कैंसर का भारतीय पर आर्थिक और वित्तीय बोझ

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29-01-2021 10:46 AM
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कैंसर का भारतीय पर आर्थिक और वित्तीय बोझ
आम जीवन में कैंसर को लेकर इतने और मिथक प्रचलित हैं कि वह मुहावरा बन गया है- “तुम तो मेरे जीवन का कैंसर हो” यानी एक लाइलाज कभी ना ठीक होने वाला और दिवालिया बना देने वाला कैंसर। जेब खर्च की औसत अस्पताल में भर्ती होने की राशि 19210 रुपए है, जबकि कैंसर पर 57,232 रुपए है और ह्रदय रोग पर भर्ती होने की फीस 40,947 रुपए है। एक सामान्य व्यक्ति का 28% आपातकालीन स्वास्थ्य संबंधी खर्च इस मद में खर्च होने से भारी आर्थिक संकट पैदा हो जाता है। कैंसर के इलाज का बोझ आम नागरिक के लिए यात्रा का रूप ले लेता है। यह यातना कई प्रकार की होती है। मरीज के साथ साथ परिवार पर इसका सीधा असर पड़ता है। बीमा के नियम, जेब से कहीं बढ़कर खर्च और समाज की इसमें भूमिका सब मिलकर एक बड़ी नकारात्मक तस्वीर खड़ी कर देते हैं।
भारत में कैंसर: बढ़ता आर्थिक बोझ
जनसांख्यिकीय और महामारी संबंधित संक्रमण के कारण कैंसर समाज में प्रमुख जन स्वास्थ्य समस्या के रूप में उभर रहा है। इस विषय में भारत के विभिन्न परिवारों का एक सर्वेक्षण 2014 में किया गया। इसका उद्देश्य कैंसर इलाज के कारण परिवारों पर पड़ने वाले आर्थिक बोझ की जानकारी एकत्र करना था। शहरी क्षेत्रों में प्रति एक लाख आबादी पर 97 कैंसर के केस मिलते हैं। कैंसर पर सामर्थ्य से ज्यादा खर्च दूसरी बीमारियों के मुकाबले सबसे ज्यादा होता है। निजी क्षेत्रों में इलाज सार्वजनिक सुविधाओं के मुकाबले 3 गुना ज्यादा होता है। 40% केस में अस्पताल में भर्ती कराने का खर्च उधर से पूरा किया जाता है अपनी चीजें भेज कर या दोस्तों रिश्तेदारों से कर्जा लेकर। में इलाज कराने वाले परिवार अपनी सालाना आमदनी का 20% अतिरिक्त खर्च करता है। इस सर्वेक्षण में यह सुझाव दिया गया है कि विश्वव्यापी कैंसर उपचार संबंधी बीमा की कल्पना करके वर्तमान को की दुर्घटना और बीमा पॉलिसी से गरीब लोगों के लिए जोड़ा जा सकता है। अंत में यह निष्कर्ष भी निकलता है कि प्रभावी इलाज और समय से पहचान होने से कैंसर से पीड़ित के बचाव में मदद मिल सकती है इस दिशा में प्राथमिकता को महत्व देना बहुत जरूरी है। इस सर्वेक्षण का उद्देश्य कैंसर के इलाज पर बेतहाशा खर्च और मरीज पर पढ़ते भारी दबाव के कारणों की पड़ताल करना था।
कैंसर: वैश्विक स्तर पर दूसरे नंबर पर मृत्यु का कारण
चीन में एक सर्वेक्षण द्वारा सैंपल संग्रह और विशेष प्रश्नावली के साथ आमने-सामने बैठकर आंकड़े किए गए। 2013 और 2016 के बीच कैंसर से मौत का शिकार हुए लोगों के बारे में विवरण इकट्ठे किए गए। इसमें यह पता चला कि 80% कैंसर के मरीजों को जीवन बढ़ाने वाला इलाज दिया गया। ग्रामीण क्षेत्रों में इलाज का खर्च ज्यादा झेलना पड़ा परिवार गरीब हो गए। चीन जैसे देश में भी मौत का प्रमुख कारण कैंसर है। भारत में बढ़ते गैर संचारी रोगों और चोट लगने की घटनाओं के कारण इलाज पर होने वाला खर्च बढ़ गया है।
भारत में आपातकालीन स्वास्थ्य संबंधी खर्चों की प्रवृत्तियां (1993- 2014)
आपातकालीन स्थिति गंभीर घटना या किसी भी देश में किसी भी आय वर्ग के सामने आ सकती हैं। हालांकि इनके परिणाम कम आय वाले देशों में ज्यादा प्रभावी होते हैं और अधिक आए वर्ग के बजाय मध्यम आय वर्ग के लोग ज्यादा प्रभावित होते हैं। एक नकारात्मक संबंध और होता है- आर्थिक आपात स्थितियों और सरकार द्वारा दी जा रही स्वास्थ्य सेवाओं के लिए अग्रिम भुगतान की सुविधाओं के बीच, जैसे कि कर या बीमा। इसीलिए वाले देशों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में आपातकालीन भुगतान सामान्य तौर पर होता है जहां स्वास्थ्य सेवाएं नगद भुगतान से मिलती हैं और ऐसी घटनाएं उच्च आय वाले देशों में कम होती हैं क्योंकि वहां अग्रिम भुगतान व्यवस्था होती है। तमाम निम्न और मध्यम आय वाले देशों में स्वास्थ्य के क्षेत्र में अधिकांश भुगतान लोगों को उनकी जेब से करना होता है। इस तरह के खर्चे आगे चलकर आपातकालीन स्थिति पैदा कर देते हैं।
उपाय
स्वास्थ्य बीमा बहुत उपयोगी होता है, स्वास्थ संबंधी असाध्य खर्चों को कम करने की दिशा में। 25 से 45 वर्ष आयु के लगभग 201 कामकाजी लोगों का एक सर्वे किया गया। नतीजे में आपातकालीन स्वास्थ्य संबंधी खर्च कुल खर्च का 22.4% और 17.4% (बिना भोजन का) आया। आंखों की दृष्टि से सामाजिक आर्थिक वर्ग और अचानक पढ़ने वाले आपातकालीन खर्चों के बीच महत्वपूर्ण संबंध होता है।
कैंसर के रोगी चिंता का विषय है विकासशील देशों से भारत के लिए बहुत बड़ी चुनौती है। ज्यादा जनसंख्या, निदान की सीमित सुविधाएं, आसमान छूती रहे और बचाव की बहुत कम उम्मीद इस समस्या के मुख्य कारण हैं। निजी अस्पतालों में कैंसर के इलाज का खर्च दो गुना ज्यादा होता है ।
आपातकालीन स्वास्थ्य संबंधी खर्च 20% भारतीय परिवारों के लिए लगातार विनाशकारी समस्या बनते जा रहे हैं। नई स्वास्थ्य बीमा योजनाओं के बारे में विचार करने की जरूरत है जिनकी बीमा प्रीमियम किस्त अलग-अलग आय वर्ग के अनुसार अलग हो ।
संदर्भ:
https://www.who.int/bulletin/volumes/96/1/17-191759/en/
https://bit.ly/3prpgja
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5945043/
https://bmcpalliatcare.biomedcentral.com/articles/10.1186/s12904-019-0426-5
https://www.ncbi.nlm.nih.gov/pmc/articles/PMC5826535/
चित्र संदर्भ:
मुख्य तस्वीर एक कैंसर रोगी की सर्जरी को दर्शाती है। (unsplash)
दूसरी तस्वीर कैंसर के लिए एक अनुसंधान केंद्र को दर्शाती है। (unsplash)
आखिरी तस्वीर में कैंसर के मरीज की जांच करने वाले डॉक्टर और नर्स को दिखाया गया है। (unsplash)
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