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गणेश चतुर्थी, हिंदू कैलेंडर में सबसे शुभ त्योहारों में से एक है, जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से
भी जाना जाता है। यह 10-दिवसीय उत्सव भगवान गणेश की मूर्ति को घर में स्थापित करने के
साथ शुरू होता है। आज के दिन भक्त सुंदर गढ़ी और चित्रित गणेश प्रतिमाओं को अपने घर
लाते हैं। इसके अलावा भगवान गणेश की भव्य मूर्तियों के साथ पंडाल भी स्थापित किए जाते
हैं। गणेश चतुर्थी के साथ जो एक अन्य खास बात जुड़ी हुई है, वह है इस दिन बनने वाले
स्वादिष्ट पकवान जिन्हें भोग के रूप में भगवान गणेश को चढ़ाया जाता है तथा प्रसाद को पूरे
परिवार तथा आस-पड़ोस में वितरित किया जाता है। ढेर सारी मिठाइयों के साथ-साथ इस दिन
नमकीन व्यंजन भी तैयार किए जाते हैं।तो चलिए आज गणेश चतुर्थी के दिन बनने वाले
पकवानों और त्योहार के साथ जुड़े उनके महत्व को जानने का प्रयास करते हैं।
10-दिवसीय उत्सव के दौरान मिठाई की दुकानें विशेष रूप से मोदक, बर्फी, लड्डू आदि से सजी
होती हैं:
मोदक की बात करें तो यह गणेश चतुर्थी का विशेष प्रसाद माना जाता है, जिसे चावल के आटे
को स्टीम्ड (भाप में) करके बनाया जाता है।
स्टीम्ड आटे के अंदर आमतौर पर नारियल, गुड़
और केसर का मिश्रण भरा जाता है।भगवान गणेश को मोदक के प्रति उनके प्रेम के कारण
मोदरप्रिया भी कहा जाता है। हिंदू पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार देवी पार्वती ने अपने
दो पुत्रों कार्तिक और गणेश को एक मोदक की पेशकेश की। जबकि दोनों भाई इसे खाना चाहते
थे, लेकिन वे उसे बांटने को तैयार न थे।तो एक प्रतियोगिता के रूप में माता पार्वती ने उन्हें
दुनिया के तीन चक्कर लगाने के लिए कहा तथा जो विजेता बनता उसे इनाम के रूप में मोदक
दिया जाता। यह सुनते ही कार्तिक अपनी सवारी मोर के साथ निकल पड़े जबकि गणपति रुक
गए और अपने माता-पिता (भगवान शिव और देवी पार्वती) के चारों ओर तीन चक्कर लगाए।
जब माता पार्वती ने उनसे इसके बारे में पूछा तो भगवान गणेश ने उत्तर दिया कि उनके लिए वे
ही उनकी पूरी दुनिया हैं।इससे प्रभावित होकर भगवान गणेश को मोदक दिया गया और तब से
यह उनकी पसंदीदा मिठाई बन गयी।
भगवान गणेश को अक्सर हाथों में लड्डू पकड़े हुए भी प्रदर्शित किया जाता है, चाहे वह चित्रों में
हो या मूर्तियों में। यह 'मोतीचूर के लड्डू' के लिए उनके अपार प्रेम को दर्शाता है। चमकीले
नारंगी रंग की यह मिठाई गणेश पूजा के बाद सबसे लोकप्रिय प्रसाद में से एक है।
उत्सव के दौरान गणपति को कई प्रकार के ताजे मौसमी फल भी चढ़ाए जाते हैं, लेकिन केले के
प्रति उनका प्रेम इन सबसे बढ़कर है। इसलिए लोग भगवान गणेश को केले की माला चढ़ाते
हैं।भगवान गणेश को भुने हुए चावलों का भोग भी लगाया जाता है। इसके पीछे मान्यता है, कि
जब कुबेर ने भगवान गणेश को भोजन के लिए आमंत्रित किया, तो वह भगवान गणेश को
प्रभावित करने में विफल रहे। शानदार भोजन के बावजूद गणपति संतुष्ट नहीं हुए, तो उपाय के
तौर पर भगवान शिव ने कुबेर को एक मुट्ठी भुने हुए चावल को पूरी श्रद्धा के साथ परोसने का
सुझाव दिया। इस प्रसाद को खाने के बाद ही गणपति की भूख शांत हुई थी।
भगवान गणेश को दूर्वा घास भी चढ़ाई जाती है।
पौराणिक कथाओं के अनुसार, एक बार एक
राक्षस से लड़ते हुए भगवान गणेश ने उसे निगल लिया, जिससे उनके पेट में काफी जलन हुई।
राहत प्रदान करने के लिए ऋषियों के एक समूह ने उन्हें दुर्वा घास खिलाई जिससे उनके पेट की
जलन खत्म हुई।
गणेश चतुर्थी के दिन कुछ अन्य पारंपरिक व्यंजन भी बनाए जाते हैं, जिनमें सतोरी,पूरन पोली,
(एक भरवां मीठी रोटी: चना दाल, चीनी और जायफल से बना व्यंजन) ,बूंदी के लड्डू, खीर आदि
शामिल हैं।सतोरी एक महाराष्ट्रीयन मीठी चपटी रोटी है, जिसे खोया या मावा, घी, बेसन और
दूध से बनाया जाता है। पूरन पोली मैदे से बनी चपटी रोटी है, जिसमें मसूर दाल और गुड़ से
बने मिश्रण को भरा जाता है। दक्षिण भारत में भगवान गणेश को नारियल चावल का भोग भी
लगाया जाता है, जिसे बनाने के लिए चावल को नारियल के दूध में भिगोकर या नारियल के
गुच्छे के साथ पकाकर तैयार किया जाता है। इसी प्रकार श्रीखंड भी गणेश चतुर्थी के प्रमुख
व्यंजनों में से एक है, जिसे मेवा और किशमिश के साथ परोसा जाता है।इनके अलावा केले से
बने शीरा, रवा पोंगल, मेदु वड़ा, पायसम आदि को भी गणेश चतुर्थी के दिन भोग के रूप में
चढ़ाया जाता है।व्यंजनों की यह सूची गणेश चतुर्थी उत्सव में खान-पान की अहम भूमिका को
उजागर करती है।
संदर्भ:
https://bit.ly/3h9WuBB
https://bit.ly/3nb5muI
https://bit.ly/3BN7Lj5
https://bit.ly/3BMj0bA
चित्र संदर्भ
1. गणेश जी के प्रिय भोज मोदकों का एक चित्रण (wikimedia)
2. थाल में रखे मोदकों का एक चित्रण (wikimedia)
3. मोतीचूर के लड्डुओं का एक चित्रण (flickr)
4. भगवान गणेश को दूर्वा घास भी चढ़ाई जाती है जिसका एक चित्रण (patanjali)
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