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विभिन्न देशों में भौतिक स्तर पर हो रहे नगरों तथा जनसंख्या में हो रही वृद्धि शहरीकरण को दर्शाती है। भारत एक विकाशील देश है, यहाँ पर शहरों का बढ़ता विकास एक सामान्य प्रक्रिया है। सन 1947 में देश की स्वतन्त्रता के बाद से ही भारत में शहरीकरण ने बेहद तेज़ी से अपने पाँव पसारे हैं। वर्तमान में भारत की स्थिति यह है, की यहाँ पर ग्रामीण इलाकों की तुलना में शहरों में अधिक जनसंख्या निवास करती है। जिसका मुख्य कारण लोगो में अधिक आरामदायक और सुविधा जनक जीवन जीने की बढ़ती लालसा है। देश के सभी बड़े सरकारी तथा निजी कार्यालय शहरों में हैं। साथ ही यहाँ पर बिजली, पानी, ज़रूरी तथा गैर ज़रूरी चीजें आसानी से उपलब्ध हो जाती हैं। देश के बड़े कारखाने भी मुख्य रूप से शहरों में हैं, इसलिए यहां रोजगार की संभावना भी अधिक बढ़ जाती है। जिस कारण ग्रामीण इलाकों से लोग शहरों की तरफ पलायन कर रहे हैं। जिससे शहरीकरण में निरंतर वृद्धि हो रही है। शहरीकरण वृद्धि गति, और भौगोलिक स्थितियों के आधार पर विभिन्न भागों में विभाजित है।
● अति शहरीकरण (Over Urbanization) शब्द का इस्तेमाल अर्थशास्त्रियों तथा विद्वानों द्वारा ऐसी परिस्थितियों को दर्शाने के लिए होता है, जहाँ शहरों का विकास शहर की आबादी तथा देश की आर्थिक स्थिति की तुलना में अधिक तेज़ी से नहीं होता है। यह अनेक मामलों में हानिकारक साबित होता है। जनसँख्या पर शहरों की सुविधाओं का खर्च वहन न कर पाने का दबाव बढ़ जाता है। चूँकि सीमित जगहों पर जनसंख्या दबाव अधिक होगा, जिस कारण वहां नौकरी न मिलने, महंगाई तथा प्रदूषण जैसी समस्याएं सामान्य बात हैं। यह स्थिति लोगों में तनाव उत्पन्न करती है। जिस कारण कई मायनों में अति शहरीकरण सही नहीं समझा जाता।
● उत्क्रम शहरीकरण (Counter Urbanization)
यह एक ऐसी प्रक्रिया है, जिसमे शहरों की जनसंख्या वापस ग्रामीण समुदायों की ओर लौटने लगती है। नौकरी के अवसरों और सरल जीवन शैली सहित विभिन्न कारणों से लोग शहर से ग्रामीण समुदायों में चले गए हैं। ग्रामीण क्षेत्रो में इंटरनेट के प्रसार ने उत्क्रम शहरीकरण की प्रक्रिया को बड़े स्तर पर बड़ा दिया है। चूँकि शहरो में कई मूलभूत वस्तुओं की कीमत अधिक होती है। खासतौर पर विकसित शहरों में, जिस कारण कई लोगो के लिए इस बड़े खर्च को वहन करना थोड़ा मुश्किल पड़ जाता है। और आज के समय में इंटरनेट ने देश के कोने कोने तक पहुँच बना ली है। जिस कारण घर से काम करना बेहद आसान कर दिया है। उत्क्रम शहरीकरण का एक अन्य कारण भी है। जहा लोग गावं में नए-नए उद्योग शुरू कर रहे हैं। नए व्यवसायों को शुरू करना और बढ़ती तकनीक के साथ अपने उत्पाद को बेचना आसान हो गया है। अतः लोग शहरों में रहने के बजाय ग्रामीण इलाको से ही अपने उद्पाद की बिक्री करना पसंद कर रहे है। जलवायु परिवर्तन से भी शहरों में भयंकर दबाव पड़ा है। लोग दूषित हवा में सांस ले रहे है। इसलिए लोग साफ़ हवा और सादगी से भरे जीवन की तलाश में शहरों से गांव की ओर पलायन कर रहे है। जिसमे मध्यम तथा धनी वर्ग के लोग भी शामिल हैं। 2010 में हुए एक सर्वेक्षण के अनुसार छोटे-बड़े हर प्रकार के शहरों में लोगो को गावं की तुलना में अधिक तनावग्रस्त पाया गया। जिसका प्रमुख कारण नौकरी की अस्थिरता तथा व्यवसाय में होने वाले लाभों की कमी है। इसलिए लोग बड़े स्तर पर सादगी और शांति से भरा जीवन पसंद कर रहे हैं। जिस कारण वह शहरों से गावं को ओर रुख कर रहे। साथ ही कई लोग ग्रामीण संस्कृति और देश की प्राचीन परम्पराओं के साथ जुड़े रहना चाहते हैं। जिस कारण भी वे विस्थापित शहरीकरण का रास्ता चुन रहे हैं।
भारत में शहरीकरण को एक सुविधा संपन्न क्षेत्र के परिप्रेक्ष्य से देखा जाता है। लेकिन कभी-कभी स्थिति पूरी तरह से अलग होती है। अव्यवस्थित शहरीकरण यहां के शहरों की प्रमुख समस्या है। शहरों में लगभग 65.5 लोग झुग्गी झोपड़ी में सुविधाओं के अभाव में रहने को मजबूर हैं। साथ ही 2011 की जनगड़ना के अनुसार शहरों की कुल जनसंख्या के 13.7 प्रतिशत लोग गरीबी रेखा से नीचे रहते हैं। जो अपने मूलभूत खर्चों को भी वहन करने में भी असमर्थ हैं।
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