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हम एक ऐसे विश्व में रहते हैं जहाँ प्रौद्योगिकी इतनी अधिक तेजी से विकसित हो रही है कि उसके अनुकूलन होने की हमारे में क्षमता नहीं है। हालांकि हम इस बात का अंदाजा नहीं लगा सकते कि भविष्य में हमारे पास कौन सी तकनीक आएगी, लेकिन हम यह अनुमान लगा सकते हैं कि हम भविष्य में लोगों के साथ कैसे संवाद करेंगे। आजकल बच्चे अपने घर के बेडरूम में स्थापित स्वचालित घरेलू सहायक अलेक्सा (Alexa) से विभिन्न प्रकार से संवाद करते हैं। लेकिन सभी संचार प्रतिमान कृत्रिम बुद्धिमत्ता जैसी क्रांतिकारी तकनीकों के साथ नहीं आती हैं। जैसे ट्विटर के हैशटैग, एक समय था जब हम इसका बिल्कुल भी उपयोग नहीं किया करते थे, लेकिन वर्तमान समय में यह काफी लोकप्रिय हो गया है। स्वयं कंपनी ने भी इस क्षमता को नहीं देखा था, जबकि इसे उपयोगकर्ताओं द्वारा लोकप्रिय बनाया गया।
वर्तमान समय में, हम में से ऐसे बहुत कम लोग होंगे जो किसी संगीत कार्यक्रम की वीडियो या तस्वीर लिए बिना आ जाएं। क्योंकि मैसेजिंग ऐप्स (Messaging Apps) और सोशल नेटवर्क (Social Networks) हमें उस क्षण को साझा करने की अनुमति देते हैं, जो हम वास्तव में जी रहे होते हैं। संगीत कार्यक्रम का वह अनुभव हमारे साथ-साथ हमारे सोशल नेटवर्क पर मौजूद संपर्कों द्वारा भी उस कार्यक्रम में बिना जाए लिया जाता है। केवल इतना ही नहीं, आज हम उपलब्ध किसी भी स्ट्रीमिंग ऐप (Streaming App) का उपयोग करके अपने अनुभव को लाइव (Live) प्रसारित भी कर सकते हैं। इसी प्रकार साझा की हुई सभी जानकारी का अर्थ है कि हम अनुभवों का एक विशाल विवरण आधार बनाते हैं, जिससे हम विश्व भर में होने वाली सभी चीजों को बिना उपस्थित हुए भी देख सकते हैं। यदि बात की जाए हमारी आने वाली पीढ़ी की तो वह हमारे द्वारा संपूर्ण जीवन में की गई चीजों की जानकारी सोशल मीडिया के मंच से आसानी से प्राप्त करने में सक्षम रहेगी। उदाहरण के लिए, फेसबुक या इंस्टाग्राम पर हमारी व्यक्तिगत प्रोफाइल (Profile) में जाकर, वे हमारी पसंद, हमने कहाँ यात्रा की है, आदि का आसानी से पता लगा सकते हैं। यह एक ऐसी पीढ़ी होगी, जिनके पास अपने संपर्कों की पूरी व्यक्तिगत जानकारी उपलब्ध होगी जो शायद ही कभी हमारे पास है और इसलिए उनके बातचीत करने का तरीका भी अलग होगा। ऐसा मान सकते हैं कि शायद उनमें सभी के लिए अधिक स्वीकृति और सम्मान होगा या शायद वे दोस्तों का चयन उनसे बात करने से पहले ही कर लेंगे।
जैसा कि दुनिया कही अधिक रोबोटिक हो रही है, इस विषय में बहस और अधिक बढ़ती जा रही है कि क्या हमारा समाज मशीनों की क्रांति के लिए अनुकूल होने में सक्षम है। दैवी साहित्य के परिणामों के साथ विज्ञान ने इन सवालों का जवाब खोजने की कोशिश की है। वास्तविकता यह है कि मनुष्य द्वारा एक अजेय चरण शुरू किया गया है, जिसमें भाषा को सॉफ्टवेयर की समझ के अनुकूलित किए जाने का प्रयास किया जा रहा है और वो सॉफ्टवेयर मनुष्य की समझ के भांति ही उत्तर का अनुकरण करने में सक्षम होता है। भविष्य में संचार परिवर्तन को देखने का एक तरीका 'संवर्धित वास्तविकता' (Augmented Reality) भी है। एक संवर्धित-वास्तविकता प्रणाली में, आप तकनीकी उपरिशायी के माध्यम से दुनिया को देखते हैं। उदाहरण के लिए एक स्मार्टफोन, हालांकि कुछ फोन में पहले से ही कई संवर्धित-वास्तविकता अनुप्रयोग उपलब्ध होते हैं। संवर्धित वास्तविकता का क्लासिक उदाहरण रेस्तरां की समीक्षा है। आप एक रेस्तरां के सामने खड़े हो सकते हैं और एक संवर्धित-वास्तविकता प्रणाली के माध्यम से, ग्राहकों की समीक्षाओं को पढ़ सकते हैं या अंदर जाए बिना ही दैनिक विशेष को देख सकते हैं।
तकनीकी संवाद का एक अन्य रूप है आभासी वास्तविकता (Virtual Reality)। आभासी वास्तविकता एक ऐसी तकनीक है, जो कृत्रिम वातावरण बनाने के लिए सॉफ्टवेयर का उपयोग करती है। यह छूने, सुनने और देखने जैसी कुछ कृत्रिम इंद्रियों का निर्माण करता है। वहीं 3 डी इमेजिंग और स्कैनिंग (3D Imaging & Scanning) प्रौद्योगिकियों में हाल की प्रगति हमारी "आभासी उपस्थिति" को एक वास्तविक संभावना का रूप दे रही है। उच्च गति स्कैनिंग की वर्तमान विधियाँ एक सेकंड के एक अंश में हमारे चेहरे की 3 डी स्कैन को उपलब्ध करवाती है। ऐसे ही भविष्य में, स्वयं को या किसी अन्य स्थान के लोगों से भरे कमरे को प्रोजेक्ट (Project) करना आम बात हो सकती है। आज, पोर्टेबल वायरलेस डिवाइस (Portable Wireless Devices) जो आपको एक समाचार पत्र या पुस्तक डाउनलोड (Download) करने और पढ़ने की अनुमति देते हैं, जिसे ई-रीडर्स 'eReaders' कहा जाता है। यह सुविधाजनक हैं और हमारे द्वारा उपयोग किए जाने वाले कागज की मात्रा को कम करने में भी मदद करता है। ऐसा अनुमान लगाया जा सकता है कि भविष्य के eReaders पतले, लचीले और वायरलेस संपर्क वाले होंगे।
आभासी वास्तविकता प्रौद्योगिकी का व्यापक रूप से विभिन्न प्रयोजनों के लिए उपयोग किया जाता है। जैसे कि वीडियो गेम, इंजीनियरिंग, मनोरंजन, शिक्षा, डिज़ाइन, फ़िल्में, मीडिया, चिकित्सा और आदि। आभासी वास्तविकता मनुष्य के जीवन और उनके दिन-प्रतिदिन के कार्यों में कई महत्वपूर्ण बदलाव लाती है।
वहीं कोविड-19 के चलते पिछले कुछ महीनों में हम यह महसूस कर रहे हैं कि जीवन कितना जटिल हो सकता है और हम नए तरीके से लोगों के साथ कैसे संवाद कर सकते हैं। हमारे द्वारा अपने करीबी लोगों को सुरक्षित महसूस कराने के लिए उनसे सोशल-नेटवर्क के माध्यम से संपर्क बनाए हैं। इस नई दुनिया में, हमें एक मजबूत डिजिटल कार्यस्थल की आवश्यकता है, जहां हमारे नेता एक महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहे हों और उस तकनीक में संलग्न होते दिखाई दे रहे हों।
संदर्भ :-
https://blog.ferrovial.com/en/2017/10/communication-of-the-future-prediction/
https://electronics.howstuffworks.com/everyday-tech/future-of-communication1.htm
https://www.futureforall.org/communication/future_of_communication.htm
https://filmora.wondershare.com/virtual-reality/pros-cons-virtual-virtual.html
https://www.qantas.com/travelinsider/en/lifestyle/business/expert-on-future-socia-media-communication-after-coronavirus.html
चित्र सन्दर्भ:
मुख्य चित्र में वर्चुअल रियलिटी (Virtual Reality) को दिखाया गया है। (Pexels)
दूसरे चित्र में वर्चुअल रियलिटी उपकरण को दिखाया गया है। (Pikero)
तीसरे चित्र में वर्चुअल रियलिटी और ए.आई. (AI) का सांकेतिक चित्रण है। (Freepik)
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