वैकल्पिक शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

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26-08-2021 08:03 AM
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वैकल्पिक शिक्षा बच्चों के सर्वांगीण विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती है

भारत में, 20वीं शताब्दी की शुरुआत से, कुछ शैक्षिक सिद्धांतकारों ने शिक्षा के मौलिक रूप से विभिन्न रूपों पर चर्चा की और उन्हें लागू किया। रबीन्द्रनाथ टैगोर का विश्व-भारती विश्वविद्यालय,श्री अरबिंदो का श्री अरबिंदो इंटरनेशनल सेंटर ऑफ एजुकेशन (Sri Aurobindo International Center of Education) और महात्मा गांधी की "बुनियादी शिक्षा" इसके प्रमुख उदाहरण हैं।हाल के वर्षों में, कई नए वैकल्पिक स्कूल सामने आए हैं।
वैकल्पिक शिक्षा (Alternative education), शिक्षा की वह प्रणाली हैं जिसमें ऐसी नयी शिक्षा प्रणालियाँ उपयोग में लायीं जातीं हैं, जो शिक्षा की मुख्यधारा में उपयोग की जाने वाली प्रणालियों से भिन्न हैं।वैकल्पिक शिक्षा वास्तव में शैक्षणिक दृष्टिकोणों को संदर्भित करती है जो शिक्षा के उन पारंपरिक तरीकों से अलग हैं जो आमतौर पर एक समान, पूर्वनिर्धारित, कठोर और मानकीकृत परीक्षण पास करने के लिए डिज़ाइन किए जाते हैं।
वैकल्पिक शिक्षा सभी के लिए खुली होती है और यह मुक्त अभिव्यक्ति, रचनात्मकता, अनुभवात्मक और अनुकूलित अधिगम, छोटे आकार की कक्षा, एक परिचित अधिगम वातावरण, लचीलापन, माता-पिता की अधिक भागीदारी,समुदाय की भावना आदि पर जोर देती है।वैकल्पिक शिक्षा कभी-कभी होम स्कूलिंग (Home Schooling) या स्व-शिक्षा का रूप भी ले लेती है।अक्सर ऐसी शिक्षा स्वतंत्र, गैर-मुख्यधारा या खुले स्कूलों में होती है।
वैकल्पिक शिक्षा अक्सर विभिन्न दर्शनों में निहित होती है जो मुख्यधारा की उस शिक्षा से मौलिक रूप से भिन्न है,जिसका मुख्य उद्देश्य केवल नौकरियों के लिए आज्ञाकारी कार्यबल तैयार करना है। वैकल्पिक शिक्षा के अनेकों लाभ हैं, जैसे इसकी सहायता से अनुकूलित, लचीली शिक्षा दी जा सकती है।वैकल्पिक तरीके प्रत्येक बच्चे के व्यक्तित्व को पहचानने और उनका पोषण करने की अनुमति देते हैं। इसमें सीखने के कार्यक्रम को लचीला रखा जाता है और पाठ योजनाओं को कुछ बाहरी समय-सीमा के बजाय बच्चे की सीखने की गति से पढ़ाया जाता है। इसका उद्देश्य केवल बच्चे को परीक्षा उत्तीर्ण करने योग्य बनाना ही नहीं बल्कि उसका व्यक्तिगत विकास और आत्म-अन्वेषण करना भी है।
वैकल्पिक शिक्षा में पाठ्यक्रम आधुनिक होता है।पाठ्यक्रम को आमतौर पर विविध ज्ञान स्रोतों के साथ समायोजित किया जाता है, यहां तक कि कुछ वैकल्पिक स्कूल यह भी सुनिश्चित करते हैं कि पाठ्यक्रम में पारंपरिक शिक्षा को भी शामिल किया जाए।वैकल्पिक शिक्षा रचनात्मकता और अनुभवात्मक शिक्षा पर आधारित है।वैकल्पिक शिक्षा में रटने वाली शिक्षा या एकतरफा कक्षा शिक्षण के बजाय, रचनात्मकता ( जैसे -कला, मिट्टी के बर्तन, संगीत, खेती, आदि), अनुभवात्मक शिक्षा और भाषा कौशल (विदेशी भाषाओं सहित) का विकास करके सीखने पर अधिक जोर दिया जाता है।
ऐसे पर्याप्त अध्ययन हैं जो यह साबित करते हैं कि इस तरह के तरीकों का उपयोग करने पर बच्चे अधिक तेज़ी से सीखते और विकसित होते हैं।साथ ही, वे अपनी पसंद,रुचियों और प्रतिभाओं की खोज करते हैं, जिससे उन्हें अद्वितीय व्यक्ति बनने में मदद मिलती है।सभी वैकल्पिक स्कूलों के बीच एक सामान्य विशेषता यह है, कि इनमें समर्पित शिक्षकों के साथ कक्षाओं का आकार छोटा होता है।चूंकि कक्षा का आकार छोटा होता है, इसलिए माता-पिता, शिक्षक और छात्र साझा मूल्यों और प्रतिबद्धता के साथ व्यक्तिगत स्तर पर बातचीत करने में सक्षम होते हैं।इसमें सभी को एक समुदाय के सदस्यों के रूप में एक साथ लाने की क्षमता है। सामान्य दृष्टि और दर्शन वैकल्पिक शिक्षा का एक अन्य फायदा है।
छात्र ज्ञान को प्रेम की भांति सीखते हैं और उन विषयों में गहराई से जाने का प्रयास करते हैं,जिनमें वे वास्तव में रुचि रखते हैं।यह अनिवार्य रूप से उच्च प्रतिधारण और विषय मामलों की गहरी समझ में तब्दील हो जाता है।वैकल्पिक शिक्षा का उद्देश्य बच्चों में अन्वेषण,समझना,प्रश्न करना और विरोधाभास आदि क्षमताओं का विकास करना है। कई वैकल्पिक दर्शन मानसिक और रचनात्मक पहलुओं के अलावा, बच्चे की भावनात्मक बुद्धिमत्ता के विकास को समान महत्व देते हैं। इसका उद्देश्य बच्चे के पूर्ण आत्म-विकास को सुनिश्चित करना और जिम्मेदारी, सहानुभूति, ईमानदारी और एक स्वतंत्र सोच, वैज्ञानिक दिमाग जैसे मूल्यों को पैदा करना है।कुछ सबसे लोकप्रिय वैकल्पिक शिक्षा विधियों में मोंटेसरी (Montessori),वाल्डोर्फ / स्टेनर (Waldorf/ Steiner),रेजियो एमिलिया (Reggio Emilia),हार्कनेस (Harkness),सडबरी (Sudbury) आदि शामिल हैं।
भारत में वैकल्पिक शिक्षा की बात करें तो भारत में होम स्कूलिंग की वैधता और विभिन्न राज्यों में फैले वैकल्पिक शिक्षा स्कूलों की अधिकता बच्चों के मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा का अधिकार अधिनियम (यह औपचारिक शिक्षा को 6 से 14 वर्ष की आयु के प्रत्येक बच्चे का मौलिक अधिकार बनाता है और स्कूलों के लिए न्यूनतम मानदंड निर्दिष्ट करता है) के पारित होने के बाद से शिक्षकों, सांसदों और माता-पिता द्वारा चर्चा का विषय बना हुआ है।जबकि होमस्कूलिंग की वैधता अभी भी एक अस्पष्ट क्षेत्र है, माता-पिता और वैकल्पिक स्कूलों द्वारा पूर्व में राहत देने के लिए याचिकाएं दी गई हैं।
मानवाधिकारों (जिसमें भारत एक हस्ताक्षरकर्ता है) की सार्वभौम घोषणा के अनुसार,"माता-पिता को अपने बच्चों को दी जाने वाली शिक्षा को चुनने का प्रधान अधिकार है”।भारत में होमस्कूलर अंतरराष्ट्रीय मानदंडों के अनुरूप कई तरह की विधियों और सामग्रियों का उपयोग करते हैं, और अक्सर व्यक्तिगत सीखने की शैलियों को बढ़ावा देने के लिए अनुकूलित होते हैं। भारत में वैकल्पिक स्कूलों की सूची में युक्ति (Ukti),त्रिधा (Tridha),सह्याद्री (Sahyadri),सीबी व्यू (CB view) आदि शामिल हैं।
वैकल्पिक शिक्षा के संदर्भ में महात्मा गांधी के शैक्षणिक सिद्धांतों के बारे में बात करें, तो स्वयं महात्मा गांधी वैकल्पिक शिक्षा के पक्षधर थे तथा इसका उदाहरण हमें नई तालीम या बुनियादी शिक्षा के सिद्धांत के रूप में प्राप्त होता है। गांधी जी के इस सिद्धांत के अनुसार ज्ञान और काम अलग-अलग नहीं हैं।महात्मा गांधी ने इस शैक्षणिक सिद्धांत के आधार पर इसी नाम से एक शैक्षिक पाठ्यक्रम को बढ़ावा दिया। यह अवधारणा अंग्रेजी शिक्षा प्रणाली और सामान्य रूप से उपनिवेशवाद के साथ गांधी जी के अनुभव से विकसित हुई। गांधी के लिए, शिक्षा 'व्यक्ति का नैतिक विकास' है, यह एक ऐसी प्रक्रिया है जो 'आजीवन' चलती रहती है।गांधी जी का शिक्षाशास्त्र मुख्य रूप से तीन स्तंभों पर आधारित है, जिसमें शिक्षा की जीवन-पर्यंत प्रकृति, इसका सामाजिक स्वरूप और एक समग्र प्रक्रिया के रूप में इसका स्वरूप शामिल है।
इसी प्रकार से वैकल्पिक शिक्षा के संदर्भ में रबीन्द्रनाथ टैगोर के शैक्षणिक सिद्धांतों को देंखे तो इसका स्वरूप विश्व-भारती विश्वविद्यालय के रूप में सामने आता है।शैक्षिक विचारों के नवाचार में रबीन्द्रनाथ टैगोर की भूमिका को अद्वितीय माना जाता है तथा शिक्षा के क्षेत्र में उनका योगदान अविस्मरणीय है। वे बच्चे को उसकी मातृभाषा के माध्यम से शिक्षित करने के पक्ष में थे, क्यों कि इससे शिक्षण अधिक सहज और स्वाभाविक रूप से संप्रेषित होता है। उनके अनुसार मन के साथ-साथ सभी इंद्रियों का प्रशिक्षण होना जरूरी है। इस प्रकार अपने सिद्धांतों के माध्यम से उन्होंने वैकल्पिक शिक्षा के महत्व को उजागर किया है।

संदर्भ:
https://bit.ly/2UIC3DL
https://bit.ly/3B1LL3u
https://bit.ly/3DeVLs8
https://bit.ly/2UGoHrA
https://bit.ly/3sFyOcW
https://bit.ly/3sIxDJI

चित्र संदर्भ
1. वैकल्पिक शिक्षा ग्रहण करते नन्हें छात्रों का एक चित्रण (assets.bwbx)
2. कक्षा के बाहर शिक्षण का एक चित्रण (flickr)
3. घर पर प्रयोगात्मक शिक्षण ग्रहण करते बच्चों का एक चित्रण (stock.adobe)
4. वैकल्पिक शिक्षा को संदर्भित करता एक चित्रण (flickr)

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