भारत में पर्वतारोहण और शिलारोहण के खेल

य़ातायात और व्यायाम व व्यायामशाला
27-04-2021 05:09 PM
भारत में पर्वतारोहण और शिलारोहण के खेल

पर्वतारोहण और शिलारोहण ऐसे खेल या गतिविधियां हैं, जिनकी लोकप्रियता भारत में बढ़ती जा रही है। इन खेलों कि ओर लोगों के बढ़ते रुझान की पुष्टि हम भारत में गोलाश्म और शिलारोहण जीम (Gyms)की बढ़ती संख्या से कर सकते हैं। इन खेलों में लोगों की बढ़ती रूचि को देखते हुए आरोहण को आधिकारिक तौर पर टोक्यो 2021 ओलंपिक (Tokyo Olympic) की सूची में शामिल किया गया है। आरोहण को आधिकारिक तौर पर ओलंपिक स्पर्धाओं में शामिल करने का मुख्य कारण खेल में पेशेवर प्रतिभागियों का उत्साहवर्धन करने के लिए है। 3 अगस्त 2016 को, अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति ने औपचारिक रूप से घोषणा की कि पर्वतारोहण और शिलारोहण का खेल 2020 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक में एक पदक खेल के रूप में खेला जाएगा। 2015 में इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट क्लाइंबिंग (International Federation of Sport Climbing - IFSC) द्वारा इसे शामिल करने का प्रस्ताव रखा गया था। आरोहण के लिए मुख्य रूप से तीन प्रारूप प्रस्तावित किये गये हैं, जिनमें लीड क्लाइम्बिंग (Lead climbing), स्पीड क्लाइम्बिंग (Speed climbing) और बोल्डरिंग (Bouldering) शामिल होंगे, और इन तीनों स्तरों में सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन करने वाले प्रति लिंग समूह वाले प्रतिभागियों को विजेता घोषित किया जाएगा, हालांकि यह निर्णय विश्व भर में व्यापक आलोचना का कारण बना।


इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट क्लाइंबिंग के सदस्यों ने बताया कि उन्हें ओलंपिक समिति द्वारा प्रति लिंग केवल एक स्वर्ण पदक दिया गया था और वे स्पीड क्लाइम्बिंग को बाहर नहीं करना चाहते थे।2020 के ओलंपिक के लिए इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट क्लाइंबिंग का लक्ष्य मुख्य रूप से ओलंपिक खेलों के रूप में आरोहण और इसके तीन विषयों की स्थापना करना था, और उन्हें यह मालूम था कि इसमें परिवर्तन समय के साथ हो सकता है। वहीं यह रणनीति सफल साबित हुई: उन्हें 2024 के ग्रीष्मकालीन ओलंपिक के लिए पदक की दूसरी श्रेणी प्रदान की गई, और 2024 में स्पीड क्लाइम्बिंग का लीड क्लाइम्बिंग और बोल्डरिंग के संयोजन से एक अलग प्रतियोगिता के रूप में आयोजन किया जाएगा। इंटरनेशनल फेडरेशन ऑफ स्पोर्ट क्लाइंबिंग के अनुसार, दुनिया भर में नियमित रूप से 2.5 करोड़ लोग आरोहण से जुड़े हुए हैं, जिनमें से 39% लोग 18 साल से कम उम्र के हैं।

आरोहण के खेल के लिए 40 कोटा स्थान उपलब्ध हैं। प्रत्येक राष्ट्रीय ओलंपिक समिति प्रत्येक प्रतियोगिता में अधिकतम 2 स्थान(कुल 2 प्रतियोगिताओं में अधिकतम 4) प्राप्त कर सकते हैं। प्रत्येक प्रतियोगिता में 20 प्रतियोगी होंगे: योग्यता से 18, मेजबान देश से 1, और त्रिपक्षीय आयोग के निमंत्रण से 1, वहीं 2016 तथा 2017 में IFSC द्वारा वर्ल्ड कप ऑफ क्लाइम्बिंग (World cup of climbing) का आयोजन भारत में किया गया था। वर्ल्ड कप ऑफ क्लाइम्बिंग 2017 को 24 और 25 जून को नवी मुंबई के वाशी में CIDCO प्रदर्शनी केंद्र में आयोजित किया गया था, जिसकी मेजबानी भारतीय पर्वतारोहण संस्थान द्वारा की गई थी और खेल का आयोजन गिरिविहार पर्वतारोहण क्लब (Club) द्वारा आयोजित किया गया था। गिरिविहार मुंबई में एक एडवेंचर क्लब (Adventure club) है, जो ट्रेकिंग, साइक्लिंग, क्लाइम्बिंग, स्कीइंग और अन्य जैसे वैकल्पिक खेलों को बढ़ावा देता है। जैसा कि हम जानते हैं कि भारत कई वर्षों से पर्वतारोहियों के लिए एक उपयुक्त मैदान रहा है। तो 2018 में इंडोनेशिया (Indonesia) में हुए एशियाई खेल में शामिल आरोहण की प्रतियोगिता, भारतीय पर्वतारोहियों के लिए खुद को परखने का अच्छा अवसर रहा था।इस खेल में सबसे अधिक वर्चस्व यूरोप (Europe) के पर्वतारोहियों का है जहां इसका दशकों से अभ्यास किया जा रहा है। इसके अलावा फ्रांस (France), जर्मनी (Germany), इंग्लैंड (England), ऑस्ट्रिया (Austria) में भी इसकी लोकप्रियता में वृद्धि देखने को मिली है। इन देशों में आरोहण से सम्बंधित विभिन्न सुविधाएं अन्य देशों की अपेक्षा बहुत बेहतर हैं। वहीं जहां विगत कुछ वर्षों से भारत आरोहण के लिए एक केंद्र बना हुआ है, लेकिन अभी यह अन्य राज्यों की तुलना में काफी पीछे है।भारत में मज़बूत बुनियादी ढांचे का अभाव है और इसके लिए बेहतर बुनियादी ढांचे, उपकरण और प्रशिक्षण सुविधाओं की ज़रूरत है। भारतीय पर्वतारोही इस तथ्य पर जोर देते हैं कि व्यवस्था की कमी प्रतिभा और उत्कृष्टता प्राप्त करने और विकास में बाधा है।



भारत में पर्वतारोहण के लिए व्यवस्था की कमी जहां पहले ही बाधा बनी हुई थी वहीं महामारी की वजह से स्थिति ओर खराब हो गई है। महामारी के कारण देशव्यापी लॉकडाउन (Lockdwon), यात्रा प्रतिबंध और महामारी के प्रति भय ने ट्रेकिंग उद्योग को अस्थायी रूप से बंद कर दिया है, जिसका प्रत्यक्ष प्रभाव उद्योग में काम करने वाले लोगों पर पड़ा है। मार्च, अप्रैल और मई भारत में सबसे लोकप्रिय ट्रैकिंग महीने हैं और पिछले वर्ष लगभग सभी संगठनों ने इन महीनों में अपने ट्रेक बंद कर दिए थे।ऐसे ही भारत में इस वर्ष की स्थिति में भी ज्यादा सुधार नहीं देखा गया है।गर्मियों में जब परिवार और छात्र पहाड़ों की ओर निकलते हैं, तब ट्रेकिंग संगठनों के पास सबसे ज्यादा काम होता है, लेकिन महामारी के बढ़ते खतरों के कारण स्थिति को देखते हुए, इन उद्योग के लगभग सभी काम में मंदा दिखाई दे रहा है।


संदर्भ :-
https://bit.ly/3u1y29K
https://bit.ly/3gF7asq
https://bit.ly/3dLEQ5W
https://bit.ly/3gCS5Yy
https://bit.ly/3vhfFhv
https://bit.ly/3tQ5MqO
https://bit.ly/32GLXpY


चित्र सन्दर्भ:
1.पर्वतारोही का एक चित्रण(unsplash)
2.पर्वतारोही का एक चित्रण(unsplash)
3.कोरोना वायरस एक चित्रण(unsplash)

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