समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 960
मानव व उसके आविष्कार 743
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
कपड़े हमारे जीवन का एक अभिन्न हिस्सा हैं।जब भी हम कोई कपड़ा खरीदने जाते हैं, तो उसे
स्पर्श करके अवश्य देखते हैं। वास्तव में हम उसकपड़े की बनावट या टेक्सचर (Texture) की
जांच कर रहे होते हैं। कोई भी कपड़ा बनावट, रंग और रेखा के संयुक्त डिजाइन तत्व से
मिलकर बनता है, इसलिए प्रत्येक कपड़े को व्यक्ति के आकार के अनुसार चयनित किया जाना
चाहिए, तथा साथ ही यह भी देखना चाहिए कि यह दूसरे तत्वों में से प्रत्येक को कैसे प्रभावित
करता है।
फैशन जगत में कपड़े की बनावट का प्रभाव इस बात को प्रभावित करता है, कि कपड़े का रंग
कैसा दिखाई देता है तथा डिजाइन लाइनें कैसे कार्य करती हैं।कपड़े की बनावट उसकी काया और
सतह का वर्णन करती हैं।बनावट खुरदरी या चिकनी, खुरदरी या महीन, कुरकुरी या
चिपचिपी,मुलायम या कड़ी, पतला या भारी,चमकदार या ढीला आदि हो सकती है।चूंकि बनावट
की कई विशेषताएं होती हैं, इसलिए वे परिधान के डिजाइन की विशेषता को बढ़ा या घटा सकती
है।इसके अलावा यह शरीर के आकार से सम्बंधित भ्रम भी उत्पन्न कर सकती हैं।उदाहरण के
लिए यदि कोई व्यक्ति पतला है, तो कपड़े की बनावट उसे मोटा दिखा सकती है, तथा यदि कोई
व्यक्ति मोटा है, तो कपड़े की बनावट उसे पतला दिखा सकती है।
बनावट को कम से कम दो तरीकों से महसूस किया जा सकता है।पहला स्पर्श करके तथा दूसरा
केवल देख कर।कपड़े की भौतिक बनावट वस्तु-सत्ता का बोध कराती है।यह इसे ठोस भौतिक
दुनिया से जोड़ती है, इसलिए कपड़े में इसका विशेष महत्व देखा जाता है।रामपुर जरदोजी का
एक प्रमुख केंद्र है, तथा दुनिया भर में इसकी अत्यधिक मांग है।जरदोजी जहां अपने सौंदर्यशास्त्र
के कारण अत्यधिक लोकप्रिय है,वहीं इसकी बनावट भी इसे पूरे विश्व में अत्यधिक लोकप्रिय
बनाती है।कपड़े की बनावट उसकी भौतिक सतह को संदर्भित करती है।एक कपड़े की बनावट को
उन सामग्रियों द्वारा परिभाषित किया जाता है,जो इसके निर्माण में उपयोग में लाई जाती
हैं।जैसे फाइबर, यार्न, बुनाई तकनीक,अंतिम स्पर्श या फाइनल टच आदि।कपड़े की बनावट का
सबसे बुनियादी निर्धारक वह फाइबर या तंतु है जिसका कपड़ा बनाते समय उपयोग किया जा
रहा है।एक प्रकार से यह कपड़े की भौतिक सतह की संरचना और गुणवत्ता है।
यूं तो दुनिया में कपड़े की बनावट के विभिन्न प्रकार और शैलियाँ निर्मित की जाती हैंया मौजूद हैं,
लेकिन उन्हें मुख्यतः 3 वर्गों में वर्गीकृत किया जा सकता है।इन तीन वर्गों में प्राकृतिक बनावट,
पूरक बनावट और उपचारित बनावट शामिल है। प्राकृतिक बनावट का निर्माण विभिन्न धागों की
परस्पर क्रिया से होता है।इस तरह की बनावट के लिए वनस्पति फाइबर और जंतु फाइबर का
उपयोग किया जाता है। जब फिनिश्ड फैब्रिक टेक्सचर में बाहरी सामग्री जोड़ी जाती है,तो इसेपूरक
बनावट के तौर पर वर्गीकृत किया जाता है।पूरक बनावट के लिए उपयोग किए जाने वाले तरीकों
में कढ़ाई, पैच वर्क (Patchwork),बीडिंग (Beading) आदि शामिल हैं। इसी प्रकार से उपचारित
बनावट व्यापक प्रसंस्करण के माध्यम से प्राकृतिक बनावट के लिए उपयोग किए जाने वाले
कच्चे माल का शोधन है।फैब्रिक टेक्सचर पर विभिन्न प्रकार के फ़िनिश लागू होते हैं, जैसे एसिड
वॉश (Acid wash),एयर जेट स्पाइनिंग (Air jet spinning), एंटी स्टेटिक फिनिश (Anti-static
finish) आदि।
कपड़ों की विभिन्न बनावट के लिए फाइबरों की एक विस्तृत श्रृंखला का उपयोग किया जाता है।
इन फाइबरों में कपास, ऊन, रेशम, ट्वीड (Tweed) आदि शामिल हैं।कपड़े की बनावट में कभी-
कभी दिखाई देने वाली असमानता मौजूद होती है, किंतु कभी-कभी यह पूरी तरह से चिकनी
दिखाई देती है।बनावट इस बात को प्रभावित कर सकती है, कि परिधान का रंग और पैटर्न कैसा
दिखाई देगा।कपड़े की बनावट सबसे अधिक इसलिए महत्वपूर्ण हैं, क्यों कि यह शरीर को आराम
पहुंचाती है, तथा इसी आधार पर लोग कपड़े को खरीदना पसंद करते हैं।किसी को भी खुरदुरा
और मोटा कपड़ा पहनना पसंद नहीं होता, इसलिए जब आरामदायक बनावट वाला कपड़ा पहना
जाता है, तब व्यक्ति का मूड भी अच्छा हो जाता है।एक पार्टी में आपकी पोशाक की बनावट
दूसरों लोगों को यह बताती है कि आप किस तरह के व्यक्ति हैं, तथा आपसे कैसे संपर्क किया
जा सकता है।आपके इंटीरियर की फैब्रिक टेक्सचर आपके मेहमानों को आपकी रूचि और
लालित्य के बारे में भी बताती है।कोई भी फ़ैब्रिक डिज़ाइनर सबसे पहले कपड़े की बनावट को ही
महत्व देता है, क्यों कि कपड़े की बनावट वह पहली चीज है, जिससे उपभोक्ता उस कपड़े में
रूचि लेता है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3mpvmAo
https://bit.ly/3Fr5FIs
https://bit.ly/3Fq5qNx
https://bit.ly/3iBcvB5
https://bit.ly/2WUpeaI
चित्र संदर्भ
1. सर्दी के कपड़ों की कई चीजें पहने बच्चे का एक चित्रण (wikimedia)
2. आरामदायक कपडे को संदर्भित करता एक चित्रण (shutterstock)
3. कोरियाई पैचवर्क से बनी पारंपरिक जोगोरी (जैकेट) पहने महिलाका एक चित्रण (wikimedia)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.