जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही है. चक्रवाती तूफानों की तीव्रता

जलवायु व ऋतु
07-06-2021 09:32 AM
जलवायु परिवर्तन के कारण बढ़ रही है. चक्रवाती तूफानों की तीव्रता

वर्तमान समय में पूरा देश कोरोना महामारी की चपेट में है,जो लोगों के जीवन में अनेकों कठिनाइयां लेकर आया है।लेकिन इस समय एक ऐसी अन्य समस्या भी उभर रही है, जो स्थिति को और भी बदतर बनाती है, और वह है चक्रवाती तूफ़ान।पारिस्थितिक रूप से संवेदनशील सुंदरबन में रहने वाले लोगों का जीवन प्रतिदिन उच्च ज्वार और नियमित रूप से आने वाले चक्रवातों से जूझता रहता है। लेकिन हर चक्रवात सुंदरबन और इसके निवासियों के लिए ऐसी कई नई चुनौतियां लेकर आता है, जिनकी न तो लोगों ने पहले कल्पना की होती है, और न ही नीति निर्माता इसके लिए तैयार हो पाते हैं। पिछले तीन वर्षों में लगभग 50 लाख लोगों को आश्रय प्रदान करने वाले सुंदरबन को चार उष्णकटिबंधीय चक्रवातों - फानी (मई 2019), बुलबुल (नवंबर 2019), अम्फान (मई 2020) और यास (मई 2021) का सामना करना पड़ा है। इस क्षेत्र को प्रत्येक चक्रवात के दौरान तूफानी हवाओं और तटबंधों के टूटने (जिससे समुद्र का पानी क्षेत्र में प्रवेश कर जाता है) के कारण अत्यधिक नुकसानझेलना पड़ता है।पिछले साल, अम्फान के आने से ओडिशा अत्यधिक प्रभावित हुआ तथा क्षेत्र में व्यापक तबाही का मंजर दिखायी दिया। ऐसा दृश्य 100 से भी अधिक सालों बाद देखने को मिला, जब उष्णकटिबंधीय चक्रवात पूर्वी मुख्य भूमि पर अप्रैल के दौरान आया। इस साल यास चक्रवात के आगमन को देखकर यह प्रतीत होता है, कि गर्मियों की यह त्रासदी एक वार्षिक पैटर्न में बदल रही है। चक्रवातों के प्रभाव से शहर बह गए हैं, समुद्र जल स्तर अत्यधिक बढ़ गया है, जो लोगों की आजीविका को काफी नुकसान पहुंचारहा है। पूर्वी भारतीय तट में प्राकृतिक आपदाओं का एक लंबा इतिहास रहा है, तथा बंगाल की खाड़ी मानसून के मौसम के दौरान बनने वाले सभी तूफानों का मुख्य केंद्र है। यह दुनिया की सबसे बड़ी खाड़ी है, जिसके चारों ओर के तटीय क्षेत्र में लगभग 5000 लाख लोग निवास करते हैं। इसे विश्व इतिहास के सबसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों का स्थल भी कहा जाता है। वेदर अंडरग्राउंड (Weather Underground) द्वारा बनायी गयी एक सूची के अनुसार, दर्ज किए गए 35 सबसे घातक उष्णकटिबंधीय चक्रवातों में से 26 चक्रवात यहां हुए हैं। बंगाल की खाड़ी चक्रवातों के लिए विशेष रूप से अतिसंवेदनशील है, जिसका प्रमुख कारण इसकी समुद्री सतह का गर्म होना है। समुद्री सतह के गर्म होने से गर्म और नमीयुक्त हवाएं समुद्र से ऊपर की तरफ जाना शुरू होती हैं।
हवा के ऊपर उठने से समुद्री सतह पर हवा की मात्रा बहुत कम हो जाती है, और उस क्षेत्र में निम्न दबाव उत्पन्न हो जाता है। गर्म और नमीयुक्त हवा के ऊपर जाने से बादल बनना शुरू हो जाते हैं। जैसे-जैसे यह प्रक्रिया जारी रहती है, वैसे-वैसे बादल बढ़ते हैं और हवा भी घूमने लगती है। जब तूफान तेजी से घूमता है, तब केंद्र में एक आंख जैसी संरचना बन जाती है, तथा यह प्रक्रिया चक्रवात का रूप ले लेती है। तूफान कितना तीव्र है, इसके आधार पर ही इससे होने वाली क्षति का अनुमान लगाया जा सकता है।या यूं कहें, कि तूफान जितना तीव्र होगा उससे होने वाली क्षति भी उतनी ही अधिक होगी।यूं तो दुनिया भर में अन्य समुद्र तट भी बढ़ते तूफानों की चपेट में हैं, जैसे लुइसियाना (Louisiana) का खाड़ी तट, लेकिन समुद्र की सतह के अत्यधिक गर्म तापमान और हवा की स्थिति जैसी वायुमंडलीय स्थितियों के कारण, बंगाल की खाड़ी चक्रवात के प्रति अधिक संवेदनशील है। इसकी तुलना यदि हम अरब सागर से करें तो,अरब सागर,बंगाल की खाड़ी की तुलना में ठंडा होता है और यहां वातावरण में मौजूद हवाएं विपरीत होती हैं, खासकर शुरुआती मानसून के दौरान या मानसून के दौरान। वायुमण्डल के निचले स्तर पर हवाएँ एक दिशा में और ऊपरी स्तर पर विपरीत दिशा में बह सकती हैं, जिससे चक्रवात लंबवत रूप से ऊपर की ओर विकसित नहीं होता। बंगाल की खाड़ी में चक्रवात का बनना और फिर पूर्वी तटीय क्षेत्रों जैसे पश्चिम बंगाल और उड़ीसा से टकराना काफी आम है, लेकिन महाराष्ट्र और गुजरात के पास तटीय क्षेत्रों में भी यह परिस्थितियां बनने लगी हैं। इसके अलावा पिछले कुछ दशकों में गर्मियों के चक्रवातों की संख्या बढ़ती जा रही है, तथा वे अधिक भयावह रूप लेने लगे हैं। इसका मुख्य कारण है, ग्लोबल वॉर्मिंग के कारण होने वाला जलवायु परिवर्तन।
ग्लोबल वॉर्मिंग ने समुद्र की सतह के तापमान में वृद्धि की है, जिसका मतलब है,कि समुद्र की सतह से अधिक हवा ऊपर की ओर जा रही है, हवा की गति तेज हो रही है,तथा परिणामस्वरूप चक्रवातों को जन्म दे रही है। मानसून के शुरुआती दौर में चक्रवात नहीं बनता है, लेकिन जलवायु परिवर्तन के कारणसमुद्री स्थितियां बदल रही हैं, तथा चक्रवात बनने लगे हैं।चक्रवातीय घटनाओं की सटीकता का अंदाजा पहले से लगा पाना मुश्किल होता है, इसलिए इसकी तीव्रता कितनी होगी, इस बारे में कुछ नहीं कहा जा सकता।चक्रवातों का उचित प्रकार से सामना करने के लिए राज्यों का पहले से ही तैयार होना आवश्यक है। इसके लिए राज्यों को एक राहत संरचना का निर्माण करना चाहिए, पूर्व चेतावनी प्रणाली की सटीकता पर ध्यान देना चाहिए, स्पष्ट संचार योजना विकसित करनी चाहिए तथा प्रभावी समन्वय समूह का निर्माण करना चाहिए।
संदर्भ:
https://bit.ly/3yYpwv6
https://bit.ly/3vN9uCk
https://bit.ly/3vLN3NQ
https://bbc.in/3vLl3dg

चित्र संदर्भ
1. उष्णकटिबंधीय चक्रवात फैनी का एक चित्रण (flickr)
2. उत्तरी गोलार्ध में एक उष्णकटिबंधीय चक्रवात का आरेख का एक चित्रण (wikimedia)
3. उत्तरी गोलार्ध में कम दबाव वाले क्षेत्र (तूफान इसाबेल) के आसपास प्रवाह का योजनाबद्ध प्रतिनिधित्व। दबाव ढाल बल को नीले तीरों द्वारा दर्शाया जाता है, लाल तीर द्वारा कोरिओलिस त्वरण (हमेशा वेग के लंबवत) का एक चित्रण (wikimedia)
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