भारतीय उपमहाद्वीप का एक लोकप्रिय मीठा व्यंजन है, खीर

स्वाद- खाद्य का इतिहास
31-07-2021 09:19 AM
Post Viewership from Post Date to 29- Aug-2021 (30th Day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2874 141 3015
भारतीय उपमहाद्वीप का एक लोकप्रिय मीठा व्यंजन है, खीर

ऐसे कई भारतीय व्यंजन हैं, जिन्हें अपने एक विशिष्ट स्वाद तथा धार्मिक महत्व के लिए जाना जाता है। ऐसे ही व्यंजनों में से एक व्यंजन खीर भी है, किंतु क्या आपने कभी सोचा है कि खीर में ऐसा क्या है, जो उसे इतना स्वादिष्ट मीठा पकवान बनाता है?भले ही इस व्यंजन को लगभग हर कोई आसानी से बना सकता है, लेकिन इस प्राचीन मिठाई की खास बात यह है, कि यह एक अत्यंत बहुमुखी व्यंजन है, जिसे विभिन्न तरीकों से विभिन्न खाद्य सामग्रियों का उपयोग करके बनाया जा सकता है।आयुर्वेद में भी इसे एक ऐसे व्यंजन के रूप में सूचीबद्ध किया गया है, जो अच्छे स्वास्थ्य और खुशहाल जीवन के लिए लाभदायक है।
खीर भारतीय उपमहाद्वीप में एक लोकप्रिय मीठा व्यंजन है, जो कि एक प्रकार का गीला पुडिंग या हलवा है, जिसे आमतौर पर दूध, चीनी या गुड़ और चावल को उबालकर बनाया जाता है। खीर में चावल को दाल, गेहूं, बाजरा, सेंवई,स्वीट कॉर्न आदि से प्रतिस्थापित किया जा सकता है। इसे आमतौर पर सूखे नारियल, इलायची, किशमिश, केसर, काजू, पिस्ता, बादाम, या अन्य सूखे मेवों के साथ परोसा जाता है। खीर की उत्पत्ति के सम्बंध में माना जाता है, कि यह प्राचीन भारतीय आहार का हिस्सा थी, जिसका उल्लेख आयुर्वेद में भी किया गया है।खाद्य इतिहासकार के.टी आचार्य के अनुसार खीर जिसे दक्षिण भारत में‘पायस’ के नाम से जाना जाता है, प्राचीन भारत का एक लोकप्रिय व्यंजन है।प्राचीन भारतीय साहित्य में इसका सबसे पहले उल्लेख किया गया था, जिसके अनुसार यह चावल, दूध और चीनी के मिश्रण से बना एक ऐसा व्यंजन है, जो दो हजार से अधिक वर्षों से कायम है।पायस भी विशेष रूप से एक मुख्य हिंदू भोजन था, जिसे भक्तों को प्रसाद के रूप में परोसा जाता है।
इतिहासकारों का कहना है कि खीर का पहला उल्लेख संस्कृत शब्द क्षीरिका (अर्थात् दूध से बना व्यंजन) से लिया गया है, जो चौदहवीं शताब्दी के गुगारत के पद्मावत में ज्वार और दूध से बने मीठे व्यंजन के रूप में तैयार की जाती थी। उस समय इसे बनाने के लिए बाजरा का उपयोग काफी आम था। भारत में खीर के अनेकों संस्करण मौजूद हैं, जिनके अंतर्गत इसे अनेकों फलों और सब्जियों की सहायता से बनायाजा सकता है।उदाहरण के लिए आप प्रसिद्ध सेब की खीर से लेकर लौकी और यहां तक कि बादाम की खीर तक बना सकते हैं, जिसे आमतौर पर गार्निश के रूप में इस्तेमाल किया जाता है।
खीर के पश्चिमी संस्करण में इसका स्वाद बढ़ाने के लिए जायफलका उपयोग किया जाता है, जबकि भारतीय संस्करण में हमेशा मसाले का उपयोग किया जाता था,प्रमुख रूप से दालचीनी या इलायची का। शायद इनका उपयोग मीठे-कड़वे गुड़ या फलों को संतुलित करने के लिए किया गया हो,क्योंकि उस समय तक चीनी भारत में एक अज्ञात सामग्री थी। खीर की असली लोकप्रियता उसके धार्मिक संघों और मंदिरों से जुड़ी है। चोल राजवंश के दौरान चावल को सभी धार्मिक कार्यों का एक हिस्सा कहा जाता था, जिसने चावल को उसके जीवन को बनाए रखने वाले गुणों के लिए बरकरार रखा था और इस तरह खीर सभी धार्मिक अनुष्ठानों का एक महत्वपूर्ण हिस्सा बन गई।
अपने श्वेत (सफेद) रंग के कारण इसे पवित्रता और देवत्व के प्रतीक के रूप में देखा गया। जगन्नाथ पुरी के रिकॉर्ड बताते हैं कि कैसे प्रसिद्ध खीर प्रसाद बनाने के लिए खीर को और अधिक रूपों में बदला गया।खीर ने वास्तव में एक और प्रसिद्ध प्राचीन भारत स्थल, कोणार्क मंदिर के निर्माण में एक प्रमुख भूमिका निभाई। माना जाता है, कि कई प्रयासों के बाद भी मंदिर की नींव नहीं रखी जा सकी, जिसे समुद्र में लंगर क्षेत्र से आगे रखा जाना था।हर बार एक पत्थर को पानी में फेंका जाता, तथावह बिना किसी निशान के डूब जाता। तब मुख्य वास्तुकार का बेटा इस समस्या का समाधान लेकर आया। उन्होंने एक कटोरी गर्म खीर का इस्तेमाल यह दिखाने के लिए किया कि कैसे एक पुल बनाया जा सकता है ताकि मंदिर की नींव रखी जा सके। उन्होंने अपनी बात को समझाने के लिए गर्म दूध में चावल के छोटे- छोटे दानों का इस्तेमाल किया तथा उस दिन, उस छोटे लड़के ने न केवल कोणार्क मंदिर का निर्माण सुनिश्चित किया, बल्कि खीर के एक नए रूप की भी खोज की, जिसे गोंटा गोदी (Gointagodi) खीर कहा गया।इस व्यंजन का स्वाद ऐसा था कि कलिंग युद्ध के बाद, इसे सम्राट अशोक के महल में शाम के भोजन के रूप में अवश्य ही शामिल किया जाता था। दुनिया भर में राइस पुडिंग के रूप में खीर के अनेकों रूप या संस्करण मौजूद हैं।रोमन (Romans) लोग इसे पेट के शीतलक के रूप में इस्तेमाल करते थे और अक्सर राइस पुडिंग को डिटॉक्स आहार के रूप में इस्तेमाल करते थे। फारसी, (जिन्होंने भारत में फिरनी - खीर का एक और रूप -पेश किया) वे भी इस मीठे व्यंजन के अत्यधिक शौकीन थे।वास्तव में, वे पहले व्यक्ति थे जिन्होंने इस पकवान में गुलाब जल और सूखे मेवों का उपयोग किया था।ईरान (Iran)और अफगानिस्तान (Afghanistan)की राइस पुडिंग ‘शोला’(Shola)का निर्माण, खीर का ही एक रूप था जो केसर और गुलाब जल से बनी नमकीन या मीठी मिठाई दोनों के रूप में खाई जा सकती थी।
माना जाता है, कि शीर ब्रिंजी (Sheer brinji) ने खीर की अवधारणा में क्रांति उत्पन्न की, क्यों कि इसे केवड़ा एसेंस, किशमिश, इलायची, दालचीनी, बादाम, पिस्ता आदि जैसे स्वादपूर्ण परिवर्धन की एक विस्तृत श्रृंखला के साथ पेश किया गया।चीन (China)में भी खीर का अपना संस्करण मौजूद है, जिसे शहद में भिगोए गए फलों से बनाया जाता है। इसे आठ गहना राइस पुडिंग (Eight jewel rice pudding) कहा जाता है।यह मिंग राजवंश में एक महत्वपूर्ण व्यंजन था, जिसे किसी उत्सव में विशेष रूप से तैयार किया जाता था।विभिन्न आधुनिक पूर्वी एशियाई (Asian) भाषाओं में शब्द पुडिंग एक कॉर्नस्टार्च (Cornstarch) या जिलेटिन (Gelatin) आधारित जेली जैसी मिठाई को दर्शाता है, जैसे कि आमकी पुडिंग। यहां की प्रसिद्ध राइस पुडिंग में बनाना राइस पुडिंग (Banana rice pudding),खानोम सोत साई (Khanom sot sai),बुबुर समसम (Bubursumsum),बुबुर केतन हितम (Buburketanhitam) आदि शामिल है। ब्रिटेन (Britain)और आयरलैंड(Ireland) में राइस पुडिंग की सबसे प्रारंभिक रेसिपी को व्हाइटपॉट (whitepot) कहा जाता था। ऐसे कई यूरोपीय व्यंजन भी हैं, जो राइस पुडिंग के समान हैं, जैसे अरोज कोन लेचे (Arroz con leche),अरोज डोसे (Arrozdoce),अरोज़-एस्ने (Arroz-esne) आदि। इस प्रकार विभिन्न देशों या क्षेत्रों में खीर के अनेकों रूप लोगों के जीवन का हिस्सा बने हुए हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3l8FHl6
https://bit.ly/3iWIqvn
https://bit.ly/3igFhHP

चित्र संदर्भ
1. पाल पायसम, दक्षिण भारतीय चावल की खीर का एक चित्रण (flickr)
2. सूखे मेवे के साथ खीर का एक चित्रण (wikimedia)
3. केले की खीर - एक परफेक्ट फास्टिंग डेजर्ट (flickr)
4. चावल के हलवे की अच्छी तरह से सजाई हुई कटोरी का एक चित्रण (flickr)

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.