निकल का रोचक इतिहास, जब उसे भूत से संबंधित धातु माना जाता था

खनिज
25-02-2021 10:29 AM
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निकल का रोचक इतिहास, जब उसे भूत से संबंधित धातु माना जाता था
निकल (Nickel) एक मजबूत, चमकदार, चांदी जैसी सफेद धातु है जो हमारे रोजमर्रा के जीवन का एक प्रमुख तत्व है और जो बैटरी से लेकर ऑटोमोबाइल उद्योग, विद्युत उद्योग, इलेक्ट्रॉनिक उद्योग की सभी चीजों में पाया जाता है। वर्तमान में, निकल की खपत का मुख्य स्रोत स्टेनलेस स्टील (Stainless Steel) मिश्र धातु हैं, हर साल दो-तिहाई निकल की खपत स्टेनलेस स्टील बनाने में हो जाती है। निकल की कम लागत के कारण इसकी बढ़ती मांग ने ऑटोमोबाइल बैटरी (Automobile Batteries), पवन टरबाइन (Wind Turbine) या सौर पैनल (Solar Panel) जैसे क्षेत्रों में इसके बाजार को बढ़ा दिया है। निकल महत्वपूर्ण मिश्र धातु तत्वों में से एक है, द्वितीय विश्व युद्ध के बाद और पिछले कुछ वर्षों के दौरान इसकी खपत काफी बढ़ गई है। माना जाता है कि निकल की उपलब्धता जितनी अधिक होगी इसकी मांग भी और अधिक बढ़ती जायेगी। वर्तमान में इसका वार्षिक उत्पादन 400,000 टन से अधिक हो गया है और भविष्य में और वृद्धि होने की पूरी संभावना है क्योंकि दुनिया में कई नए उत्पादन केंद्र स्थापित किए जा रहे हैं।
निकल एक धातु है तथा रासायनिक रूप से यह एक तत्व है। निकल का परमाणु भार 58.6934, परमाणु संख्या 28 तथा संकेत एनआई (Ni) होता है। इसके परमाणु में 28 इलेक्ट्रान, 28 प्रोटोन, 31 न्यूट्रॉन तथा 4 ऊर्जा स्तर होते हैं। निकल का घनत्व 8.9 ग्राम प्रति घन सेंटीमीटर होता है। इसका गलनांक (पिघलने का तापमान) 1455 डिग्री सेल्सियस (2657 डिग्री फेरेनाइट) और इसका क्थनांक (उबलने का तापमान) 2730 डिग्री सेल्सियस (4946 डिग्री फेरेनाइट) होता है। आवर्त सारणी में निकल ग्रुप 10, पीरियड (Period) 4 और ब्लॉक डी (Block ‘D’) में स्थित होता है। सामान्य तापमान पर निकल ठोस अवस्था में पाया जाता है। यह सख़्त और तन्य होता है। हालाँकि निकल के बड़े टुकड़ों पर मानक परिस्थितियों में हवा के साथ प्रतिक्रिया कर ऑक्साइड की परत बन जाती है जिससे अंदर की धातु सुरक्षित रहती है। निकल ऑक्सीजन से तेज़ी से रासायनिक अभिक्रिया (Reaction) कर लेता है। इस कारणवश पृथ्वी की सतह पर निकल शुद्ध रूप में नहीं मिलता या थोड़ी मात्रा में पाया जाता है। इसका प्रमुख स्रोत अंतरिक्ष से गिरे लौह उल्का और अल्ट्रामैफिक चट्टानें (Ultramafic Rocks) होते हैं, वैज्ञानिक यह मानते हैं कि पृथ्वी का कोर (Core) निकल-लौह के मिश्रित धातु का बना हुआ है। निकल हवा में उपस्थित ऑक्सीजन से साथ अभिक्रिया करके अपने ऊपर एक पतली सुरक्षादायनी परत बना लेता है जिससे अन्दर की धातु बची रहती है। इस वजह से इसका प्रयोग लोहे व अन्य धातुओं पर निकल की परत चढ़ाकर उन्हें ज़ंग लगने से बचाने के लिये किया जाता है। यह एक लौहचुम्बकत्व (Ferromagnetism) रखने वाला तत्व है और इससे बने चुम्बक उद्योग व अन्य प्रयोगों में इस्तेमाल होते हैं। निकल का एक आर्थिक रूप से महत्वपूर्ण स्रोत लौह अयस्क लिमोनाइट (Iron Ore Limonite) है, जिसमें 1-2% निकल होता है। निकल के अन्य महत्वपूर्ण अयस्क खनिजों में पेंटलैंडाइट (Pentlandite) और निकल समृद्ध प्राकृतिक सिलिकेट (Silicate) के मिश्रण (जिसे गार्नियराइट (Garnierite) कहा जाता है) है।
शुद्ध निकल को पहली बार 1715 में बैरन एक्सल फ्रेड्रिक क्रॉन्स्टेड (Baron Axel Fredrik Cronstedt) (स्वीडिश खनिज रसायनज्ञ) द्वारा निकाला गया था, जिसे उन्होंने लॉस (Los) के एक स्वीडिश (Swedish) गांव में कोबाल्ट खदान से निकोलाइट खनिज के रूप में निकाला था, दरअसल वे "कूफ़ेरनिकल" (kupfernickel) (जिसे तांबे का शैतान कहा जाता था, इसके पीछे एक कहानी है जिसे आप हमारे इस लेख https://jaunpur.prarang.in/posts/2508/Nickel-A-Precious-Metal में पढ़ सकते है) से तांबा (Copper) निकालने की कोशिश कर रहे थे, परंतु उन्होंने इसके बजाय एक सफेद धातु का उत्पादन किया जिसे उन्होंने निकल नाम दिया। लेकिन निकल बहुत पहले ही अस्तित्व में था। निकल का उपयोग अनजाने में ही सही परंतु 3500 ईसा पूर्व से होता आ रहा है। लगभग 1700 और 1400 के चीनी दस्तावेज़ 'सफेद कॉपर' (बैयंग -Baitong) (White Copper) से पता चलता है कि निकल का उपयोग कितने पुराने समय से होता आ रहा है। दूसरी शताब्दी ईसा पूर्व में, चीनी लोगों ने तांबा और जस्ता के साथ निकल की एक “पैकफॉन्ग” (Packfong) नामक मिश्र धातु बनाई, जिसकी कई देशों में मांग थी। 17 वीं शताब्दी के प्रारंभ में इसे बैक्ट्रिया (Bactria) राज्य में लाया गया, जो आज के मध्य सोवियत एशिया (Soviet Asia) के क्षेत्र में स्थित था। लेकिन 1822 तक इस मिश्र धातु से शुद्ध निकल की खोज नहीं की गई थी। बैक्ट्रियन लोगो ने इससे सिक्के बनाए। निकल-तांबा मिश्र धातु के सिक्के बैक्ट्रियन राजाओं अगथोक्लेस (Agathocles), और एलीडिमस II (Euthydemus II) द्वारा उपयोग में लाये गए थे। उनमें से, 235 ईसा पूर्व में बना एक सिक्का लंदन (London) के ब्रिटिश संग्रहालय (British Museum) में रखा गया है। मध्ययुगीन जर्मनी में, अयस्क पहाड़ों में एक लाल खनिज पाया गया था जो तांबे के अयस्क जैसा दिखता था। हालांकि, तब खनिक इसमें से किसी भी प्रकार के तांबे को निकालने में असमर्थ थे, इसकी वजह से उन्होंने कहानियां बनाना शुरू कर दिया। उनका कहना था कि इसके पीछे किसी प्रेत का साया है, इसे उन्होंने कूफ़ेरनिकल नाम दिया, इस अयस्क को अब निकल आर्सेनाइड (Nickel Arsenide) के रूप में जाना जाता है। उस समय मूल रूप से, निकल के लिए एकमात्र स्रोत कूफ़ेरनिकल था। 1824 में निकल को कोबाल्ट ब्लू (Cobalt Blue) से प्राप्त किया जाने लगा। निकल की पहली बड़े पैमाने पर गलाने (Smelting) की शुरुआत 1848 में नॉर्वे (Norway) में निकल समृद्ध पाइरोहटाइट (Pyrrhotite) से हुई। 1889 में इस्पात उत्पादन में निकल के उपयोग की शुरूआत ने इसकी की मांग में वृद्धि की और 1865 में खोजे गए न्यू कैलेडोनिया (New Caledonia) के निकल भंडारों ने 1875 और 1915 के बीच दुनिया के अधिकांश देशो में इसकी आपूर्ति की। इसके बाद 1883 में कनाडा (Canada) के सडबरी बेसिन (Sudbury Basin) में, 1920 में रूस (Russia) के नोरिल्स्क-तलनख (Norilsk-Talnakh) में, और 1924 में दक्षिण अफ्रीका (South Africa) के मर्न्सकी रीफ (Merensky Reef) में बड़े भंडारों की खोज हुई जिससे बड़े पैमाने पर निकल उत्पादन संभव हुआ।
निकल का उपयोग कई विशिष्ट उत्पादों में किया जाता है, जिसमें स्टेनलेस स्टील, सिक्के, रिचार्जेबल बैटरी (Rechargeable Batteries), इलेक्ट्रिक गिटार स्ट्रिंग्स (Electric Guitar Strings), माइक्रोफ़ोन कैप्सूल (Microphone Capsules) ऑटोमोबाइल बैटरी (Automobile Batteries), पवन टरबाइन या सौर पैनल आदि शामिल है। निकल मुख्य रूप से एक मिश्र धातु है, इसका मुख्य उपयोग कई अन्य मिश्र धातुओं में किया जाता है जिसमें तांबा और क्रोमियम (Chromium), एल्यूमीनियम (Aluminium), सीसा (Lead), कोबाल्ट, चांदी, और सोना (Gold) आदि धातुएं शामिल हैं। यह धातु की तन्य शक्ति, कठोरता और लोचदार सीमा को बढ़ाता है। भारत में लगभग 65% से अधिक निकल का उपयोग स्टेनलेस स्टील और 20% अन्य स्टील तथा नॉन-फैरस (Non-Ferrous) के निर्माण के लिए किया जाता है जो अक्सर अत्यधिक विशिष्ट औद्योगिक, एयरोस्पेस (Aerospace) और सैन्य अनुप्रयोगों (Military Applications) के लिए होता है। लगभग 9% निकल का उपयोग परत चढ़ाने और 6% निकल का उपयोग अन्य कामों में किया जाता है, जिसमें सिक्के और कई प्रकार के निकल रसायन शामिल हैं।
विश्व में इसके उत्पादन की बात करे तो, 2019 में खानों में निकल का विश्व उत्पादन लगभग 2.7 मिलियन मीट्रिक टन (2.7 Million Metric Tons) होने का अनुमान लगाया गया था और वैश्विक खपत लगभग 2.31 मिलियन मीट्रिक टन (2.31 Million Metric Tons) थी। निकल के खनन में प्रमुख देशों में इंडोनेशिया (Indonesia), फिलीपींस (Philippines), रूस (Russia) और न्यू कैलेडोनिया शामिल हैं। इंडोनेशिया निकल का सबसे बड़ा भंडार वाला देश भी है, इसके बाद ऑस्ट्रेलिया (Australia) और ब्राजील (Brazil) हैं। भारत की बात की जाये तो देश में शुद्ध निकल की वार्षिक मांग लगभग 45,000 टन है और इसका घरेलू बाजार पूरी तरह से आयात पर निर्भर है। परंतु 2016 में भारत का निकल उत्पादन करने वाली पहली सुविधा हिंदुस्तान कॉपर लिमिटेड (Hindustan Copper Limited (HCL)) झारखंड द्वारा शुरू की गई। यह निकल, कॉपर और एसिड रिकवरी सयंत्र (Acid Recovery Plant) झारखंड के घाटशिला में स्थित है। यह एलएमई ग्रेड (लंदन मेटल एक्सचेंज-London Metal Exchange) के निकल धातु का उत्पादन करने वाली भारत में एकमात्र इकाई है। इससे उत्पादित धातु का उपयोग मुख्य रूप से स्टेनलेस स्टील बनाने के लिए किया जाता है।
निकल मुख्य रूप से भारत में ऑक्साइड (Oxides), सल्फाइड (Sulfides) और सिलिकेट (Silicate) के रूप में पाया जाता है। इसका प्रमुख भंडार भारत में ओडिशा के जाजपुर जिले की सुकिंदा घाटी (Sukinda Valley) में है, जहां क्रोमाइट (Chromite) की परतों में निकेलिफेरस लिमोनाइट (Nickeliferous Limonite) के रूप में मिलता है जो ऑक्साइड के रूप में होता है। लगभग 93% फीसदी निकल (175 मिलियन टन) ओडिशा में मिलता है और शेष 7% निकल झारखंड (9 मिलियन टन) और नागालैंड (5 मिलियन टन) में पाया जाता है। ये झारखंड के पूर्वी सिंहभूम जिले में तांबे के खनिज के साथ सल्फाइड (Sulfide) के रूप में पाया जाता है। इसके अलावा, यह झारखंड के जाडुगुडा (Jaduguda) में यूरेनियम (Uranium) के भंडार के साथ भी पाया जाता है। इसकी कुछ मात्रा कर्नाटक, केरल, असम और राजस्थान में भी पाई जाती हैं। समुद्र तल में पॉलीमेटालिक नोड्यूल (Polymetallic Sea Nodules) भी निकल का एक अन्य स्रोत हैं।

संदर्भ:
https://bit.ly/3aHovgZ
https://bit.ly/3uiTp78
https://bit.ly/3uoL3Ll
https://bit.ly/3bA6zEn
https://bit.ly/2NML5vH
https://bit.ly/3qON6pL

चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर में इलेक्ट्रोलाइटिक निकल, निकल शीट और निकल के सिक्कों को दिखाया गया है। (पिक्साबे)
दूसरी तस्वीर निकल के आरेख को दिखाती है। (pixi.org)
आखिरी तस्वीर में निकल दिख रहा है। (पिक्साबे)
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