शिक्षा और स्वच्छता का है स्वास्थ्य सुरक्षा (Healthcare) से घनिष्ठ सम्बंध

नगरीकरण- शहर व शक्ति
14-04-2020 04:30 AM
शिक्षा और स्वच्छता का है स्वास्थ्य सुरक्षा (Healthcare) से घनिष्ठ सम्बंध

शिक्षा और स्वच्छता की स्थिति का स्वास्थ्य सुरक्षा (Healthcare) से सीधा संबंध होता है। जिस प्रकार से हमारे आस-पास का वातावरण स्वच्छ होने से हमारा शरीर और मस्तिष्क स्वस्थ रहता है, ठीक उसी प्रकार से शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य सुरक्षा के प्रति जागरूकता पैदा करती है, इसलिए इन तीनों के बीच मौजूद सबंध की मान्यता विश्वव्यापी भी है। इस समय पूरा विश्व कोरोना विषाणु के संक्रमण से जूझ रहा है, तथा इससे निजात पाने के लिए विश्व भर में कई उपाय भी किये जा रहे हैं, किंतु आश्चर्य की बात यह है कि रामपुर भारत का एक ऐसा दुर्लभ जिला (720 जिलों में से) है, जहां न केवल वेंटिलेटर (ventilators) बल्कि आईसीयू (Intensive Care Unit-गहन चिकित्सा इकाई) की भी सुविधा नहीं है! भारत के सर्वश्रेष्ठ पुस्तकालयों में से एक पुस्तकालय रामपुर में भी है किंतु इसके बावजूद भी जनगणना 2011 के सर्वेक्षण में, हमारा रामपुर शहर शिक्षा के मामले में, भारत के सबसे खराब शहर के रूप में सामने आया है। इसके अलावा, 100 से अधिक भारतीय शहरों के लिवेबिलिटी सर्वेक्षण (Liveability survey) 2018 में रामपुर को शिक्षा, स्वच्छता और बुनियादी स्वास्थ्य सुविधाओं की गुणवत्ता के मामले में सबसे खराब शहर पाया गया। यहां रहने वाले लगभग 3.25 लाख निवासी प्रतिदिन 165 टन (Ton) कचरा फेंकते हैं किंतु इसके निपटान के लिए कोई प्रबंधन मौजूद नहीं है। वहीं स्वास्थ्य सुरक्षा के लिए बनाए गए स्थानीय अस्पताल किसी भी आपात स्थिति से निपटने में सक्षम नहीं है।

इसी प्रकार से विद्यालयों में भी छात्रों के लिए पाठ्य पुस्तकों और कक्षाओं की कमी के साथ शिक्षा प्रणाली सुव्यवस्थित नहीं है। केवल रामपुर ही नहीं बल्कि पूरे भारत में शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा दोनों में धन के निवेश का स्तर खराब है। भारत में अन्य सेवाओं के मुकाबले शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर सबसे कम खर्च किया जाता है, क्योंकि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा राजनेताओं की प्राथमिकता नहीं है। उनके लिए केवल वे मुद्दे प्राथमिक हैं, जो उनका वोट बैंक (Vote bank) बढाने में मदद करते हैं। भारत स्वास्थ्य सेवा पर सकल घरेलू उत्पाद (Gross Domestic Product-GDP) का लगभग 4% खर्च करता है। इसमें सरकारी हिस्सा (सार्वजनिक व्यय) केवल 1.3% है। यह भारत के लिए बहुत दुखद बात है कि शिक्षा और स्वास्थ्य पर कम खर्च करने वाले जो देश (पाकिस्तान, बांग्लादेश, आदि) भारत से पीछे हैं, वे अधिक पीछे नहीं हैं। नेपाल और चीन की बात की जाए तो ये देश शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा पर भारत की अपेक्षा अधिक खर्च करते हैं। 2016 में दक्षिण एशियाई देशों में भारत का स्वास्थ्य स्कोर (score) सबसे कम (43) था, जोकि 16 साल पहले 1990 में पाकिस्तान द्वारा दर्ज किया गया था। भारत की तुलना में नेपाल की प्रति व्यक्ति आय काफी कम है, लेकिन 16 साल की अवधि में उसने अपने कार्यात्मक स्वास्थ्य स्कोर को 28% तक बढ़ाकर सबसे बड़ा सुधार किया। इसके बाद बांग्लादेश (22%), श्रीलंका (21%) और फिर भारत (18%) का स्थान है। पिछले कुछ समय के बजटों (Budgets) को देखा जाए तो स्वास्थ्य व्यय को और भी घटा दिया गया है। इन क्षेत्रों की चयनात्मक अनदेखी के कारण ही शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा दोनों में सुधार नहीं हो पाया है।

शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा दोनों में सुधार नहीं होने के बहुत सारे निहित स्वार्थ हैं। ये दोनों राजनीतिक और आर्थिक रूप से एक-दूसरे से संबंधित हैं तथा निजी क्षेत्रों के लिए अत्यधिक आकर्षण के क्षेत्र हैं। निजी खिलाड़ी, सरकारी अधिकारी और राजनेता, सब मिलकर यह सुनिश्चित कर रहे हैं कि शिक्षा और स्वास्थ्य सेवा निजी खिलाड़ियों के हाथों में ही रहे। यदि निजी विश्वविद्यालयों, निजी मेडिकल कॉलेजों (medical Colleges) और कई निजी अस्पताल श्रृंखलाओं के स्वामित्व पैटर्न (pattern) को देखें, तो इनमें से अधिकांश संस्थाओं के कई राजनेताओं से प्रत्यक्ष/अप्रत्यक्ष संबंध हैं। इन क्षेत्रों में यदि सरकारी खर्च अधिक कर दिया जाये तो इन क्षेत्रों में निजी खिलाड़ियों का एकाधिकार कम हो जायेगा और राजनेताओं को अपने वोट बैंक की चिंता होने लगेगी। इन दोनों प्रमुख क्षेत्रों की गुणवत्ता को कम करके भारत अपने भविष्य के आर्थिक विकास को भी कम कर रहा है। इन क्षेत्रों की गुणवत्ता बढ़ाने के लिए यह सुनिश्चित करना आवश्यक है कि सरकार इन क्षेत्रों में खर्च बढ़ाए। शिक्षकों, डॉक्टरों (Doctors), नर्सों (nurses) और अन्य पैरामेडिकल (paramedical) पेशेवरों को एक ऐसा निकाय बनाने की आवश्यकता है, जो सरकार को सही दिशा में कार्य करने के लिए विवश करे। कोविड-19 (Covid-19) के संकट ने जहां पूरे विश्व को प्रभावित किया है, वहीं भारत जैसे कई देशों में शिक्षा, स्वच्छता और स्वास्थ्य सेवा के बीच के संबंध में जागरूकता का स्तर बनाया है। रामपुर जिले के लिए यह एक सही समय है जिसमें वह अपना ध्यान राजनीति, सड़कों/इमारतों में निवेश इत्यादि से हटाकर इन मूल बातों पर केंद्रित कर सकता है।

संदर्भ:
1. https://societyhealth.vcu.edu/media/society-health/pdf/EHI4StateBrief.pdf
2. https://bit.ly/3a6P2B1
3. https://www.quora.com/Why-is-India-spending-so-little-on-health-and-education
4. https://www.moneycontrol.com/news/india/its-official-rampur-in-uttar-pradesh-is-the-worst-city-to-live-in-2850571.html
5. https://bit.ly/2RzucDD
चित्र सन्दर्भ:
1.
youtube.com - रामपुर में स्वास्थ्य के प्रति जागरूकता प्रदान करते मेडिकल के छात्र
2. wallpaperflare.com - रामपुर में ग्रामीण क्षेत्र में मौजूद स्कूल कक्ष के अंदर मौजूद नौनिहाल
3. youtube.com - आपातकालीन एम्बुलेंस सेवा का एक दृश्य

पिछला / Previous अगला / Next

Definitions of the Post Viewership Metrics

A. City Subscribers (FB + App) - This is the Total city-based unique subscribers from the Prarang Hindi FB page and the Prarang App who reached this specific post.

B. Website (Google + Direct) - This is the Total viewership of readers who reached this post directly through their browsers and via Google search.

C. Total Viewership — This is the Sum of all Subscribers (FB+App), Website (Google+Direct), Email, and Instagram who reached this Prarang post/page.

D. The Reach (Viewership) - The reach on the post is updated either on the 6th day from the day of posting or on the completion (Day 31 or 32) of one month from the day of posting.