विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है विद्युतीय टेलीग्राफी का आविष्कार

संचार एवं संचार यन्त्र
13-05-2020 09:30 AM
विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है विद्युतीय टेलीग्राफी का आविष्कार

मानव के जीवन में संचार की बहुत ही अधिक महत्ता है। आज हम चंद सेकेण्ड में ही पूरी दुनिया से जुड़ जाते हैं, और यह सब संभव हो पाया है आधुनिक संचार साधनों के माध्यम से। संचार ने अपनी गति तब पकड़ी जब टेलीग्राफी (Telegraphy) का आविष्कार हुआ तथा विद्युतीय टेलीग्राफी के आविष्कार से संचार और भी अधिक व्यापक हो गया। विद्युतीय टेलीग्राफ का व्यावसायिक उपयोग 1838-1843 के आसपास इंग्लैंड में और 1844 में अमेरिका (मोर्स द्वारा) में शुरू हुआ। इसके सम्बंध में दो प्रमुख चिंताएँ लागत और गोपनीयता थी। इस जरूरत को कोड (Code) समूहों (यानी, कोड शब्द या कोड संख्या) की सहायता से शब्द, वाक्यांश और यहां तक कि पूर्ण वाक्य को बदलकर, वाणिज्यिक कोड या निजी कोडबुक (Codebook) द्वारा पूरा किया गया। (भले ही कोडबुक (Codebook) प्रकाशित किए गए थे, लेकिन उन्होंने टेलीग्राफ ऑपरेटरों (Operators) से गोपनीयता प्रदान थी)। टेलीग्राम लागत को और कम करने की इच्छा ने विभिन्न प्रकार के कोडों को जन्म दिया, जो या तो नियमों में खामियों का लाभ उठाते या अक्सर नियमों के खिलाफ होते। इस तरह के अनियमित अभ्यास को इतना व्यापक रूप दिया गया कि उन्हें आधिकारिक तौर पर अंत में स्वीकार कर लिया गया।

1816 में रोनाल्ड्स (Ronalds) द्वारा एक पर्याप्त दूरी पर पहली प्रयोगात्मक प्रणाली इलेक्ट्रोस्टैटिक (Electrostatic) थी, जिसे रोनाल्ड्स ने ब्रिटिश नौवाहन विभाग को पेश किया, लेकिन इसे अनावश्यक रूप में अस्वीकार कर दिया गया। 1844 के उत्तरार्ध के बाद, विद्युत तार के उपयोग में आने के बाद, नौवाहन विभाग के ऑप्टिकल (Optical) टेलीग्राफ का उपयोग किया गया। पहला व्यावसायिक टेलीग्राफ कुक और व्हीटस्टोन ने 10 जून 1837 के अपने अंग्रेजी पेटेंट (Patent) के बाद किया था। अधिकांश प्रारंभिक विद्युत प्रणालियों को कई तारों की आवश्यकता थी, लेकिन मोर्स और वेल द्वारा संयुक्त राज्य में विकसित की गई प्रणाली एकल-तार प्रणाली थी। यह वो प्रणाली थी जिसने सबसे पहले सर्वव्यापी मोर्स कोड का उपयोग किया था। मोर्स प्रणाली को आधिकारिक तौर पर 1851 में एक संशोधित कोड के साथ महाद्वीपीय यूरोपीय टेलीग्राफी के मानक के रूप में अपनाया गया था, जो बाद में अंतर्राष्ट्रीय मोर्स कोड का आधार बन गया। विद्युतीय टेलीग्राफी के अस्तित्व में आने से पहले कई कोडबुक थे जिनमें डिप्लोमेटिक सीक्रेट (Diplomatic Secret) कोड के अलावा, नौसैनिक सिग्नलिंग (Signaling) और ऑप्टिकल टेलीग्राफी (सेमाफोर-Semaphore) के लिए कोड शामिल थे।

1830 और 1840 के दशक में सैमुअल मोर्स (Samuel Morse) और अन्य आविष्कारकों द्वारा विकसित, टेलीग्राफ ने लंबी दूरी के संचार में क्रांति उत्पन्न की। इसने स्टेशनों के बीच बिछाए गए तार के ऊपर विद्युत संकेतों को प्रवाहित किया। टेलीग्राफ का आविष्कार करने में मदद करने के अलावा, मोर्स ने एक कोड विकसित किया, जिसने अंग्रेजी वर्णमाला के प्रत्येक अक्षर के लिए डॉट्स (Dots) और डैश (dashes) के एक समूह को निर्धारित किया और टेलीग्राफ लाइनों में जटिल संदेशों के सरल प्रसारण के लिए अनुमति प्रदान की। 1844 में, मोर्स ने अपना पहला टेलीग्राफ संदेश वाशिंगटन-डी.सी. (Washington-D.C), से बाल्टीमोर (Baltimore), मैरीलैंड भेजा और 1866 तक, अमेरिकी महासागर से यूरोप तक अटलांटिक महासागर में एक टेलीग्राफ लाइन बिछाई गई। हालाँकि 21 वीं सदी की शुरुआत में टेलीग्राफ का व्यापक उपयोग कम हो गया तथा इसकी जगह टेलीफोन, फैक्स मशीन (Fax machine) और इंटरनेट ने ले ली, किंतु इसने संचार क्रांति के लिए आधार तैयार किया, जिससे बाद में नवाचार सम्भव हो पाया।

विद्युतीय टेलीग्राफ के विकास से पहले सूचनाओं को लंबी दूरी तक प्रेषित करने के लिए चीन, मिस्र और ग्रीस जैसी प्राचीन सभ्यताओं ने ड्रम बजाने या धुंए जैसे संकेतों का उपयोग किया। हालांकि, इस तरह के तरीकों को हर मौसम में उपयोग नहीं किया जा सकता था तथा संदेश प्राप्त करने वाले बिंदुओं के बीच एक निर्बाध रेखा की आवश्यकता थी। इन सीमाओं ने ऐसे संकेतों की प्रभावशीलता को कम कर दिया, और विद्युतीय टेलीग्राफ का आविष्कार सम्भव हो पाया। उस समय नियमित और विश्वसनीय लंबी दूरी के संचार को काम करने योग्य बनाने के लिए सूचना प्रसारित करने की एक अलग विधि की आवश्यकता थी। 19 वीं शताब्दी की शुरुआत में, विद्युत के क्षेत्र में दो विकासों ने विद्युतीय टेलीग्राफ के उत्पादन का द्वार खोल दिया।

पहला, 1800 में इतालवी भौतिक विज्ञानी एलेसेंड्रो वोल्टा (Alessandro Volta) द्वारा किया गया बैटरी का आविष्कार और दूसरा 1820 में, डेनिश भौतिक विज्ञानी हंस क्रिश्चियन ओर्स्टेड (Hans Christian Oersted) द्वारा विद्युत धारा के साथ एक चुंबकीय सुई को विक्षेपित करके बिजली और चुंबकत्व के बीच संबंध का प्रदर्शन। हालांकि दुनिया भर के वैज्ञानिकों और अन्वेषकों ने किसी तरह की संचार प्रणाली को विकसित करने के लिए बैटरी और विद्युत चुंबकत्व के सिद्धांतों के साथ प्रयोग करना शुरू किया लेकिन टेलीग्राफ का आविष्कार करने का श्रेय आमतौर पर शोधकर्ताओं के दो समूहों, इंग्लैंड में सर विलियम कुक (Sir william cook) और सर चार्ल्स व्हीटस्टोन (Sir Charles Wheatstone), और अमेरिका में सैमुअल मोर्स, लियोनार्ड गेल (Leonard Gale) और अल्फ्रेड वेल (Leonard Gale) को दिया जाता है।

1830 के दशक में, कुक और व्हीटस्टोन की ब्रिटिश टीम ने पांच चुंबकीय सुइयों के साथ एक टेलीग्राफ प्रणाली विकसित की, जिसमें विद्युत प्रवाह का उपयोग करके अक्षरों और संख्याओं के एक पैनल (Panel) को इंगित किया जा सकता था। इसका इस्तेमाल ब्रिटेन में रेल सिग्नलिंग के लिए किया गया। गेल और वेल के सहयोग से, मोर्स ने अंततः एक एकल-सर्किट (Single circuit) टेलीग्राफ का उत्पादन किया, जो बैटरी के विद्युत परिपथ को पूरा करने के लिए ऑपरेटर कुंजी को नीचे धकेलकर कार्य करती थी। इस कार्यवाही ने दूसरे छोर पर एक तार में प्राप्त करने वाले को विद्युत संकेत भेजा। टेलीग्राफ तारों में संदेश प्रसारित करने के लिए, 1830 के दशक में मोर्स और वेल ने मोर्स कोड बनाया। उपयोग की आवृत्ति के आधार पर कोड वर्णमाला और संख्याओं में अक्षरों को डॉट्स (लघु चिह्न) और डैश (लंबे निशान) के एक समूह में निर्दिष्ट करता है। अक्सर उपयोग किए जाने वाले अक्षर (जैसे कि -E), को एक सरल कोड मिला जबकि वे अक्षर जिनका प्रयोग कम किया जाता है (जैसे – Q) को अधिक जटिल कोड दिया गया।

प्रारंभ में, कोड, जब टेलीग्राफ प्रणाली पर प्रेषित हुआ तो कागज के एक टुकड़े पर निशान के रूप में बनाया गया ताकि टेलीग्राफ ऑपरेटर इसे फिर से अंग्रेजी में अनुवादित करे। बाद में कागज को एक रिसीवर (Receiver) द्वारा प्रतिस्थापित किया गया जिसने अधिक स्पष्ट ध्वनि उत्पन्न की। विद्युतीय टेलीग्राफ ने बताया कि कैसे युद्ध लड़े गए और जीते गए और कैसे पत्रकारों और अखबारों ने कारोबार किया। समाचारों के टुकड़ों को तुरंत टेलीग्राफ स्टेशनों (Stations) के बीच आदान-प्रदान किया जा सका। मोर्स कोड पर आधारित टेलीग्राफी में आने वाली लागत अपेक्षाकृत बहुत कम थी तथा यह सुरक्षा की दृष्टि से भी अधिक उपयुक्त था इसलिए इसका गहरा आर्थिक प्रभाव भी देखने को मिला।

19 वीं शताब्दी के अंत तक, हालांकि, नई प्रौद्योगिकियां उभरने लगीं, लेकिन उनमें से कई उसी सिद्धांत पर आधारित थी जिस पर पहले टेलीग्राफ प्रणाली विकसित हुईं थी। हालांकि अब टेलीग्राफ को अधिक सुविधाजनक टेलीफोन, फैक्स मशीन और इंटरनेट द्वारा प्रतिस्थापित कर दिया गया है, लेकिन इसका आविष्कार विश्व इतिहास में एक महत्वपूर्ण घटना है जिसने संचार को एक नया रूप दिया।

चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र में 1930 में प्रस्तुत एक क्रीड मॉडल 7 टेलीप्रिंटर दिखाया है।
2. दूसरे चित्र में 1837 से कुक और व्हीटस्टोन की पांच-सुई टेलीग्राफ मशीन दिखाई गयी है।
3. तीसरे टेलीग्राफी के आविष्कारक सैमुएल मोर्स दिखाई दे रहे हैं।
4. अंतिम चित्र में इलेक्ट्रिक टेलीग्राफ की कुंजी दिखाई है।
संदर्भ:
1.
http://cryptiana.web.fc2.com/code/telegraph1.htm
2. http://cryptiana.web.fc2.com/code/telegraph2.htm
3. https://www.history.com/topics/inventions/telegraph
5. https://en.wikipedia.org/wiki/Telegraphy#Electrical_telegraph

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