किसी दिव्य औषधि से कम नहीं है ये जंगल की जलेबी

पेड़, झाड़ियाँ, बेल व लतायें
30-10-2020 03:35 PM
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किसी दिव्य औषधि से कम नहीं है ये जंगल की जलेबी

जो लोग "जंगल जलेबी" से परिचित हैं, ये नाम सुनते ही शायद उन लोगों की बचपन की ढेर सारी यादें ताजा हो गई होंगी। उनको याद आ रहा होगा कि कैसे बचपन में गर्मियों की भरी दुपहरी में दोस्तों के साथ गुलेल, डंडे आदि से बहुत बड़े और कंटीले पेड़ों की शाखाओं पर प्रहार कर जलेबी इमली गिराते थे और अपनी जेबों तथा झोलों में ठूंस-ठूंस कर भर लाते थे और आराम से खाते थे। जो लोग इस नाम से परिचित नहीं है, हम उनको बता दे कि जंगल जलेबी कोई मिठाई नहीं है बल्कि एक लाभकारी फल है, जिसकी फली जलेबी के गोल-गोल आकार की होती है। इसके अंदर का फल सफेद होता है लेकिन जब यह फल पक जाता है तो लाल हो जाता है।
इस फल को क्षेत्र के आधार पर विभिन्न नामों से जाना जाता है, जैसे इसे ब्राजील में इंगराना (Ingarana), इंडोनेशिया में आसम कोरानजी (Asam Koranji), क्यूबा: इन्गा डुल्स (Inga Dulce) और मैक्सिको में गुआमाची (Guamachi), हुमो (Humo) कहा जाता है। स्थानीय रूप से, इसे तेलुगु में सीमा चिन्ताकया (Seema Chintakaya), तमिल में कोडुका पुली (Kodukka Puli), कन्नड़ में सीमा हुनसे (Seema Hunase), अंग्रेजी में मनीला इमली (Manila Tamarind), मद्रास थॉर्न, तथा मंकी पॉड और अन्य स्थानों पर इसे सिंगड़ी, विलायती इमली या गंगा इमली भी कहा जाता है। वनस्पति विज्ञान में इसे पिथेसेल्लोबियम डुल्स (Pithecellobium Dulce) कहा जाता है। यह सदाबहार पेड़ फ़बासिए (Fabaceae) कुल का एक महत्वपूर्ण सदस्य है, जो 15 से 20 मीटर की ऊंचाई तक बढ़ता है। इसकी शाखाएं कांटेदार और पत्तियां पर्णपाती और द्विपिच्छकी होती हैं। फूल हरे-सफेद, और सुगंधित होते हैं जोकि भूरे या लाल रंग के फल या "फली" को जन्म देते हैं, प्रत्येक फली में 8-10 बीज होते हैं।
यह पेड़ दुनिया के उष्णकटिबंधीय क्षेत्रों में व्यापक रूप से पाया जाता है, जिसमें भारत, मैक्सिको, फिलीपींस और साथ ही कई दक्षिण अमेरिकी राष्ट्र शामिल हैं। यह फल मूलतः मेक्सिको का है। 1521 और 1815 के बीच इसे स्पैनिश सरकार द्वारा मेक्सिको से फिलीपींस लाया गया था। फिर इसके बाद 1800 में इसे एशिया में आया गया और पहली बार रॉक्सबर्ग द्वारा भारत में एकत्रित सामग्री के माध्यम से इसे 1798 में वर्णित और नामित किया गया था। आज ये पेड दक्षिण पूर्व एशिया, अफ्रीका, उत्तरी अमेरिका, ओशिनिया, दक्षिण अमेरिका आदि में बहुतायत से पाया जाता है। भारत में भी यह पेड़ आपको लगभग सभी जगह जैसे जंगलों, राजमार्गों और बगीचों आदि में आसानी से देखने को मिल जायेगा। आमतौर पर यह तराई और उष्णकटिबंधीय-उपोष्णकटिबंधीय क्षेत्र में मिट्टी की एक विस्तृत विविधता में पाया जाता है, भारत की जलवायु और मिट्टी इसके लिये बेहद अनुकूल है। यह नाइट्रोजन-फिक्सिंग करने वाला पेड़ है, जो खारी मिट्टी, कठोर स्थलों, गर्मी और सूखे को सहन कर सकता है और ये 15-20 मीटर तक ऊंचाई पर भी उग जाते हैं। ये शुष्क और उप-शुष्क क्षेत्रों में अच्छी तरह से बढ़ते है, परंतु शुष्क मौसम के बीच इसे 700 और 1800 मिमी वर्षा की भी आवश्यकता होती है। सर्वप्रथम इसका खाद्य पदार्थ के रूप में उपयोग किया जाता है। इसकी फली में एक मीठा और खट्टा गूदा होता है, जिसे मेक्सिको, फिलीपींस, पाकिस्तान, और भारत के विभिन्न हिस्सों में मांस के व्यंजनों के साथ कच्चा खाया जाता है और चीनी तथा पानी के साथ पेय के रूप में इस्तेमाल किया जाता है। कहा जाता है कि इसके बीजों को खाया भी जा सकता है। 1980 के दशक से कई अध्ययनों से पता चलता है कि इन बीजों से तेल भी निकलता है, जो हरे रंग का होता है और इसे परिष्कृत करके खाद्य वसा अम्लों में बदला जा सकता है। शोधकर्ताओं का सुझाव है कि भविष्य में इसे पशु आहार के रूप में इस्तेमाल किया जा सकता है।
इसके फल में प्रोटीन, फाइबर, वसा, कार्बोहैड्रेट, कैल्शियम, फास्फोरस, आयरन, थायामिन, रिबोफ्लेविन, सोडियम, पोटेशियम, विटामिन C, E, B1, B2, B3, B6 आदि तत्व भरपूर मात्रा में पाए जाते हैं। इसके अलावा इसमें एंटीऑक्सीडेंट (Antioxidant), एंटीइंफ्लेमेटरी (Anti-inflammatory), एंटीडायबिटिक (Anti-diabetic), एंटी-ट्यूबरकुलोसिस (Anti-tuberculosis), जीवाणुरोधी, सूजनरोधी, अल्सर विरोधी आदि गुण भी पाए जाते हैं। इसके पेड़ की छाल के काढ़े से पेचिश का इलाज किया जाता है, ऐसा कहा जाता है कि इसका उपयोग भारत में एक ज्वरनाशक के रूप में भी किया जाता है। त्वचा रोगों, मधुमेह, आँख के जलन, दांत दर्द और कैंसर में भी इसका इस्तेमाल होता है। पत्तियों का रस दर्द निवारक का काम करता है और यौन संचारित रोगों तथा पित्त के उपचार में भी कारगर है। इसके पेड़ की लकड़ी का उपयोग इमारती लकड़ी की तरह भी किया जा सकता है। यह बहुत प्रकार के रोगों में लाभकारक है। आइये जानते हैं इसके और भी फायदों के बारे में। जंगल जलेबी के फायदे: • एंटीसेप्टिक के रूप में काम करता है
• त्वचा के रंग को साफ करता है
• बालों के झड़ने को रोकता है
• तैलीय त्वचा से निजात दिलाता है
• भूख को नियंत्रित कर वजन घटाने में मदद करता है।
• पेट की समस्याओं का अंत करता है
• गर्भवती महिलाओं के लिए अच्छा है
• हड्डियों और मांसपेशियों को मजबूत करता है
• मलेरिया और पीलिया जैसे रोगों को ठीक करता है
• रक्त परिसंचरण तंत्र तथ रक्त शर्करा को नियंत्रित करता है
• सूजन से राहत दिलाता है
• मुंह के छाले को ठीक करता है
• कैंसर को रोकता है
• मुंहासे, फुंसियों तथा पिगमेंटेशन (Pigmentation) को खत्म करता है और डार्क स्पॉट (Dark Spots) को हटाता है
• यह एक प्राकृतिक मॉइस्चराइज़र (Moisturizer) के रूप में भी कार्य करता है
• जंगल जलेबी के रस का एक गिलास सेवन करने से रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है

संदर्भ:
https://www.netmeds.com/health-library/post/jungle-jalebi-the-astonishing-health-benefits-of-the-madras-thorn-fruit
https://en.wikipedia.org/wiki/Pithecellobium_dulce
http://www.phytojournal.com/archives/2018/vol7issue2/PartJ/7-1-390-353.pdf
https://www.cabi.org/isc/datasheet/41187
https://bit.ly/35wkzua
चित्र सन्दर्भ:
पहली छवि जंगल जलेबी दिखाती है।(wikipedia)
दूसरी छवि जंगल जलेबी के पेड़ को दिखाती है।(youtube)
तीसरी छवि पीथेलोस्ल्बियम डलस (Pithecellobium Dulce) या जंगल जलेबी दिखाती है।(pinterest)
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