नवाबों के शहर रामपुर की स्थापना 1774 में नवाब फैजुल्लाह ने कोसी नदी के बाएं तट पर की थी। जनता और फौज के लिए उन्होंने कई ईमारतें बनवाईं। रामपुर के आखिरी नवाब ने अपनी सारी ईमारतें सरकार को दे दी थीं, जब उन्होंने अपनी रियासत का भारत में विलय स्वीकार किया था। इतिहासकार बताते हैं कि विलय के समय ये तय हुआ था कि नवाब की निजी संपत्ति में सरकार का कोई दखल नहीं होगा। नवाब द्वारा दी गई संपत्ति में जिला कलेक्ट्रेट और शहर के बीचो बीच हामिद मंजिल में एशिया की प्रसिद्ध रजा लाइब्रेरी स्थित है। दो दर्जन से ज्यादा स्कूल कॉलेज आज भी नवाब की ईमारतों में चलते हैं। रामपुर की नवाबी संपत्ति के बटवारे को लेकर लंबे चले मुकदमें का फैसला सुप्रीम कोर्ट ने 2019 में सुनाया और नवाब रामपुर के वारिसों के बीच बटवारे के निर्देश जारी किए। फरवरी 2020 के पहले सप्ताह में खासबाग पैलेस स्थित शस्त्र कक्ष (STRONG ROOM) के ताले खोले गए। कोठी के कुछ विवादित कमरों के खोले जाने पर उनमें से कोई पुराने जेवरात या खानदानी सोने चांदी की चीजें बरामद नहीं हुईं, इसके अलावा एक अनोखे हथियारों का एक बड़ा खजाना बरामद हुआ जो कि रामपुर के नवाबी शस्त्र कक्ष में बन्द था। इस संग्रह में तमाम दुर्लभ अंतर्राष्ट्रीय शस्त्र थे जो द्वितीय विश्व युद्ध में इस्तेमाल होते थे और विश्व की नामी कंपनियों द्वारा निर्मित थे। इस जखीरे में चार्ल्स लैंकेस्टर (Charles Lancaster), हेनरी मार्टन (Henry Marton) से लेकर थॉमस स्मिथ (Thomas Smith), वेलिंगटन एंड संस (Wellington & Sons) आदि कई बड़े हथियारों के ब्रॉन्ड शामिल थे। कुछ चांदी सोना जड़े हथियार भी मिले। बाकि अलमारियां अभी खुली नहीं हैं।
कोठी खासबाग में आखिरी नवाब का शस्त्र कक्ष इतना मजबूत है कि वो गैस कटर से भी कट नहीं पा रहा। इसमें शाही खजाना रखा जाता था। इसकी चाभी गुम हो जाने के कारण इसको तोड़ना पड़ रहा है। चार दिन में कारीगर इसकी बाहरी दीवार की तीन परत ही काट सके हैं। शस्त्र कक्ष की धातु का नमूना प्रयोगशाला भेजा जा रहा है। खजाने को रखने के लिए नवाब ने बहुत मजबूत तिजोरी बनवाई थी। पूर्व सांसद एवं नवाब खानदान की बहु नूर बानो के अनुसार उनके ससुर नवाब रजा अली खान के पिता हामिद अली खान ने 1930 में कोठी खासबाग को बनवाया था। यह शस्त्र कक्ष भी उसी समय बनवाया गया था। इसको बनाने के लिए लंदन की कंपनी चब के इंजीनियर रामपुर आये थे। इसमें जर्मनी (Germany) की स्टील का प्रयोग किया गया है जिससे सेना के लिए टैंक बनाये जाते हैं। नूर बानो का दावा है कि शस्त्र कक्ष पर बमों का भी असर नहीं होगा। बाहरी दीवार में चार गुना सात फुट का दरवाजा है। बाहरी दीवार की चौड़ाई व ऊंचाई करीब 20 गुना 20 फीट है। दीवार में 16 गुना 16 एम.एम. धातु की तीन परतें हैं। भारतीय सेना के अधिकारी लेफ्टिनेंट जरनल एन.एस. राजासुब्रमणि ने रामपुर के नवाब के पोते नवाब काजिम अली खान से अपने खजाने के दुर्लभ हथियारों के संग्रह को सैन्य संग्रहालयों के लिए दान करना का अनुरोध एक पत्र में किया है। साथ ही ये भरोसा भी दिलाया है कि इन्हें सैन संग्राहलयों में गौरवपूर्ण स्थान रामपुर स्टेट की पट्टिका के साथ मिलेगा। जवाब में नवाब काजिम अली खान काफी सकारात्मक हैं। वो अन्य उत्तराधिकारियों के बीच सहमति बनाने की कोशिश कर रहे हैं। उनके अनुसार “अगर सबकुछ ठीक रहा तो हमारी नवाबी विरासत की ये धरोहर बरेली , लखनऊ और नई दिल्ली के सैन्य संग्रहालय में प्रदर्शित की जाएंगी।"
मानवता के इतिहास के साथ ही साथ युद्धों के इतिहास का ताना बाना गुथा हुआ होता है।दुर्भाग्यवश, युद्ध इतिहास की एक दुर्लभ घटना ना होकर एक ऐसी पीड़ा दायक त्रासदी है जिसे सम्पूर्ण राष्ट्र और उसके निवासी झेलते हैं। कोई आश्चर्य नहीं कि विश्व में सैन संग्रहालयों की स्थापना के पीछे युद्ध के कारणों और उसमें वीरता दिखाने वालों की यादों को सजोना रहा हो। यहां पर ऐसे ही प्रमुख संग्रहालयों को सूचिबद्ध किया गया है।
विश्व के 12 प्रमुख सैन्य संग्रहालय
1. इम्पीरियल वॉर म्यूजियम (Imperial War Museum(IWM), London)
प्रथम विश्व युद्ध के दौरान 1917 में स्थापित इस संग्रहालय ने 2017 में अपनी शताब्दी मनाई और ये दुनिया का सबसे बहतरीन सैन्य संग्रहालय है। हालांकि ये युद्ध के विषय पर बनाया गया है लेकिन यहां का स्टॉफ इसे सैन्य संग्रहालय नहीं कहता-‘’ IWM एक सामाजिक इतिहास संग्रहालय है जो ये बताता है कि कैसे आधुनिक विवादों ने सारे समाजों को प्रभावित किया है - लौरा क्लाउटिंग (Laura Clauting), वरिष्ठ संग्राहलयाध्यक्ष एक मानना है कि इस म्यूजियम ने युद्ध के मैदान से लेकर जन मोर्चे तक अपने महत्वपूर्ण संग्रह, वस्तुओं, कलाकृतियों, युद्ध में जीवित बचे लोगों की आपबीती, चिट्ठी पत्री, डायरियों के माध्यम से निजी प्रभावी कहानियां लोगों तक पहुंचाई हैं।”
2. नेशनल प्रथम विश्वयुद्ध म्यूजियम एंड मेमोरियल, केंज़स सिटी, मिसौरी (National WW1 Museum & Memorial, Kansas City, Missouri)
प्रथम विश्व युद्ध के पश्चिमी मोर्चे पर गोलीबारी 11 नवंबर 1918 को समाप्त हुई थी। इसकी 100 वीं वर्षगांठ के अवसर पर इसे प्रथम विश्व युद्ध म्यूजियम का दर्जा दिया गया था। म्यूजियम की अध्यक्षा के अनुसार ‘’ हम अपनी विविधता के लिए पहचाने जाते हैं जिसका मतलब है कि 75 हजार से ज्यादा चीजें (जो हमने युद्धरत लोगों से इक्ट्ठी की हैं) और उनकी कहानियों को आम लोगों तक पहुंचाते हैं। हम सिर्फ अमेरिकी अनुभवों पर केंद्रित नहीं हैं’’।
3. नेशनल म्यूजियम ऑफ़ द रॉयल नेवी, पोर्ट्समाउथ, इंग्लैंड (National Museum of The Royal Navy, Portsmouth, England)
इस म्यूजियम की खासियत यह है कि ये तीन रोचक ऐतिहासिक जहाजों का घर रहा है- (एच.एम्.एस. विजय (HMS Vijay) नौसेना के सबसे पुराने जहाज से लेकर एच.एम्.एस. वारियर (HMS Warrior) तक जो अभी भी सेवा में है।)
4. म्यूजियम ऑफ़ द ग्रेट पेट्रियोटिक वॉर, मॉस्को (Museum of The Great Patriotic War, Moscow)
इस म्यूजियम को युद्ध में मारे गए लोगों, नष्ट हुई समपत्तियों की स्मृति और युद्ध विराम की 50 वीं जयंती के अवसर पर 1995 में बनाया गया है। म्यूजियम में बहुत सी बड़ी,यथार्थवादी पेंटिंग्स हैं जो विश्व युद्ध की मुख्य लड़ाइयों की कहानी बयां करती हैं।
5. लैस इनवैलिड्स, पेरिस (Less Invalides, Paris)
इस इमारत का निर्माण 17 वीं शताब्दी में किंग लुईस XII के आदेश पर हुआ था। ये मुख्य रूप से बुजुर्ग वीर सैनिकों का रिटायरमेंट होम था। लेकिन अब इसमें फ्रेंच सैन्य म्यूजियम भी है। इसी के तहखाने में नैपोलियन बोनापार्ट के अवशेष संरक्षित हैं।
6. म्यूजियम ऑफ़ मिलिट्री हिस्ट्री, विएना, ऑस्ट्रिया (Museum of Military History, Vienna, Austria)
इसकी स्थापना 19 वीं शताब्दी में सम्राट फ्रांस जोसेफ के आदेश से हुई थी। इसमें दोनों विश्व युद्ध, इंटर वॉर पीरियड और शीत युद्ध को भी शामिल किया गया है। सबसे ज्यादा उल्लेखनीय वो कार है जिसमें आर्च ड्यूक फ्रांस (Arch Duke Franz Ferdinand) की साराजेवो में प्रथम विश्व युद्ध की शुरुआत में हत्या हुई थी।
7. नेशनल नवल एविएशन म्यूजियम, पेन्सकोला, फ्लोरिडा (National Naval Aviation Museum, Pensacola, Florida)
इस म्यूजियम के बेहतरीन संग्रह में 150 से अधिक हवाई जहाज और अन्य दुर्लभ युद्ध संबंधी सामग्री संरक्षित है।
8. रॉयल म्यूजियम ऑफ़ द आर्म्ड फोर्सेज एंड मिलिट्री हिस्ट्री, ब्रुसेल्स, बेल्जियम (Royal Museum of The Armed Forces And Military History, Brussels, Belgium)
इसमें हथियारों और कवचों का बड़ा संग्रह है जो मध्य युग से लेकर वर्तमान समय तक से संबंधित हैं। एक नया जुड़ाव इस संग्रह में F-16 फाइटर जेट का है।
9. डच रेजिस्टेंस म्यूजियम, एम्स्टर्डम, नीदरलैंड (Dutch Resistance Museum, Amsterdam, Netherlands)
इस म्यूजियम की खासियत है कि यहां एक रेजिस्टेंस म्यूजियम जूनियर (Resistance Museum Junior) भी है जो बच्चों से संबंधित विषयों पर काम करता है।
10. नेशनल इन्फेंट्री म्यूजियम, फोर्ट बेनिंग, जॉर्जिया (National Infantry Museum, Fort Benning, Georgia)
यह अमेरिकी इतिहास की आजादी की लड़ाई से लेकर वर्तमान तक एक संपूर्ण यात्रा है। ये एक मेमोरियल है जो ग्लोबल वॉर ऑन टेररिज्म (Global War on Terrorism) पर आधारित है। वर्ल्ड ट्रेड सेंटर (World Trade Centre) में जो सर्विस मेंबर्स 9/11 के आतंकवादी हमले में मारे गए थे उनके नाम अन्य नामों के साथ नई सूची में शामिल किए गए।
11. नेशनल म्यूजियम ऑफ़ द यू.एस. एयरफ़ोर्स, डेटन, ओहायो (National Museum of The US Air Force, Dayton, Ohio)
इस म्यूजियम में विश्व के हर क्षेत्र के हवाई जहाजों का संग्रह है, जिसमें खास हैं XB-70, VALKYRIE से लेकर प्रेजिडेंशियल हवाई जहाज इसमें शामिल हैं।
12. नेशनल म्यूजियम ऑफ द मरीन कॉर्प्स, क्वांटिको, वर्जिनिया ((National Museum of The Marin Corps, Quantico, Virginia)
यू एस मरीन कार्प्स की स्थापना के 200 वर्ष पूरे होने पर ये म्यूजियम एक उचित श्रद्धांजलि है।
वीर गाथाओं के भारतीय संग्रहालय
भारत दुनिया में सबसे बड़ी सेना रखने वाले देशों में से एक है। हमारे जाँबाज़ सैनिकों के शौर्य की गाथाएँ स्वर्णिम शब्दों में विश्व इतिहास में दर्ज हैं। भारतीय सेना का इतिहास सदियों पुराना है। अनेक सैनिकों ने अपनी मातृभूमि की रक्षा के लिए अपना बलिदान दिया है। इन लड़ाइयों, सैनिकों के शौर्य और उस समय के हथियारों के बारे में जानना हमें प्रोत्साहन और गर्व का अहसास देता है। भारतीय सेना के इतिहास में रुचि रखने वालों को भारत में स्थित सातों सैन्य संग्रहालयों को देखना चाहिए जो सैन्य दुनिया की अद्भुत जानकारी देकर मोह लेते हैं।
1. जैसलमेर युद्ध संग्रहालय, जैसलमेर, राजस्थान
इसकी स्थापना भारतीय सेना द्वारा सैनिकों की बहादुरी और त्याग (ख़ास तौर से 1965 की भारत-पाकिस्तान की लड़ाई और 1971 में लोंगे वाला संघर्ष की याद) के पुण्य स्मरण के लिए की गई थी। संग्रहालय ने भारतीय सेना के विकास को भी दर्शाया है। इसमें बहुत सारी युद्ध सम्बन्धी ट्रोफ़ीज़ (Trophies) और ऐतिहासिक उपकरण प्रदर्शन के लिए रखे गए हैं जिनमें शामिल हैं टैंक, बंदूक़ें और सेना के वाहन।
2. वायु सेना संग्रहालय, नई दिल्ली
यह नई दिल्ली में पालम वायु सेना स्टेशन पर स्थित है। एनेक्सी में चित्रों के माध्यम से भारतीय वायु सेना का इतिहास प्रदर्शित किया गया है। अंदर के भाग में वायु सेना और उसके अधिकारियों की विभिन्न यूनिफार्म में फ़ोटोग्राफ्स दिखाए गए हैं।1966 और 1971 की लड़ाइयों में शौर्य प्रदर्शन करने वाले वायु सेना के बहादुरों के फ़ोटोग्राफ़ यहाँ प्रदर्शित हैं। हैंगर सेक्शन में भारी संख्या में पुराने हवाई जहाज़ और टैंक संरक्षित हैं। बाहर बड़े हवाई जहाज़ हैं जिनमें हैलीकॉप्टर, जेट हवाई जहाज़ जैसे सुखोई एस यू 7, मिग 21 व 23 और MI4 हैलीकॉप्टर शामिल हैं।
3. भारतीय युद्ध मेमोरियल संग्रहालय, नई दिल्ली
यह संग्रहालय नई दिल्ली के लाल क़िला परिसर में नौबतख़ाना में स्थित है। यह ब्रिटिश शासन के समय भारतीय सेना के वीरतापूर्ण कार्यों को समर्पित है। पानीपत की लड़ाई के कुछ विवरणों के अतिरिक्त कुछ पारम्परिक युद्ध सम्बन्धी हथियार जैसे ख़ंजर, गुप्ती, शिरस्त्राण (Helmets); तरह-तरह के बैजेज़ (Bedges), रिबन(Ribbon), टर्किश (Turkish) और न्यूज़ीलैंड (Newzelands) के सैन्य अधिकारियों की वर्दी और ध्वज प्रदर्शित किए गए हैं।
4. नौसेना उड्डयन संग्रहालय, गोवा
इस संग्रहालय में भारतीय नौसेना के विकास को दर्शाया गया है। इसका उद्घाटन अक्टूबर, 1998 में हुआ था। संग्रहालय की आंतरिक सज्जा INS विराट हवाई जहाज़ कैरियर (Carrier) की तरह है। दीर्घा में नौसेना के उपकरण, मुख्य लड़ाइयों के फ़ोटोग्राफ़्स और शहीदों की स्मृति में एक पट्टिका प्रदर्शित है।
5. सामुद्रिका नौसेना समुद्री संग्रहालय, अंडमान और निकोबार
पोर्ट ब्लेयर स्थित इस संग्रहालय को फ़िशरीज़ म्यूज़ियम भी कहते हैं। इसे भारतीय नौसेना संचालित करती है लेकिन इसमें प्रदर्शित सामग्री सेना से सम्बंधित न होकर अंडमान-निकोबार की आदिवासी जनजाति और विविध पारिस्थितिक तंत्र (Diverse Ecosystem) से सम्बंधित है। संग्रहालय के पाँच अनुभाग हैं जिनमें अंडमान द्वीप के इतिहास, भूगोल, अंडमान के लोग, पुरातत्व और समुद्री ज़िंदगी के विषय में जानकारी दी गई है।
6. कुरसुरा पनडुब्बी संग्रहालय, विशाखपत्तनम
INS कुरसुरा एक सोवियत निर्मित I-641 श्रेणी पनडुब्बी भारतीय नौसेना में 18 दिसंबर, 1969 में शामिल हुई थी और 31 वर्षों की शानदार सेवा के बाद 28 फ़रवरी,2001 में सेवामुक्त हो गई।1971 की लड़ाई में पहरेदारी के अभियानों में मुख्य भूमिका निभाई। इसके बाद यह पनडुब्बी एक म्यूज़ियम के तौर पर रामकृष्ण मिशन बीच पर विशाखापत्तनम में संरक्षित की गई।पनडुब्बी को म्यूज़ियम के तौर पर प्रयोग करने का यह एशिया का पहला प्रयास है। आज भी इस पनडुब्बी को नौसेना का ‘Dressing Ship’ सम्मान दिया जाता है जो सिर्फ़ सक्रिय जहाज़ों को दिया जाता है।
7. कावलरी टैंक संग्रहालय , महाराष्ट्र
महाराष्ट्र के औरंगाबाद शहर में स्थित यह संग्रहालय एशिया के कावलरी टैंक को समर्पित है। यहाँ पर कुछ ऐसे भी टैंक हैं जो प्रथम विश्वयुद्ध में प्रयोग हुए थे।कुछ ट्रौफ़ी टैंक भी हैं, जो 1965 में भारत-पाकिस्तान की लड़ाई में शामिल हुए थे।
इन सैन्य और युद्ध सम्बन्धी संग्रहालयों को देखने से न केवल अपनी सेना और सैनिकों के अद्वितीय कौशल और बलिदानों का इतिहास पता चलता है, बल्कि विश्व की शीर्ष सेना वाले देश में पैदा होने के गौरव का अहसास भी होता है।
चित्र (सन्दर्भ):
1. मुख्य चित्र कोठी ख़ास बाग़ का पुराण चित्र है।, Prarang
2. दूसरे चित्र में इम्पीरियल वॉर म्यूजियम दिखाया गया है।, Wikimedia Commons
3. तीसरा चित्र म्यूजियम ऑफ़ द ग्रेट पेट्रियोटिक वॉर, मॉस्को का चित्र है।, Flickr
4. चौथा चित्र जैसलमेर युद्ध संग्रहालय, जैसलमेर, राजस्थान का चित्र है।, Wikimedia Commons
सन्दर्भ:
1. https://bit.ly/2S38x7e
2. https://bit.ly/3aFijTG
3. https://edition.cnn.com/travel/article/best-military-museums/index.html
4. https://www.tripoto.com/india/trips/military-museums-in-india-that-you-should-visit-5a21b1b9f0583
5. https://ford.to/3cJyCA0
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