भारतीय पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, धार्मिक पर्यटन

विचार I - धर्म (मिथक / अनुष्ठान)
18-03-2021 10:08 AM
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भारतीय पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है, धार्मिक पर्यटन
आध्यात्मिकता भारतीय संस्कृति की आत्मा में बसी हुई है। भारत उन अनेकों लोगों का पसंदीदा स्थान है, जो आध्यात्मिक विकास और आत्मज्ञान के लिए यात्राएं करते हैं। 1968 में गूढ़ चिंतन के लिए जब बीटल्स (Beatles) नामक एक रॉक बैंड (Rock band) महर्षि महेश योगी के ऋषिकेश स्थित आश्रम में आया, तब भारत ने विश्वस्तर पर आध्यात्मिकता के लिए अपनी पहचान बनायी। इस क्षेत्र में संभावनाओं और अवसरों की पहचान करते हुए आज आध्यात्मिक पर्यटन उद्योग, ट्रैवल कंपनियों (Travel companies) और होटल श्रृंखलाओं के साथ बढ़ता जा रहा है। सामान्यतः आध्यात्मिकता को अपने शब्द के कारण धर्म के साथ जोड़ा जाता है, और कई बार दोनों को एक-दूसरे के संदर्भ में प्रयोग भी किया जाता है। किंतु आध्यात्मिक पर्यटन में लोग जीवन का मतलब समझने और आत्मज्ञान की अनुभूति के द्वारा आंतरिक शांति प्राप्त करने के लिए विभिन्न स्थानों की यात्राएं करते हैं। आध्यात्मिक पर्यटन में वे किसी एक धर्म पर विश्वास या उसका अनुसरण कर भी सकते हैं और नहीं भी। ऋषिकेश, मैक्लॉडगंज (McLeodganj), माउंट (Mount) अरुणाचल, अरावली, तिरुवन्नमलाई, शिरडी, बोधगया आदि भारत के कुछ ऐसे स्थान हैं, जहां लोग अपने इस उद्देश्य को पूरा करने के लिए यात्राएं करते हैं। वहीं दूसरी ओर हम धार्मिक पर्यटन की बात करें तो, यह उन लोगों को शामिल करता है, जो अकेले या फिर समूह में मंदिरों और पूजनीय स्थलों में जाने के लिए तीर्थयात्राएं करते हैं। इन स्थलों में ऐसे आयोजन और अनुष्ठान होते हैं, जिनका अनुयायियों से पालन करने की अपेक्षा की जाती है। अमृतसर, अजमेर, फतेहपुर सीकरी, गोवा, वेलंकन्नी, फोर्ट (Fort) कोच्चि, श्रीरंगम, तिरुपति, रामेश्वरम, तंजावुर, वाराणसी और पुरी आदि देश में धार्मिक पर्यटन के लिए महत्वपूर्ण स्थान माने जाते हैं। धार्मिक पर्यटन भारत में राष्ट्रीय पर्यटन नीति का मुख्य केंद्र है। धार्मिक पर्यटन को पर्यटन का सबसे सामान्य रूप माना जाता है, क्यों कि, यहां रहने वाले लोगों का धार्मिक दृष्टिकोण बहुत मजबूत होता है और वे मानते हैं कि, अगर वे धार्मिक स्थानों की यात्रा करेंगे, तो उनकी आकांक्षाएं पूरी होंगी और वे अपनी समस्याओं का समाधान प्राप्त कर पायेंगे।
यहां विभिन्न धर्मों के ऐसे अनेकों स्थल हैं, जिन्हें देखने या उनके अनुष्ठानों में भाग लेने के लिए हर वर्ष एक बड़ी संख्या में लोग एकत्रित होते हैं। उदाहरण के लिए बोधगया में महाबोधि मंदिर बौद्ध धर्म के सबसे पवित्र स्थलों में से एक है। भारत योग पर्यटन के लिए एक प्रमुख गंतव्य बन गया है, तथा यहां स्थित मैसूर अष्टांग योग के लिए और ऋषिकेश, शिवानंद और अन्य प्रकार के योगों के लिए बहुत महत्वपूर्ण हैं। भारत में स्थित प्रमुख सूफी संतों की दरगाह या तीर्थस्थान जैसे अजमेर शरीफ और निजामुद्दीन मुस्लिम धर्मों के सभी लोगों को अपनी ओर आकर्षित करते हैं। इसी प्रकार से यहां मौजूद स्वर्ण मंदिर सिख धर्म का सबसे पवित्र स्थल है। हर वर्ष भारत के आध्यात्मिक और धार्मिक स्थल बड़ी संख्या में पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। ऋषिकेश में प्रतिवर्ष आयोजित होने वाले अंतर्राष्ट्रीय योग महोत्सव में सौ से अधिक देशों से लगभग 2,000 प्रतिभागी भाग लेते हैं। पुष्कर मेला (राजस्थान) हर साल दो सप्ताह की अवधि में लगभग 2 से 4 लाख तीर्थयात्रियों को आकर्षित करता है। इसी प्रकार से कुंभ मेले को धार्मिक तीर्थयात्रियों का सबसे बड़ा मेला माना जाता है, जिसमें लाखों की संख्या में लोग भाग लेते हैं। 2013 की एक रिपोर्ट (Report) के अनुसार इलाहाबाद में "महाकुंभ मेले" के दौरान केवल दो महीनों में ही अनुमानित 1200 लाख लोग शामिल हुए थे। धार्मिक पर्यटन की अवधारणा को बनारस शहर के उदाहरण से समझा जा सकता है। गंगा नदी के किनारे बसे इस शहर में लगभग 4000 मंदिर, 3000 विरासत स्थल और 84 घाट हैं। देश के लोगों और यहां तक कि विदेशों से आये लोगों का भी यह विश्वास है कि, यदि वे गंगा में स्नान करेंगे, तो उन्हें अपने पापों से मुक्ति मिल जायेगी। प्राचीन काल से, ही लोग किसी इच्छा को पूरा करने के उद्देश्य से धार्मिक स्थानों की यात्रा कर रहे हैं। ईश्वर के प्रति आभार व्यक्त करने, अपने पापों को स्वीकार करने, सामाजिक और आध्यात्मिक मुक्ति प्राप्त करने, धार्मिक आयोजनों में भाग लेने, ज्ञान बढ़ाने, पर्यटन उत्पादों में विशेष रुचि विकसित करने, रोजगार और सामाजिक-आर्थिक लाभ प्राप्त करने आदि के लिए लोगों द्वारा धार्मिक यात्राएं की जाती हैं। इसके अलावा भारत में, धार्मिक स्थानों की कलात्मक और रचनात्मक भी पर्यटकों को आकर्षित करती है।
कोरोना महामारी के दौरान हुई तालाबंदी से अनेकों उद्योग और क्षेत्र प्रभावित हुए हैं, तथा उनमें से एक पर्यटन भी है। धार्मिक स्थल भारतीय पर्यटन क्षेत्र को पुनर्जीवित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं। अपने ही देश या क्षेत्रों में धार्मिक पर्यटन और सूक्ष्म अवकाशों को बढ़ावा देकर तथा स्वदेश दर्शन और तीर्थयात्रा कायाकल्प और आध्यात्मिक संवर्धन ड्राइव (Pilgrimage Rejuvenation and Spiritual Augmentation Drive - PRASAD) जैसी मौजूदा परियोजनाओं में सुधार करके पर्यटन को पहले की तरह सुदृढ़ बनाया जा सकता है। योग, कल्याण और आयुर्वेद जैसे अन्य प्रमुख पर्यटन आकर्षणों के साथ सहयोग करके पर्यटन क्षेत्र को सक्रिय किया जा सकता है।

संदर्भ:
https://bit.ly/3ljnbEH
https://bit.ly/3tbMds6
https://bit.ly/3bKZJNF
https://bit.ly/3lg8Zwr

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र में ऋषिकेश को दिखाया गया है। (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर मैक्लॉडगंज से धौलाधार चोटी दिखाती है। (विकिपीडिया)
तीसरी तस्वीर पुष्कर मेला (राजस्थान) दिखाती है। (नवोदय समय)
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