जीवों के अस्तित्व को बचाए रखने में सहायक हैं, उनके शरीर पर मौजूद धारियां

शारीरिक
03-03-2021 10:31 AM
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जीवों के अस्तित्व को बचाए रखने में सहायक हैं, उनके शरीर पर मौजूद धारियां
अपने अस्तित्व को बचाए रखने के लिए विभिन्न जीवों को अपने वातावरण के साथ अनुकूलित होना पड़ता है तथा इस अनुकूलन की प्रक्रिया में उनकी आंतरिक और बाह्य संरचना में अनेकों परिवर्तन आते हैं। जीव-जंतुओं के शरीर पर धारियों का होना भी अनुकूलन का ही परिणाम है। हमारे चारों ओर ऐसे कई जीव मौजूद हैं, जिनके शरीर पर विभिन्न रंगों की धारियां पायी जाती हैं तथा इनका कुछ न कुछ उद्देश्य अवश्य होता है। इसका सबसे अच्छा उदाहरण बाघ के शरीर पर मौजूद धारियां हैं, जो एक छलावरण अर्थात अन्य जीवों को भ्रमित करने का कार्य करती हैं। बाघ को अपने नारंगी-भूरे शरीर पर मौजूद गहरी ऊर्ध्वाधर धारियों से पहचाना जाता है। इसे सबसे खतरनाक शिकारियों में से एक माना जाता है, जो मुख्य रूप से खुर वाले स्तनधारियों का शिकार करता है। यूं तो, यह एक एकांतवासी जंतु है, लेकिन इसे अपने आवास के लिए बड़े क्षेत्रों की आवश्यकता होती है, ताकि यह आसानी से अपना शिकार ढूंढ सके। बाघ जब अपने शिकार को पकड़ने जाता है, तो वह शांत रहकर अपने शिकार पर छिपकर नजर रखता है। बाघ के शरीर में मौजूद धारियां उसके आस-पास की पृष्ठभूमि से मिलती-जुलती हैं। इस प्रकार अन्य जीवों के लिए भ्रम की स्थिति उत्पन्न होती है तथा वे आस-पास की पृष्ठभूमि और बाघ में भेद करने में सक्षम नहीं हो पाते हैं, या यूं कहें कि, अन्य जीवों के लिए बाघ को पहचानना मुश्किल हो जाता है। बाघ के शरीर का नारंगी रंग जहां उसे आस-पास की घास-फूस और जमीन के रंग के साथ मिश्रित कर देता है, वहीं उन पर मौजूद काली धारियां उसके शिकार के लिए और भी अधिक भ्रम उत्पन्न करती हैं। इस प्रकार बाघ के लिए शिकार करना आसान हो जाता है।
बाघ के समान ही अनेकों जीवों में विभिन्न रंग की धारियां मौजूद होती हैं, लेकिन यह आवश्यक नहीं है, कि केवल शिकार के लिए ही जीवों में धारियां मौजूद हों, धारियां होने के अनेकों कारण हो सकते हैं। इसका अच्छा उदाहरण जेबरा के शरीर पर मौजूद सफ़ेद और काली धारियां हैं। यह धारियां भले ही उन्हें शिकार करने में मदद न करें, लेकिन शिकारियों से बचने में अवश्य मदद करती हैं। कुछ लोगों का सुझाव था, कि जेबरा के शरीर की धारियां मुख्य रूप से उन्हें शेर और अन्य शिकारियों से बचने में मदद करने और बीमारी फैलाने वाली मक्खियों के काटने से बचाने के लिए विकसित हुईं। किंतु वैज्ञानिकों द्वारा किये गए शोध के अनुसार, जेबरा में धारियों के विकसित होने की मुख्य वजह ताप नियंत्रण है, जिसकी वजह से वे खुद को गर्म तापमान में ठंडा रख पाते हैं। वैज्ञानिकों का मानना है कि, ज़ेबरा की पीठ की धारियों का सीधा-सीधा सम्बंध उनके वातावरण के तापमान और वर्षा से है, न कि शेर से बचने या मक्खियों के काटने से। ज़ेबरा की पीठ की धारियाँ जहां ताप नियंत्रण के काम आती हैं, वहीं पैरों पर मौजूद धारियाँ बीमारी फैलाने वाली मक्खियों से बचने में मदद करती हैं। ज़ेबरा के आवरण का धारीदार पैटर्न (Pattern) मक्खी की आँख के लिए एक दृष्टि भ्रम (Optical illusion) उत्पन्न करता है, क्यों कि इस प्रकार के पैटर्न पर ध्यान केंद्रित करने और उसे देखने में मक्खियां सक्षम नहीं होती हैं। इस प्रकार मक्खी जेबरा की धारियों को दो अलग-अलग जीवों के रूप में देखती हैं और उस पर हमला नहीं करती हैं। जिस प्रकार से मानव के अनेकों लक्षण उसके जींस (Genes) द्वारा निर्धारित होते हैं, ठीक उसी प्रकार से जेबरा में मौजूद धारियां भी उसके जींस द्वारा निर्धारित होती हैं।
हालांकि, जीवों के शरीर की धारियां उन्हें संरक्षण प्रदान करती हैं, लेकिन फिर भी बाघ सहित ऐसी अनेकों प्रजातियां हैं, जिनकी संख्या को लगातार गिरावट का सामना करना पड़ा है। उन्हें संरक्षण प्रदान करने के लिए विभिन्न राष्ट्रीय उद्यान स्थापित किये गये हैं, जिनमें से एक दुधवा राष्ट्रीय उद्यान भी है। यह उद्यान उत्तर प्रदेश राज्य में स्थित है, जो 190 किलोमीटर के बफर जोन (Buffer zone) के साथ 490.3 वर्ग किलोमीटर के क्षेत्र में फैला हुआ है। यह खीरी और लखीमपुर जिलों में दुधवा टाइगर रिजर्व (Tiger Reserve) का हिस्सा है, जो कई लुप्तप्राय प्रजातियों का संरक्षण कर रहा है। इसकी स्थापना 1958 में बारहसिंगा के संरक्षण के लिए वन्यजीव अभयारण्य के रूप में की गयी थी, किंतु 1979 में यह एक बाघ अभयारण्य भी बन गया। दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के प्रमुख आकर्षण बाघ (2014 में इनकी जनसंख्या 58 थी) और बारहसिंगा (1,600 से अधिक की आबादी के साथ) हैं। 1984 में भारतीय गैंडों को भी असम के पोबितोरा (Pobitora) अभयारण्य और नेपाल से दुधवा में लाया गया। जैव विविधता के मामले में यह उद्यान काफी समृद्ध माना जाता है। यहां देखे जाने वाले अन्य जानवरों में सांभर हिरण, चित्तीदार हिरण, भालू, सियार, जंगली बिल्ली आदि शामिल हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3831fbv
https://bit.ly/3bX0Ok8
https://bit.ly/304at2V
https://bit.ly/37ZuRXa
https://bit.ly/3uWqZ3k
https://bit.ly/2PtdEz9

चित्र संदर्भ:
मुख्य चित्र उत्तर प्रदेश के दुधवा राष्ट्रीय उद्यान में बाघ को दर्शाता है। (विकिमीडिया)
दूसरी तस्वीर में बाघ को शिकार करते हुए दिखाया गया है। (विकिमीडिया)
अंतिम तस्वीर में सफेद बाघ दिखाया गया है। (पिक्साबे)
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