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राजपूत वास्तुकला एक स्थापत्य शैली है‚ जो कई राजपूत शासकों के किलों और
महलों के लिए दर्शनीय तथा लोकप्रिय पर्यटक आकर्षण भी हैं। कई राजपूत किले
यूनेस्को (UNESCO) के विश्व धरोहर स्थल (World Heritage Site) में भी
शामिल हैं। राजपूत शासकों को कला और स्थापत्य में सुंदरता की गहरी समझ थी‚
जो उनके मंदिरों‚ किलों और महलों की कलात्मक उत्कृष्टता में देखी जा सकती
है।
राजपूत वास्तुकला विभिन्न प्रकार की इमारतों का प्रतिनिधित्व करती है‚ जिन्हें या
तो धर्मनिरपेक्ष या धार्मिक के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। धर्मनिरपेक्ष
इमारतें विभिन्न पैमानों की हैं‚ जिनमें कई मंदिर‚ किले‚ बावड़ी‚ उद्यान और
महल शामिल हैं। इस्लामी आक्रमणों के कारण किले विशेष रूप से रक्षा और सैन्य
उद्देश्यों के लिए बनाए गए थे। मुगल वास्तुकला ने कला और वास्तुकला की
स्वदेशी राजपूत शैलियों को बहुत प्रभावित किया। राजपूत काल के दौरान उत्तर
भारत और ऊपरी दक्कन में वास्तुकला की इंडो-आर्यन शैली (Indo-Aryan style)
और दक्षिण भारत में द्रविड़ शैली (Dravidian style) विकसित हुई। मूर्तिकला और
वास्तुकला दोनों ने उच्च स्तर की उत्कृष्टता प्राप्त की।
राजपूत वास्तुकला 20 वीं और 21 वीं शताब्दी में अधिक प्रचलित हुई‚ जब ब्रिटिश
(British) भारत की रियासतों के शासकों ने‚ अल्बर्ट हॉल संग्रहालय (Albert Hall
Museum)‚ लालगढ़ पैलेस (Lalgarh Palace) और उम्मेद भवन पैलेस (Umaid
Bhawan Palace) जैसे विशाल तथा भव्य महलों तथा अन्य इमारतों को शुरू
किया। इनमें आमतौर पर यूरोपीय शैलियों (European styles) को भी शामिल
किया गया था‚ एक ऐसी प्रथा जो अंततः इंडो-सरसेनिक शैली (Indo-Saracenic
style) की ओर ले गई। मंदिर वास्तुकला की इंडो-आर्यन शैली की महत्वपूर्ण
विशेषता “विमना” (“Vimana”) या अभयारण्य तथा “गर्भ गृह” (“Garbha Griha”)
या छोटा अंधेरा कक्ष है‚ जहां मुख्य मूर्ति रखी जाती है। प्रत्येक मंदिर में एक सभा
मंडप होता था‚ जिसका उपयोग भक्तों द्वारा सामूहिक ध्यान‚ धार्मिक प्रवचन
आदि के लिए किया जाता था। इस प्रकार के उदाहरण विश्वनाथ मंदिर‚ खंडरिया
(Khandariya) महादेव मंदिर‚ खजुराहो (Khajuraho) मंदिर‚ कोणार्क में सूर्य
मंदिर‚ भुवनेश्वर में लिंगराज मंदिर‚ पुरी में जगन्नाथ मंदिर और माउंट आबू में
तेजपाला मंदिर हैं। महाबलीपुरम या मामल्लापुरम के रथ‚ एलोरा में कैलाश मंदिर
और एलीफेंटा की मूर्तियां‚ प्रारंभिक राजपूत काल (600 ईस्वी से 900 ईस्वी) से
संबंधित है तथा उड़ीसा‚ खजुराहो‚ राजस्थान‚ मध्य प्रदेश की मंदिर वास्तुकला और
दक्षिण में पल्लव (Pallava)‚ चोल (Chola) और होयसला (Hoysala) मंदिर बाद
के राजपूत काल (900 ईस्वी से 1200 ईस्वी) के हैं।
मध्यकालीन युग में उत्तर प्रदेश पर कई राजपूत राजवंशों ने शासन किया‚ जिसके
कारण राजपूतों द्वारा कई किले‚ महल और मंदिर बनवाए गए थे। कालिंजर
(Kalinjar)‚ भारत में उत्तर प्रदेश के बांदा जिले के बघेलखंड में स्थापित एक किला
है‚ जिसे 10वीं शताब्दी में चंदेल राजपूत वंश द्वारा बनाया गया था। चट्टानी
पहाड़ी पर बने इस किले पर रीवा के सोलंकी‚ वर्धन वंश‚ चंदेल‚ गुप्त‚ मुगल और
मराठों सहित कई राजवंशों का शासन था। जयचंद्र किला कन्नौज के राठौर
राजपूतों द्वारा बनाया गया था। 600 ईस्वी से 1200 ईस्वी के दौरान राजपूतों ने
कई निर्माण कार्य किए‚ जिनमें खजुराहो के मंदिर सबसे सुंदर माने जाते हैं‚
क्योंकि वे गुलाबी रंग के और पीले महीन दाने वाले बलुआ पत्थर से बने हैं। इन
मंदिरों की सबसे शानदार विशेषता बालकनी की खिड़की है। दरवाजों‚ गलियारों‚
खंभों और छतों पर नक्काशीदार फूलों के डिज़ाइन उत्कीर्ण हैं। वहां परियों और
आत्माओं जैसे अन्य विभिन्न किंवदंतियों की मूर्तियां भी हैं। खंडरिया मंदिर‚
खजुराहो का सबसे बड़ा स्मारक है‚ जिसे 1017 और 1029 ईस्वी के बीच बनाया
गया था। पार्श्वनाथ मंदिर‚ 950-70 ईस्वी के दौरान‚ खजुराहो में सबसे बड़े जैन
मंदिरों में से एक के रूप में बनाया गया था। इस मंदिर का आकार आयताकार है।
1002 ईस्वी में‚ चंदेल राजा धंगा द्वारा विश्वनाथ मंदिर का निर्माण किया गया
था। राजपूतों ने चित्तौड़गढ़‚ जयपुर‚ जैसलमेर‚ जोधपुर‚ रणथंभौर‚ ग्वालियर और
कई अन्य स्थानों पर भव्य किले बनाए थे। चित्तौड़गढ़ किला भारत का सबसे बड़ा
किला है‚ जिसे 7वीं शताब्दी ईस्वी में मौर्यों द्वारा बनवाया गया था। इस किले में
सात द्वार हैं‚ और इसमें कई ऐतिहासिक स्मारक भी हैं जैसे; विजय स्तम्भ‚
कीर्तिस्तंभ‚ फतह प्रकाश महल‚ आदि। जिनमें सबसे सराहनीय‚ जया स्तम्भ या
चित्तौड़ में निर्मित विजय की मीनार है‚ यह नौ मंजिला के साथ लगभग 37 मीटर
ऊंचा है। मीनार की दीवारों पर हिंदू देवी-देवताओं की मूर्तियां खुदी हुई हैं। इसका
निर्माण महाराणा कुंभा ने 13वीं शताब्दी के दौरान मालवा के शासक महमद पर
अपनी जीत का जश्न मनाने के लिए किया था। यह मीनार चौकोर आकार की है
और इसके चारों तरफ खिड़कियां हैं। थार रेगिस्तान में त्रिकुटा पहाड़ी पर स्थित‚
जैसलमेर किले का निर्माण‚ 1156 ई. में भाटी राजपूत राजा राव जैसल द्वारा
करवाया गया था।
राजस्थान भारत का सबसे खूबसूरत तथा जीवंत राज्य है। इसकी वास्तुकला की
अनोखी विशेषता पूरी दुनिया में बहुत लोकप्रिय है। राजस्थान की वास्तुकला काफी
हद तक राजपूत वास्तुकला विघालयों पर निर्भर है‚ जो मुगल और हिंदू
संरचनात्मक डिजाइन का आदर्श मिश्रण है। भव्य हवेलियां‚ आश्चर्यजनक किले
और विस्तृत नक्काशीदार मंदिर राजस्थान की स्थापत्य विरासत का महत्वपूर्ण
हिस्सा हैं। सबसे आकर्षक और शानदार किलों के साथ-साथ सूखी अरावली भूमि
वाले महल‚ राजस्थान की प्रसिद्ध विरासत के इतिहास को स्पष्ट रूप से दर्शाते हैं।
राजस्थान में सबसे महत्वपूर्ण वास्तुशिल्प डिजाइनों में जंतर मंतर‚ दिलवाड़ा
मंदिर‚ लेक पैलेस होटल‚ सिटी पैलेस‚ चित्तौड़गढ़ किला और जैसलमेर हवेलियां
शामिल हैं। राजस्थान राज्य सिंधु घाटी सभ्यता की प्रमुख क्षेत्रीय राजधानी थी।
परंपरागत रूप से भीलों‚ राजपूतों‚ यादवों‚ जाटों‚ गुर्जरों और विभिन्न अन्य
आदिवासी लोगों ने राजस्थान राज्य के निर्माण में महत्वपूर्ण योगदान दिया। राज्य
को पहले राजपुताना कहा जाता था और राजपूतों द्वारा शासित रियासत के रूप में
सेवा की जाती थी। राजस्थान के वर्तमान राज्य में कई जाट राज्य‚ राजपूत राज्य
और मुगल साम्राज्य भी शामिल हैं। राजस्थान एक भव्य स्थापत्य विरासत को
लेकर भारत के प्रमुख पर्यटन स्थलों में से एक है। राजस्थान वास्तुकला की
महत्वपूर्ण कलाकृतियों में छत्री शैली (chhatri styles) सबसे विशिष्ट है।
राजस्थान में स्थित छत्रियां गुंबद के आकार में ऊंचे मंडप हैं और राजस्थान की
वास्तुकला का सबसे अच्छा उदाहरण हैं। छत्री सम्मान और गौरव के प्रतीक के रूप
में खड़ी होती हैं। राजस्थान के शेखावाटी क्षेत्र में प्रतिष्ठित और धनी व्यक्तियों के
दाह संस्कार के लिए बने स्थानों पर भी छत्रियां हैं। शेखावाटी में मौजूद छत्रियां
आम तौर पर साधारण संरचना होती हैं‚ जिसमें एक हवेली के चार खंभों के अंदर
एक ही गुंबद बना होता है‚ जिसमें कई गुंबदों के साथ-साथ विभिन्न कमरों वाला
एक तहखाना भी होता है। जोधपुर‚ जयपुर‚ हल्दीघाटी‚ उदयपुर‚ बीकानेर आदि
शहरों में भी कई महत्वपूर्ण छत्रियां मौजूद हैं।
संदर्भ:
https://bit.ly/3naFtuA
https://bit.ly/3qu4qTL
https://bit.ly/30hTkpM
https://bit.ly/3Ccj2cG
चित्र संदर्भ
1. जयपुर में कछवाहा राजपूतों द्वारा निर्मित सिटी पैलेस (चंद्रमहल) को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
2. जूनागढ़ किले, बीकानेर के प्रवेश पूर्वी अग्रभाग को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
3.'कंदरिया महादेव मंदिर को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
4. भारत का एक प्रसिद्ध स्मारक, चित्तौड़गढ़ किले, को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
5. फतेहपुर सीकरी महल परिसर में हॉल ऑफ ऑडियंस (Hall of Audience) के प्रत्येक कोने के ऊपर स्थित छतरी को दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
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