं, जो कोविड -19 वायरस को अन्य कोरोना वायरसों से अलग
बनाते हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3Gww72O
https://bit.ly/31KGykz
https://bit.ly/3pzGSL6
https://bit.ly/3EM76k4
चित्र संदर्भ
1. SARS-CoV-2 विषाणु को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. इबोला की संरचना को दर्शाता एक चित्रण (philstaz)
3. जुड़े हुए दो RNA को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. प्रयोगशाला में संवर्धित मानव कोशिकाओं से निकलने वाले SARS-CoV-2 विषाणु (पीला) के रंगीन स्कैनिंग इलेक्ट्रॉन माइक्रोग्राफ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. COVID-19 महामारी के दौरान एक मरीज से अलग किए गए SARS‑CoV‑2 विषाणु (लाल) के ट्रांसमिशन इलेक्ट्रॉन माइक्रोग्राफ को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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