भारत के चारों तरफ दशहरा या विजयदशमी मनाने की अनूठी परंपरा

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
14-10-2021 05:54 PM
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भारत के चारों तरफ दशहरा या विजयदशमी मनाने की अनूठी परंपरा

भारतीय त्यौहार अपने आप में केवल उत्सव अथवा जश्न मनाने का अवसर नहीं होते हैं, बल्कि भारत में मनाया जाने वाले प्रत्येक उत्सव अथवा त्यौहार में कोई न कोई गहरा संदेश या अथवा व्यावहारिक ज्ञान छुपा रहता है। इस संदर्भ में "बुराई पर अच्छाई की जीत' का संदेश देने वाले दशहरे से बेहतर उदाहरण भला क्या हो सकता है।
हिन्दुओं का प्रमुख त्यौहार दशहरा अथवा विजयादशमी या आयुध-पूजा को अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की दशमी तिथि को मनाया जाता है। धर्म ग्रंथों के अनुसार इसी दिन भगवान श्री राम ने बुराई का प्रतीक माने जाने वाले दानव राज, रावण का वध किया था। साथ ही यह दिन इसलिए भी खास है, क्यों की विजयादशमी के अवसर पर ही देवी दुर्गा ने नौ रात्रि एवं दस दिन के युद्ध के उपरान्त महिषासुर पर विजय प्राप्त की थी, जिसे असत्य पर सत्य की विजय के रूप में मनाया जाता है। शस्त्र पूजा के संदर्भ में भी यह दिवस वेहद खास माना जाता है, साथ ही यह भी मान्यता है की विजयादशमी के दिन शुरू किये गए किसी भी कार्य में सफलता आवश्य मिलती है। इस दिन लोग कई नए कार्य प्रारम्भ करते हैं (जैसे अक्षर लेखन का आरम्भ, नया उद्योग आरम्भ, बीज बोना आदि)। बुराई पर विजय के इस शुभ अवसर पर देशभर में मेलों का आयोजन किया जाता है। इस दिन रामलीला का आयोजन भी किया जाता है, तथा रावण वध के रूप में प्रभु श्री राम और माँ दुर्गा दोनों की ही विजय के अवसर पर दशहरा तथा विजयदशमी पूरे हर्ष और उल्लास के साथ मनाया जाता है। दशहरा का पर्व दस प्रकार के पापों- काम, क्रोध, लोभ, मोह, मद, मत्सर, अहंकार, आलस्य, हिंसा और चोरी के परित्याग त्याग करने की भी प्रेरणा देता है। दशहरे को अधिकांश उत्तरी और पश्चिमी भारत में भगवान विष्णु के अवतार प्रभु श्री राम के सम्मान में मनाया जाता है। रामायण और रामचरितमानस (रामलीला) पर आधारित मेलों और रंगमंचों का आयोजन किया जाता है। दशहरा उत्सव के दौरान प्रदर्शन कला परंपरा को यूनेस्को द्वारा 2008 में "मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत" के रूप में दर्ज किया गया था। पिछले नौ दिन चली रामलीलाओं का मंचन दसवें दिन समाप्त हो जाता है, जब दुष्ट रावण और उसके साथियों के पुतले जलाकर राम की जीत का जश्न मनाया जाता है। दशहरा अथवा विजयदशमी का त्योहार पूरे देश में विभिन्न परंपराओं और रीति-रिवाजों के साथ मनाया जाता है। जिनमें से कुछ स्थानों का उल्लेख निम्नवत दिया गया है
1.मैसूर: मैसूर में देश के सबसे शानदार दशहरा समारोहों का आयोजन किया जाता है। अनुष्ठानिक उत्सव के साथ जुड़ी मैसूर की शाही विरासत देखते ही बनती है। दशहरे के अवसर पर मैसूर महल त्यौहार के सबसे प्रमुख आकर्षणों में से रहता है, जो रात भर जगमग करती रोशनी में नहाया हुआ रहता है। मैसूर महल के आंगन में कई सांस्कृतिक और धार्मिक कार्यक्रम, गीत और नृत्य प्रदर्शन भी आयोजित किए जाते हैं। इस अवसर पर सोने और भव्य आभूषणों में सजी चामुंडेश्वरी की मूर्ति का भव्य जुलूस निकाला जाता है, जो की ऐतिहासिक मैसूर पैलेस से बन्नी मंतपा तक जाती है।
2. बंगाल: त्रिपुरा और उड़ीसा, बंगाल में दुर्गा पूजा की लोकप्रियता भला किससे छुपी हुई है। दुर्गा पूजा का उत्साह बंगाल, उड़ीसा और त्रिपुरा राज्य पर हावी हो जाता है। यहाँ रामायण महाकाव्य के राम-रावण युद्ध के बजाय महिषासुर पर देवी दुर्गा की जीत का जश्न मनाया जाता हैं। पांच दिनों तक चलने वाला यह उत्सव षष्ठी से शुरू होता है, और अंतिम दिन विजयादशमी तक चलता है। इस शुभवसर पर पंडालों की स्थापना से लेकर कविता पाठ, गायन, नृत्य और चित्रकला प्रतियोगिता सहित विभिन्न सांस्कृतिक गतिविधियों के आयोजनों के साथ-साथ कपड़े खरीदने की भी परंपरा है। यहाँ के पंडालों में स्वादिष्ट पारंपरिक व्यंजन परोसे जाते हैं। महिलाएं वैवाहिक जीवन की शुभकामनाओं के रूप में एक-दूसरे के गालों और माथे पर सिंदूर लगाती हैं। लोग शाम को एक-दूसरे को 'शुभो बिजोया' की शुभकामनाएं देते हैं।
3. कुल्लू में दशहरा: विजय दशमी पर कुल्लू घाटी के ढालपुर मैदान को दशहरा मनाने के लिए फूलों और रोशनी से खूबसूरती से सजाया जाता है। मान्यता है की 17 वीं शताब्दी के दौरान स्थानीय राजा जगत सिंह ने दशहरे पर अपने सिंहासन पर रघुनाथ (भगवान राम) की एक मूर्ति स्थापित की और उसके बाद से भगवान रघुनाथ को कुल्लू घाटी के शासक देवता के रूप में घोषित कर दिया। यहाँ पर रावण का पुतला नहीं जलाया जाता हालांकि यहाँ लंका दहन के प्रतीकात्मक रूप में झाड़ियों में आग लगाई जाती है। इस दिन, देवी हडिम्बा की झांकी भी आयोजित की जाती है।
4.गुजरात में दशहरा: रंगीन राज्य गुजरात में दशहरे को नवरात्रि के रूप में मनाया जाता है। इस शुभवसर पर देवी दुर्गा की पूजा के बाद रात भर गरबा खेला जाता है। गरबा खेलने के लिए, पुरुष और महिलाएं पारंपरिक पोशाक पहनते हैं, जो महिलाओं के लिए लहंगा चोली और पुरुषों के लिए केडिया होती हैं।
5.दिल्ली में दशहरा: देश की राजधानी दिल्ली में दहशरा प्रभु श्री राम द्वारा रावण पर विजय के रूप में मनाया जाता है। दशहरे की पूर्व संध्या से ही मंदिरों को शानदार ढंग से सजाया जाता है, और राम लीला का आयोजन किया जाता है। शहर के विभिन्न स्थानों पर रावण, मेघनाद और कुंभकरण सहित तीनों राक्षसों की पुतलों को जलाया जाता है। दिल्ली में कई ऐसे स्थान हैं, जहां मां दुर्गा के पंडाल भी बनाए जाते हैं।
6.पंजाब में दशहरा: अन्य राज्यों की भांति, पंजाब भी दुर्गा पूजा को शानदार तौर- तरीके से मनाता है। पंजाबी लोग देवी शक्ति की पूजा करते हैं। पंजाब के लोग नवरात्रि के दौरान और कई जगहों पर 7 दिनों का उपवास रखते हैं; वे जगराता (पूरी रात भक्ति गीत गाकर जागना) की व्यवस्था भी करते हैं। 8 वें दिन या अष्टमी को, वे 9 छोटी लड़कियों के लिए भंडारा का आयोजन करने के साथ-साथ कंजिका के नाम से अपना उपवास खोलते हैं।
7.तमिलनाडु में दशहरा: तमिलनाडु राज्य दशहरे को पूरी भिन्नता के साथ मनाता है। यहाँ इस अवसर पर देवी दुर्गा, लक्ष्मी और सरस्वती की पूजा की जाती है। तमिलनाडु के लगभग हर घर में दशहरे के दौरान लोकप्रिय गुड़िया शो का आयोजन किया जाता है। विवाहित महिलाएं अपनी महिला मित्रों को अपने घरों में आमंत्रित करती हैं, और उन्हें वैवाहिक प्रतीकों से संबंधित सामान उपहार में देती हैं।
8.उत्तर प्रदेश दशहरा: भारत के उत्तर प्रदेश राज्य में प्रतीकात्मक रूप से भगवान राम द्वारा रावण की मूर्ति को आग लगाकर दशहरा मनाया जाता है। इसे बुराई पर अच्छाई की जीत के रूप में दर्शाया जाता है। वाराणसी, लखनऊ और कानपुर जैसे शहरों में भव्य रामलीलाका आयोजन किया जाता है, और रामायण के खलनायक रावण, कुंभकरण और मेघनाथ के दहन के साथ ही रामलीला का समापन होता है।
9.छत्तीसगढ़ का दशहरा: छत्तीसगढ़ राज्य में दशहरा अनोखी परंपरा के साथ मनाया जाता है, जहाँ प्रकृति, आध्यात्मिकता और राज्य के पीठासीन देवी दंतेश्वरी (बस्तर के पीठासीन देवता) की पूजा की जाती हैं। इस राज्य में दशहरे के अवसर पर विभिन्न प्रकार के अद्वितीय अनुष्ठान किये जाते हैं, जिसमे पाटा जात्रा (लकड़ी की पूजा), डेरी गढ़ाई (कलश की स्थापना), कचन गाड़ी (देवी कचन के लिए सिंहासन की स्थापना), निशा जात्रा (रात के समय का त्योहार), मुरिया दरबार (सम्मेलन) अंतिम दिन आदिवासी सरदारों) और ओहदी (देवताओं को विदाई) आदि शामिल हैं।

संदर्भ
https://bit.ly/3DCbnpd
https://bit.ly/3v7cJoW
https://bit.ly/3mJmUfw
https://en.wikipedia.org/wiki/Vijayadashami

चित्र संदर्भ
1. गरबा नृत्य को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
2. है। दशहरे के अवसर पर मैसूर महल त्यौहार के सबसे प्रमुख आकर्षणों में से रहता है,जिसका एक चित्रण (flickr)
3. माँ दुर्गा को सिंदूर लगाती बंगाली महिला का एक चित्रण (istock)
4. विजय दशमी पर कुल्लू घाटी के ढालपुर मैदान को दशहरा मनाने के लिए फूलों और रोशनी से खूबसूरती से सजाया जाता है, जिसको दर्शाता एक चित्रण (flickr)
5. गरबा नृत्य को दर्शाता एक चित्रण (flickr)
6. मेघनाद और कुंभकरण सहित तीनों राक्षसों के पुतलों का एक चित्रण (youtube)
7. माँ दुर्गा का एक चित्रण (flickr)
8. तमिलनाडु के लगभग हर घर में दशहरे के दौरान लोकप्रिय गुड़िया शो का आयोजन किया जाता है।जिसको दर्शाता एक चित्रण (wikimedia)
9. रामलीला मंचन को दर्शाता एक चित्रण (youtube)
10. पीठासीन देवी दंतेश्वरी मंदिर का एक चित्रण (wikimedia)

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