पारंपरिक और नाभिकीय हथियारों का फर्क

हथियार व खिलौने
28-09-2020 09:58 AM
पारंपरिक और नाभिकीय हथियारों का फर्क

पारंपरिक और नाभिकीय हथियारों की भिन्नता का आधार उनकी बनावट के प्रकार और उनसे होने वाले नुकसान के मूल्यांकन पर निर्भर होता है। यह भी देखा जाता है कि इनसे जीवन और पर्यावरण को कितना खतरा है। ऐसे में एक बार फिर संपूर्ण नाभिकीय निरस्त्रीकरण की मांग सामने आती है। प्रत्येक शहर में होने वाली तबाही के मूल्यांकन के लिए न्यूक मैप (Nuke Map) वेबसाइट भी तैयार कि गई है।


पारंपरिक और नाभिकीय हथियार: कौन कितना मारक?

पारंपरिक विस्फोटक हथियारों में बम, मिसाइल, तोप आदि शामिल होते हैं। इन हथियारों में विस्फोटक सामग्री होती है, जिससे हथियार चलाने पर विस्फोट होता है। हथियारों में गन पाउडर (Gun Powder) सबसे पहला विस्फोटक प्रयोग हुआ था। आजकल ज्यादा शक्तिशाली विस्फोटक इस्तेमाल हो रहे हैं, जैसे टी एन टी (TNT) और आर डी एक्स (RDX)। इन हथियारों का आधार विस्फोटक होता है, जो प्रतिक्रियाओं से विस्फोट करता है, ना कि रासायनिक तकनीक से। इसके कारण पारंपरिक हथियार कम त्वरित और प्रभावी होते हैं। हथियार की ताकत विस्फोट में कुल ऊर्जा कितनी पैदा हुई से नापी जाती है। इसे हथियार का यील्ड (Yield) कहते हैं। नाभिकीय हथियार को भी इसी यील्ड के पैमाने से नापते हैं क्योंकि उनमे भी ऊर्जा पैदा होती है। इसलिए एक अकेला नाभिकीय हथियार जिसका भार 10 किलो टन होता है, वह 10 किलो टन ऊर्जा उत्सर्जित करता है, जो कि 10000 किलोग्राम टीएनटी की ऊर्जा के बराबर होता है। नाभिकीय हथियार पारंपरिक हथियारों से बहुत ज्यादा शक्तिशाली होते हैं, वह मौत और तबाही का बड़ा तांडव करते हैं। दूसरा बड़ा फर्क यह है कि नाभिकीय हथियारों से जबरदस्त रेडियोएक्टिव विकिरण (Radioactive Radiation) होता है, जो जानलेवा होता है, इसे 'फॉल आउट (Fall Out)' भी कहते हैं। इसकी अधिक मात्रा से तुरंत मौत हो जाती है और कम मात्रा के काफी गंभीर परिणाम हो सकते हैं। उदाहरण के लिए ऐसी बीमारियां जिनसे कुछ दिनों बाद या कुछ सालों बाद मौत निश्चित है। जैविक दुष्परिणाम जिनमें गर्भस्थ शिशु का अपंग होना भी शामिल है। जमीन के बड़े क्षेत्र का प्रदूषित होना, उसका दशकों के लिए खेती के लिए अनुपयुक्त हो जाना आदि।


हथियारों के भूमिगत संरक्षण से खतरे

बहुत से देशों में, बड़े पैमाने पर भूमि का उपयोग गुप्त सैनिक कार्रवाइयों और हथियारों के संरक्षण के लिए किया जाता है। इनके अपने खतरे हैं। डिपार्टमेंट ऑफ़ एनर्जी ((Department of Energy) (DOE)) और डिपार्टमेंट ऑफ़ डिफेंस (Department of Defense (DOD)) द्वारा एक योजना बनाई गई, जिसके द्वारा नाभिकीय हथियारों के संरक्षण को ज्यादा सुरक्षित और प्रभावी बनाया जा सके। तमाम गणितीय अध्ययन के बाद योजना में नाभिकीय और पारंपरिक हथियारों के संरक्षण के विषय में कुछ उपयोगी सुझाव सामने आए हैं।


नाभिकीय निरस्त्रीकरण संधि

यह एक अंतरराष्ट्रीय संधि है जो एक मील का पत्थर साबित हुई है। इसका उद्देश्य नाभिकीय हथियारों के प्रसार और तकनीक के फैलाव को रोकना है, साथ ही साथ शांतिपूर्ण कार्यों में नाभिकीय ऊर्जा के प्रयोग को बढ़ावा देना और नाभिकीय निरस्त्रीकरण का लक्ष्य पूरा करना भी है। 1968 से शुरू हुई संधि पर हस्ताक्षर की मियाद 1995 में अनिश्चित समय के लिए बढ़ा दी गई है। इसमें 191 देश शामिल हो चुके हैं। 2020 में इसका पुनर्मूल्यांकन शेष है।

सन्दर्भ:
http://www.nucleardarkness.org/nuclear/nuclearandconventionalweapons/
https://en.wikipedia.org/wiki/India_and_weapons_of_mass_destruction
https://en.wikipedia.org/wiki/Treaty_on_the_Non-Proliferation_of_Nuclear_Weapons
http://www.unfoldzero.org/?p=action_sep26
https://www.un.org/disarmament/wmd/nuclear/npt/
https://www.nap.edu/read/11282/chapter/8#74
https://nuclearsecrecy.com/nukemap/

चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में परमाणु हमले का कलात्मक दृश्य है। (Prarang)
दूसरे चित्र में पारम्परिक हथियारों का एक उदाहरण दिखाया गया है। (Flickr)
तीसरे चित्र में परमाणु हमले में जलता हुआ शांति का प्रतीक कबूतर जलते हुए दिखाया गया है, जो परमाणु हमले के भयावह सत्य का कलात्मक अंकन है। (Prarang)
अंतिम चित्र में शान्ति (Peace) का प्रतीक चिन्ह दिखाया गया है। (Freepik)
पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.