समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 960
मानव व उसके आविष्कार 743
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
युवाओं की प्रकृति उत्साही, जीवंत, अभिनव और ऊर्जावान होती है, इसलिए वे जनसंख्या का सबसे
महत्वपूर्ण वर्ग है। चूंकि,युवाओं में मजबूत जुनून, प्रेरणा और इच्छा शक्ति होती है, इसलिए वे किसी
राष्ट्र के आर्थिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक विकास को बढ़ावा देने के लिए सबसे मूल्यवान मानव
संसाधन माने जाते हैं। किसी देश की क्षमता और विकास की क्षमता उसकी युवा आबादी के आकार से
निर्धारित होती है। किसी राष्ट्र की रक्षा क्षमता के निर्माण में युवाओं की भूमिका निर्विवाद रूप से सबसे
प्रमुख है। युवाओं की ऊर्जा और जुनून का अगर सही तरीके से उपयोग किया जाए तो समाज में बड़ा
सकारात्मक बदलाव लाया जा सकता है, तथा राष्ट्र को प्रगति की ओर अग्रसर किया जा सकता है। युवा
अपने समुदायों में रचनात्मक डिजिटल प्रौद्योगिकी के आविष्कारक भी माने जाते हैं और वे सक्रिय
नागरिकों के रूप में भाग लेते हैं, जो सतत विकास में सकारात्मक योगदान देने के लिए उत्सुक हैं। किसी
देश की प्रगति को यदि तीव्र करना हो, तो युवा वर्ग को उचित रूप से उपयोग करने, प्रेरित करने, कुशल
बनाने और सुव्यवस्थित करने की आवश्यकता होगी।
भारत 1.21 करोड़ से अधिक आबादी वाला देश है, जो दुनिया की आबादी का 17% से अधिक हिस्सा
बनाता है। जनगणना के अनुसार, भारत में युवा (15-24 वर्ष) आबादी भारत की कुल जनसंख्या का
पांचवां हिस्सा (19.1%) बनाती है। यह अनुमान लगाया गया था, कि दुनिया की कुल युवा आबादी का
34.33 प्रतिशत हिस्सा 2020 तक भारत में होगा। 2011 की जनगणना के बाद भारत की साक्षरता दर
74.04% पाई गई। यदि इसकी तुलना वयस्क साक्षरता दर से की जाए तो युवा साक्षरता दर लगभग
9% अधिक थी।वर्तमान समय में शिक्षा, रोज़गार, प्रवास आदि ऐसे मुद्दे हैं, जो युवाओं के विकास को
प्रभावित करते हैं।शिक्षा,विकास के लिए और विश्व स्तर पर युवाओं के जीवन में सुधार के लिए अत्यधिक
महत्वपूर्ण है।गरीबी और भूख मिटाने और सतत, समावेशी और समान आर्थिक विकास और सतत विकास
को बढ़ावा देने में शिक्षा का महत्वपूर्ण योगदान होता है।कुछ क्षेत्रों में प्राथमिक विद्यालयों में नामांकन
बढ़ाने में महत्वपूर्ण सुधार के बावजूद, 2015 तक सार्वभौमिक प्राथमिक स्तर की शिक्षा प्राप्त करने का
लक्ष्य अभी हासिल नहीं किया जा सका है।दुनिया भर में, 10.6% युवा गैर-साक्षर हैं, और उनमें बुनियादी
संख्यात्मक और पढ़ने के कौशल की कमी है, जिसका मतलब है, कि वे पूर्ण और सभ्य रोजगार के
माध्यम से जीवन यापन करने में सक्षम नहीं हैं।कई युवा कामकाजी गरीबों के पास प्राथमिक स्तर की
शिक्षा का अभाव है।ऐसी युवा बेरोजगारी,सामाजिक समावेश, सामंजस्य और स्थिरता को खतरे में डालने
का काम करती है।सामाजिक, आर्थिक और राजनीतिक विकास की प्रक्रियाओं में युवाओं की पूर्ण और
प्रभावी भागीदारी के लिए ज्ञान और शिक्षा प्रमुख कारक हैं। युवा लोगों, विशेष रूप से हाशिए के युवाओं
की भागीदारी दर में सुधार करने की आवश्यकता है, ताकि वे विकास, सुशासन, सामाजिक समावेश,
सहिष्णुता और शांति के एजेंट के रूप में अपनी भूमिका को पूरा करने के लिए आवश्यक ज्ञान, क्षमता,
कौशल और नैतिक मूल्यों को प्राप्त कर सकें।शिक्षा में जेंडर गैप भी युवाओं के विकास में बाधक है।जेंडर
संवेदनशील शैक्षिक अवसंरचना, सामग्री और प्रशिक्षण कार्यक्रमों तक पहुंच और उनकी उपलब्धता की
कमी के कारण शिक्षा में लैंगिक असमानता दिखाई देती है। युवाओं के बीच खराब गुणवत्ता वाली शिक्षा
(विशेष रूप से समाज के वंचित वर्गों के बीच) भी युवाओं की शिक्षा में एक बाधा है, जो युवाओं को
रोजगार और जीवन की बेहतर गुणवत्ता से वंचित करते हैं।खराब गुणवत्ता वाली शिक्षा असमानताओं को
मजबूत करने और अंतर-पीढ़ीगत गरीबी और हाशिए पर बने रहने का जोखिम बनाए रखती है।कई शिक्षा
और प्रशिक्षण प्रणालियाँ युवाओं को गरीबी और बेरोजगारी से बचने के लिए आवश्यक बुनियादी कौशल
प्रदान नहीं करती हैं। अनौपचारिक शिक्षा कार्यक्रम, सीखने और कौशल विकास के अवसर प्रदान करके
युवाओं को आजीविका प्रदान करने में सहायता करते हैं।अक्सर युवा और समुदाय आधारित संगठनों के
माध्यम से प्रदान की जाने वाली अनौपचारिक शिक्षा, विशेष रूप से वंचित और हाशिए के समूहों के लिए
जीवन-संबंधित ज्ञान और कौशलों को सीखने की सुविधा प्रदान करती है।रोजगार भी एक अन्य कारक है,
जो युवाओं के विकास को प्रभावित करता है।2012 से 2014 की अवधि के दौरान वैश्विक युवा बेरोजगारी
दर 13.0 प्रतिशत थी।कुल मिलाकर, पांच में से दो (42.6 प्रतिशत) आर्थिक रूप से सक्रिय युवा अभी भी
या तो बेरोजगार थे या फिर गरीबी में जीवन यापन कर रहे थे। 2014 तक, 733 लाख युवा बेरोजगार
थे, जो वैश्विक बेरोजगारों का 36.7 प्रतिशत हिस्सा बनाते थे।हालांकि, कुल बेरोजगारी में युवाओं की
हिस्सेदारी धीरे-धीरे कम हो रही है।
किसी देश की अपनी आबादी को पर्याप्त और उपयुक्त रोजगार प्रदान करने की क्षमता उसकी
अर्थव्यवस्था की ताकत और प्रकृति और नीतिगत वातावरण पर निर्भर करती है।किसी देश में पर्याप्त
रोजगार होने से न केवल अर्थव्यवस्था को बढ़ावा मिलता है, बल्कि उसकी आबादी के सामाजिक और
आर्थिक कल्याण में भी सुधार होता है। इसके विपरीत, उच्च बेरोजगारी दर का सामाजिक और राजनीतिक
अशांति पर सीधा असर होता है।उच्च बेरोजगारी दर से भुखमरी, प्रवास, आपराधिक गतिविधि, आत्महत्या
की प्रवृत्ति, मानसिक विकार आदि भी हो सकते हैं। इसलिए नीति उपायों और हस्तक्षेप कार्यक्रमों के
माध्यम से राष्ट्र,बेरोजगारी को कम करने या समाप्त करने का प्रयास करते हैं।भारत एक युवा देश है,
जिसकी करीब 65 फीसदी आबादी युवा पीढ़ी की है, इसलिए भारत के पास आर्थिक विकास को गति देने
का अवसर है।देश में अगले दो दशकों में हर साल लगभग 100-120 लाख लोगों के कार्यबल में जुड़ने की
उम्मीद है।भारत की युवा आबादी दुनिया भर में कुशल श्रमिकों की मांग को भी पूरा कर सकती है।भारत
में नई प्रौद्योगिकियों, विशेष रूप से मोबाइल के विकास ने सामाजिक परिवर्तन को जन्म दिया है।
मोबाइल, इंटरनेट और सोशल मीडिया की पहुंच और वृद्धि ने सामाजिक मूल्यों और जीवनशैली में अत्यंत
बदलाव किया है, जिसका सीधा प्रभाव युवाओं पर पड़ा है। भारत में प्रौद्योगिकी क्रांति का एक प्रमुख
परिणाम कनेक्टिविटी है, जिसने सूचना तक अभूतपूर्व पहुंच को बढ़ावा दिया है। इंटरनेट के कारण लाखों
युवा या लोग जिन्हें राष्ट्रीय घटनाओं की जानकारी नहीं हो पाती थी, आज अपने आसपास की दुनिया में
नई अंतर्दृष्टि प्राप्त कर सकते हैं। नागरिकों के पास अपनी राजनीतिक राय व्यक्त करने के लिए अब
एक जन मंच है। भारत के युवा आर्थिक और सामाजिक बदलाव लाना चाहते हैं, जो प्रौद्योगिकी की मदद
से संभव है। प्रौद्योगिकी युवाओं को कौशल विकास और रोजगार सृजन के लिए नए अवसर प्रदान करने
में मदद कर रही है। इसकी मदद से नागरिक संगठन यह सुनिश्चित करने पर जोर दे रहे हैं, कि आर्थिक
विकास के साथ-साथ मानव विकास में भी महत्वपूर्ण सुधार हो।
संदर्भ:
https://bit.ly/3dcGEnC
https://bit.ly/3had3wB
चित्र संदर्भ
1. संगठित भारतीय युवा बल का एक चित्रण (flickr)
2 .भारतीय युवा व्यवसायिओं का एक चित्रण (Quora)
3. शीर्ष युवा प्रतिशत देशों के आंकड़े (censusindia)
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