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क्या आत्महत्या सिर्फ मनुष्य तक ही सीमित है? ऐसा नहीं है, बहुत से जानवरों के इस प्रकार की मौत के दस्तावेज़ हैं, जिन्हें आत्महत्या की श्रेणी में रखा जा सकता है। उदाहरण के लिए भारत में जतिंगा में चिड़ियों की आत्महत्या का मामला है। कोरोना महामारी के दौर में आत्महत्या और खुद को नुकसान पहुंचाने की दर में हुई वृद्धि को भी नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। अगर अपने अंदर आत्महत्या का भाव हो या किसी परिचित में ऐसी प्रवृत्ति दिखे, तो तुरंत सहायता के लिए मदद लें।
आत्महत्या के प्रमुख कारण
अक्सर अपनी समस्याओं का सही समाधान ना ढूंढ पाने पर अवसाद की स्थिति में लोग आत्महत्या को एकमात्र विकल्प समझ कर अपना जीवन समाप्त करने का फैसला कर लेते हैं। इस मनोदशा के प्रमुख कारण होते हैं- कर्ज में डूबना, प्रेम में असफलता या धोखा, परीक्षा में उत्तीर्ण ना होना या पढ़ाई का तनाव ना सह पाना। आजकल कोविड-19 (COVID-19) के चलते इस प्रवृत्ति में वृद्धि हुई है।
हेल्पलाइन
आजकल बहुत सी हेल्पलाइन सहायता के लिए मौजूद हैं। यहां बात करके व्यक्ति अपनी समस्या का उचित हल और जरूरी सहायता प्राप्त कर सकता है।
आत्महत्या और पशु-पक्षी
ऑस्कर (Oscar) पुरस्कार से सम्मानित फिल्म द कोव (The Cove) के अंत में पूर्व डॉल्फिन प्रशिक्षक रिक ओ बैरी (Dolphin Instructor Ric O'Barry) बताते हैं कि जिस डॉल्फिन पर वह काम कर रहे थे, अचानक पानी से निकल कर बाहर आई और उनकी बाहों में उसने आत्महत्या कर ली। इससे यह भी पता चलता है कि यह प्रवृत्ति सिर्फ इंसानों में नहीं होती, जानवर भी इसका शिकार होते हैं। 1800 में ऐसे बहुत से लेख प्रकाशित हुए, जिनमें कुछ कुत्तों ने अपने मालिकों की कब्र पर जान दे दी, एक बिल्ली ने अपने बच्चों की मृत्यु के बाद अपनी भी जान दे दी। जानवरों में आत्मरक्षा की अंत:प्रेरणा होती है। स्कॉटलैंड में एक प्रसिद्ध पुल है, जिससे कूद कर ढेर सरे कुत्तों ने आत्महत्या की थी। जानवरों की मौत के विषय में ऐसा भी माना जाता है कि वह नहीं जानते कि इस तरह के प्रयासों से उनकी मौत हो सकती है। असम में छोटा सा गांव है जतिंगा, जहां हर साल सैकड़ों चिड़िया आत्महत्या करती हैं। पिछले 100 वर्षों में हजारों चिड़िया इस तरह खत्म हुई हैं। बहुत से पक्षी वैज्ञानिकों के शोध के बाद भी इसका कोई स्पष्ट कारण नहीं पता चला है।
बचाव के उपाय
कोविड-19 सहायता नंबर से यह पता चला कि बहुत बड़ी संख्या में चिकित्सकों से मानसिक स्वास्थ्य को लेकर लोगों ने संपर्क किया है। बेरोजगारी और मंदी के प्रभावों से भी लोग आक्रांत हैं। इनमें ज्यादातर लोगों का आयु वर्ग 25 से 40 वर्ष है। कई महिलाओं ने भी इसका इलाज लिया। बचाव के कुछ उपाय हैं-
मदद लेने से ना हिचके
परिवार और दोस्तों के संपर्क में रहें
नियमित व्यायाम करें
अगर पहचान में कोई मुसीबत में है, तो उसे अकेला ना छोड़े।
सकारात्मक सोच रखें।
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में आत्महत्या का सांकेतिक दृश्य दिखाया गया है। (Flickr)
दूसरे चित्र में अवसाद से ग्रस्त एक व्यक्ति को रेल के आगे खड़ा दिखाया गया है। (unsplash)
अंतिम चित्र आत्महत्या को संदर्भित कर रहा है। (freepik)
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