विश्वसनीय बिजली वितरण की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होंगे नवीन समाधान

नगरीकरण- शहर व शक्ति
30-03-2021 10:01 AM
Post Viewership from Post Date to 04- Apr-2021 (5th day)
City Subscribers (FB+App) Website (Direct+Google) Email Instagram Total
2833 1206 0 0 4039
विश्वसनीय बिजली वितरण की आवश्यकताओं को पूरा करने में सहायक होंगे नवीन समाधान
पर्याप्त और विश्वसनीय विद्युत आपूर्ति तथा वितरण के लिए बुनियादी ढांचे को डिजाइन (Design) करना, उसका निर्माण और फिर उसकी देख-रेख करना तेजी से वृद्धि करते शहरों में एक बड़ी चुनौती है, खासकर तब जब शहरों में खाली स्थानों की संख्या बहुत कम रह गयी हो। आबादी और औद्योगिक गतिविधियों के बढ़ने के साथ बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए मौजूदा बिजली के बुनियादी ढांचे में समय के साथ आवश्यकतानुसार कई चीजें जोड़ी गयी हैं। जहां भी खाली स्थान मौजूद होता है, वहां अनियंत्रित ओवरहेड केबल्स (Overhead cables), मीटर-बॉक्स (Meter-boxes), वितरण सबस्टेशनों (Distribution substations) को स्थापित कर दिया जाता है। यह पुराना बुनियादी ढांचा भद्दा, असुरक्षित और अपर्याप्त है। इस पुराने बुनियादी ढांचे या केबल्स का शहरीकरण के साथ सीधा-सीधा सम्बंध है। जैसे-जैसे शहरीकरण में वृद्धि हुई है, वैसे-वैसे केबल्स की संख्या में भी अभूतपूर्व वृद्धि देखने को मिली है, ताकि बिजली, संचार आदि की बढ़ती मांगों को पूरा किया जा सके।
भारत में ऐसे कई क्षेत्र हैं, जिनके पूर्ण रूप से विद्युतीकरण का दावा किया जाता है, किंतु वास्तव में सच्चाई कुछ और ही है। उदाहरण के लिए भारत सरकार के केंद्रीय विद्युत प्राधिकरण के अनुसार, मध्य प्रदेश के 97.2% गाँवों को 2013 के अंत तक विद्युतीकृत कर दिया गया था, किंतु रात में ली गई देश की सैटेलाइट (Satellite) तस्वीरों के अनुसार, मध्य प्रदेश एक ऐसे राज्य के रूप में सामने आया, जहां के ग्रामीण क्षेत्रों में रात में सबसे कम लाइटें (Light) जलती दिखायी दीं। यह इंगित करता है, कि भले ही घरों को विद्युतीकृत कर दिया गया है, लेकिन विभिन्न कारणों की वजह से अभी तक लोग इस सुविधा का लाभ नहीं ले पाये हैं या इस लाभ को प्राप्त करने के लिए तैयार नहीं हैं। चूंकि, शहरों का लक्ष्य अब एक विकसित स्मार्ट (Smart) शहर बनना है, इसलिए उन्हें अच्छे और कुशल नेटवर्क (Networks) की आवश्यकता है। एक स्मार्ट शहर, मजबूत और विश्वसनीय संचार नेटवर्क पर आधारित होता है तथा यह नेटवर्क विभिन्न अनुप्रयोगों और सेवाओं के लिए आधार भी प्रदान करता है। शहरीकरण निरंतर प्रगति कर रहा है, तथा संयुक्त राष्ट्र के पूर्वानुमान के अनुसार, 2050 तक कुल आबादी का 70 प्रतिशत हिस्सा शहरी होगा। बढ़ते शहरीकरण को पर्यावरण संरक्षण, ऊर्जा दक्षता, यातायात और सेवाओं हेतु एक प्रगतिशील समाधान की आवश्यकता है, और इसलिए जो भी उचित तकनीक शहरों में अच्छे जीवन, कुशल सूचना प्रसंस्करण, बेहतर संचार और शिक्षा आदि में योगदान देती है, उसे अपनाया जाना चाहिए। फाइबर टू द होम (Fiber to the Home – FTTH) परिषद का मानना है, कि शहरों को स्मार्ट शहरों में बदलने के लिए फाइबर ऑप्टिक केबलिंग (Fiber optic cabling) को अपनाना लाभप्रद हो सकता है। फाइबर ऑप्टिक नेटवर्क व्यापक क्षमता के साथ भविष्य के लिए सबसे अधिक संभावनाएं प्रदान करते हैं। संचार और डेटा (Data) नेटवर्क या योजना निर्माण पर चर्चा करते समय शहरों को कई प्रमुख सिद्धांतों, योजनाओं और मूल्यांकन मानदंडों को ध्यान में रखना चाहिए। इन आवश्यक मानदंडों में केबल सिस्टम की कार्यक्षमता, सुविधा, नम्यता आदि शामिल हैं। नई तकनीक के साथ एक स्मार्ट बिजली वितरण अवसंरचना शहर के निवासियों की सुरक्षा को बढ़ा सकती है, और विद्युत संचरण (Transmission) में होने वाले घाटे की बेहतर निगरानी और ट्रैकिंग (Tracking) में मदद कर सकती है। भारत में बिजली संचरण और वितरण के दौरान लगभग 23 प्रतिशत विद्युत का नुकसान होता है, तथा यह नुकसान दर पूरी दुनिया में सबसे अधिक है। भारत के राज्य अब घनी आबादी वाले शहरों में बिजली संचरण और वितरण को स्वचालित और बेहतर बनाने के लिए नवीन तकनीकों को अपना रहे हैं। इस कार्य को सरकार की चौबीसों घंटे "सभी के लिए बिजली" योजना और एकीकृत बिजली विकास योजना कार्यक्रम के साथ किया जा रहा है। आसिया ब्राउन बोवरी (Asea Brown Boveri - ABB) ने भारतीय राज्यों केरल और पश्चिम बंगाल को सुरक्षित और स्मार्ट बिजली समाधान प्रदान किया है। ABB के पूर्वनिर्मित, बिजली वितरण केंद्र (Power Distribution Centers - PDCs) या ई-हाउस (eHouse) बिजली के वितरण को सुरक्षित करते हैं, और लगभग 30 प्रतिशत तक की बचत लाते हैं।
ई-हाउस अनुकूलित, पूर्व-निर्मित मॉड्यूलर विद्युत सबस्टेशन (Modular Power Substations) हैं, जिनका परीक्षण पहले ही कर लिया जाता है। ई-हाउस कम स्थान घेरते हैं, तथा इन्हें बनाने में समय और संसाधनों की भी कम आवश्यकता होती है। सार्वजनिक सुरक्षा की दृष्टि से ई-हाउस अत्यधिक उपयोगी हैं। शहर की चुनौतियों का सामना करने के लिए बनाए गये बिजली वितरण केंद्र को स्थापित करने में अपेक्षाकृत (पारंपरिक सबस्टेशनों की तुलना में) कम समय लगता है तथा यह जोखिम कारकों को बहुत कम कर देता है। भारत की सबसे पुरानी विद्युत कम्पनी, कलकत्ता इलेक्ट्रिक सप्लाई कॉर्पोरेशन (Calcutta Electric Supply Corporation - CESC Ltd) ने घनी आबादी वाले शहरों में विश्वसनीय बिजली आपूर्ति सुनिश्चित करने के लिए अलग-अलग विशिष्टताओं के साथ ABB के बिजली वितरण केंद्र को अपनाया है। विशिष्ट आवश्यकताओं को पूरा करने के लिए पूर्व-निर्मित बिजली वितरण केंद्र को व्यस्त शहरों के निकट आसानी से स्थापित किया जा सकता है। अक्सर उन क्षेत्रों में जहां एक नये सबस्टेशन का निर्माण खाली स्थान और समय के कारण संभव नहीं हो पाता, वहां पूर्व-निर्मित बिजली वितरण केंद्र को कुछ ही घंटों में शुरू किया जा सकता है। सभी शहरों में चौबीसों घंटे विश्वसनीय बिजली प्रदान करने हेतु एक स्थायी तरीके से विश्वसनीय बिजली वितरण की आवश्यकता को पूरा करने के लिए नवीन समाधानों की आवश्यकता होगी।

संदर्भ:
https://bit.ly/3cPdz0w
https://bit.ly/3f11YhP
https://bit.ly/3tILXB3

चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर रामपुर में बिजली वितरण तार दिखाती है। (प्रारंग)
दूसरी तस्वीर भारत में बिजली पारेषण और वितरण को दर्शाती है। (फ़्लिकर)
तीसरी तस्वीर में मॉड्यूलर पॉवर सब्सटेशन को दिखाया गया है। (स्नेपोगोट)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.