भारतीय गिरगिट के जीवन पर एक संक्षिप्‍त नजर

रेंगने वाले जीव
27-07-2021 10:02 AM
भारतीय गिरगिट के जीवन पर एक संक्षिप्‍त नजर

भारतीय गिरगिट भारतीय उपमहाद्वीप में पाए जाने वाले गिरगिट की एकमात्र प्रजाति है। यह गिरगिट रंग में बहुत आकर्षक होते हैं, जिनमें मुख्‍यत:हरा या भूरा रंग पाया जाता है और ये लहराते बहुत धीमी गति से वृक्षों के ऊपर चढ़ाई करते हैं। अन्‍य गिरगिटों की भांति इस प्रजाति की भी एक लंबी जीभ होती है,तथा इनके पैरबिफिड क्लैस्पर्स (bifid claspers) के आकार के होते हैं,इनकी पूंछ इस प्रकार बनी होती है जो किसी भी वस्‍तु पर आसानी से लिपट सकती है या उसे पकड़ सकती है, तथा यह अपनी दोनों आंखों से अलग-अलग दिशा में स्‍वतंत्र रूप से देख सकते हैं साथ ही इनमें अपनी त्वचा का रंग बदलने की क्षमता होती है।हालाँकि, जब यह अपने शिकार को पकड़ने वाला होता है, तो यह दोनों आँखों को आगे की ओर केंद्रित कर देता है।
गिरगिट अपने शरीर में होने वाले रंग परिवर्तन का चयन स्‍वयं नहीं करते हैं, संभवत: यह रंग भेद समझने में भी सक्षम नहीं होते हैं।ये सामान्‍यत:हरे या भूरे रंग के या फिर पट्टीदार होते हैं। ये तेजी से रंग बदल सकते हैं और इनके रंग बदलने का प्राथमिक उद्देश्य अन्य गिरगिटों के साथ संचार करना और ऊष्‍मा को अवशोषित करने के लिए गहरे रंगों में बदलकर शरीर के तापमान को नियंत्रित करना होता है।
चूंकि गिरगिट अपने शरीर में गर्मी उत्पन्न नहीं कर सकते हैं, इसलिए वे अपनी त्‍वचा के रंग को बदलकर अपने शरीर के अनुकूल तापमान को बनाए रखते हैं। एक ठंडे शरीर वाला गिरगिट अधिक गर्मी को अवशोषित करने के लिए अपने शरीर का रंग गहरा कर सकता है,जबकि एक गर्म निकाय वाला गिरगिट सूरज की गर्मी को प्रतिबिंबित करने के लिए पीला रंग धारण कर सकता है। अब प्रश्‍न उठता है कि गिरगिट अपने शरीर के रंग को इतनी तीव्रता से कैसे बदलते हैं? वास्‍तव में गिरगिट की त्वचा की सबसे बाहरी परत पारदर्शी होती है। इसके नीचे त्वचा की कई और परतें होती हैं जिनमें क्रोमैटोफोर्स (chromatophores) नामक विशेष कोशिकाएं होती हैं। प्रत्येक स्तर पर क्रोमैटोफोर (chromatophores) विभिन्न प्रकार के वर्णक के कोष से भरे होते हैं। सबसे गहरी परत में मेलेनोफोर्स (melanophores) होते हैं, जो भूरे रंग के मेलेनिन (melanin ) से भरे होते हैं (वही रंगद्रव्य जो मानव त्वचा को उसके कई रंग देता है)।उस परत के ऊपर इरिडोफोरस (iridophores) नामक कोशिकाएँ होती हैं, जिनमें एक नीला रंगद्रव्य होता है जो नीले और सफेद प्रकाश को दर्शाता है। उन कोशिकाओं के शीर्ष पर स्तरित ज़ैंथोफोर (xanthophores ) और एरिथ्रोफोर (erythrophores) होते हैं, जिनमें क्रमशः पीला और लाल रंग होता है।
सामान्‍यत:, वर्णक कोशिकाओं के भीतर मौजूद छोटे कोषों में बंद रहते हैं। लेकिन जब गिरगिट अपने शरीर के तापमान या मनोदशा में परिवर्तन का अनुभव करते हैं, तो उनका तंत्रिका तंत्र विशिष्ट क्रोमैटोफोर्स को विस्तारित होने या संकुचित होने का निर्देश देता है। इससे कोशिकाओं का रंग बदल जाता है। त्वचा की सभी परतों में विभिन्न क्रोमैटोफोर्स की गतिविधि को बदलकर, गिरगिट विभिन्न प्रकार के रंगों और पैटर्न (patterns) का उत्पादन कर सकते हैं।
एशियाई गिरगिट (गिरगिट ज़ेलानिकस (Chameleo zeylanicus)) या ​​भारतीय गिरगिट, विकास क्रम से जुड़ा एक अद्भुत जीव है, जिसमें कई पहलू अन्य छिपकलियों से काफी भिन्‍न हैं।गिरगिट को कुछ घंटे लगातार देखने से पता लगाया जा सकता है कि वे अपने सभी रंगो के माध्‍यम से अपने चमत्‍कारिक रूपांतरण करते हैं। हालांकि, गिरगिट को लंबे समय तक देखना थोड़ा कठिन हो सकता है। यदि आप चंद पलों के लिए भी उससे अपनी निगाहें फेरते हैं तो वह अगले ही पल आपकी आंखों से ओझल हो जाएगा।गिरगिट छलावरण पर इतना अधिक भरोसा करते हैं कि इसके माध्‍यम से कुछ भी कर सकते हैं, विशेषकर जब वे किसी खतरे में होते हैं, तो इसकी सहायता से खतरे की नजर से गाायब हो जाते हैं।गिरगिट के पैर, अंग और पूंछवृक्षीय जीवन का अधिकतम लाभ उठाने के लिए बनाए गए हैं। शिकारियों द्वारा पहचाने जाने से बचने के लिए, गिरगिट धीरे-धीरे चलते हैं, और वे अपनी पृष्ठभूमि की नकल करने के लिए आगे-पीछे हिलते रहते हैं जिससे वे हवा में लहराती वनस्पति के हिस्से की भांति प्रतीत होते हैं।इनकी बिजली के समान तेज जीभ भी अविश्वसनीय रूप से सटीक है। गिरगिट के अंडों के ऊष्मायनअवधि लंबी होती है,इन्हें अंडे से निकलने में सात महीने तक लग सकते हैं। युवा अपने भूमिगत घरों से अपना रास्ता खोदते हैं और जैसे ही उन्हें एक अच्छा पर्च (perch) मिलता है, वे भोजन करना शुरू कर देते हैं। गिरगिट सक्रिय शिकारी नहीं हैं, लेकिन उन्हें नियमित रूप से भोजन की आवश्‍यकता होती है। हालांकि वे कभी-कभी वनस्पतियों को भी खाते हैं, वे मुख्य रूप से कीड़ों का भोजन करते हैं। इसका अर्थ है कि इन्हें अपने चारों ओर कीड़ों के उच्च घनत्व की आवश्यकता होती है। कीटनाशकों और सघन मोनोकल्चर (intensive monoculture) के आगमन ने इन्हें बुरी तरह प्रभावित किया है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3ydV5AF
https://bit.ly/3zrbtO5
https://bit.ly/3eO2TkB

चित्र संदर्भ
1. भारतीय गिरगिट का एक चित्रण (wikimedia)
2. मनगाँव, रायगढ़, महाराष्ट्र में भारतीय गिरगिट का एक चित्रण (wikimedia)
3. प्रालंब-गर्दन वाले गिरगिट (चमेलेओ डिल्पिस डिलेपिस) रात में का एक चित्रण (wikimedia)

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