सातताल में गाँधीजी के आश्रम का इतिहास

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सातताल में गाँधीजी के आश्रम का इतिहास

रामपुर के पास निचले हिमालय से सटा सातताल में गांधीजी का आश्रम, ई॰ स्टैनले जोन्स (E. Stanley Jones) द्वारा स्थापित एक अमेरिकी ईसाई गांधीजी आश्रम है, जो आज भी रचनाकार की उसी भावना से चलता है, जो गांधीजी से उसने साबरमती और सेवाग्राम में सीखा था। 1963 में स्टेनली जोन्स को गांधी शांति पुरस्कार से नवाजा गया। इन्‍होंने गांधी जी को ईसाई धर्म में परिवर्तित करने के लिए प्रयास किये लेकिन असफल रहे, किंतु अपने जीवन में इन्‍होंने गांधी जी से बहुत कुछ सीखा। ये गांधी जी से बहुत प्रभावित थे तथा उनकी मृत्‍यु के बाद इन्‍होंने उनके जीवन पर जीवनी भी लिखी, जिसने मार्टिन लूथर किंग (Martin Luther King) को अमेरिका के नागरिक अधिकार आंदोलन में अहिंसा के लिए प्रेरित किया। विश्‍व प्रसिद्ध ईसाई धर्म प्रचारक स्‍टेनली पर गांधी जी के प्रभाव के बारे में और अधिक जानने के लिए आप हमारी प्रारंग की इस लिंक (https://bit.ly/3ifogdL) में जाकर पढ़ सकते हैं।
ई स्टेनली जोन्स ने अपनी पुस्तक ऐ सॉन्ग ऑफ एसेन्टस (A Song of Ascents) में बताया है कि आश्रम शब्द की जड़ें संस्कृत शब्द “आ” आरंभ और “श्रम” कड़ी मेहनत (या प्रेम का श्रम) से पाई गई हैं। आश्रम एक वह स्थान है, जहां "गुरु" या शिक्षक के अधीन वन विद्यालय में सादगी और अनुशासित निगमित में विद्यार्थी कड़ी मेहनत करते हुए मोक्ष की तलाश करता है। हालांकि कुछ लोगों का यह मानना है कि क्योंकि ईसाई आश्रम में हिंदू शब्द है, इसलिए ईसाई आश्रम ईसाई धर्म और हिंदू धर्म के बीच एक समामेलन है। ऐसे ही हिंदू आश्रम का कोई निश्चित पैटर्न (Pattern) नहीं होता है, जैसे महात्मा गांधी आश्रम उनके व्यक्तित्व, उनकी भावना और राष्ट्रीय सेवा पर जोर देते हुए संगठित किया गया था। हम सभी जानते हैं कि एक आश्रम गुरु के बिना अधूरा होता है, इसलिए स्टेनली जोन्स ने आश्रम में गुरु के संबंध में कहा कि वे आश्रम में एक मानव गुरु नहीं रखेंगे, क्योंकि कोई भी व्यक्ति धार्मिक आंदोलन का केंद्र होने के लिए पर्याप्त रूप से बुद्धिमान या अच्छा नहीं होगा। इस जिम्मेदारी को केवल दिव्य कंधे ही उठा सकते हैं इसलिए उन्होंने तय किया कि "ईसा मसीह इस आश्रम के गुरु हैं"।
मनुष्य जीवन कई बाधाओं से भरा हुआ होता है, एक आश्रम वो स्थान है, जहां निम्न बाधाओं को कम करने का प्रयास किया जाता है :- 1) यहाँ सांप्रदायिक बाधाओं को कम किया जाता है। 2) यहाँ उम्र के बीच की बाधाओं को कम किया जाता है, जैसे युवा और वृद्ध अवस्था के बीच की। 3) जाति और धर्मों के बीच की बाधाओं को कम किया जाता है। 4) हमारे जीवन में असली बाधाएँ आक्रोश, भय, चिंता, आत्म-पराजय, अपराधबोध और शून्यता के भीतर की बाधाएँ हैं। स्टेनली जोन्स ने यूनुस सिन्हा (एक मंत्री) और एथेल टर्नर (Ethel Turner) (एलएमएस के एक सेवानिवृत्त मिशनरी) के साथ, 1930 के दौरान हिमालय की तलहटी में इस विश्व प्रसिद्ध आश्रम की स्थापना करी थी। यह एक वानप्रस्थ आश्रम है, जहाँ कोई भी अपने परिवार के साथ रह सकता है। हालांकि इस आश्रम का संचालन दक्षिणी एशिया में मेथोडिस्ट चर्च (Methodist Church) के साथ निहित है, यह आश्रम आपका, हमारा और भगवान का है। इसका प्रमुख कार्यक्रम प्रत्येक वर्ष मई और जून के दौरान आयोजित किया जाता है।
ये सत्र बड़ी संख्या में भारतीय लोगों (ईसाई और गैर-ईसाई एक जैसे, समूहबद्ध जीवन जीने का अनुभव करने के लिए) को आकर्षित करते हैं। सत्तल आश्रम के बारे में ओर अधिक जानकारी आप इस लिंक (https://bit.ly/33fw6zJ) में जाकर प्राप्त कर सकते हैं।

संदर्भ :-
https://bit.ly/3ifogdL
https://bit.ly/33fw6zJ
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में सात ताल ईसाई आश्रम का चित्रण है। (Youtube)
दूसरे चित्र में सात ताल ईसाई आश्रम की सन्दर्भ पुस्तिका से ली गयी आश्रम की परिभाषा और आश्रम का सन्दर्भ समझाया है। (Prarang)
तीसरे चित्र में ई. स्टेनली जोंस द्वारा आश्रम की स्थापना के बारे में लिखा है। (Prarang)
अंतिम चित्र में ई. स्टेनली जोंस द्वारा लिखी गयी पुस्तकों के आवरण पृष्ठ दिखाए गए है। (Prarang)

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