समयसीमा 234
मानव व उनकी इन्द्रियाँ 960
मानव व उसके आविष्कार 744
भूगोल 227
जीव - जन्तु 284
ऑब्जर्वर रिसर्च फाउंडेशन और वर्ल्ड इकोनॉमिक फोरम (Observer Research Foundation and World Economic Forum) द्वारा हाल ही में किए गए एक अध्ययन "यंग इंडिया एंड वर्क (Young India and Work)" के अनुसार, हालांकि सरकार अपने 'स्किल इंडिया (Skill India)' कार्यक्रम के माध्यम से 2022 तक 40 करोड़ लोगों को प्रशिक्षित करने का लक्ष्य बना रही है, लेकिन सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास कार्यक्रमों के बारे में युवाओं में जागरूकता की कमी के कारण लगभग 70% भारतीय युवा इस लाभ से वांछित हैं। 15 से 30 वर्ष के बीच के लगभग 6,000 युवाओं का शिक्षा, रोजगार और उनकी आकांक्षाओं के संबंध में सर्वेक्षण किया गया। ये अध्ययन युवाओं और सरकार के साथ-साथ युवाओं और उद्योग के बीच संभावित योजना के अभाव पर रोशनी डालता है। जिससे यह पता चलता है कि सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास कार्यक्रमों और युवाओं की भावनाओं के बीच एक अंतर है। भारत आज एक ऐसा देश है, जहां 65% युवा कामकाजी आयु वर्ग में आते हैं। इस जनसांख्यिकीय लाभ को प्राप्त करने का केवल एक ही तरीका मौजूद है, वह है युवाओं के कौशल में विकास ताकि वे न केवल अपना व्यक्तिगत विकास कर सके, बल्कि देश की आर्थिक वृद्धि में भी योगदान दें।
कौशल भारत देश में 40 क्षेत्रों में पाठ्यक्रम प्रदान करता है, जो राष्ट्रीय कौशल योग्यता ढांचे के तहत उद्योग और सरकार दोनों द्वारा मान्यता प्राप्त मानकों से जुड़े होते हैं। ये पाठ्यक्रम एक व्यक्ति को काम के व्यावहारिक वितरण पर ध्यान केंद्रित करने में मदद और उसे अपनी तकनीकी विशेषज्ञता को बढ़ाने में मदद करते हैं ताकि वह व्यक्ति अपनी नौकरी के पहले दिन के लिए तैयार हो सकें और कंपनियों को भी ज्यादा प्रशिक्षण में निवेश ना करना पड़े। भारत की स्वतंत्रता के बाद पहली बार, कौशल विकास के माध्यम से युवाओं की रोजगार क्षमता बढ़ाने पर ध्यान केंद्रित करने के लिए कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय का गठन किया गया है। भारत में कौशल पारिस्थितिकी तंत्र, कुछ प्रसिद्ध सुधारों और नीतिगत हस्तक्षेपों को देख रहा है, जो आज देश के कार्यबल को फिर से मजबूत और सक्रिय करने में मदद करेगी और युवाओं को अंतर्राष्ट्रीय बाजार में नौकरी और विकास के अवसरों के लिए तैयार करेगी।
कौशल विकास और उद्यमिता मंत्रालय भी प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के तहत अनौपचारिक रूप से पूर्व शिक्षण कार्यक्रम की मान्यता के माध्यम से अर्जित कौशल को पहचानता और प्रमाणित करता है, एक संगठित अर्थव्यवस्था से असंगठित क्षेत्र की एक बड़े परिवर्तन के बारे में बताता है। अब तक 50 लाख से अधिक लोगों को कार्यक्रमों के तहत प्रमाणित और औपचारिक रूप से मान्यता दी गई है। कौशल भारत देश सभी कौशल विकास कार्यक्रमों में सामान्य मानदंडों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित कर यह ध्यान में रखता है कि सभी मानकीकृत हों और एक वस्तु से जुड़े हों। व्यावसायिक शिक्षा और प्रशिक्षण में बेहतर परिणाम हासिल करने के लिए कौशल भारत के तहत आईटीआई (ITI) पारिस्थितिकी तंत्र भी लाया गया है।
भारत में कौशल विकास के लिए तीन प्रमुख चुनौतियां देखी गई हैं: उद्योग और निजी क्षेत्र के साथ सार्वजनिक क्षेत्र के सहयोग का विस्तार करना, अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता के लिए रास्ते बनाना और श्रम शक्ति में महिलाओं की कम भागीदारी को संबोधित करना।
उद्योग और निजी क्षेत्र का सहयोग :
निजी क्षेत्र में व्यवसाय का मार्ग बनाना भारत के लिए एक महत्वपूर्ण रणनीतिक आधार रहा है। कौशल विकास बाजार की विफलताओं के कई रूपों का सामना करता है, जिसमें सूचना विषमता भी शामिल है, एक कुशल व्यक्ति अपने कौशल को जानता है, लेकिन एक सशक्त नियोक्ता नहीं जानता है; यदि नियोक्ताओं के पास सभी जानकारी होती है, तो एक कुशल व्यक्ति के लिए भुगतान करने की उनकी इच्छा बढ़ जाती है। उदाहरण के लिए, जब कोई कंपनी किसी कर्मचारी के कौशल को विकसित करने पर संसाधन खर्च करती है, तथा वह उस कंपनी को छोड़ अन्य कंपनी में चला जाता है, इस प्रकार इससे दूसरी कंपनी को लाभ होता है न कि उस प्रशिक्षण लागत को पूरा करने वाली कंपनी को।
जहां इस तरह की बाजार विफलताएं होती हैं, वहां सरकारी हस्तक्षेप एक प्रथम दृष्टया तर्क होता है। भारत में, विभिन्न प्रकार के कौशल विकास प्रतिरूप सरकार द्वारा वित्त पोषित कार्यक्रम हैं, जो प्रशिक्षण (जहां प्रशिक्षु पाठ्यक्रम के लिए भुगतान करते हैं), बाजार के नेतृत्व वाली प्रशिक्षुताएं और उद्योग के नेतृत्व वाले नौकरी से पूर्ण प्रशिक्षण प्रदान करते हैं। भारतीय कौशल विकास क्षेत्र में निजी क्षेत्र की भागीदारी को प्रोत्साहित करने के लिए सार्वजनिक-निजी भागीदारी के रूप राष्ट्रीय कौशल विकास निगम (बिना लाभ के) को स्थापित किया गया था। इसलिए, राष्ट्रीय कौशल विकास निगम की एक मुख्य भूमिका संगठनों को दीर्घकालिक व्यावसायिक वित्त प्रदान करना है, ताकि व्यावसायिक प्रशिक्षण पहल का निर्माण किया जा सके।
अंतर्राष्ट्रीय गतिशीलता को प्रोत्साहित करना :
भारत दुनिया की "कौशल राजधानी" बनने के लिए प्रतिबद्ध है और भारत अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्र कार्यक्रम जैसे संरचित प्रयास इसके प्रमाण हैं। कौशल परीक्षण, भाषा और पूर्व प्रस्थान उन्मुखीकरण पर ध्यान केंद्रित करने के साथ एक नए, बाजार-संचालित भारत अंतर्राष्ट्रीय कौशल केंद्र संजाल को संभावित प्रवासियों को परामर्श और मार्गदर्शन करने का प्रस्ताव दिया गया है। इसके अलावा, भारत और जापान की सरकारें जापान के तकनीकी प्रशिक्षु प्रशिक्षण कार्यक्रम को लागू करने के लिए सहयोग कर रही हैं, जापान में विदेशी नागरिकों के लिए तीन से पांच साल के प्रशिक्षण के अवसर प्रदान करने वाली एक नौकरी से पूर्ण प्रशिक्षण योजना है, जिसमें NSDC कार्यान्वयन संगठन है।
श्रम शक्ति में महिलाओं की भागीदारी :
श्रम बल में कम महिला भागीदारी एक सबसे बड़ी चुनौती को संबोधित करता है। श्रम बल सर्वेक्षण आधार-सामग्री के विश्लेषण से पता चलता है कि देश की श्रमशक्ति 395.2 मिलियन है, जिसमें केवल 91.6 मिलियन महिलाएं हैं। लिंग संवेदीकरण के माध्यम से सशक्तिकरण की दिशा में एक व्यापक प्रयोजन द्वारा पूरक कौशल पहल, आर्थिक अवसरों का सृजन और इस संख्या को बढ़ाने के लिए आर्थिक और सामाजिक समर्थन का उपयोग किया जा सकता है। महिला प्रशिक्षुओं के लिए आवासीय सुविधा प्रदान करना, कौशल कार्यक्रमों में परामर्शदाता और अनुशिक्षण लागू करना और स्थानीय कार्यशालाओं जैसे तंत्र के माध्यम से सामाजिक समर्थन प्रदान करना मौजूद है।
यंग इंडिया एंड वर्क के सर्वेक्षण में उत्तरदाताओं द्वारा पहचाना गया है, आकर्षक कौशल कार्यक्रमों की विशेषताओं में मध्यम समय की प्रतिबद्धता, मौद्रिक क्षतिपूर्ति, प्रमाणीकरण और ऑनलाइन और कक्षा सामग्री का मिश्रण शामिल है। युवा सार्वजनिक क्षेत्र को सार्वजनिक निजी भागीदारी के बाद कौशल विकास के अवसरों के लिए आदर्श प्रदाता मानते हैं। वहीं कई महिलाओं के साथ उत्तरदाताओं ने कौशल विकास कार्यक्रमों में भाग लेने में रुचि व्यक्त की है, 26% महिलाओं की तुलना में 26% पुरुषों ने पहले ही इस तरह के कार्यक्रम में दाखिला लिया है। जबकि तीन-चौथाई से अधिक सभी महिला उत्तरदाताओं को किसी भी सरकार द्वारा संचालित कौशल विकास कार्यक्रम के बारे में पता नहीं था, जबकि आधी महिलाओं द्वारा समय की कमी को कार्यक्रम नामांकन में बाधा बताया गया है।
कौशल भारत केवल घरेलू बाजार तक ही सीमित नहीं है, बल्कि अंतरराष्ट्रीय बाजार में भौगोलिक प्रदर्शन और अवसरों को बढ़ावा देने के लिए दुनिया भर के देशों के साथ सक्रिय रूप से संलग्न है। भारत एक युवा राष्ट्र है और एक कुशल कार्यबल निश्चित रूप से देश के भीतर न केवल बाजार की मांग को पूरा करने में सक्षम होगा बल्कि वैश्विक बाजार की मांग को भी पूरा करेगा। किसी राष्ट्र की सफलता हमेशा उसके युवाओं की सफलता पर निर्भर करती है और इन युवा भारतीयों के लिए स्किल इंडिया बहुत अधिक लाभ और अवसर प्रदान करने के लिए निश्चित है। वह समय दूर नहीं जब भारत एक कुशल समाज के रूप में समृद्धि और प्रतिष्ठा के साथ विकसित होगा।
चित्र सन्दर्भ :
मुख्य चित्र में एक युवा कार्यकर्ता को स्किल्स के साथ खेलते प्रस्तुत किया गया है। (Prarang)
दूसरे चित्र में प्रधानमंत्री स्किल डेवेलपमेण्ट मिशन के तहत शिक्षा प्राप्त करते युवा। (Wikimedia)
तीसरे चित्र में स्किल इंडिया कार्यक्रम के तहत सरकार द्वारा जारी डिजिटल बैनर को दिखाया गया है। (Publicdomainpictures)
अंतिम चित्र में कम्प्यूटर का ज्ञान प्राप्त करते हुए एक समूह को दिखाया गया है। (Flickr)
A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.
B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.
C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.
D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.